राष्ट्रीय जलमार्ग-1 में यातायात विस्तार | उत्तर प्रदेश | 24 Dec 2022
चर्चा में क्यों?
23 दिसंबर, 2022 को उत्तर प्रदेश के पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय के विशेष कार्याधिकारी सुधांशु पंत ने वाराणसी के सर्किट हाउस में राष्ट्रीय जलमार्ग-1 में यातायात विस्तार पर आयोजित ट्रेड मीट में बताया कि देश के सबसे लंबे जलमार्ग वाराणसी से डिब्रूगढ़ (बोगीबील) तक जनवरी, 2023 से मालवाहक जहाज़ों का संचालन शुरू हो जाएगा।
प्रमुख बिंदु
- सुधांशु पंत ने बताया कि भारतीय अंतरदेशीय जलमार्ग प्राधिकरण वाराणसी-गाजीपुर-मझऊआं-बाढ़ जलमार्ग को पटना-फरक्का जलमार्ग की तर्ज़ पर तैयार करेगा। इस जलमार्ग पर जहाज़ों के 24 घंटे सुगम यातायात के लिये नाइट नेविगेशन सिस्टम भी विकसित किया जाएगा।
- उन्होंने बताया कि मालवाहक जहाज़ों के वाराणसी से संचालन से पूर्वांचल के जीआई उत्पादों के निर्यात को जलमार्ग से जोड़कर इसे बढ़ावा देने की पहल की जाएगी। राष्ट्रीय जलमार्ग-1 का ज़्यादा-से-ज्यादा उपयोग किये जाने के लिये केंद्र और राज्य सरकार के विभागों की ओर से सुझाव लेकर जलमार्ग प्राधिकरण अपनी कार्ययोजना तैयार करेगा।
- बैठक में राज्य के पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय के मंडलायुक्त कौशल राज शर्मा ने बताया कि विभिन्न प्रकार के अनाज वाराणसी से निर्यात होते हैं, जिसके लिये जलमार्ग का उपयोग जल्द ही किया जाएगा। इसके साथ ही वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय से दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों को निर्यात होने वाले उत्पाद तथा उनके मार्गों का विवरण उपलब्ध हो सके तो वाराणसी जलमार्ग से निर्यात किया जाना और भी समृद्ध होगा।
- इंडियन फार्मर्स फर्टिलाइजर कोऑपरेशन के प्रतिनिधि ने जलमार्ग के ज़रिये खाद व यूरिया का निर्यात समय से कराने के लिये गंगा में 24 घंटे जहाज़ों के संचालन का सुझाव दिया। जलमार्ग मंत्रालय के अधिकारियों ने इस प्रस्ताव पर सहमति जताई।
- जलमार्ग प्राधिकरण के उपाध्यक्ष जयंत सिंह ने बताया कि वाराणसी-कोलकाता जलमार्ग वर्ष में 300 दिन संचालन के लिये उपलब्ध है। यह गंगा विलास वाराणसी के पर्यटन को बढ़ावा देने में मील का पत्थर साबित होगा। इसमें 10 जनवरी से 13 जनवरी तक गंगा विलास के यात्रियों को काशी दर्शन कराया जाएगा।
- उन्होंने बताया कि अप्रैल से काशी के घाटों को जोड़ते हुए सोलर वाटर टैक्सी के संचालन की तैयारी शुरू कर दी गई है। अगले महीने इसकी निविदा जारी की जाएगी और पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) मॉडल पर इसका संचालन किया जाएगा। वाराणसी-कोलकाता व डिब्रूगढ़ जलमार्ग को विकसित करने के लिये विस्तृत कार्ययोजना तैयार की जा रही है।
बिहार के 16 शहरों में 1136 करोड़ की लागत से एसटीपी व ड्रेनेज सिस्टम बनाए जाएंगे | बिहार | 24 Dec 2022
चर्चा में क्यों?
