उत्तर प्रदेश Switch to English
उत्तर प्रदेश में बनेगा हाई टेक मिलिट्री अस्पताल
चर्चा में क्यों?
23 फरवरी, 2023 को मीडिया से मिली जानकारी के अनुसार उत्तर प्रदेश के मेरठ ज़िले और राजधानी लखनऊ में अत्याधुनिक सुविधाओं से युक्त मल्टी सुपर स्पेशिलिटी मिलिट्री अस्पताल का निर्माण होगा।
प्रमुख बिंदु
- मल्टी सुपर स्पेशिलिटी मिलिट्री अस्पताल का निर्माण करने का उद्देश्य देश की सेवा में जुटे सैनिकों, सैन्य परिवार के लोगों को बेहतर चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराना है।
- उल्लेखनीय है कि करीब एक दशक पूर्व मध्य कमान की ओर से पश्चिम उत्तर प्रदेश सब एरिया में अत्याधुनिक सुविधाओं से युक्त मिलिट्री अस्पताल की आवश्यकता जताई गई थी। वर्ष 2011-2012 में इसके लिये एक प्रस्ताव भी बनाया गया था।
- वर्ष 2012-2013 में यह प्रस्ताव पहले मध्य कमान और उसके बाद रक्षा मंत्रालय भेजा गया। अब रक्षा मंत्रालय ने मेरठ में रक्षा भूमि पर अत्याधुनिक सुविधाओं से युक्त मल्टी सुपर स्पेशिलिटी मिलिट्री अस्पताल के निर्माण के साथ राजधानी लखनऊ में भी अत्याधुनिक मिलिट्री अस्पताल को मंजूरी दे दी है, जो मध्य कमान का सबसे बड़ा मिलिट्री अस्पताल होगा।
- मेरठ में यह मल्टी सुपर स्पेशिलिटी मिलिट्री अस्पताल का निर्माण 379 करोड़ रुपए की लागत से होगा। यह अस्पताल 545 बेड का होगा।
- मल्टी सुपर स्पेशिलिटी मिलिट्री अस्पताल के लिये सेना ने मेरठ के भगत चौक से औघड़नाथ मंदिर के बीच ज़मीन पूर्व से ही चिह्नित कर रखी है। सेना की ओर से प्रस्तावित जमीन पर पूर्व में ही ‘साइट फॉर एमएच’का बोर्ड लगा दिया गया था। इस नए मिलिट्री अस्पताल से पश्चिम उत्तर प्रदेश के 14 ज़िलों के सैनिकों, पूर्व सैनिक और उनके परिवार लाभान्वित हो सकेंगे।
बिहार Switch to English
आरडीपी अवॉर्ड से सम्मानित होंगे प्रदीप जैन
चर्चा में क्यों?
23 फरवरी, 2023 को मीडिया से मिली जानकारी के अनुसार पटना के प्रदीप जैन को विशिष्ट डाक टिकट संग्रहकर्त्ता अवॉर्ड आरडीपी से सम्मानित किया जाएगा।
प्रमुख बिंदु
- डाक टिकट संग्रहकर्त्ताओं की दुनिया की सबसे प्रतिष्ठित संस्था लंदन की रॉयल सोसाइटी ने इस अवॉर्ड की घोषणा की है।
- प्रदीप जैन को आरडीपी अवॉर्ड 26 मई को जर्मनी के एसेन शहर में आयोजित कार्यक्रम में दिया जाएगा।
- ध्यातव्य है कि आज़ादी के बाद भारत से सिर्फ तीन लोगों को यह पुरस्कार प्राप्त हुआ है, जिसमें 1983 में डीएन जटिया व 1993 में ब्रिगेडियर डीएम विर्क शामिल हैं, जबकि 30 वर्ष बाद यह पुरस्कार प्रदीप जैन को मिलेगा।
- रॉयल फिलाटेलिक सोसाइटी की स्थापना 1921 में किंग जॉर्ज पंचम ने की थी तथा इस संस्था में 2360 सदस्य हैं। अभी तक इस संस्था से सिर्फ 400 लोगों को आरडीपी अवॉर्ड मिला है।
राजस्थान Switch to English
विशेष योग्यजन बच्चों के अधिकारों एवं योजनाओं की जाँच हेतु स्कूलों के निरीक्षण का विशेष अभियान शुरू
चर्चा में क्यों?
