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राजस्थान स्टेट पी.सी.एस.

  • 25 Jan 2023
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प्रदेश के आठ रचनाधर्मियों को मिलेगा अमृत सम्मान

चर्चा में क्यों?

24 जनवरी, 2023 को राजस्थान साहित्य अकादमी, उदयपुर के अध्यक्ष डॉ. दुलाराम सहारण की अध्यक्षता में हुई अमृत सम्मान समिति की बैठक में यह निर्णय लिया गया कि प्रदेश के 75 वर्ष से अधिक उम्र के नौ रचनाधर्मियों को राजस्थान साहित्य अकादमी वर्ष 2022-23 का अमृत सम्मान प्रदान करेगी।

प्रमुख बिंदु 

  • अकादमी सचिव डॉ. बसंत सिंह सोलंकी ने बताया कि समिति ने प्राप्त आवेदनों पर विचार करते हुए और संचालिका संस्तुति के अनुरूप प्रांत के आठ साहित्य सेवियों का चयन अमृत सम्मान के लिये किया है।
  • उन्होंने बताया कि जयपुर के डॉ. सुलोचना रांगेय राघव, पुष्पा शरद देवड़ा, डॉ. कल्याण प्रसाद वर्मा, झालावाड़ के ग्यारसीलाल सेन, बीकानेर के लक्ष्मीनारायण रंगा, सरल विशारद, चूरू के शिव कुमार शर्मा मधुप तथा बाँसवाड़ा की भारती भावसार का चयन वर्ष 2022-23 के अमृत सम्मान हेतु किया गया है।
  • ये अमृत सम्मान 28 जनवरी को अकादमी स्थापना दिवस समारोह में अकादमी सभागार, उदयपुर में आयोज्य समारोह में प्रदान किये जाएंगे।
  • उल्लेखनीय है कि हिन्दी भाषा, साहित्य, संस्कृति, शिक्षा, साक्षरता, पत्रकारिता आदि की सेवा करने वाले 75 वर्ष से अधिक उम्र के साहित्यकार जिनको इससे पहले अकादमी का कोई भी सम्मान या पुरस्कार प्राप्त नहीं हुआ है, उन्हें 31 हज़ार रुपए की राशि का यह अमृत सम्मान प्रदान किया जाता है।

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कैंपा की संचालन समिति की समीक्षा बैठक आयोजित

चर्चा में क्यों?

24 जनवरी, 2023 को राजस्थान की मुख्य सचिव उषा शर्मा की अध्यक्षता में जयपुर स्थित शासन सचिवालय में वन विभाग की कम्पंसेटरी अफोरेस्टेशन फंड मैनेजमेंट एंड प्लानिंग अथॉरिटी अर्थात कैंपा (राजस्थान प्रतिकरात्मक वनरोपण निधि प्रबंधन और योजना प्राधिकरण) की संचालन समिति की समीक्षा बैठक आयोजित की गई।

प्रमुख बिंदु 

  • समीक्षा बैठक में कैंपा के वर्ष 2022-23 की वार्षिक कार्य योजना की समीक्षा करने के साथ ही वर्ष 2023-24 हेतु 298.57 करोड़ रुपए की वार्षिक कार्य योजना का अनुमोदन किया गया।
  • इस वार्षिक कार्य योजना को केंद्र सरकार की स्वीकृति मिलने की पश्चात् इसका क्रियान्वयन किया जाएगा, जो कि वर्तमान वित्तीय वर्ष के 249.19 करोड़ रुपए की राशि से 49.38 करोड़ रुपए अधिक है।
  • उल्लेखनीय है कि कम्पंसेटरी अफोरेस्टेशन फंड के नियमों के तहत जारी राशि का उपयोग वन तथा वन्य जीव प्रबंधन एवं इनसे संबंधित आधारभूत संरचनाओं के सुदृढ़ीकरण में शामिल कार्मिकों की क्षमता निर्माण में किया जाता है। इससे वन एवं वन्य जीवों का संरक्षण होता है।

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राजस्थान पुलिस बेड़े में शामिल हुई 25 डिजिटल इंटरसेप्टर

चर्चा में क्यों?