23 दिसंबर, 2022 को मीडिया से मिली जानकारी के अनुसार बिहार के 16 शहरों में जलजमाव व गंदे पानी की निकासी को लेकर 1136 करोड़ की लागत से सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) व ड्रेनेज निर्माण को लेकर योजना तैयार की गई है। इन योजनाओं का विस्तृत प्लान (डीपीआर) तैयार कर राज्य व केंद्र सरकार को मंज़ूरी के लिये भेजा गया है।
प्रमुख बिंदु
- शहरों की ज़रूरत को देखते हुए ड्रेनेज नेटवर्क और एसटीपी की योजनाएँ तैयार की गई हैं। डीपीआर के मुताबिक किशनगंज, रक्सौल और मोतीहारी शहर में अलग-अलग क्षमता के तीन-2 सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट लगेंगे, वहीं जमुई, सहरसा और दरभंगा में दो-दो एसटीपी लगाए जाएंगे।
- स्टेट प्रोजेक्ट मैनेजमेंट ग्रुप (एसपीएमजी) और नेशनल मिशन फॉर क्लीन गंगा की मंज़ूरी मिलते ही विधिवत रूप से टेंडर प्रक्रिया व एजेंसी का चयन कर काम शुरू कर दिया जाएगा।
- इसके अलावा राज्य के पाँच शहरों आरा, बेतिया, कटिहार, जमालपुर, जोगबनी में सीवरेज नेटवर्क और एसटीपी के लिये डीपीआर निर्माण की प्रक्रिया चल रही है।
- आधिकारिक जानकारी के मुताबिक राज्य के 16 में से 3 शहरों दिघवारा, मनिहारी और तेघड़ा में फीकल सल्ज ट्रीटमेंट प्लांट (मानव मल प्रबंधन) पर काम होगा। इस प्लांट के ज़रिये शौचालय टैक के गाद से जैविक खाद बनाई जाएगी।
- ट्रीटमेंट प्लांट से यहाँ आने वाली गंदगी को निस्तारित कर खाद बनाया जाएगा व पानी को साफ कर दूसरे प्रयोगों में लाया जाएगा।
- विदित है कि वर्तमान में राज्य में सेप्टिक टैंक के गाद को टैकों में भरकर खुले में सड़क के किनारे गिरा दिया जाता है, जिससे पर्यावरण प्रदुषित होता है।
श्रीगंगानगर ज़िले में राज सखी कैफे का शुभारंभ | राजस्थान | 24 Dec 2022
चर्चा में क्यों?
23 दिसंबर, 2022 को राजस्थान के श्रीगंगानगर ज़िला प्रभारी एवं आपदा प्रबंधन मंत्री गोविंद राम मेघवाल ने राजीविका स्वयं सहायता समूह की महिलाओं द्वारा निर्मित खाद्य उत्पादों को एक छत के नीचे उपलब्ध करवाने हेतु राज सखी कैफे का शुभारंभ किया।
प्रमुख बिंदु
- इस अवसर पर ज़िला कलक्टर सौरभ स्वामी ने बताया कि महिलाएँ समूह में जुड़ कर पीएनबी आरसेटी से ट्रेनिंग लेकर अपने गाँव में स्वरोज़गार शुरू कर हस्तनिर्मित उत्पाद बना रही हैं। इन समूह की सदस्यों के आजीविका संवर्धन हेतु राजीविका द्वारा राज सखी कैफे की शुरुआत की गई है।
- उन्होंने बताया कि सरकारी कार्यालयों में स्वयं सहायता समूह की महिलाओं द्वारा तैयार खाद्य पदार्थों को प्रशिक्षण और बैठक के दौरान ऑर्डर के लिये प्रेरित किया जाएगा, ताकि महिलाओं का आजीविका में बढ़ोतरी हो सके।
- राजीविका ज़िला परियोजना प्रबंधक डॉ. दीपाली शर्मा ने इस पहल को इलाके के लिये शुभ करार देते हुए बताया कि आमजन भी राजीविका राज सखी कैफे में आकर इन महिलाओं द्वारा बनाए खाद्य उत्पादों को खाकर इनका हौसला बढ़ाएँ। इसमें स्वयं सहायता समूह की महिलाओं द्वारा निर्मित खाद्य उत्पाद चाय, कचोरी, समोसा, कुकीज, भेलपूरी, सैंडविच, वेज बर्गर, पकौड़ा इत्यादि विक्रय हेतु उपलब्ध रहेंगे।
महिला एवं बाल विकास मंत्री ने किया राष्ट्रीय अमृता हाट का शुभारंभ | राजस्थान | 24 Dec 2022
चर्चा में क्यों?