हाल ही में राजस्थान के विशेष योग्यजन राज्य आयुक्त उमाशंकर शर्मा ने विशेष योग्यजन विद्यार्थियों के कानूनी अधिकारों और योजनाओं की पालना की जाँच के लिये स्कूलों के निरीक्षण का विशेष अभियान आरंभ किया किया है। इनके नेतृत्व में अभियान की शुरुआत प्रदेश के उदयपुर ज़िले से हुई।
प्रमुख बिंदु
- विशेष योग्यजन राज्य आयुक्त उमाशंकर शर्मा ने बताया कि प्रदेश के सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग तथा बाल अधिकारिता विभाग की संयुक्त टीम द्वारा उदयपुर शहर के 3 स्कूलों के निरीक्षण के साथ इसकी शुरुआत हुई।
- सभी सरकारी एवं निजी विद्यालयों के भवनों एवं व्यवस्थाओं का निरीक्षण किया जा रहा है। निरीक्षण के दौरान देखा जा रहा है कि विशेष योग्यजन बच्चों के लिये स्कूलों के भवन एवं व्यवस्थाएँ कितने अनुकूल हैं।
- इसके तहत स्कूलों के कक्षा कक्ष परिसर, शौचालय, कैफेटेरिया, बैठने की व्यवस्था, प्रवेश द्वार, लिफ्ट, पेयजल, आपातकाल निकासी एवं रैंप की व्यवस्था सहित 75 पैरामीटर की गहनता से जाँच की जा रही है। निरीक्षण के दौरान विद्यालय प्रबंधन को विशेष योग्यजन बच्चों का पूरा ख्याल रखने के निर्देश जारी किये जा रहे हैं।
- उमाशंकर शर्मा ने बताया कि जाँच के दौरान शिक्षा का अधिकार अधिनियम- 2009 के तहत विद्यालयों में विशेष योग्यजन बच्चों के प्रवेश की भी जाँच की जा रही है एवं विद्यालयों को इस अधिनियम के तहत नियमानुसार विशेष योग्यजन बच्चों को प्रवेश देने हेतु पाबंद किया जा रहा है।
- उन्होंने बताया कि उदयपुर में मुख्य ज़िला शिक्षा अधिकारी द्वारा सभी विद्यालयों की जाँच के आदेश दे दिये गए हैं। आदेश के अनुसार ज़िले के सभी पीईईओ को अपने अधीनस्थ विद्यालयों का निरीक्षण करना है। जो विद्यालय विशेष योग्यजन बच्चों के अनुकूल नहीं पाया जाएगा उस पर नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी।
- इस अभियान का उद्देश्य राज्य के समस्त विद्यालयों को विशेष योग्यजन बच्चों के अनुकूल बनाना है जिससे कि वे भी आसानी से शिक्षा ग्रहण कर सक्षम नागरिक बन सकें।
- विशेष योग्यजन आयुक्त ने बताया कि प्रदेश में पहली बार इस तरह का अभियान शुरू किया गया है जिसके तहत हर विद्यालय को विशेष योग्यजन बच्चों के अनुकूल बनाने का प्रयास किया जा रहा है।
राजस्थान Switch to English
शहरों में रोज़गार गारंटी योजना का बढ़ा दायरा
चर्चा में क्यों?
23 फरवरी, 2023 को राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने इंदिरा गांधी शहरी रोज़गार गारंटी योजना के अंतर्गत शहरों में हर हाथ को रोज़गार और बेरोज़गारों को संबल प्रदान करने के लिये 100 दिन से बढ़ाकर 125 दिन रोज़गार देने के प्रस्ताव का अनुमोदन किया है।
प्रमुख बिंदु
- उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री की वर्ष 2022-23 की बजट घोषणा के अंतर्गत मनरेगा की तर्ज पर इंदिरा गांधी शहरी रोज़गार गारंटी योजना लागू की गई थी। गत वर्ष योजनांतर्गत प्रति परिवार 100 दिवस का रोज़गार उपलब्ध कराने के लिये 800 करोड़ रुपए का बजट आवंटित किया गया था।
- मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने योजना के अनुमोदित दिशा-निर्देशों में संशोधन की सहमति दे दी है। यह संशोधन 1 अप्रैल, 2023 से प्रभावी होगा। शहरी बेरोज़गारों को 25 दिवस का अतिरिक्त रोज़गार उपलब्ध कराने से लगभग 1100 करोड़ रुपए का व्यय होना संभावित है।
- उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री द्वारा इस संबंध में बजट 2023-24 में घोषणा की गई है। इस योजना में अब प्रति परिवार 125 दिवस का रोज़गार मिलेगा।
- मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने 18वीं शताब्दी में निर्मित जयपुर स्थित खानिया की बावड़ी से 9 सितंबर, 2022 को इस योजना का शुभारंभ किया था।
- योजना में जरूरतमंद परिवार जन आधार कार्ड के माध्यम से जॉब कार्ड बनवाकर रोज़गार की मांग कर सकते हैं। शहरी बेरोज़गारों को रोज़गार की गारंटी प्रदान कर राज्य सरकार द्वारा बेरोज़गारी के विरूद्ध यह योजना संचालित की गई है।
- इस योजना में पर्यावरण संरक्षण, जल संरक्षण, हैरिटेज संरक्षण, स्वच्छता, सेवा, कन्वर्जेंस तथा संपत्ति विरूपण रोकने संबंधी कार्यों सहित अन्य कई तरह के कार्य अनुमत किये गए हैं।
- योजना के महत्त्वपूर्ण बिंदु-
- 51 लाख से अधिक जॉब कार्ड अब तक बनाए गए।
- 94 लाख से अधिक सदस्य अब तक योजना से जुड़े।
- 09 लाख परिवारों द्वारा अब तक रोज़गार की मांग की गई।
- 13 लाख से अधिक ऑनलाइन मस्टररोल जारी।
- 259 रुपए अकुशल श्रमिक की प्रति दिवस मजदूरी।
- 271 रुपए अर्द्धकुशल श्रमिक/मेट की प्रति दिवस मजदूरी।
- 283 रुपए कुशल श्रमिक की प्रति दिवस मजदूरी।
- 18 से 60 वर्ष की आयु के व्यक्ति कर सकते हैं कार्य।
- ई-मित्र से भी जन आधार कार्ड के जरिये नि:शुल्क पंजीकरण की सुविधा।
राजस्थान Switch to English
राष्ट्रपति ने राजस्थान के मूकाभिनय कलाकार विलास जानवे को संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से किया सम्मानित
चर्चा में क्यों?