24 जनवरी, 2023 को राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने प्रदेश के सड़क सुरक्षा प्रबंधन के अंतर्गत पुलिस बेड़े में 25 हाईटेक इंटरसेप्टर वाहनों को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया।

प्रमुख बिंदु 

  • मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बताया कि डिजिटल तकनीक से सुसज्जित इंटरसेप्टर रात्रि में भी गति मापने एवं वाहन नंबर प्लेट पढ़ने में सक्षम हैं। ये वाहन सड़क सुरक्षा में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हुए सड़क दुर्घटनाओं पर प्रभावी अंकुश लगाने में कारगर साबित होंगे।
  • राज्य सरकार द्वारा सड़क सुरक्षा कोष से लगभग 5 करोड़ रुपए की लागत से राजस्थान पुलिस को इंटरसेप्टर उपलब्ध कराए गए हैं।
  • मुख्यमंत्री ने बताया कि राज्य सरकार प्रतिबद्धता के साथ सड़क दुर्घटनाओं को रोकने के लिये प्रयासरत है। पुलिस एवं संबंधित विभागों को अत्याधुनिक संसाधनों व जागरूकता अभियानों के लिये वित्तीय स्वीकृतियाँ दी जा रही हैं।
  • अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक वी. के. सिंह ने बताया कि ये इंटरसेप्टर कॉन्टेक्टलैस एवं कैशलैस इन्फोर्समेंट सुनिश्चित करेंगी। यह उच्च गुणवत्ता वाले हाई डेफिनेशन कैमरा सहित एक किलोमीटर दूरी से वाहनों की गति मापने की क्षमता की स्पीड लेजर गन से लैस है। ये इंटरसेप्टर दिन में 250 मीटर तथा रात में 100 मीटर की दूरी से तेज गति वाले वाहनों के नंबर प्लेट पहचान कर सकेंगी।
  • इसके अलावा फोटो-वीडियो लेकर एआई तकनीक से NICके ITMS सुविधा से ई-चालान जारी करने में भी सक्षम है।
  • डिजिटल इंटरसेप्टर में लेजर ट्रैक गति कैमरा के अतिरिक्त 360 डिग्री का कैमरा रिकॉर्डर, श्वास से एल्कोहल की मात्रा मापने की डिवाइस, टिंट मीटर, एलईडी साइनेज, एलईडी लाइटबार, उच्च क्षमता का साइरन तथा पीए सिस्टम उपलब्ध है। इनमें प्राथमिक बचाव और चिकित्सा किट भी उपलब्ध है।
  • इनमें 4 इंटरसेप्टर यातायात आयुक्तालय जयपुर, 2-2 उदयपुर, अजमेर, जयपुर ग्रामीण, सीकर, भीलवाड़ा, 1-1 नागौर, बाड़मेर, भरतपुर, बीकानेर, पाली, अलवर,  झुंझुनू,जोधपुर ग्रामीण, झालावाड़, सिरोही और कोटा शहर को दी गई हैं।
  • उल्लेखनीय है कि सड़क दुर्घटनाओं के प्रमुख कारणों में तेज गति एवं नशे में वाहन चलाना शामिल है। राज्य सरकार ने इन्हीं कारणों को ध्यान में रखते हुए पुलिस को इंटरसेप्टर उपलब्ध कराए हैं।

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राजस्थान के परमवीर चक्र विजेता शैतान सिंह के नाम पर अंडमान निकोबार का द्वीप, पीएम नरेंद्र मोदी ने किया नामकरण

चर्चा में क्यों ?

23 जनवरी, 2022 को नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती (पराक्रम दिवस) के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत में सबसे बड़े सैन्य अलंकरण परमवीर चक्र के 21 विजेताओं के नाम पर अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के 21 बड़े अज्ञात द्वीपों का नामकरण किया। इस सूची में राजस्थान के परमवीम चक्र विजेता मेजर शैतान सिंह का नाम भी शामिल हैं।  