23 दिसंबर, 2022 को राजस्थान की महिला एवं बाल विकास मंत्री ममता भूपेश ने जयपुर के जवाहर कला केंद्र परिसर स्थित शिल्पग्राम में राष्ट्रीय अमृता हाट का शुभारंभ किया।
प्रमुख बिंदु
- महिला एवं बाल विकास मंत्री ममता भूपेश ने बताया कि स्वयं सहायता समूहों की महिलाओं के हस्तनिर्मित आकर्षक उत्पादों की बिक्री और प्रदर्शन का यह मेला 23 दिसंबर से 1 जनवरी, 2023 तक चलेगा, जिसमें जयपुर राईट अपने मनपसंद उत्पादों की खरीद कर सकेंगे।
- इस अवसर पर उन्होंने बताया कि ग्रामीण परिवेश की महिलाओं के द्वारा तैयार उत्पाद बेहतरीन कारीगरी और हुनर का उदाहरण हैं तथा राज्य सरकार की महिला सशक्तीकरण की मुहिम में जयपुर राईट्स भी इनके उत्पादों को खरीद कर योगदान दे सकते हैं।
- राज्य सरकार आईएम शक्ति उद्यम प्रोत्साहन योजनाओं जैसी योजनाओं से महिलाओं को बैंकों द्वारा अनुदानित ऋण प्रदान कर उन्हें उद्यमी के रूप में आगे बढ़ने के अवसर प्रदान कर रही है।
- ममता भूपेश ने बताया कि महिला एवं बाल विकास विभाग के महिला अधिकारिता निदेशालय द्वारा स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को राष्ट्रीय अमृता हाट के माध्यम से जहाँ उनके उत्पादों की बिक्री के लिये बाज़ार उपलब्ध करवाया जाता है, वहीं जयपुरवासियों को एक ही जगह प्रदेशभर के हस्तनिर्मित उत्पादों की प्रदर्शनी एवं खरीदारी का अवसर मिलता है।
- विदित है कि राष्ट्रीय अमृता हाट का आयोजन प्रतिवर्ष किया जाता है।
- राष्ट्रीय अमृता हाट में राजस्थान राज्य के सभी ज़िलों के महिला स्वयं सहायता समूहों के उत्पादों की प्रदर्शनी एवं बिक्री की जा रही है। इसमें 140 से ज़्यादा स्टॉल्स पर महिलाओं को बेहतरीन कारीगरी के उत्पादों को बेचने का अवसर मिला है, जिसमें हैंडीक्राफ्ट, कशीदाकारी, लाख की चूड़ियाँ, पेपरमेशी आईटम, सलवार-सूट, टेराकोटा, आर्टिफिशियल ज्वैलरी, चिकन एवं जरी वर्क, काँच एवं पेच वर्क, सभी के पसंदीदा अचार, मुरब्बा, मसाले एवं अन्य हस्तनिर्मित आकर्षक उत्पाद उपलब्ध हैं।
मध्य प्रदेश ट्रांसको के लोड डिस्पेच सेंटर को मिला राष्ट्रीय उत्कृष्टता पुरस्कार | मध्य प्रदेश | 24 Dec 2022
चर्चा में क्यों?
