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अनुच्छेद 101
चर्चा में क्यों?
पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय ने सांसद अमृतपाल सिंह की याचिका पर सुनवाई स्थगित कर दी, जिसमें संसद में उपस्थित होने की अनुमति मांगी गई थी।
मुख्य बिंदु
- अनुपस्थिति पर कानूनी तर्क:
- अमृतपाल सिंह के वकील ने तर्क दिया कि याचिका दायर करने की तारीख से वह पहले ही 46 दिनों से अनुपस्थित हैं।
- संविधान के अनुच्छेद 101(4) के अनुसार, यदि कोई सदस्य बिना अनुमति के 60 दिनों से अधिक समय तक अनुपस्थित रहता है तो संसदीय सीट रिक्त घोषित की जा सकती है।
- इस बात पर ज़ोर दिया गया कि इस सीमा तक पहुँचने में केवल छह दिन शेष हैं, जिसके बाद उनकी सदस्यता समाप्त की जा सकती है।
- मामले की पृष्ठभूमि:
- खडूर साहिब निर्वाचन क्षेत्र से सांसद अमृतपाल सिंह ने पहली बार जनवरी 2025 में अदालत का रुख किया था।
- उन्होंने अपने निर्वाचन क्षेत्र के विकास संबंधी मुद्दों पर चर्चा करने के लिये संसद में उपस्थित होने तथा केंद्रीय मंत्रियों से मिलने की अनुमति मांगी।
- उनकी याचिका में तर्क दिया गया कि 19 लाख से अधिक लोगों का प्रतिनिधित्व करने वाले एक निर्वाचित सांसद के रूप में उन्हें अपने संसदीय कर्तव्यों को पूरा करने की अनुमति दी जानी चाहिये।
अनुच्छेद 101(4)
- प्रमुख प्रावधान:
- यदि कोई सांसद बिना अनुमति के लगातार 60 दिनों तक सदन से अनुपस्थित रहता है तो उसकी सीट रिक्त घोषित की जा सकती है।
- दिनों की गणना में वह अवधि शामिल नहीं है जब संसद सत्र में नहीं होती।
- अध्यक्ष (लोकसभा) या सभापति (राज्यसभा) अयोग्यता पर निर्णय लेते हैं।
- उद्देश्य:
- विधायी कार्यवाही में सांसदों की सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित करना।
- निर्वाचित प्रतिनिधियों द्वारा संसदीय ज़िम्मेदारियों की उपेक्षा को रोकता है।
- लोकतंत्र में जवाबदेही के सिद्धांत को कायम रखता है।
- अपवाद एवं विशेष मामले:
- सांसद वैध कारणों, जैसे बीमारी, हिरासत में लिये जाने या अपरिहार्य परिस्थितियों के कारण अवकाश के लिये आवेदन कर सकते हैं।
- यदि सदन अनुमति दे देता है तो सांसद अपनी सीट बरकरार रख सकता है।
- कानूनी हिरासत के मामलों में, यदि आवश्यक हो तो अदालतें उपस्थिति की अनुमति देने के लिये हस्तक्षेप कर सकती हैं।
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38वाँ सूरजकुंड अंतर्राष्ट्रीय शिल्प मेला संपन्न
चर्चा में क्यों?
केंद्रीय ऊर्जा, आवास और शहरी मामलों के मंत्री ने सूरजकुंड अंतर्राष्ट्रीय शिल्प मेले के 38वें संस्करण के समापन समारोह की अध्यक्षता की।
मुख्य बिंदु
- मेले का वैश्विक प्रभाव:
- केंद्रीय मंत्री ने सूरजकुंड अंतर्राष्ट्रीय शिल्प मेले के अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व पर ज़ोर दिया।
- उन्होंने कहा कि इस आयोजन ने हरियाणा और भारत को वैश्विक पहचान दिलाई है और सांस्कृतिक पर्यटन में मील का पत्थर स्थापित किया है।
- सांस्कृतिक और आर्थिक महत्व:
- मेले को ‘कला और शिल्प का महाकुंभ’ बताते हुए उन्होंने कलाकारों और आगंतुकों के बीच सीधे संपर्क को बढ़ावा देने में इसकी भूमिका पर प्रकाश डाला।
- यह मेला भारत की समृद्ध विरासत और सांस्कृतिक विविधता को बढ़ावा देता है तथा दुनिया भर से कारीगरों और पर्यटकों को आकर्षित करता है।
- राष्ट्रीय एवं सांस्कृतिक एकता को सुदृढ़ बनाना:
- उन्होंने राष्ट्रीय एकता और सांस्कृतिक अखंडता को बढ़ाने में मेले की भूमिका की सराहना की।