23 फरवरी, 2023 को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने नई दिल्ली के विज्ञान भवन में आयोजित समारोह में राजस्थान के वरिष्ठ रंगकर्मी विलास जानवे को वर्ष 2021 के संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया। इस अवसर पर देश के 128 कलाकारों को अकादमी पुरस्कार से नवाज़ा गया।
प्रमुख बिंदु
- पुरस्कार के रूप में विलास जानवे को ताम्र पत्र, एक लाख रुपए एवं अंगवस्त्र प्रदान किया गया।
- उल्लेखनीय है कि 68 वर्षीय विलास जानवे पिछले पाँच दशकों से मूकाभिनय से जुड़े हैं। इन्हें संस्कृति मंत्रालय से मूकाभिनय के क्षेत्र में 2001 में सीनियर फेलोशिप भी मिल चुकी है।
- मूकाभिनय में यह प्रतिष्ठित पुरस्कार प्राप्त करने वाले वे देश के पाँचवें कलाकार हैं। इससे पूर्वं यह पुरस्कार प. बंगाल के गुरु योगेश दत्ता, पद्मश्री निरंजन गोस्वामी, असम के मोइनुल हक और त्रिपुरा के सपन नंदी को मिल चुका है।
- विदित है कि विलास जानवे ने 1998 से शुरू राष्ट्रीय मूकाभिनय उत्सवों में पत्नी किरण जानवे के साथ अपनी कला का प्रदर्शन करने के साथ ही गुजरात, महाराष्ट्र, गोवा, चंडीगढ़, दिल्ली और राजस्थान की कला अकादमियों और शैक्षणिक संस्थाओं के लिये मूकाभिनय की कार्यशालाएँ निर्देशित की हैं।
- अपने गुरु पद्मश्री निरंजन गोस्वामी को मूकाभिनय की कार्यशालाओं में सहायता करने के साथ ही उन्होंने ऐतिहासिक एवं सामाजिक विषयों पर कई मूकाभिनयों की संरचना की है। देश के कई मंचों पर भी वे अपनी इस कला का प्रदर्शन कर चुके हैं।
- उदयपुर के पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र में 28 वर्ष तक कार्यक्रम अधिकारी रहे जानवे ने सी.सी.आर.टी क्षेत्रीय केंद्र उदयपुर में परामर्शदाता के रूप में भी कार्य किया। उन्होंने सेंट्रल जेल, उदयपुर में मूकाभिनय का प्रशिक्षण भी दिया है।
- विलास जानवे ने गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर की नोबेल पुरस्कार रचना ‘गीतांजली’ की कविताओं पर भी मूकाभिनय कर नवाचार किया है।
मध्य प्रदेश Switch to English
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु 3 मार्च को करेंगी 7वें अंतर्राष्ट्रीय धर्म-धम्म सम्मेलन का शुभारंभ
चर्चा में क्यों?
23 फरवरी, 2023 को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू 3 मार्च को भोपाल में 7वें अंतर्राष्ट्रीय धर्म-धम्म सम्मेलन का शुभारंभ करेंगी। सम्मेलन में 16 देशों के प्रतिनिधि और 6 देशों के संस्कृति मंत्री शामिल होंगे।
प्रमुख बिंदु
- विदित है कि 7वें अंतर्राष्ट्रीय धर्म-धम्म सम्मेलन 3 से 5 मार्च, 2023 तक भोपाल के कुशाभाऊ ठाकरे सभागार में होगा।
- शुभारंभ-सत्र में श्रीराम जन्म-भूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के स्वामी श्री गोविंददेवगिरि जी महाराज का उद्बोधन भी होगा। अतिथियों द्वारा ‘द पेनारोमा ऑफ इंडियन फिलोसपर्स एंड थिंकर्स’ पुस्तक का विमोचन किया जाएगा।
- प्रथम दिवस के दूसरे-सत्र में इंडिया फाउंडेशन की गवर्निंग कॉउंसिल के सदस्य राम माधव की अध्यक्षता में मिनिस्टर-सत्र में भूटान, श्रीलंका, नेपाल और इंडोनेशिया के संस्कृति मंत्री अपने विचार रखेंगे।
- इस सम्मेलन में देश के विभिन्न राज्यों, विश्वविद्यालय के साथ ही अमेरिका, साउथ कोरिया, थाईलैंड, स्पेन, वियतनाम, मॉरीशस, रूस, भूटान, श्रीलंका, इंड़ोनेशिया, नेपाल, मंगोलिया, फ्राँस आदि देशों से आए विद्वान तथा शोधार्थी भाग लेंगे।
- विदित हो कि प्रथम अंतर्राष्ट्रीय धर्म-धम्म सम्मेलन का आयोजन 22-23 सितंबर, 2012 को साँची विश्वविद्यालय (मध्य प्रदेश) में किया गया था। वहीं 6वें अंतर्राष्ट्रीय धर्म-धम्म सम्मेलन का आयोजन 7-9 नवंबर, 2021 को बिहार के नालंदा ज़िले के राजगीर में अवस्थित नालंदा विश्वविद्यालय में किया गया था।
हरियाणा Switch to English
दुबई में आयोजित खाद्य और पेय पदार्थों की प्रदर्शनी में हैफेड ने लिया भाग
चर्चा में क्यों?
22 फरवरी, 2023 को हरियाणा सूचना, जनसंपर्क एवं भाषा विभाग द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार हरियाणा राज्य सहकारी आपूर्ति और विपणन संघ (हैफेड) ने दुबई में दुनिया की सबसे बड़ी खाद्य और पेय पदार्थों की प्रदर्शनी में 20 से 24 फरवरी तक पहली बार अपना प्रदर्शनी स्टॉल लगाकर ‘गलफूड 2023’ दुबई में भाग लिया।
प्रमुख बिंदु
- इस दौरान हैफेड के अध्यक्ष कैलाश भगत व हैफेड के प्रबंध निदेशक ए.श्रीनिवास सहित अन्य उच्च अधिकारियों ने बासमती चावल निर्यात को बढ़ावा देने के लिये संभावित खरीदारों के साथ कई बैठकें कीं।
- ए. श्रीनिवास ने बताया कि हैफेड ने प्रमुख आयातक मैसर्स सालेह ए.बाबेकर संस कंपनी, रियाद, सऊदी अरब से लगभग 850 करोड़ रुपए मूल्य के 85000 मीट्रिक टन बासमती चावल के निर्यात ऑर्डर मिला है, जिसमें से 33000 मीट्रिक टन का निर्यात ऑर्डर सफलतापूर्वक पूरा किया जा चुका है।
- उन्होंने बताया कि हैफेड बासमती चावल का बड़ा एक्सपोर्टर बनकर उभरा है। इस प्रदर्शनी में पहली बार हैफेड ने अपनी स्टॉल लगाकर एक्सपोरर्स से संवाद किया है।
- हैफेड के प्रबंध निदेशक ने बताया कि हैफेड ने अन्य देशों में भी अपने निर्यात कारोबार का विस्तार करने की योजना बनाई है। हैफेड बासमती धान की व्यावसायिक खरीद भी कर रहा है और चालू वित्त वर्ष के दौरान उसने किसानों से 2.75 लाख मीट्रिक टन बासमती धान की खरीद की है।
- इसके अलावा हैफेड ने चालू वर्ष के दौरान मंडियों में बासमती धान की खरीद के लिये किसानों को अब तक का सर्वाधिक मूल्य चुकाया है, जिससे किसानों को अत्यधिक लाभ हुआ है।
- गौरतलब है कि हैफेड हरियाणा राज्य का सबसे बड़ा शीर्ष सहकारी संघ है। यह 1 नवंबर, 1966 को एक अलग राज्य के रूप में हरियाणा के गठन के साथ ही अस्तित्व में आया। तब से यह हरियाणा के किसानों के साथ-साथ भारत और विदेशों में उपभोक्ताओं की सेवा करने में अग्रणी भूमिका निभा रहा है।
हरियाणा Switch to English
हरियाणा विधानसभा में प्रस्तुत किया गया वित्त वर्ष 2023-2024 का बजट
चर्चा में क्यों?