प्रमुख बिंदु 

  • जोधपुर में एक दिसंबर 1924 को जन्मे शैतान सिंह के पिता हेम सिंह भाटी भारतीय सेना में लेफ्टिनेंट कर्नल थे। पिता से विरासत में मिली बहादुरी और देश प्रेम के जज्बे के साथ जोधपुर स्टेट फोर्स के इस जांबाज ने एक अगस्त 1949 में कुमाऊँ रेजीमेंट में तैनाती ली। 1962 में शैतान सिंह पदोन्नत होकर मेजर नियुक्त किये गए।
  • 18 नवंबर, 1962 को भारत-चीन युद्ध में लद्दाख की चुशुल घाटी में 13 कुमाऊँ रेजीमेंट के लगभग 120 जवानों की टुकड़ी की अगुवाई करते हुए मेजर शैतान सिंह ने रेजांगला में मोर्चा सँभाला और अपनी टुकड़ी के साथ खुद के दम पर 1300 चीनी सैनिकों को मार गिराया था।
  • इनके बारे में बताया जाता है कि मशीनगन को रस्सी से पैरों में बांधकर इस वीर सपूत ने दुश्मन सेना से लोहा लिया।  आखिर में अपना सर्वोच्च बलिदान देकर हमेशा के लिये अमर हो गए।
  • बर्फ से ढके उस क्षेत्र में तीन महीने बाद मेजर शैतान सिंह का शव शिलाखंड के पीछे उसी स्थान पर मिला था, जिसे जोधपुर ले जाया गया और पूरे सैन्य सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया गया। मेजर शैतान सिंह को उनके अदम्य साहस, नेतृत्व और कर्तव्य के प्रति अनुकरणीय समर्पण के लिये सर्वोच्च युद्धकालीन वीरता पदक परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया।
  • उल्लेखनीय है कि अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के ऐतिहासिक महत्त्व को ध्यान में रखते हुए तथा नेताजी सुभाष चंद्र बोस की स्मृति को सम्मान प्रदान करने के लिये वर्ष 2018 में अंडमान निकोबार द्वीप समूह की यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री ने रॉस द्वीप समूह का नाम बदलकर ‘नेताजी सुभाष चंद्र बोस द्वीप’रख दिया था। नील द्वीप और हैवलॉक द्वीप का नाम बदलकर ‘शहीद द्वीप’और ‘स्वराज द्वीप’कर दिया गया था।
  • देश के वास्तविक जीवन के नायकों को उचित सम्मान देने के उद्देश्य से इस द्वीप समूह के 21 बड़े अज्ञात द्वीपों का नामकरण 21 परमवीर चक्र विजेताओं के नाम पर करने का निर्णय लिया गया है।  
  • पहले बड़े अज्ञात द्वीप का नाम पहले परमवीर चक्र विजेता के नाम पर, दूसरे बड़े अज्ञात द्वीप का नाम दूसरे परमवीर चक्र विजेता के नाम पर रखा गया है और इसी तरह अन्घ्य द्वीपों का नाम रखा गया है।  
  • इन द्वीपों का नाम जिन 21 परमवीर चक्र विजेताओं के नाम पर रखा वे हैं - मेजर सोमनाथ शर्मा; सूबेदार और मानद कैप्टेन (तत्कालीन लांस नायक) करम सिंह, एम.एम; सेकेंड लेफ्टिनेंट राम राघोबा राणे; नायक जदुनाथ सिंह; कंपनी हवलदार मेजर पीरू सिंह; कैप्टन जीएस सलारिया; लेफ्टिनेंट कर्नल (तत्कालीन मेजर) धन सिंह थापा; सूबेदार जोगिंदर सिंह; मेजर शैतान सिंह; सीक्यूएमएच अब्दुल हमीद; लेफ्टिनेंट कर्नल अर्देशिर बुर्जोरजी तारापोर; लांस नायक अल्बर्ट एक्का; मेजर होशियार सिंह; सेकेंड लेफ्टिनेंट अरुण खेत्रपाल; फ्लाइंग ऑफिसर निर्मलजीत सिंह सेखों; मेजर रामास्वामी परमेश्वरन; नायब सूबेदार बाना सिंह; कैप्टेन विक्रम बत्रा; लेफ्टिनेंट मनोज कुमार पांडे; सूबेदार मेजर (तत्कालीन राइफलमैन) संजय कुमार; और सूबेदार मेजर सेवानिवृत्त (मानद कैप्टेन) ग्रेनेडियर योगेंद्र सिंह यादव।   

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