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राज्य में अब स्टेज- 3 व 4 के कैंसर पीड़ितों को मिलेगी 2500 रुपए मासिक पेंशन
चर्चा में क्यों?
23 दिसंबर, 2022 को हरियाणा सरकार ने प्रदेश के स्टेज- 3 व 4 के कैंसर पीड़ितों के लिये 2500 रुपए मासिक पेंशन आरंभ करने का निर्णय लिया है। इससे राज्य सरकार के खजाने पर 68 करोड़ 42 लाख रुपए से अधिक का अतिरिक्त वित्तीय भार पड़ेगा।
प्रमुख बिंदु
- ध्यातव्य है कि मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने मई, 2022 में कैंसर पीड़ितों के परिवार से मिलने के बाद आश्वासन दिया था कि कैंसर पीड़ितों की हरसंभव मदद की जाएगी तथा जिनके परिवार की वार्षिक आय 3 लाख रुपए तक है, यह सहायता उन मरीज़ों को दी जाएगी।
- राज्य के सामाजिक एवं अधिकारिता विभाग ने बताया कि इस योजना के लाभ के लिये परिवार पहचान-पत्र में दर्शाई गई वार्षिक आय के तथ्यों से मिलान किया जाएगा। यह पेंशन मरीज़ के जीवित रहने तक जारी रहेगी।
- इस योजना का लाभ लेने के लिये मरीज़ को सिविल सर्जन कार्यालय की कमेटी द्वारा सत्यापित दस्तावेज़ों को सरल केंद्र के माध्यम से अपलोड कराना होगा। आवेदक को राशन कार्ड, वोटर कार्ड, पैन कार्ड, पासपोर्ट, बैंक पासबुक, टेलीफोन, पानी, बिजली या अन्य उपयोगिता वाले बिल, जिसमें घर का पता अंकित हो या भू-रिकॉर्ड के दस्तावेज/परिवार पहचान-पत्र को सरल केंद्र में साथ लाना होगा।
- आशा वर्कर/ एएनएम मरीज़ के जीवित होने के प्रमाण-पत्र को सत्यापित करेगी, जिसे स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों द्वारा प्रति हस्ताक्षर किया जाएगा।
- नागरिक संसाधन सूचना विभाग के अनुसार हरियाणा में 57 लाख परिवार हैं, जिनकी जनसंख्या 2 करोड़ 85 लाख है। इनमें से 45 लाख से अधिक परिवार ऐसे हैं, जिनकी सालाना आय परिवार पहचान-पत्र में 3 लाख रुपए से कम है।
- उल्लेखनीय है कि राज्य में राहत कोष से कैंसर पीड़ितों को दी जाने वाली वित्तीय सहायता पूर्व में मुख्यमंत्री कार्यालय द्वारा स्वीकृत की जाती थी। संबंधित ज़िला उपायुक्त द्वारा मामला मुख्यमंत्री कार्यालय को भेजा जाता था और यह एक लंबी प्रक्रिया थी। मुख्यमंत्री के संज्ञान में जैसे ही यह मामला आया तो उन्होंने ज़िला उपायुक्त को ही अपने स्तर पर यह वित्तीय सहायता राशि जारी करने को कहा। 1 लाख रुपए तक की यह राशि मरीज़ को आर्थिक मदद के तौर पर ज़िला स्तर पर दी जाती है।
- राज्य सरकार ने कैंसर मरीज़ों के प्रति सहानुभूति दिखाते हुए यह निर्णय लिया है कि अगर मरीज़ किसी अन्य प्रकार की सामाजिक सुरक्षा पेंशन या वृद्धावस्था सम्मान भत्ता योजना का लाभ ले रहा है तो उसे भी 2500 रुपए की मासिक पेंशन अतिरिक्त रूप से मिलती रहेगी।
- गौरतलब है कि हरियाणा से पहले देश में केवल त्रिपुरा ही एक ऐसा राज्य है, जो स्टेज-3 के कैंसर पीड़ितों को 1000 रुपए की मासिक वित्तीय सहायता दे रहा है।
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‘मुख्यमंत्री शहरी निकाय स्वामित्व योजना’ का विस्तार
चर्चा में क्यों?
22 दिसंबर, 2022 को हरियाणा के मुख्य सचिव संजीव कौशल ने चंडीगढ़ में विभिन्न विभागों के अधिकारियों के साथ हुई बैठक में बताया कि राज्य में 20 साल से अधिक समय से किराये या लीज पर चल रही पालिकाओं की व्यावसायिक भूमि की मलकियत उन पर काबिज व्यक्तियों को देने के लिये बनाई गई ‘मुख्यमंत्री शहरी निकाय स्वामित्व योजना’ को अन्य विभागों द्वारा भी अपनाया जाएगा। इसके लिये नए सिरे से योजना का खाका तैयार किया जा रहा है।
प्रमुख बिंदु
- मुख्य सचिव संजीव कौशल ने अधिकारियों को निर्देश दिया कि योजना का प्रारूप 15 दिनों में तैयार करें। तत्पश्चात् प्रारूप को मुख्यमंत्री तथा वित्त विभाग की मंज़ूरी के लिये भेजा जाएगा और अंतिम मंज़ूरी हेतु मंत्रिपरिषद की बैठक में लाया जाएगा।
- मुख्य सचिव ने बताया कि शहरी स्थानीय निकाय विभाग द्वारा मुख्यमंत्री शहरी निकाय स्वामित्व योजना जून 2021 में बनाई गई थी। इसके तहत शहरी निकायों के उन सभी नागरिकों को मालिकाना हक प्रदान किया गया, जिनके पास व्यावसायिक भूमि का 20 साल या 20 साल से अधिक कब्ज़ा है।
- इस योजना के तहत जो व्यक्ति किराये या लीज के माध्यम से भूमि पर 20 साल से काबिज हैं, उन्हें कलेक्टर रेट का 80 प्रतिशत तक भुगतान करने पर मालिकाना हक दिया जा रहा है।
- इसी प्रकार, भूमि पर काबिज वर्षों की सीमा के अनुसार क्लेक्टर रेट का अलग-अलग दर पर भुगतान करना होगा, जैसे- 25 साल तक काबिज व्यक्ति को कलेक्टर रेट का 75 प्रतिशत, 30 साल तक 70 प्रतिशत, 35 साल तक 65 प्रतिशत, 40 साल तक 60 प्रतिशत, 45 साल तक 55 प्रतिशत और 50 साल तक 50 प्रतिशत का भुगतान करने पर मालिकाना हक दिये जाने का प्रावधान है।
- उन्होंने बताया कि अब राज्य सरकार द्वारा निर्णय लिया गया है कि निकायों के अलावा अन्य विभागों की ज़मीनों पर भी इसी प्रकार से नागरिकों को मालिकाना हक देने के लिये प्रदेशभर में एकरूपता लाते हुए नए सिरे से योजना बनाई जाएगी।
- उन्होंने शहरी स्थानीय निकाय विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिये कि अन्य विभागों के लिये इस योजना का प्रारूप शहरी स्थानीय निकाय विभाग ही तैयार करे और इस प्रारूप को संबंधित विभागों के प्रशासनिक सचिवों के साथ साझा किया जाएगा और उनसे टिप्पणियां माँगी जाएंगी।
- बैठक में बताया गया कि मुख्यमंत्री शहरी निकाय स्वामित्व योजना के पहले चरण के दौरान लगभग 7 हज़ार आवेदन आए थे। 1730 आवेदकों को लेटर ऑफ इंटेंट (एलओआई) जारी हो चुके हैं।
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