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झारखंड स्टेट पी.सी.एस.

  • 24 Aug 2023
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झारखंड सरकार ने पीवीटीजी छात्रों को दी बड़ी सौगात

चर्चा में क्यों?

हाल ही में झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने राज्य के विशेष रूप से कमज़ोर जनजातीय समूह (PVTG) स्टूडेंट्स के लिये बड़ी पहल करते हुए राँची में डॉ. रामदयाल मुंडा जनजातीय कल्याण अनुसंधान संस्थान में पीवीटीजी छात्रों के लिये मुफ्त आवासीय कोचिंग का उद्घाटन किया।  

प्रमुख बिंदु 

  • यह देश में अपनी तरह की पहली पहल है, जहाँ पीवीटीजी के उत्थान के लिये ऐसी योजना शुरू की गई है। 
  • राज्य की असुर, मालफरिया, सौर्य पहाड़िया, बिरजिया, कोरबा, बिरहोर और सबर सहित आठ जनजातियों के 400 से अधिक छात्रों ने झारखंड कर्मचारी चयन आयोग (JSSC) द्वारा आयोजित परीक्षाओं में तैयारी के लिये मुफ्त कोचिंग के लिये आवेदन किया था। मुफ्त कोचिंग के लिये 156 उम्मीदवारों को शॉर्टलिस्ट किया गया है।
  • इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य की कुल 32 जनजातियों में से झारखंड की आठ जनजातियाँ विशेष रूप से कमज़ोर जनजातीय समूह (PVTG) में सूचीबद्ध हैं।  
  • उन्होंने कहा कि विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूह, यानी पीवीटीजी विलुप्त होने की ओर बढ़ रहे हैं। ऐसे में उनकी रक्षा करना और रोज़गार के अवसर प्रदान करना सरकार की ज़िम्मेदारी है।

 


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चंद्रयान-3 : मेकॉन के 50 इंजीनियर्स की टीम ने इसरो के लिये डिज़ाइन किया था लांचिंग पैड

चर्चा में क्यों?

23 अगस्त, 2023 को भारत के मिशन चंद्रयान-3 की सफल सॉफ्ट लैंडिंग चाँद की सतह पर हो चुकी है. इसमें झारखंड की राजधानी राँची का बहुत बड़ा योगदान है, जिसकी दो संस्थाओं मेकॉन और एचईसी ने लांचिंग पैड को डिज़ाइन किया है।  

प्रमुख बिंदु 

  • यह तीसरा मौका था, जब भारत की अंतरिक्ष एजेंसी भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने चंद्रयान का प्रक्षेपण किया है। 
  • चंद्रयान-3 के कई महत्त्वपूर्ण उपकरणों का निर्माण भी एचईसी में हुआ। इसरो के लिये सबसे बड़े लांचिंग पैड जीएसएलवी को मेकॉन ने तैयार किया। इसके उपकरण राँची और टाटा में भी बने हैं। मेकॉन ने इसके कॉन्सेप्ट से लेकर कमिशनिंग तक का काम किया।  
  • इस प्रोजेक्ट का हिस्सा रहे मेकॉन के इंजीनियर निशीथ कुमार ने बताया कि वर्ष 1999 में मेकॉन को इसरो के लिये रॉकेट प्रक्षेपण हेतु लांचिंग पैड बनाने का कॉन्ट्रैक्ट मिला। यह पहला मौका था, जब भारत में रॉकेट को लॉन्च करने के लिये लांचिंग पैड का निर्माण हुआ। इसके पहले भारत के पास रॉकेट के प्रक्षेपण के लिये लांचिंग पैड बनाने का कोई अनुभव नहीं था।  
  • मेकॉन के पास पुराना कोई रेफरेंस भी नहीं था। इसरो ने अपनी जरूरतें बताईं और मेकॉन के एसआर मजूमदार के नेतृत्व में मेकॉन के 50 इंजीनियर्स की कोर टीम ने काम शुरू किया और इस प्रोजेक्ट को सफल बनाया। 
  • मेकॉन ने झारखंड की दो कंपनियों के अलावा देश के अलग-अलग हिस्से की कंपनियों से भी उपकरण बनवाये। कुछ चीजें विदेशों से भी मंगायी गईं। 
  • मेकॉन के इंजीनियर ने बताया कि देश की प्रतिष्ठित कंपनी टाटा ने जमशेदपुर की इकाई में कुछ उपकरणों का निर्माण किया था। राँची की एचईसी ने भी कई उपकरणों का निर्माण किया और असेंबलिंग का भी काम किया। चेन्नई की कंपनी केटीवी, मुंबई की कंपनी गोदरेज के अलावा भी कई कंपनियों ने लांचिंग पैड के लिये उपकरण बनाये थे। कुछ इक्विपमेंट्स रूस और यूरोप से भी मंगवाये गए थे। 
  • विदित है कि राँची स्थित हेवी इंजीनियरिंग कॉर्पोरेशन (एचइसी), जिसे मदर ऑफ ऑल इंडस्ट्रीज कहा जाता है, ने जीएसएलवी के लिये हॉरिजोंटल स्लाइडिंग डोर, फोल्डिंग कम वर्टिकल रिपोजिशनेबल प्लटफॉर्म (एफसीवीआरपी), मोबाइल लांचिंग पेडेस्टल और 10 टन का हैमर हेड टॉवर क्रेन बनाया है। 10 टन का हैमर हेड टॉवर क्रेन रॉकेट के बैलेंस को बनाये रखता है।
  • इसरो अपने सभी बड़े रॉकेट का प्रक्षेपण इसी मोबाइल लांचिंग पेडेस्टल से करता है।

 


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