23 दिसंबर, 2022 को मध्य प्रदेश ट्रांसको (मध्य प्रदेश पावर ट्रांसमिशन कंपनी) के जबलपुर स्थित स्टेट लोड डिस्पेच सेंटर को उसके विश्वस्तरीय बुनियादी ढाँचे, नवाचार करने, देश में सर्वप्रथम साइबर सिक्योरिटी मॉडल विकसित करने सहित अन्य मापदंडों में अग्रणी होने से देश के पावर सेक्टर का प्रतिष्ठित राष्ट्रीय लोड डिस्पेच सेंटर (भार प्रेषण केंद्र) उत्कृष्टता पुरस्कार प्राप्त हुआ।
प्रमुख बिंदु
- भारत के बिजली सेक्टर की राष्ट्रीय संस्था ग्रिड इंडिया से संबंधित फोरम ऑफ लोड डिस्पेचर एवं आईआईटी दिल्ली द्वारा आयोजित नेशनल पावर सिस्टम कॉन्फ्रेंस में मध्य प्रदेश ट्रांसको की तरफ से मुख्य अभियंता स्टेट लोड डिस्पेच सेंटर जबलपुर एस.एस. पटेल एवं अधीक्षण अभियंता आर.के. गुप्ता ने पुरस्कार ग्रहण किया।
- गौरतलब है कि उत्कृष्ट लोड डिस्पेच सेंटर की चयन प्रक्रिया में देश के 43 लोड डिस्पेच सेंटर्स ने हिस्सा लिया था। मध्य प्रदेश पावर ट्रांसमिशन कंपनी को देश के पावर सेक्टर का यह बेहद प्रतिष्ठित पुरस्कार ग्रिड मापदंडों का पालन करने और पुरस्कार चयन की तीन चरणों की कठिन प्रक्रियाओं से गुज़रने के बाद मिला है।
- चयन प्रक्रिया के पहले चरण में 40 से अधिक मापदंड बिंदुओं पर वस्तुस्थिति के आधार पर मध्य प्रदेश सहित महाराष्ट्र और तेलंगाना प्रदेश चुने गए। दूसरे चरण में प्रेजेंटेशन एवं चारसदस्यीय जूरी द्वारा लिये गए मौखिक साक्षात्कार के आधार पर पहले चरण में चयनित तीनों स्टेट लोड डिस्पेच सेंटर्स की परफॉर्मेंस परखी गई।
- आईआईटी के प्रोफेसर्स, पोसोको (ग्रिड इंडिया) के विश्वस्तरीय रिटायर्ड विशेषज्ञ और टाटा एनर्जी रिसर्च इंस्टीट्यूट के नामी विशेषज्ञों की जूरी द्वारा तीसरे चरण की प्रक्रिया के बाद समग्र रूप से मध्य प्रदेश के राज्य लोड डिस्पेच सेंटर को इस पुरस्कार के लिये चुना गया।
- पुरस्कार के लिये पहले देश के सभी राज्य लोड डिस्पेच सेंटरों से आवेदन मँगाए गए। राज्य लोड डिस्पेच सेंटरों के बुनियादी ढाँचे, नवाचार में किये गए कार्यों का विवरण, पावर सेक्टर की चुनौतियों से निपटने के तरीके, साइबर सिक्योरिटी के लिये पालन की गई प्रक्रिया, ग्रिड मैनेजमेंट कार्मिकों को ट्रेनिंग और उनके वेलफेयर के लिये किये गए कार्य, अत्याधुनिक आईटी सिस्टम की उपलब्धता, रियल टाइम डाटा का संग्रहण, नवीनीकरण ऊर्जा के ग्रिड के साथ एकीकरण, आइसलेडिंग स्कीम आदि बिंदुओं पर जानकारी दी गई थी।
राज्य में अब स्टेज- 3 व 4 के कैंसर पीड़ितों को मिलेगी 2500 रुपए मासिक पेंशन | हरियाणा | 24 Dec 2022
चर्चा में क्यों?
23 दिसंबर, 2022 को हरियाणा सरकार ने प्रदेश के स्टेज- 3 व 4 के कैंसर पीड़ितों के लिये 2500 रुपए मासिक पेंशन आरंभ करने का निर्णय लिया है। इससे राज्य सरकार के खजाने पर 68 करोड़ 42 लाख रुपए से अधिक का अतिरिक्त वित्तीय भार पड़ेगा।
प्रमुख बिंदु
