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प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उन्नयन योजना के अंतर्गत गरियाबंद ज़िला का चयन
चर्चा में क्यों?
हाल ही में भारत सरकार की प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उन्नयन योजना (पी.एम.एफ.एम.ई) के अंतर्गत छत्तीसगढ़ के गरियाबंद ज़िले का चयन हुआ है। ज़िले का चयन लघु वनोपजों के उत्पादन, संग्रहण और इनकी गुणवत्ता को देखते हुए किया गया है।
प्रमुख बिंदु
- इस संबंध में आयोजित कार्यशाला में वनमंडलाधिकारी मयंक अग्रवाल ने कहा कि ज़िले में पिछले वर्ष 26 हज़ार क्विंटल लघु वनोपजों का संग्रहण किया गया है। इससे संग्राहकों को 15 करोड़ रुपए का लाभ हुआ है।
- उन्होंने बताया कि संग्रहण के पश्चात् वनधन केंद्रो में प्रसंस्करण का सिस्टम बनाया गया है। ज़िले में संजीवनी केंद्रों के माध्यम से इसका विक्रय किया जा रहा है। इस वर्ष लगभग 3 हज़ार क्विंटल चिरौंजी का संग्रहण किया गया है।
- कार्यशाला में कलेक्टर निलेश क्षीरसागर ने कहा कि ज़िले में लाख, चिरौंजी, सरई बीज का बहुतायत मात्रा में उत्पादन होता है। यहाँ के सरई बीजों का विदेशों में भरपूर मांग है। ज़िले में मिनी फूड पार्क और प्रसंस्करण केंद्र खोलने की तैयारी की जा रही है।
- ज़िला पंचायत सीईओ संदीप अग्रवाल ने बताया कि बिहान अंतर्गत ज़िले में 8 हज़ार 500 समूह गठित किये गए हैं, जो अलग-अलग गतिविधियों के माध्यम से आय अर्जित कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि इस योजना के तहत 241 महिला सदस्यों का चयन किया गया है, जिनके लिये 60 लाख रुपए उद्योग विभाग द्वारा जारी किये जाएंगे।
- उल्लेखनीय है कि इस योजना के तहत व्यक्तिगत निवेशक को परियोजना लागत का 35 प्रतिशत की दर से अधिकतम 10 लाख रुपए पूंजीगत अनुदान मिलेगा। स्वयं सहायता समूहों के प्रति सदस्यों को अधिकतम 40 हज़ार रुपए की पूंजी प्रदान की जाएगी। इसके अलावा किसान उत्पादक संगठन को 35 प्रतिशत की दर से पूंजी अनुदान दिये जाएंगे।
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छत्तीसगढ़ के सभी परिवहन कार्यालयों में होगा सेंसर आधारित ड्राइविंग टेस्ट ट्रेक
चर्चा में क्यों?
23 दिसंबर, 2021 को छत्तीसगढ़ के मंत्रालय महानदी भवन में मुख्य सचिव अमिताभ जैन की अध्यक्षता में हुई परिवहन विभाग की बैठक में राज्य के सभी परिवहन कार्यालयों में सेंसर आधारित ऑटोमेटेड कंप्यूटराइज्ड ड्राइविंग टेस्ट ट्रेक बनाए जाने का निर्णय लिया गया।
प्रमुख बिंदु
- मुख्य सचिव जैन ने बैठक में राज्य के सभी ज़िलों में ऑटोमेटेड कंप्यूटराइज्ड ड्राइविंग टेस्ट ट्रेक का निर्माण करने और वाहनों के पार्क़िग प्रक्रिया को ड्राइविंग टेस्ट में अनिवार्य रूप से शामिल करने के निर्देश दिये।
- ड्राइविंग लाइसेंस पाने के लिये वाहन चालकों को इस कंप्यूटराइज्ड ड्राइविंग टेस्ट को पास करना होगा।
- बैठक में परिवहन विभाग के अपर आयुक्त दीपांशु काबरा ने बताया कि ऑटोमेटेड ड्राइविंग टेस्ट से सड़क हादसों में कमी आएगी। ड्राइविंग टेस्ट के सभी चरणों को सफलतापूर्वक पास करने वाले वाहन चालकों के ही ड्राइविंग लाइसेंस बनाए जाएंगे।
दिल्ली और गुजरात राज्य में ऑटोमेडेट ड्राइविंग टेस्ट ट्रेक के सफल परिणामों के देखते हुए छत्तीसगढ़ राज्य में भी इसे अपनाया जा रहा है।
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