23 फरवरी, 2023 को हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने बतौर वित्त मंत्री हरियाणा विधानसभा में वित्त वर्ष 2023-2024 का बजट प्रस्तुत किया, जिसे एक ऐतिहासिक बजट और हरियाणा के गठन के बाद अब तक का सबसे बड़ा बजट बताया है। यह बजट 1,83,950 करोड़ रुपए का है।
प्रमुख बिंदु
- वित्त वर्ष 2023-2024 के बजट में ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर विशेष फोकस किया गया है जिसमें किसान को बिजली, सिंचाई के लिये पानी तथा कृषि, पशुपालन एवं सहकारिता क्षेत्र के लिये विशेष प्रावधान किया गया है।
- ऊर्जा क्षेत्र के लिये बजट में 8283 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है जो पिछले वर्ष की तुलना में 9 प्रतिशत अधिक है। इसके अलावा पानीपत थर्मल पावर प्लांट को आगामी 6 वर्षों में चरणबद्ध तरीके से फेसआउट किया जाना है। इसकी जगह यमुनानगर में 800 मेगावाट का नया प्लांट लगाने के लिये मुख्यमंत्री ने 584 करोड़ रुपए की इक्विटी का प्रावधान किया है।
- जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग को 5,017 करोड़ रुपए और सहकारिता के लिये भी व्यापक स्तर पर प्रावधान किया गया है। ग्रामीण क्षेत्रों में 55 लीटर प्रति व्यक्ति प्रतिदिन और शहरी तथा अर्ध-शहरी क्षेत्रों में 135 लीटर प्रति व्यक्ति प्रतिदिन स्वच्छ पेयजल उपलब्ध करवाने का कार्य कर रही है। बजट में महाग्राम योजना के तहत प्रथम चरण में 132 बड़े गाँव में सीवरेज लाइन डाली जाएगी। आगामी वित्त वर्ष के दौरान 100 किमी. नई सीवर लाइन बिछाने के लक्ष्य रखा गया है।
- वर्ष 2023-24 के वित्तीय बजट से प्रदेश में जहाँ उद्योगों में निवेश बढ़ेगा और युवाओं के लिये रोज़गार के अवसरों में वृद्धि होगी, वहीं सडक एवं रेलवे का आधारभूत ढाँचा भी मजबूत होगा। बजट में उद्योग एवं एम.एस.एम.ई. क्षेत्र को 1,442 करोड़ रुपए आवंटित किये गए हैं। वर्ष 2023-24 में प्रदेश में 5000 किमी. सडकों के सुधार, 553.94 किमी. लंबी सडकों को चौड़ा और मजबूत करने और 14 नए बाइपासों का निर्माण किया जाएगा।
- राज्य, केंद्र सरकार, अन्य राज्य सरकारों व रक्षा सेवाओं में नौकरियों के लिये प्रतियोगी परीक्षाओं में भाग लेने के लिये 1000 छात्रों, जिन्होंने स्नातक शिक्षा उतीर्ण कर ली है, सरकारी कालेजों में कोचिंग प्रदान की जाएगी। 1.80 लाख रुपए तक की आय वाले परिवारों के विद्यार्थियों को नि:शुल्क कोचिंग प्रदान की जाएगी तथा 1.80 लाख रुपए से 3 लाख रुपए तक की आय वाले परिवारों के विद्यार्थियों को 50 प्रतिशत अनुदान दिया जाएगा।
- वर्ष 2023-24 के बजट में श्रम क्षेत्र के लिये 229 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है। बजट में श्रमिकों के बच्चों का विशेष ध्यान रखा गया है। बजट में यह भी प्रावधान किया गया कि 14 वर्ष तक का कोई भी बच्चा शिक्षा से वंचित न रहे। वर्तमान में पी.पी.पी. डेटा के आधार पर उन बच्चों की पहचान के लिये सर्वे कराया जा रहा है, जो स्कूल नहीं जा रहे हैं।
- निर्माण श्रमिकों के ऐसे बच्चों की पहचान कर वहाँ क्रेच, प्ले स्कूल और साइट स्कूल खोले जाएंगे। इन स्कूलों की स्थापना पर आने वाली लागत हरियाणा भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड द्वारा वहन की जाएगी। ऐसे बच्चों को उनकी शिक्षा के लिये 12वीं कक्षा तक सहायता मिलेगी।
- प्रदेश में शहरी विकास और आवास क्षेत्रों के लिये 5,893 करोड़ रुपए के बजट का प्रावधान किया गया है। यह गत वर्ष की तुलना में यह 1 प्रतिशत अधिक है। बजट में ‘दिव्य नगर योजना’ के लिये 500 करोड़ रुपए तथा बड़े शहरों में सीवरेज के रखरखाव पर 200 करोड़ आवंटित किये गए हैं। बजट में ‘सोनीपत मेट्रोपॉलिटन डेवलपमेंट अथॉरिटी’की स्थापना करने की भी घोषणा की गई है।
- वर्ष 2023-24 में कृषि, बागवानी, पशुपालन, मत्स्यपालन एवं सहकारिता क्षेत्रों के लिये 8,316 करोड रुपए के बजट का प्रावधान किया गया है।
- वर्ष 2023-24 के बजट में महिला एवं बाल विकास विभाग हेतु 2047 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है, जो चालू वर्ष के संशोधित अनुमानों से 3 प्रतिशत ज्यादा है। बजट में स्टंटिग और वेस्टिंग सहित कुपोषण का सामना कर रहे बच्चों को बाल संवर्धन पोर्टल के द्वारा ट्रैक कर ऐसे मामलों को 50 प्रतिशत तक कम करने का लक्ष्य रखा गया है।
- मौजूदा आंगनबाड़ियों को परिवर्तित करके और प्रारंभिक शिक्षा में आंगनबाड़ी कार्यकर्त्ताओं को प्रशिक्षण प्रदान करके अगले दो सालों में 4000 और प्ले स्कूल जोड़ने का भी प्रस्ताव है।
हरियाणा Switch to English
मुख्यमंत्री ने प्रसिद्ध लेखिका शारदा मित्तल की काव्य कृतियों का किया लोकार्पण
चर्चा में क्यों?