- ध्यातव्य है कि मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने मई, 2022 में कैंसर पीड़ितों के परिवार से मिलने के बाद आश्वासन दिया था कि कैंसर पीड़ितों की हरसंभव मदद की जाएगी तथा जिनके परिवार की वार्षिक आय 3 लाख रुपए तक है, यह सहायता उन मरीज़ों को दी जाएगी।
- राज्य के सामाजिक एवं अधिकारिता विभाग ने बताया कि इस योजना के लाभ के लिये परिवार पहचान-पत्र में दर्शाई गई वार्षिक आय के तथ्यों से मिलान किया जाएगा। यह पेंशन मरीज़ के जीवित रहने तक जारी रहेगी।
- इस योजना का लाभ लेने के लिये मरीज़ को सिविल सर्जन कार्यालय की कमेटी द्वारा सत्यापित दस्तावेज़ों को सरल केंद्र के माध्यम से अपलोड कराना होगा। आवेदक को राशन कार्ड, वोटर कार्ड, पैन कार्ड, पासपोर्ट, बैंक पासबुक, टेलीफोन, पानी, बिजली या अन्य उपयोगिता वाले बिल, जिसमें घर का पता अंकित हो या भू-रिकॉर्ड के दस्तावेज/परिवार पहचान-पत्र को सरल केंद्र में साथ लाना होगा।
- आशा वर्कर/ एएनएम मरीज़ के जीवित होने के प्रमाण-पत्र को सत्यापित करेगी, जिसे स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों द्वारा प्रति हस्ताक्षर किया जाएगा।
- नागरिक संसाधन सूचना विभाग के अनुसार हरियाणा में 57 लाख परिवार हैं, जिनकी जनसंख्या 2 करोड़ 85 लाख है। इनमें से 45 लाख से अधिक परिवार ऐसे हैं, जिनकी सालाना आय परिवार पहचान-पत्र में 3 लाख रुपए से कम है।
- उल्लेखनीय है कि राज्य में राहत कोष से कैंसर पीड़ितों को दी जाने वाली वित्तीय सहायता पूर्व में मुख्यमंत्री कार्यालय द्वारा स्वीकृत की जाती थी। संबंधित ज़िला उपायुक्त द्वारा मामला मुख्यमंत्री कार्यालय को भेजा जाता था और यह एक लंबी प्रक्रिया थी। मुख्यमंत्री के संज्ञान में जैसे ही यह मामला आया तो उन्होंने ज़िला उपायुक्त को ही अपने स्तर पर यह वित्तीय सहायता राशि जारी करने को कहा। 1 लाख रुपए तक की यह राशि मरीज़ को आर्थिक मदद के तौर पर ज़िला स्तर पर दी जाती है।
- राज्य सरकार ने कैंसर मरीज़ों के प्रति सहानुभूति दिखाते हुए यह निर्णय लिया है कि अगर मरीज़ किसी अन्य प्रकार की सामाजिक सुरक्षा पेंशन या वृद्धावस्था सम्मान भत्ता योजना का लाभ ले रहा है तो उसे भी 2500 रुपए की मासिक पेंशन अतिरिक्त रूप से मिलती रहेगी।
- गौरतलब है कि हरियाणा से पहले देश में केवल त्रिपुरा ही एक ऐसा राज्य है, जो स्टेज-3 के कैंसर पीड़ितों को 1000 रुपए की मासिक वित्तीय सहायता दे रहा है।
‘मुख्यमंत्री शहरी निकाय स्वामित्व योजना’ का विस्तार | हरियाणा | 24 Dec 2022
चर्चा में क्यों?
22 दिसंबर, 2022 को हरियाणा के मुख्य सचिव संजीव कौशल ने चंडीगढ़ में विभिन्न विभागों के अधिकारियों के साथ हुई बैठक में बताया कि राज्य में 20 साल से अधिक समय से किराये या लीज पर चल रही पालिकाओं की व्यावसायिक भूमि की मलकियत उन पर काबिज व्यक्तियों को देने के लिये बनाई गई ‘मुख्यमंत्री शहरी निकाय स्वामित्व योजना’ को अन्य विभागों द्वारा भी अपनाया जाएगा। इसके लिये नए सिरे से योजना का खाका तैयार किया जा रहा है।
