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चिकित्सा शिक्षा विभाग और मैनचेस्टर यूनिवर्सिटी के बीच एमओयू
चर्चा में क्यों?
23 मई, 2023 को विज्ञान और मानविकी व स्वास्थ्य के क्षेत्र में अनुसंधानों को बढ़ावा देने के उद्देश्य से राजस्थान के चिकित्सा शिक्षा विभाग और मैनचेस्टर विश्वविद्यालय (यूके) के बीच एमओयू हस्ताक्षरित किया गया।
प्रमुख बिंदु
- प्रमुख शासन सचिव चिकित्सा शिक्षा टी.रविकांत और मैनचेस्टर विश्वविद्यालय के अंतर्राष्ट्रीय वाइस-डीन प्रोफेसर कीथ ब्रेनन की उपस्थिति में यह एमओयू साइन किया गया।
- टी. रविकांत ने बताया कि चिकित्सा मंत्री परसादी लाल मीणा के निर्देशन में अनुसंधान साझेदारी विकसित करने के उद्देश्य से यह एमओयू साईन किया गया है। इससे अकादमिक गतिविधियों और अनुसंधान को बढ़ावा मिलेगा तथा चिकित्सा शिक्षा के क्षेत्र में नये आयाम स्थापित होंगे।
- आपसी अनुभव साझा होने से मेडिकल कॉलेजों में कार्यरत चिकित्सकों एवं नर्सिंग स्टाफ को वैश्विक पहचान मिलेगी तथा कैपेसिटी बिल्डिंग होगी।
- उन्होंने कहा कि राजस्थान पहला राज्य है, जहाँ प्रत्येक ज़िले में मेडिकल कॉलेज और नर्सिंग कॉलेज खोले जा रहे हैं। इसके साथ ही अपने नागरिकों को स्वास्थ्य का अधिकार देने वाला राजस्थान देश का पहला राज्य बन गया है।
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वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. विनोद सोमानी हंस के कहानी संग्रह का विमोचन
चर्चा में क्यों?
23 मई, 2023 को अजमेर ज़िला कलक्टर डॉ. भारती दीक्षित ने हिन्दी एवं राजस्थानी भाषा के नामचीन वयोवृद्ध साहित्यकार डॉ. विनोद सोमानी हंस के नव प्रकाशित कहानी-संग्रह ‘चौराहे के तीन रास्ते’का विमोचन किया।
प्रमुख बिंदु
- डॉ. विनोद सोमानी हंस की यह 34वीं कृति है। यह कृति उनकी जीवन संगिनी विद्या सोमानी को श्रद्धांजलि-स्वरूप समर्पित है। विद्या सोमानी स्वयं जीवनपर्यंत लेखिका, प्रकाशक एवं समाजसेविका रहीं।
- डॉ. विनोद सोमानी हंस का लेखन आशा, विश्वास, दिशा बोधयुक्त व अध्यात्म से ओतप्रोत रहा है। पुस्तक ‘चौराहे के तीन रास्ते’उनकी 23 कहानियों का संग्रह है। हर एक कहानी सामान्य से लेकर खास व्यत्ति के जीवन से जुड़ी घटनाओं, पात्रों को रेखांकित करती है।
- कहानियों में मनोविश्लेषणात्मक एवं वास्तविकता स्पष्ट उभरती है तथा पाठक को कहानी अपनी-सी लगती है। पुस्तक की समीक्षा राजस्थानी लेखिका साहित्य संस्थान, जयपुर की सचिव डॉ.सुषमा शर्मा ने की है।
- कहानीकार का लेखन, भाषा शैली, कथानक कुछ इस तरह है कि कहानी पढ़ते हुए पाठक को यथार्थ प्रतीत होता है। उसके मन मस्तिष्क में फिल्म की सी रील चलने लगती है। पुस्तक के शीर्षक ‘चौराहे के तीन रास्ते’ प्रश्नचिह्र छोड़ती है।
- डॉ. विनोद सोमानी हंस देश के अनेक प्रतिष्ठित पुरस्कारों से अलंकृत किये गए हैं। पुस्तक की प्रस्तुति आकर्षक है। पुस्तक सभी वर्गों के लिये पठनीय है।
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मुख्यमंत्री ने किया ‘जंगल सफारी’का उद्घाटन
चर्चा में क्यों?