23 फरवरी, 2023 को हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने प्रसिद्ध लेखिका शारदा मित्तल की काव्य कृतियों ‘अनुबंध अभिव्यक्ति के’तथा ‘बोनसाई नहीं... बरगद हूँ मैं’का लोकार्पण किया।
प्रमुख बिंदु
- उल्लेखनीय है कि लेखिका शारदा मित्तल की पुस्तक दौहा संस्करण के साथ-साथ तीन एकल और 10 पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं।
- उन्हें हाल ही में मॉरीशस में हुए नौवें विश्व हिन्दी अधिवेशन में भाषा सहोदरी रत्न सम्मान मिला है।
झारखंड Switch to English
संगीत नाट्य अकादमी अवार्ड से सम्मानित हुए बाँसुरी वादक पंडित चेतन जोशी
चर्चा में क्यों?
23 फरवरी, 2023 को देश की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने नई दिल्ली में झारखंड के बोकारो ज़िले के प्रसिद्ध बाँसुरी वादक पंडित चेतन जोशी को संगीत नाट्य अकादमी अवार्ड-2019 के पुरस्कार से सम्मानित किया।
प्रमुख बिंदु
- पंडित चेतन जोशी भारतीय शास्त्रीय संगीत के जाने-माने बाँसुरी वादकों में गिने जाते हैं। 25 साल से बोकारो उनकी कर्मभूमि रही है। संगीत जगत में उनके योगदान को देखते हुए उन्हें यह अवार्ड मिला है।
- बाँसुरी वादक के रूप में पंडित चेतन जोशी के करियर की शुरुआत 1987 में सेक्टर पाँच के श्री गुरु गोविंद सिंह विद्यालय में बतौर संगीत शिक्षक हुई। 1988 में वहाँ से दिल्ली पब्लिक स्कूल सेक्टर-चार में संगीत शिक्षण कार्य के लिये आए। डीपीएस बोकारो में जनवरी 2012 तक वह विभिन्न पदों पर कार्यरत रहे, उसके बाद 2012 से ही ग्रेटर नोएडा में रहकर भारतीय शास्त्रीय संगीत तथा बाँसुरी प्रचार-प्रसार में लगे हुए हैं।
- पंडित जोशी ने बाँसुरी बजाने की अद्वितीय शैली को विकसित किया और यही उनकी पहचान बनी। उनके द्वारा विकसित की गई एक ही बाँसुरी में साढ़े तीन सप्तक बजाने की पद्धति का उल्लेख अब तक कई शोध पत्रों में प्रकाशित हो चुका है।
- पंडित चेतन जोशी को झारखंड सरकार की ओर से राज्य का सर्वोच्च कला सम्मान राजकीय सांस्कृतिक सम्मान-2006 भी मिल चुका है। उन्हें सुरमनी बिस्मिल्लाह सम्मान, सरस्वती सम्मान, महाराज स्वाति थिरुनाल अवार्ड, स्वर समाज सेवा अवार्ड, कला रत्न सम्मान, संगीत गौरव अवार्ड, संगीत भारती अवार्ड, तेजस्वी सम्मान भी मिल चुका है।
छत्तीसगढ़ Switch to English
डॉ. ममता चंद्राकर संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से सम्मानित
चर्चा में क्यों?