प्रमुख बिंदु
- मुख्य सचिव संजीव कौशल ने अधिकारियों को निर्देश दिया कि योजना का प्रारूप 15 दिनों में तैयार करें। तत्पश्चात् प्रारूप को मुख्यमंत्री तथा वित्त विभाग की मंज़ूरी के लिये भेजा जाएगा और अंतिम मंज़ूरी हेतु मंत्रिपरिषद की बैठक में लाया जाएगा।
- मुख्य सचिव ने बताया कि शहरी स्थानीय निकाय विभाग द्वारा मुख्यमंत्री शहरी निकाय स्वामित्व योजना जून 2021 में बनाई गई थी। इसके तहत शहरी निकायों के उन सभी नागरिकों को मालिकाना हक प्रदान किया गया, जिनके पास व्यावसायिक भूमि का 20 साल या 20 साल से अधिक कब्ज़ा है।
- इस योजना के तहत जो व्यक्ति किराये या लीज के माध्यम से भूमि पर 20 साल से काबिज हैं, उन्हें कलेक्टर रेट का 80 प्रतिशत तक भुगतान करने पर मालिकाना हक दिया जा रहा है।
- इसी प्रकार, भूमि पर काबिज वर्षों की सीमा के अनुसार क्लेक्टर रेट का अलग-अलग दर पर भुगतान करना होगा, जैसे- 25 साल तक काबिज व्यक्ति को कलेक्टर रेट का 75 प्रतिशत, 30 साल तक 70 प्रतिशत, 35 साल तक 65 प्रतिशत, 40 साल तक 60 प्रतिशत, 45 साल तक 55 प्रतिशत और 50 साल तक 50 प्रतिशत का भुगतान करने पर मालिकाना हक दिये जाने का प्रावधान है।
- उन्होंने बताया कि अब राज्य सरकार द्वारा निर्णय लिया गया है कि निकायों के अलावा अन्य विभागों की ज़मीनों पर भी इसी प्रकार से नागरिकों को मालिकाना हक देने के लिये प्रदेशभर में एकरूपता लाते हुए नए सिरे से योजना बनाई जाएगी।
- उन्होंने शहरी स्थानीय निकाय विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिये कि अन्य विभागों के लिये इस योजना का प्रारूप शहरी स्थानीय निकाय विभाग ही तैयार करे और इस प्रारूप को संबंधित विभागों के प्रशासनिक सचिवों के साथ साझा किया जाएगा और उनसे टिप्पणियां माँगी जाएंगी।
- बैठक में बताया गया कि मुख्यमंत्री शहरी निकाय स्वामित्व योजना के पहले चरण के दौरान लगभग 7 हज़ार आवेदन आए थे। 1730 आवेदकों को लेटर ऑफ इंटेंट (एलओआई) जारी हो चुके हैं।
करमा एथनिक रिसॉर्ट मैनपाट व जोहर मोटल का हुआ लोकार्पण | छत्तीसगढ़ | 24 Dec 2022
चर्चा में क्यों?
23 दिसंबर, 2022 को छत्तीसगढ़ शासन के पर्यटन, लोक निर्माण, गृह, जेल एवं धर्मस्व मंत्री ताम्रध्वज साहू के मुख्य आतिथ्य एवं खाद्य मंत्री अमरजीत भगत की अध्यक्षता में मैनपाट के कमलेश्वरपुर में आयोजित समारोह में ‘करमा एथनिक रिसॉर्ट’व ‘जोहर मोटल’ सोनतराई का लोकार्पण हुआ।
प्रमुख बिंदु
- उल्लेखनीय है कि भारत सरकार के पर्यटन मंत्रालय ने विभिन्न थीमों पर आधारित पर्यटन विकास की ‘स्वदेश दर्शन योजना’वर्ष 2015-16 में प्रारंभ की थी, जिसके अंतर्गत छत्तीसगढ़ में यहाँ की आदिवासी/जनजातीय एवं ग्रामीण संस्कृति से पर्यटकों को परिचित कराने के उद्देश्य से वर्ष 2016 में ‘ट्राइबल टूरिज्म सर्किट’की परियोजना स्वीकृत की गई। इस परियोजना में प्रदेश के आदिवासी बाहुल्य क्षेत्रों के कुल 13 डेस्टीनेशन्स को विकसित किया गया है।
