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मिथिला के मखाने को मिला जीआई टैग
चर्चा में क्यों?
20 अगस्त, 2022 को केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने बताया कि केंद्र सरकार ने दुनिया भर में मशहूर बिहार के मिथिला के मखाना को जीआई (जियोग्रॉफिकल इंडिकेशन) टैग प्रदान किया है।
प्रमुख बिंदु
- मिथिला के मखाना सहित अब तक राज्य के 5 कृषि उत्पादों को जीआई टैग मिल चुका है। इससे पहले, वर्ष 2016 में भागलपुर के जर्दालू आम और कतरनी धान, नवादा के मगही पान तथा मुज़फ्फरपुर की शाही लीची को जीआई टैग प्रदान किया गया है।
- उल्लेखनीय है कि मिथिला के मखाने दुनिया भर में मशहूर हैं। इन मखानों का स्वाद और इन्हें प्राकृतिक रूप से उगाए जाने की प्रक्रिया इन्हें खास बनाती है। देश के अलग-अलग क्षेत्रों में मिलने वाले 90% से ज़्यादा मखाने मिथिला से ही आते हैं।
- जीआई टैग मिलने से अब मिथिला क्षेत्र के लगभग पाँच लाख किसानों और मखाना उत्पादकों को उनके उत्पाद का और बेहतर दाम मिल पाएगा।
- गौरतलब है कि जीआई टैग मुख्यरूप से एक प्राकृतिक या निर्मित उत्पाद (हस्तशिल्प और औद्योगिक सामान), जो एक निश्चित भौगोलिक क्षेत्र से उत्पन्न होता है, को दिया जाता है। आमतौर पर ऐसा नाम गुणवत्ता और विशिष्टता का आश्वासन देता है, जो इसके मूल स्थान के कारण होता है।
- जीआई पंजीकरण के लाभों में उस वस्तु की कानूनी सुरक्षा, दूसरों द्वारा अनधिकृत उपयोग के खिलाफ रोकथाम और निर्यात को बढ़ावा देना शामिल हैं।
- विदित है कि मखाना मूलरूप से पानी में उगाई जाने वाली फसल है। इसमें 9.7 ग्राम प्रोटीन और 14.4 ग्राम फाइबर होता है। साथ ही यह कैल्शियम का भी अच्छा स्रोत है। इसका इस्तेमाल लोग मिठाई, नमकीन और खीर बनाने में करते हैं। इसके अलावा दूध में भिगोकर इसे छोटे बच्चों को खिलाया जाता है।
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