23 फरवरी, 2023 को नई दिल्ली में आयोजित समारोह में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने छत्तीसगढ़ की सुप्रसिद्ध लोक गायिका, पद्मश्री सम्मान से सम्मानित और इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय खैरागढ़ की कुलपति डॉ. मोक्षदा (ममता) चंद्राकर को संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से सम्मानित से किया।
प्रमुख बिंदु
- राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने नई दिल्ली में साल 2019, 2020 और 2021 के लिये संगीत नाटक अकादमी की फैलोशिप (अकादमी रत्न) और संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार (अकादमी पुरस्कार) प्रदान किये।
- विदित है कि संगीत नाटक अकादमी, राष्ट्रीय संगीत, नृत्य और नाटक अकादमी, नई दिल्ली की सामान्य परिषद ने गत 6-8 नवंबर 2022 को नई दिल्ली में हुई अपनी बैठक में सर्वसम्मति से प्रदर्शन कला के क्षेत्र में दस (10) प्रतिष्ठित विभूतियों को अकादमी अध्येता (फेलो) के रूप में चुना है।
- अकादमी की फैलोशिप एक सबसे प्रतिष्ठित और दुर्लभ सम्मान है, जो किसी भी समय 40 तक सीमित है। इन दस (10) अध्येताओं के चयन के साथ ही वर्तमान में संगीत नाटक अकादमी के अब 39 अध्येता हो गए हैं।
- सामान्य परिषद ने वर्ष 2019, 2020 और 2021 हेतु अकादमी पुरस्कार के अंतर्गत संगीत नाटक के लिये संगीत, नृत्य, रंगमंच, पारंपरिक/लोक/जनजातीय संगीत/नृत्य/रंगमंच, कठपुतली कला और प्रदर्शन कला में समग्र योगदान/छात्रवृत्ति के लिये के क्षेत्र से एक सौ अट्ठाईस (128) कलाकारों का चयन किया था। इन एक सौ अट्ठाईस (128) कलाकारों में तीन संयुक्त पुरस्कार शामिल हैं।
- देश-विदेश में अपनी कला का प्रदर्शन करने वाली ममता चंद्राकर खैरागढ़ को 2019 के संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। ममता चंद्राकर को इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय द्वारा डी लिट की मानद उपाधि से सम्मानित किया जा चुका है। वे 2016 में भारत सरकार द्वारा कला के क्षेत्र में पद्मश्री से और 2013 छत्तीसगढ़ रत्न में अलंकृत की गईं।
- संगीत नाटक अकादमी संगीत, नृत्य और नाटक के लिये भारत की राष्ट्रीय अकादमी है। 1952 में (तत्कालीन) शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार के एक प्रस्ताव द्वारा डॉ. पी.वी. राजमन्नार को इसके पहले अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया।
- यह वर्तमान में संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार का एक स्वायत्त निकाय है और इसकी योजनाओं और कार्यक्रमों के कार्यान्वयन के लिये सरकार द्वारा पूरी तरह से वित्तपोषित है।
- अकादमी प्रदर्शन कला के क्षेत्र में राष्ट्रीय महत्त्व के संस्थानों और परियोजनाओं की स्थापना करती है। कुछ महत्त्वपूर्ण संस्थान हैं:
- राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय, नई दिल्ली 1959 में।
- जवाहरलाल नेहरू मणिपुर नृत्य अकादमी, इम्फाल- 1954 में।
- कथक केंद्र (राष्ट्रीय कथक नृत्य संस्थान), नई दिल्ली- 1964 में।
- कुटियाटेम (केरल का संस्कृत थिएटर), पूर्वी भारत के छऊ नृत्य, असम की सत्रिया परंपरा आदि के समर्थन की राष्ट्रीय परियोजनाएँ।
- संगीत नाटक अकादमी फैलोशिप (अकादमी रत्न):
- संगीत नाटक अकादमी फैलोशिप राष्ट्रीयता, नस्ल, जाति, धर्म, पंथ या लिंग के भेद के बिना संगीत नाटक अकादमी द्वारा प्रदान किया जाने वाला सर्वोच्च सम्मान है।
- अकादमी की फैलोशिप सबसे प्रतिष्ठित एवं दुर्लभ सम्मान है, जो एक बार में अधिकतम 40 लोगों को दी जा सकती है।
- अकादमी फेलो के सम्मान में एक ताम्रपत्र और अंगवस्त्रम के साथ 3,00,000/- रुपए का नकद पुरस्कार शामिल होता है।
- संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार (अकादमी पुरस्कार) :
- संगीत, नृत्य, रंगमंच, पारंपरिक/लोक/जनजातीय संगीत/नृत्य/थिएटर, कठपुतली और प्रदर्शन कला आदि में समग्र योगदान/छात्रवृत्ति के क्षेत्र के कलाकारों को पुरस्कार दिये जाते हैं।
- अकादमी पुरस्कार में ताम्रपत्र और अंगवस्त्रम के साथ 1,00,000/- रुपए का नकद पुरस्कार शामिल होता है।
छत्तीसगढ़ Switch to English
विश्वभूषण हरिचंदन ने छत्तीसगढ़ के राज्यपाल पद की ली शपथ
चर्चा में क्यों?
23 फरवरी, 2023 को विश्वभूषण हरिचंदन ने राजभवन के दरबार हॉल में आयोजित समारोह में छत्तीसगढ़ के नौवें राज्यपाल के रूप में अपने पद की शपथ ली। उच्च न्यायालय, बिलासपुर के मुख्य न्यायधिपति न्यायमूर्ति अरूप कुमार गोस्वामी ने उन्हें शपथ दिलाई।
प्रमुख बिंदु
- विश्वभूषण हरिचंदन छत्तीसगढ़ के राज्यपाल के रूप में नियुक्त होने से पहले पड़ोसी राज्य आंध्र प्रदेश के राज्यपाल के रूप में कार्य कर चुके हैं। उन्होंने अनुसुइया उइके का स्थान लिया है, जिन्हें हाल ही में मणिपुर का राज्यपाल नियुक्त किया गया था।
- ओडिशा के रहने वाले 84 वर्षीय हरिचंदन ओडिशा के भुवनेश्वर और चिल्का विधानसभा से 5 बार विधायक और चार बार मंत्री रह चुके हैं। उन्होंने 1971 में जनसंघ के साथ अपना राजनीतिक सफर शुरू किया था। इसके बाद 1977 में जनता पार्टी गठित होने तक वे जनसंघ के आंध्र महासचिव रहे।
- हरिचंदन जनसंघ के राष्ट्रीय कार्यकारी सदस्य भी रहे। साल 1980 से 1988 तक वे बीजेपी की प्रदेशाध्यक्ष भी रहे। वह 1996 से 2009 के बीच 13 साल तक ओडिशा विधानसभा में भाजपा विधायक दल के नेता भी रहे। उन्होंने 2004 में आंध्र प्रदेश की बीजेपी और बीजेडी सरकार में कैबिनेट मंत्री की जिम्मेदारी का भी निर्वहन किया।
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प्रदेश का दूसरा मिलेट कैफे कोरबा में हुआ शुरू
चर्चा में क्यों?