- इस परियोजना के ‘ट्राइबल टूरिज्म सर्किट’के अंतर्गत कमलेश्वरपुर (मैनपाट) में ‘ईको एथनिक टूरिस्ट डेस्टीनेशन’के रूप में ‘करमा एथनिक रिसॉर्ट’विकसित किया गया है। यह रिसॉर्ट सरगुजा क्षेत्र के ग्रामीण परिवेश की थीम पर 21 करोड़ 37 लाख रुपए की लागत से तैयार किया गया है। राज्य सरकार के द्वारा इस परियोजना के लिये कमलेश्वरपुर में 46 एकड़ भूमि उपलब्ध कराई गई थी।
- स्वदेश दर्शन योजना के अंतर्गत निर्मित करमा एथनिक रिसॉर्ट में पर्यटकों को ठहरने की सुविधा के साथ यहाँ की जनजातीय परंपरा, स्थानीय एवं तिब्बती संस्कृति को करीब से जानने-समझने का मौका मिलेगा।
- ‘करमा एथनिक रिसॉर्ट’कमलेश्वरपुर (मैनपाट) में टूरिस्ट रिसेप्शन एवं सुविधा केंद्र, 20 कक्ष (क्राफ्ट एवं हर्बल हाट-आर्टिसन सेंटर), कैफेटेरिया, ओपन एम्फीथिएटर, सोवेनियर शॉप, ट्राइबल इंटरप्रिटेशन सेंटर, ट्राइबल वर्कशाप सेंटर, 2 इलेक्ट्रिक व्हीकल (8 सीटर), इलेक्ट्रिक चार्जिंग स्टेशन, साइकल ट्रैक (प्रकाशीकरण सहित) समेत उच्चस्तरीय सुविधाएँ स्थापित की गई हैं, जो पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बनेंगी।
- ‘सोनतराई मोटल, सीतापुर’में 5 कक्ष, डारमेटरी हॉल, लॉन, कैफेटेरिया (डायनिंग हॉल), स्टोर रूम, पार्किंग जैसी सुविधाओं का निर्माण किया गया है।
- इस योजना के परिचालन से मैनपाट में पर्यटकों की संख्या में वृद्धि होगी, पर्यटकों को रुकने के लिये अन्य आवास सुविधा के साथ ग्रामीण परिवेश में रुकने का अतिरिक्त विकल्प उपलब्ध होगा, स्थानीय लोगों को रोज़गार एवं आय के अतिरिक्त स्रोत उपलब्ध होंगे। यहाँ स्थानीय लोगों एवं हस्तशिल्प कलाकारों के साथ पर्यटकों को हस्तशिल्प प्रशिक्षण दिया जा सकेगा।
- इसके अलावा स्थानीय तिब्बतियन संस्कृति से भी पर्यटक परिचित होंगे, जिससे उनके द्वारा निर्मित प्रोडक्ट्स का विक्रय बढ़ेगा, स्थानीय हस्तशिल्प, वनउपज/हर्बल प्रोडक्ट का विक्रय के लिये सोवेनियर शॉप्स में स्थान उपलब्ध होगा, व्यावसायिक दृष्टि से कॉन्फ्रेंस सुविधा उपलब्ध हो सकेगी, मैनपाट में भविष्य में होमस्टे को बढ़ावा मिलेगा एवं अन्य पर्यटन गतिविधियों में भी बढ़ोतरी होगी।
- समारोह को संबोधित करते हुए पर्यटन मंत्री ताम्रध्वज साहू ने कहा कि करमा एथनिक रिसॉर्ट के शुरू होने से पर्यटक यहाँ रुकेंगे, जिससे मैनपाट में होम स्टे को बढ़ावा मिलेगा। स्थानीय लोगों को रोज़गार मिलेगा। यहाँ के हस्तशिल्प को मार्केट मिलेगा।
- छत्तीसगढ़ पर्यटन मंडल के अध्यक्ष अटल श्रीवास्तव ने कहा कि मैनपाट को छत्तीसगढ़ का शिमला कहा जाता है। मैनपाट प्रदेश के अन्य हिल स्टेशन से अलग है। यहाँ की ‘जलजली’ और ‘उल्टा पानी’देश-दुनिया मे अनूठा है। प्रदेश में पर्यटन सर्किट बनाया जाएगा, रायपुर से उत्तर की ओर सतरेंगा, मैनपाट और जशपुर को जोड़ा जाएगा।
प्रदेश में एक हज़ार गाँव बनेंगे सोलर ग्राम | उत्तराखंड | 24 Dec 2022
चर्चा में क्यों?
