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बिहार के खुरमा, तिलकुट और बालूशाही को मिलेगा जीआई टैग
चर्चा में क्यों
23 अप्रैल, 2023 को मीडिया से मिली जानकारी के अनुसार बिहार के प्रसिद्ध मिठाई खुरमा, तिलकुट और बालूशाही को जीआई टैग देने संबंधी आवेदन को प्रारंभिक जाँच के बाद स्वीकार कर लिया गया है। सक्षम प्राधिकार इस दिशा में अब आगे की कार्रवाई करेगा।
प्रमुख बिंदु
- जानकारी के अनुसार भोजपुर के उदवंतनगर का खुरमा, गया का तिलकुट, सीतामढ़ी की बालूशाही, हाजीपुर का प्रसिद्ध चीनिया केला, नालंदा की मशहूर बावन बूटी कला और गया की पत्थरकटेी कला को जीआई टैग देने की मांग मंज़ूर हो गई है।
- जीआई टैग किसी उत्पाद की उत्पत्ति को मुख्य रूप से उसके मूल क्षेत्र से जोड़ने के लिये दिया जाता है।
- नाबार्ड के मुख्य महाप्रबंधक सुनील कुमार ने कहा कि भोजपुर का ‘खुरमा’ और गुड़-तिल से बनाया जाना वाला गया का तिलकुट न केवल देश, बल्कि विदेशों में भी काफी पसंद किये जाते हैं। वहीं, सीतामढ़ी के रुन्नीसैदपुर की मिठाई बालूशाही की भी देशभर में काफी डिमांड है।
- सुनील कुमार ने बताया कि बिहार के इन प्रसिद्ध पकवानों और उत्पादों के लिये जीआई टैग की मांग संबंधी आवेदन दाखिल करने में राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक नाबार्ड ने उत्पादक संघों की सहायता की है। इसके लिये विशेषज्ञों को भी शामिल किया गया है।
- नाबार्ड जीआई पंजीकरण की प्रक्रिया के अलावा बाज़ार में इन उत्पादों की ब्रांडिंग, प्रचार और बाज़ार संपर्क दिलाने में भी अहम भूमिका निभा रहा है।
- नाबार्ड ने उम्मीद जतायी है कि इन पकवानों और उत्पादों को जीआई टैग मिलने से इनसे जुड़े किसानों, उत्पादकों और कलाकारों को अधिक कमाई करने में मदद मिलेगी।
- गौरतलब है कि हाल ही में राज्य के प्रसिद्ध मर्चा चावल को जीआई टैग दिया गया था, जो अपनी सुगंध और स्वाद के लिये जाना जाता है। भागलपुर के जरदालु आम और कतरनी धान, नवादा का मगही पान और मुज़फ्फरपुर की शाही लीची को पहले ही जीआई टैग मिल चुका है।
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