23 फरवरी, 2023 को कोरबा ज़िले के कलेक्टर संजीव झा और महापौर राज किशोर प्रसाद ने जनप्रतिनिधियों और नागरिकों की मौजूदगी में कोरबा शहर के निहारिका में स्मृति उद्यान के सामने ज़िले का पहला और प्रदेश के दूसरे मिलेट कैफे का शुभारंभ किया।
प्रमुख बिंदु
- इस अवसर पर महापौर राजकिशोर प्रसाद ने कहा कि दुनियाभर में साल 2023 को इंटरनेशनल मिलेट्स ईयर के रूप में मनाया जा रहा है। इसी कड़ी में कोरबा में भी अब ज़िले के पहले मिलेट्स कैफे की शुरुआत हो गई है। इस कैफे में सेहत के लिये भरपूर मिलेट्स के व्यंजन का स्वाद लोग ले सकेंगे।
- कलेक्टर संजीव झा ने बताया कि प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की मंशा अनुसार कोरबा ज़िले में पहले मिलेट्स कैफे का शुभारंभ किया गया है। यह कैफे रायगढ़ ज़िले के बाद प्रदेश का दूसरा मिलेट कैफे है।
- इस मिलेट्स कैफे में कोदो, कुटकी ,रागी समेत अन्य लघु धान्य फसलों से निर्मित व्यंजन जैसे इडली, डोसा, पोहा, उपमा, भजिया खीर, हलवा, कुकीज, मोल्ड के साथ छत्तीसगढ़ के पारंपरिक व्यंजन लोगों के लिये उपलब्ध रहेंगे।
- कोरबा के पहले मिलेट्स कैफे की शुरुआत ज़िला प्रशासन की पहल व सहयोग से हुआ है। इसका संचालन नव जागृति महिला स्व सहायता समूह द्वारा किया जाएगा। इससे महिला स्वरोज़गार और उद्यमिता को बढ़ावा मिलेगा। इससे किसानों को भी फायदा भी होगा।
- उल्लेखनीय है कि मिलेट्स के उत्पादन को बढ़ावा देने और इनसे मिलने वाले पोषक तत्त्वों के बारे में जन जागरूकता के लिये वर्ष 2023 को अंतर्राष्ट्रीय मिलेट वर्ष घोषित किया गया है। मिलेट्स के अंतर्गत मुख्य रूप से कोदो, कुटकी और रागी की खेती होती है। इसके उत्पादन को मिल रहे प्रोत्साहन से किसानों का भी उत्साह बढ़ा है।
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प्रदेश का पहला एथेनॉल प्लांट कोंडागाँव के कोकोड़ी में ले रहा आकार
चर्चा में क्यों?
23 फरवरी, 2023 को छत्तीसगढ़ जनसंपर्क विभाग द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार कोंडागाँव ज़िले के कोकोड़ी में मक्का प्रसंस्करण पर आधारित राज्य का पहला एथेनाल प्लांट अब मूर्त रूप ले रहा है। मक्का प्रसंस्करण प्लांट जून 2023 तक पूर्ण किये जाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
प्रमुख बिंदु
- जानकारी के अनुसार कोंडागाँव ज़िले में 140 करोड़ रुपए लागत से राज्य सरकार के सहयोग से सहकारिता के क्षेत्र में यह पहला प्लांट स्थापित किया जा रहा है। छत्तीसगढ़ राज्य में कोंडागाँव ज़िले में मक्का का सर्वाधिक उत्पादन होता है।
- यह प्लांट कोंडागाँव में ही नहीं बल्कि छत्तीसगढ़ के किसानों के लिये फायदेमंद साबित होगा। ग्राम कोकोड़ी में 14 एकड़ शासकीय भूमि पर तैयार हो रहे मक्का प्रोसेसिंग प्लांट का संचालन माँ दंतेश्वरी मक्का प्रसंस्करण एवं विपणन सहकारी समिति द्वारा किया जाएगा।
- प्लांट में प्रतिदिन 200 मीट्रिक टन मक्का की प्रोसेसिंग होगी, जिससे 80 हज़ार लीटर एथेनॉल तैयार होगा। इस प्लांट के लग जाने से निजी निवेशकों द्वारा अन्य सहायक उद्योग लगाने के लिये नया वातावरण बनेगा।
- प्लांट में उत्पादित होने वाला एथेनॉल का विक्रय इंडियन ऑयल कार्पोरेशन को किया जाएगा, जिसे पेट्रोल के साथ मिक्स कर बेचा जाएगा। इससे विदेशी मुद्रा की भी बचत होगी साथ ही किसानों को मक्का का वाजिब दाम भी मिलेगा।
- मक्का प्रसंस्करण प्लांट ज़िले के मक्का उत्पादक किसानों की आर्थिक समृद्धि का द्वार खोलेगा। इससे करीब 45 हज़ार से ज्यादा किसान सीधे लाभान्वित होंगे। इसके साथ ही समीपस्थ अन्य ज़िले के मक्का उत्पादक किसानों के मक्का का प्रसंस्करण किया जाएगा। मक्का प्रसंस्करण प्लांट में क्षेत्र के लगभग 200 से ज्यादा लोगों को सीधे रोज़गार मिलेगा।
- कोंडागाँव ज़िले में बीते तीन-चार सालों में खरीफ और रबी दोनों सीजन में मक्का उत्पादन को काफी बढ़ावा मिला है। प्लांट की स्थापना से उत्साहित किसान मक्का का रकबा साल दर साल बढ़ा रहे है। वर्तमान में कोंडागाँव ज़िले में प्रति वर्ष 3 लाख 48 हज़ार 127 मेट्रिक टन मक्का का उत्पादन होता है।
