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राजस्थान स्टेट पी.सी.एस.

  • 24 Feb 2023
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विशेष योग्यजन बच्चों के अधिकारों एवं योजनाओं की जाँच हेतु स्कूलों के निरीक्षण का विशेष अभियान शुरू

चर्चा में क्यों?

हाल ही में राजस्थान के विशेष योग्यजन राज्य आयुक्त उमाशंकर शर्मा ने विशेष योग्यजन विद्यार्थियों के कानूनी अधिकारों और योजनाओं की पालना की जाँच के लिये स्कूलों के निरीक्षण का विशेष अभियान आरंभ किया किया है। इनके नेतृत्व में अभियान की शुरुआत प्रदेश के उदयपुर ज़िले से हुई।

प्रमुख बिंदु 

  • विशेष योग्यजन राज्य आयुक्त उमाशंकर शर्मा ने बताया कि प्रदेश के सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग तथा बाल अधिकारिता विभाग की संयुक्त टीम द्वारा उदयपुर शहर के 3 स्कूलों के निरीक्षण के साथ इसकी शुरुआत हुई।
  • सभी सरकारी एवं निजी विद्यालयों के भवनों एवं व्यवस्थाओं का निरीक्षण किया जा रहा है। निरीक्षण के दौरान देखा जा रहा है कि विशेष योग्यजन बच्चों के लिये स्कूलों के भवन एवं व्यवस्थाएँ कितने अनुकूल हैं।
  • इसके तहत स्कूलों के कक्षा कक्ष परिसर, शौचालय, कैफेटेरिया, बैठने की व्यवस्था, प्रवेश द्वार, लिफ्ट, पेयजल, आपातकाल निकासी एवं रैंप की व्यवस्था सहित 75 पैरामीटर की गहनता से जाँच की जा रही है। निरीक्षण के दौरान विद्यालय प्रबंधन को विशेष योग्यजन बच्चों का पूरा ख्याल रखने के निर्देश जारी किये जा रहे हैं।
  • उमाशंकर शर्मा ने बताया कि जाँच के दौरान शिक्षा का अधिकार अधिनियम- 2009 के तहत विद्यालयों में विशेष योग्यजन बच्चों के प्रवेश की भी जाँच की जा रही है एवं विद्यालयों को इस अधिनियम के तहत नियमानुसार विशेष योग्यजन बच्चों को प्रवेश देने हेतु पाबंद किया जा रहा है।
  • उन्होंने बताया कि उदयपुर में मुख्य ज़िला शिक्षा अधिकारी द्वारा सभी विद्यालयों की जाँच के आदेश दे दिये गए हैं। आदेश के अनुसार ज़िले के सभी पीईईओ को अपने अधीनस्थ विद्यालयों का निरीक्षण करना है। जो विद्यालय विशेष योग्यजन बच्चों के अनुकूल नहीं पाया जाएगा उस पर नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी।
  • इस अभियान का उद्देश्य राज्य के समस्त विद्यालयों को विशेष योग्यजन बच्चों के अनुकूल बनाना है जिससे कि वे भी आसानी से शिक्षा ग्रहण कर सक्षम नागरिक बन सकें।
  • विशेष योग्यजन आयुक्त ने बताया कि प्रदेश में पहली बार इस तरह का अभियान शुरू किया गया है जिसके तहत हर विद्यालय को विशेष योग्यजन बच्चों के अनुकूल बनाने का प्रयास किया जा रहा है।

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शहरों में रोज़गार गारंटी योजना का बढ़ा दायरा

चर्चा में क्यों?

23 फरवरी, 2023 को राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने इंदिरा गांधी शहरी रोज़गार गारंटी योजना के अंतर्गत शहरों में हर हाथ को रोज़गार और बेरोज़गारों को संबल प्रदान करने के लिये 100 दिन से बढ़ाकर 125 दिन रोज़गार देने के प्रस्ताव का अनुमोदन किया है।

