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उत्तराखंड की चार नदियों में पाँच साल खनन कार्य के लिये पर्यावरणीय स्वीकृति
चर्चा में क्यों?
23 फरवरी, 2023 को मीडिया सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के अनुरोध पर केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने उत्तराखंड की चार प्रमुख नदियों में अगले पाँच साल के लिये नवीकरण को मंजूरी दे दी है।
प्रमुख बिंदु
- उत्तराखंड में कुमाऊँ मंडल की चार प्रमुख नदियों गौला, शारदा, दाबका और कोसी में अगले पाँच साल तक खनन कार्य के लिये पर्यावरणीय स्वीकृति मिल गई है। इससे नदियों से खनन सामग्री तो मिलेगी ही, साथ ही इस कारोबार से जुड़े 50 हज़ार स्थानीय लोगों व श्रमिकों को रोज़गार भी मिलेगा।
- गौरतलब है कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी पिछले दिनों जब दिल्ली में थे तब उन्होंने यह मसला केंद्रीय मंत्री के समक्ष उठाया था। मुख्यमंत्री के मुताबिक, सिविल निर्माण कार्यों, धार्मिक व सामरिक रूप से आवश्यक सड़क और रेल नेटवर्क का विस्तार जैसे अति महत्त्वपूर्ण बुनियादी ढाँचे के विकास के लिये बेहद जरूरी है। इन नदियों से आरबीएम की उपलब्धता सुनिश्चित होगी।
- गौला नदी
- कुमाऊँ में सोने की खान कहे जाने वाली गौला नदी एक हिमालयी नदी है जो भारत में बहती है। इस नदी का स्रोत पहाड़पानी है और अंतिम बिंदु किच्छा है। इस नदी की लंबाई लगभग 103 किमी. है।
- गौला नदी उत्तराखंड में सातताल झील से निकलती है। यह काठगोदाम, हल्द्वानी और शाही से होकर बहती है। फिर यह गंगा की एक सहायक नदी रामगंगा नदी में मिल जाती है।
- मिट्टी के कटाव और वनों की कटाई के परिणामस्वरूप गौला जलग्रहण कई भूस्खलन से प्रभावित हुआ है। साथ ही, पिछले कुछ वर्षों में झरनों के पानी और समग्र वर्षा में कमी आई है, जिससे इसका प्रवाह कम हो गया है। हल्द्वानी के पास मैदान से टकराने के बाद गौला नदी का तल अत्यधिक उत्खनन के कारण मिट्टी के कटाव का सामना कर रहा है।
- शारदा नदी
- शारदा नदी एक हिमालयी नदी है जो ‘काली नदी’, ‘कुटियांगडी’या ‘महाकाली नदी’के रूप में भी जाना जाता है। यह उत्तराखंड से होकर बहती है।
- शारदा नदी का पारंपरिक स्रोत उत्तराखंड के पिथौरागढ़ ज़िले में लिपमपियाधुरा है, जो समुद्र तल से 3,600 मीटर (लगभग 11,800 फीट) ऊपर है।
- इस नदी की लंबाई 252 किमी. और बेसिन क्षेत्र 18,140 वर्ग किमी. है। काली नदी महाकाली नदी की मुख्य धारा है।
- कोशी नदी
- कोशी नदी, जिसे कोसी या कौशिकी भी कहा जाता है, उत्तर भारत की प्रमुख तथा पवित्र नदियों में से एक हैं। स्कंदपुराण के मानसखंड में इस नदी का उल्लेख कौशिकी के नाम से हुआ है।
- यह उत्तराखंड के कुमांऊॅँ क्षेत्र की एक महत्त्वपूर्ण नदी है। यह रामगंगा की सहायक नदी है। नदी के तट पर कैर तथा शीशम के जंगल पाए जाते हैं।
- कोशी नदी की लंबाई 168 किमी. है तथा इसका अपवाह क्षेत्र लगभग 346 वर्ग किमी. क्षेत्र में फैला है।
- दाबका नदी
- दाबका नदी उत्तराखंड में एक धारा है और इसकी ऊँचाई 1,100 मीटर है।
- कोसी नदी के पूर्व में प्रवाहित यह नदी नैनीताल के गरमपानी नामक स्थान के पश्चिम से निकलकर नैनीताल तथा ऊधम सिंह नगर में बहते हुए बाजपुर के पास राज्य से बाहर निकल जाती है।
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यमुनोत्री रोप-वे निर्माण के लिये हुआ अनुबंध
चर्चा में क्यों?
23 फरवरी, 2023 को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी एवं पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज की उपस्थिति में यमुनोत्री रोप-वे परियोजना के लिये प्रदेश के पर्यटन विभाग और निजी निर्माण कंपनी ‘एसआरएम इंजीनियरिंग एवं एफआईएल इंडस्ट्री प्राइवेट लिमिटेड’के बीच अनुबंध किया गया।
प्रमुख बिंदु
- प्रस्तावित जानकीचट्टी (खरसाली) से यमुनोत्री धाम के लिये 38 किमी. लंबे रोप-वे निर्माण के लिये वन मंत्रालय से क्लीयरेंस पहले ही मिल चुका है। रोपवे का संचालन पीपीपी मोड पर होगा। इस रोप-वे पर करीब 167 करोड़ रुपए खर्च होंगे।
- इस रोप-वे के बनने से यमुनोत्री धाम जाने वाले श्रद्धालुओं को छह किमी. पैदल नहीं चढ़ना पड़ेगा। रोप-वे से मात्र 15 से 20 मिनट में यमुनोत्री पहुँच सकेंगे। श्रद्धालुओं को जानकीचट्टी (खरसाली) पैदल मार्ग के जरिये करीब 11 हज़ार फुट की ऊँचाई पर स्थित यमुनोत्री धाम पहुँचने में अभी करीब तीन घंटे का समय लगता है।
- इस मौके पर मुख्यमंत्री ने कहा कि रोप-वे परियोजना के बनने के बाद यमुनोत्री धाम अपने शीतकालीन प्रवास स्थल खरसाली से जुड़ जाएगा और श्रद्धालु माँ यमुना के दर्शन के लिये सुगमता से पहुँच सकेंगे और प्रदूषण मुक्त प्राकृतिक सौंदर्य का लाभ उठा सकेंगे। रोप-वे बनने से श्रद्धालुओं को सुविधा मिलने के साथ ही स्थानीय स्तर पर भी लोगों के रोज़गार के संसाधन बढ़ेंगे।
- प्रदेश के पर्यटन सचिव सचिन कुर्वे ने बताया कि 38 किमी. लंबाई का पीपीपी मोड पर बनने वाला यह रोप-वे मोनोकेबल डिटैचबल प्रकार का होगा जिसका निर्माण यूरोपीय मानकों के अनुसार फ्राँस और स्विटजरलैंड की तर्ज पर किया जाएगा।
- पर्यटन सचिव ने बताया कि इस रोपवे की यात्री क्षमता एक घंटे में लगभग 500 लोगों को ले जाने की होगी जबकि एक कोच में एक बार में आठ यात्री जा सकेंगे। रोप-वे का लोअर टर्मिनल खरसाली में 1.787 हेक्टेयर भूमि पर जबकि अपर टर्मिनल 0.99 हेक्टेयर भूमि पर यमुनोत्री में बनाया जाएगा।
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