22 दिसंबर, 2022 को उत्तराखंड की ऊर्जा सचिव आर. मीनाक्षी सुंदरम ने बताया कि प्रदेश में नई सौर ऊर्जा नीति बन रही है, जो 14 जनवरी को मकर संक्रांति के अवसर पर लागू हो जाएगी। इसके अंतर्गत एक हज़ार गाँवों को सोलर गाँव घोषित किया जाएगा।
प्रमुख बिंदु
- ऊर्जा सचिव आर. मीनाक्षी सुंदरम ने बताया कि प्रदेश सरकार राज्य में सूरज की रोशनी से सबसे ज़्यादा समय लबरेज रहने वाले गाँवों में बिजली पैदा करेगी। उत्तराखंड रिन्यूएबल एनर्जी डेवलपमेंट एजेंसी(उरेडा) की टीमें हर ज़िले में ऐसे गाँवों को चिह्नित कर रही हैं, जहाँ सूरज की रोशनी अधिकतम समय रहती है। ऐसे 1000 गाँवों का चिह्निकरण शुरू कर दिया गया है।
- जो भी गाँव सोलर ग्राम घोषित होंगे, वहाँ सोलर प्रोजेक्ट लगाने वालों को सरकार विशेष रियायतें देगी। उन गाँवों में होने वाले बिजली उत्पादन को ग्रिड तक ले जाने के लिये भी खास कार्ययोजना बनाई जाएगी।
- इससे 2000 मेगावाट से अधिक बिजली उत्पादन की राह आसान हो जाएगी।
देहरादून में जुटेंगे सुरंग निर्माण से जुड़े दुनिया के 600 विशेषज्ञ | उत्तराखंड | 24 Dec 2022
चर्चा में क्यों?
22 दिसंबर, 2022 को उत्तराखंड के लोक निर्माण विभाग के प्रमुख सचिव आरके सुधांशु ने बताया कि हिमालयी क्षेत्र में सुरंग निर्माण की संभावनाओं को तलाशने के लिये अगले वर्ष 17 से 21 अप्रैल तक देहरादून में अंतर्राष्ट्रीय सेमिनार होगा, जिसमें सुरंग बनाने और उसकी डिज़ाइन व तकनीक से जुड़े 148 देशों के 600 से ज़्यादा विशेषज्ञ शामिल होंगे।
प्रमुख बिंदु
- लोक निर्माण विभाग के प्रमुख सचिव आरके सुधांशु ने बताया कि देहरादून में प्रस्तावित अंतर्राष्ट्रीय सेमिनार में विशेषज्ञों द्वारा टनल की एडवांस डिज़ाइन, कंस्ट्रक्शन और ऑपरेशन विषय पर चर्चा की जाएगी।
- इस सेमिनार में केंद्रीय सड़क, परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के साथ इंडियन रोड कॉन्ग्रेस व परमानेंट इंटरनेशनल एसोसिएशन ऑफ रोड कॉन्ग्रेस (पीआईआरसी), इंटरनेशनल टनलिंग एंड अंडरग्राउंड स्पेस एसोसिएशन (आईटीए) सहयोगी रहेंगे।
- सेमिनार में 148 देशों के इंजीनियरों, विशेषज्ञों और सुरंग निर्माण से जुड़ी ख्यातिलब्ध कंपनियों के विशेषज्ञों को आमंत्रित किया जाएगा।
- इस सेमिनार में 17 व 18 अप्रैल को बैठकें होंगी। 19 से 20 अप्रैल को सेमिनार होगा। 21 अप्रैल को विभिन्न देशों के प्रतिनिधि टेक्निकल विजिट करेंगे।
- उन्होंने बताया कि इस आयोजन से उत्तराखंड को वैश्विक स्तर पर पहचान मिलेगी। वहीं, प्रतिभागियों को ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाइन और ऑलवेदर रोड परियोजना के तहत बन रहीं सुरंगों के साथ ही प्रमुख पर्यटक स्थलों की सैर कराई जाएगी।
- सेमिनार के दौरान दुनिया के दूसरे मुल्कों में सुरंग निर्माण में इस्तेमाल हो रहीं मशीनों की प्रदर्शनी भी लगाई जाएगी।
- गौरतलब है कि उत्तराखंड राज्य का अधिकांश भूभाग पर्वतीय है। राज्य में टनल निर्माण से पर्वतीय क्षेत्र में आवागमन आरामदायक व सुलभ बनाने और यात्रा का समय कम करने का प्रयास हो रहा है। राज्य को टनल निर्माण की नवीनतम तकनीक की जानकारी मिलेगी।
- विदित है कि वर्तमान में रेलवे विकास निगम ऋषिकेश से कर्णप्रयाग के बीच 125 किमी. लंबी रेलवे लाइन बना रहा है। इसमें 105 किमी. लंबाई में टनल बनाई जा रही है। पर्यटन व आर्थिक विकास के लिहाज से यह अत्यंत लाभदायक है।
- ज्ञातव्य है कि केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी द्वारा मसूरी टनल का शिलान्यास मार्च में किया जाएगा।