प्रमुख बिंदु 

  • उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री की वर्ष 2022-23 की बजट घोषणा के अंतर्गत मनरेगा की तर्ज पर इंदिरा गांधी शहरी रोज़गार गारंटी योजना लागू की गई थी। गत वर्ष योजनांतर्गत प्रति परिवार 100 दिवस का रोज़गार उपलब्ध कराने के लिये 800 करोड़ रुपए का बजट आवंटित किया गया था।
  • मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने योजना के अनुमोदित दिशा-निर्देशों में संशोधन की सहमति दे दी है। यह संशोधन 1 अप्रैल, 2023 से प्रभावी होगा। शहरी बेरोज़गारों को 25 दिवस का अतिरिक्त रोज़गार उपलब्ध कराने से लगभग 1100 करोड़ रुपए का व्यय होना संभावित है।
  • उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री द्वारा इस संबंध में बजट 2023-24 में घोषणा की गई है। इस योजना में अब प्रति परिवार 125 दिवस का रोज़गार मिलेगा।  
  • मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने 18वीं शताब्दी में निर्मित जयपुर स्थित खानिया की बावड़ी से 9 सितंबर, 2022 को इस योजना का शुभारंभ किया था।
  • योजना में जरूरतमंद परिवार जन आधार कार्ड के माध्यम से जॉब कार्ड बनवाकर रोज़गार की मांग कर सकते हैं। शहरी बेरोज़गारों को रोज़गार की गारंटी प्रदान कर राज्य सरकार द्वारा बेरोज़गारी के विरूद्ध यह योजना संचालित की गई है।
  • इस योजना में पर्यावरण संरक्षण, जल संरक्षण, हैरिटेज संरक्षण, स्वच्छता, सेवा, कन्वर्जेंस तथा संपत्ति विरूपण रोकने संबंधी कार्यों सहित अन्य कई तरह के कार्य अनुमत किये गए हैं।
  • योजना के महत्त्वपूर्ण बिंदु-
  • 51 लाख से अधिक जॉब कार्ड अब तक बनाए गए।
  • 94 लाख से अधिक सदस्य अब तक योजना से जुड़े।
  • 09 लाख परिवारों द्वारा अब तक रोज़गार की मांग की गई।
  • 13 लाख से अधिक ऑनलाइन मस्टररोल जारी।
  • 259 रुपए अकुशल श्रमिक की प्रति दिवस मजदूरी।
  • 271 रुपए अर्द्धकुशल श्रमिक/मेट की प्रति दिवस मजदूरी।
  • 283 रुपए कुशल श्रमिक की प्रति दिवस मजदूरी।
  • 18 से 60 वर्ष की आयु के व्यक्ति कर सकते हैं कार्य।
  • ई-मित्र से भी जन आधार कार्ड के जरिये नि:शुल्क पंजीकरण की सुविधा। 

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राष्ट्रपति ने राजस्थान के मूकाभिनय कलाकार विलास जानवे को संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से किया सम्मानित

चर्चा में क्यों?

23 फरवरी, 2023 को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने नई दिल्ली के विज्ञान भवन में आयोजित समारोह में राजस्थान के वरिष्ठ रंगकर्मी विलास जानवे को वर्ष 2021 के संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया। इस अवसर पर देश के 128 कलाकारों को अकादमी पुरस्कार से नवाज़ा गया।

प्रमुख बिंदु 

  • पुरस्कार के रूप में विलास जानवे को ताम्र पत्र, एक लाख रुपए एवं अंगवस्त्र प्रदान किया गया।
  • उल्लेखनीय है कि 68 वर्षीय विलास जानवे पिछले पाँच दशकों से मूकाभिनय से जुड़े हैं। इन्हें संस्कृति मंत्रालय से मूकाभिनय के क्षेत्र में 2001 में सीनियर फेलोशिप भी मिल चुकी है।
  • मूकाभिनय में यह प्रतिष्ठित पुरस्कार प्राप्त करने वाले वे देश के पाँचवें कलाकार हैं। इससे पूर्वं यह पुरस्कार प. बंगाल के गुरु योगेश दत्ता, पद्मश्री निरंजन गोस्वामी, असम के मोइनुल हक और त्रिपुरा के सपन नंदी को मिल चुका है।
  • विदित है कि विलास जानवे ने 1998 से शुरू राष्ट्रीय मूकाभिनय उत्सवों में पत्नी किरण जानवे के साथ अपनी कला का प्रदर्शन करने के साथ ही गुजरात, महाराष्ट्र, गोवा, चंडीगढ़, दिल्ली और राजस्थान की कला अकादमियों और शैक्षणिक संस्थाओं के लिये मूकाभिनय की कार्यशालाएँ निर्देशित की हैं।
  • अपने गुरु पद्मश्री निरंजन गोस्वामी को मूकाभिनय की कार्यशालाओं में सहायता करने के साथ ही उन्होंने ऐतिहासिक एवं सामाजिक विषयों पर कई मूकाभिनयों की संरचना की है। देश के कई मंचों पर भी वे अपनी इस कला का प्रदर्शन कर चुके हैं।
  • उदयपुर के पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र में 28 वर्ष तक कार्यक्रम अधिकारी रहे जानवे ने सी.सी.आर.टी क्षेत्रीय केंद्र उदयपुर में परामर्शदाता के रूप में भी कार्य किया। उन्होंने सेंट्रल जेल, उदयपुर में मूकाभिनय का प्रशिक्षण भी दिया है।
  • विलास जानवे ने गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर की नोबेल पुरस्कार रचना ‘गीतांजली’ की कविताओं पर भी मूकाभिनय कर नवाचार किया है।

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