- भागीदारी और पुरस्कार:
- समापन समारोह में विभिन्न श्रेणियों में उत्कृष्ट कारीगरों को पुरस्कार प्रदान किये गये।
- 38वें आयोजन में भारत और विदेश से 1,600 से अधिक कारीगरों ने भाग लिया तथा लगभग 15 लाख आगंतुक आए।
सूरजकुंड मेला
- सूरजकुंड अंतर्राष्ट्रीय शिल्प मेला 7 फरवरी से 23 फरवरी 2025 तक आयोजित हुआ।
- मेले का आयोजन सूरजकुंड मेला प्राधिकरण और हरियाणा पर्यटन द्वारा केंद्रीय पर्यटन, कपड़ा, संस्कृति एवं विदेश मंत्रालय के सहयोग से किया जाता है।
- यह मेला वर्ष 1987 में कुशल कारीगरों के पूल को बढ़ावा देने के लिये शुरू किया गया था, जो कि स्वदेशी तकनीक का इस्तेमाल करते थे, लेकिन ये लोग सस्ते मशीन-निर्मित उत्पादों के कारण पीड़ित थे।
- इस मेले को वर्ष 2013 में अंतर्राष्ट्रीय स्तर के मेले रूप में अपग्रेड किया गया था।
- सूरजकुंड मेला भारत के हस्तशिल्प, हथकरघा और सांस्कृतिक विरासत की समृद्धि एवं विविधता को प्रदर्शित करता है, इसके साथ ही यह विश्व का सबसे बड़ा शिल्प मेला है।
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अरावली जंगल सफारी
चर्चा में क्यों?
हरियाणा के पर्यावरण, वन एवं वन्यजीव मंत्री ने लोगों से विश्व वन्यजीव दिवस पर लुप्तप्राय वन्यजीवों की रक्षा करने का संकल्प लेने का आग्रह किया। विश्व वन्यजीव दिवस पर सफारी शुरू करने के लिये जंगल सफारी और अरावली ग्रीन वॉल परियोजना के प्रयास चल रहे हैं।
मुख्य बिंदु
- सफ़ारी परियोजना का क्रियान्वयन:
- प्रारंभ में सफारी परियोजना के लिये पर्यटन विभाग ज़िम्मेदार था, लेकिन मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने अब इसका क्रियान्वयन वन एवं वन्यजीव विभाग को सौंप दिया है।
- विभाग इस परियोजना पर तेज़ी से प्रगति कर रहा है।
- परियोजना नियोजन के लिये अध्ययन दौरे:
- मंत्री ने विभागीय अधिकारियों के साथ सर्वोत्तम प्रथाओं का अध्ययन करने के लिये नागपुर (महाराष्ट्र) में गोरेवाड़ा वन्यजीव सफारी और जामनगर (गुजरात) में वंतारा परियोजना का दौरा किया।
- अरावली ग्रीन वॉल परियोजना:
- इस परियोजना का उद्देश्य हरियाणा, राजस्थान, गुजरात और दिल्ली में 1.15 मिलियन हेक्टेयर से अधिक भूमि को पुनर्स्थापित करना है, जिससे बहु-राज्यीय सहयोग को बढ़ावा मिलेगा।
- प्रमुख उद्देश्यों में शामिल हैं:
- देशी वृक्ष प्रजातियों के साथ वनरोपण
- जैवविविधता संरक्षण
- मृदा स्वास्थ्य बहाली
- भूजल पुनर्भरण में वृद्धि
विश्व वन्यजीव दिवस
- यह दिवस 2013 से हर वर्ष 3 मार्च को मनाया जाता है।
- यह तिथि वन्य जीव और वनस्पति की लुप्तप्राय प्रजातियों के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार पर कन्वेंशन (CITES) के दिन से मेल खाती है, जिस पर वर्ष 1973 में हस्ताक्षर किये गए थे।
- UNGA (महासभा) के प्रस्ताव ने सीआईटीईएस सचिवालय को यूएन (संयुक्त राष्ट्र) कैलेंडर पर वन्यजीवों के लिये इस विशेष दिन के वैश्विक पालन के लिये सुविधाकर्ता के रूप में भी नामित किया।
महत्त्व:
- यह संयुक्त राष्ट्र सतत विकास लक्ष्य 1, 12, 14 और 15 के अनुरूप है, तथा गरीबी उन्मूलन, संसाधनों का सतत उपयोग सुनिश्चित करने, तथा जैवविविधता की हानि को रोकने के लिये भूमि और जल के नीचे जीवन के संरक्षण पर उनकी व्यापक प्रतिबद्धताओं के अनुरूप है।
- हमारा ग्रह इस समय जैवविविधता की हानि की चुनौती का सामना कर रहा है और यदि असंतुलित मानवीय गतिविधियों, जलवायु परिवर्तन और आवास क्षरण पर नियंत्रण नहीं किया गया तो आने वाले दशकों में दस लाख से अधिक प्रजातियाँ लुप्त हो सकती हैं।