22 मई, 2023 को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अंतर्राष्ट्रीय जैव विविधता दिवस पर राज्य के उदयपुर ज़िले में वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से जयसमंद वन्यजीव अभयारण्य में ‘जंगल सफारी’का उद्घाटन किया।
प्रमुख बिंदु
- जयसमंद अभयारण्य में ‘जंगल सफारी’की शुरूआत से उदयपुर ज़िले में पर्यटन को बढ़ावा मिलने के साथ ही प्रदेश में एक प्रमुख इकोटूरिज्म साइट का विकास होगा तथा क्षेत्र में रोज़गार के अवसर भी उपलब्ध होंगे।
- विदित है कि जयसमंद अभयारण्य में प्रोजेक्ट लेपर्ड के तहत किये गए प्रयासों से वर्तमान में लेपर्ड की संख्या बढ़कर 19 हो चुकी है।
- उल्लेखनीय है कि वर्ष 1972 में पूर्व प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी ने वन एवं वन्यजीव संरक्षण के महत्त्व को समझा और ‘प्रोजेक्ट टाइगर’ की नींव रखी। उसी का परिणाम रहा कि भारत में आज विश्व के 70 प्रतिशत बाघ हैं।
- ज्ञातव्य है कि राजस्थान में तीन टाइगर सफारी हैं। हाल ही में राज्य के चौथे टाइगर प्रोजेक्ट के रूप में रामगढ़ विषधारी को विकसित किया गया है। कुंभलगढ़ टाइगर प्रोजेक्ट हेतु समिति का गठन भी किया गया है।
- राज्य सरकार वन और वन्यजीव की सुरक्षा के लिये निरंतर प्रयासरत है। जैव विविधता को बनाए रखने के लिये वर्ष 2010 में ही राजस्थान जैविक विविधता नियम की अधिसूचना जारी की गई।
- प्रदेश में 3 राष्ट्रीय उद्यान, 27 वन्यजीव अभयारण्य, 16 कंजर्वेशन रिजर्व और 4 टाइगर प्रोजेक्ट हैं। इन सभी के संरक्षण और संवर्धन के लिये अधिक संवेदनशीलता के साथ कार्य किये जा रहे हैं।
- इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने कहा कि वन और पर्यावरण संरक्षण के लिये राज्य सरकार द्वारा कई ऐतिहासिक फैसले लिये गए हैं। इसी क्रम में प्रदेश में वन्यजीव, वन क्षेत्र एवं इकोटूरिज्म का निरंतर विकास किया जा रहा है।
- वर्तमान राज्य सरकार द्वारा ही इको-टूरिज्म पॉलिसी-2021 लागू की गई। साथ ही सरिस्का और मुकंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व में बॉर्डर होमगार्ड लगाकर विशेष बाघ संरक्षण बल की स्थापना की गई है, जो कि एक अनूठी पहल है।
- इको-टूरिज्म के लिये प्रत्येक ज़िले में वन क्षेत्रों के निकट दो-दो इको-टूरिज्म लव-कुश वाटिका विकसित की जा रही है।
- चूरू के तालछापर अभयारण्य में वन्यजीव प्रबंधन प्रशिक्षण केंद्र स्थापित किया गया है तथा चंबल घड़ियाल अभयारण्य में पर्यटन की दृष्टि से बुनियादी सुविधाओं का विकास किया जा रहा है।
- राज्य पक्षी गोडावण के संरक्षण के लिये केंद्र सरकार, भारतीय वन्य जीव संस्थान और राज्य सरकार के बीच हुए करार से जैसलमेर में गोडावण का कृत्रिम प्रजनन केंद्र शुरू किया गया।
- जयपुर के झालाना डूंगरी स्थित विश्व वानिकी उद्यान की तर्ज पर जोधपुर, बीकानेर, कोटा, उदयपुर, भरतपुर और अजमेर में भी वानिकी उद्यान विकसित किये जा रहे हैं।
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