- स्टेट प्रोजेक्ट फाईनेंस कमेटी द्वारा मक्का से एथेनॉल निर्माण के लिये प्रोसेसिंग प्लांट को फिजीबल पाया गया था। लगभग 140 करोड़ की लागत से बन रहे इस प्लांट के निर्माण में किसानों ने 7.06 करोड़ रुपए की अंश पूंजी का योगदान दिया है। इसी प्रकार मंडी बोर्ड द्वारा 21.19 करोड़ रुपए और राज्य शासन द्वारा 35.32 करोड़ रुपए तथा सहकारी संस्था के स्वयं की निधि से 2.10 करोड़ रुपए दिये हैं। शेष 75 करोड़ रुपए बैंक ऋण के माध्यम से जुटाए गए हैं।
- कोंडागाँव ज़िले में समर्थन मूल्य पर मक्का उपार्जन के लिये 47 खरीदी केद्र बनाए गए हैं। ज़िले के कोंडागाँव माकड़ी, फरसगाँव, बड़ेराजपुर विकासखंड में मक्के का बड़े पैमाने पर उत्पादन होता है। मक्का खरीदी का कार्य छत्तीसगढ़ नागरिक आपूर्ति निगम के द्वारा किया जा रहा है।
- मक्का उत्पादक किसानों को राज्य सरकार द्वारा राजीव गांधी किसान न्याय योजना के तहत 9 हज़ार रुपए प्रति एकड़ के मान से इनपुट सब्सिडी भी दी जा रही है।
- कोंडागाँव ज़िले में खरीफ सीजन में एक लाख 24 हज़ार 188 तथा रबी सीजन में 2 लाख 23 हज़ार 929 टन मक्का का उत्पादन होता है। मक्का उत्पादन से ज़िले के लगभग 65 हज़ार किसान जुड़े हुए हैं।
- उल्लेखनीय है कि छत्तीसगढ़ सरकार की उद्योग नीति में कृषि और वनोपज आधारित उद्योगों की स्थापना को विशेष प्राथमिकता श्रेणी में रखा गया है।
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छत्तीसगढ़ के दो अस्पतालों को ‘मुस्कान’ कार्यक्रम के अंतर्गत मिला एनक्यूएएस प्रमाण पत्र
चर्चा में क्यों?
23 फरवरी, 2023 को ‘मुस्कान’ कार्यक्रम के तहत बच्चों और नवजातों को उत्कृष्ट स्वास्थ्य सेवा तथा उन्हें बेहतर इलाज उपलब्ध कराने वाले दुर्ग ज़िला चिकित्सालय एवं पाटन सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र को केद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा राष्ट्रीय गुणवत्ता आश्वासन मानक (NQAS – National Quality Assurance Standard) प्रमाण पत्र प्रदान किया गया है।
प्रमुख बिंदु
- केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की टीम ने विगत दिसंबर माह में ज़िला चिकित्सालय दुर्ग का और इस साल जनवरी में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पाटन का निरीक्षण कर इन दोनों अस्पतालों में बच्चों व नवजातों के लिये उपलब्ध सेवाओं की गुणवत्ता का परीक्षण किया था। टीम ने इस संबंध में वहाँ इलाज कराने वालों से भी फीडबैक लिया था।
- केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की टीम के मूल्यांकन में ज़िला अस्पताल दुर्ग को 97 प्रतिशत और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पाटन को 84 प्रतिशत अंक प्राप्त हुए।
- टीम ने दुर्ग ज़िला चिकित्सालय में पीडियाट्रिक ओपीडी, पीडियाट्रिक वार्ड, एसएनसीयू और एनआरसी (पोषण पुनर्वास केंद्र) का परीक्षण किया। वहीं उन्होंने पाटन सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में पीडियाट्रिक ओपीडी और एनबीएसयू (Newborn Stabilization Unit) का निरीक्षण कर मूल्यांकन किया।
- उल्लेखनीय है कि अस्पतालों का राष्ट्रीय गुणवत्ता आश्वासन मानक सर्टिफिकेशन 12 मानकों के आधार पर किया जाता है। राष्ट्रीय गुणवत्ता आश्वासन मानक प्रमाण पत्र प्रदान करने के पूर्व विशेषज्ञों की टीम द्वारा अस्पताल की सेवाओं और संतुष्टि स्तर का कई मानकों पर परीक्षण किया जाता है।
- इसके लिये संस्था द्वारा सेवा प्रदायगी, मरीज संतुष्टि, क्लिनिकल सर्विसेस, इनपुट, संक्रमण नियंत्रण, सपोर्ट सर्विसेस, गुणवत्तापूर्ण प्रबंध, आउटपुट जैसे मानकों की गुणवत्ता का मूल्यांकन किया जाता है। मूल्यांकन में खरा उतरने वाले अस्पतालों को ही केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा गुणवत्ता प्रमाण पत्र जारी किया जाता है।
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क्रेडा ने अंतर्राष्ट्रीय संस्था एन.आर.डी.सी के साथ किया एम.ओ.यू.
चर्चा में क्यों?
23 फरवरी, 2023 को छत्तीसगढ़ राज्य अक्षय ऊर्जा विकास अभिकरण (क्रेडा) ने अमेरिका स्थित एनआरडीसी (NRDC) के ग्लोबल हेड एवं एडमिनेसट्रेटीव स्टॉफ कॉलेज ऑफ इंडिया (ए.एस.सी.आई.) के मध्य दिल्ली में एक करारनामा (एम.ओ.यू.) किया।
प्रमुख बिंदु
- क्रेडा ने प्रदेश में निर्मित भवनों में ऊर्जा दक्षता और कूल रूफ संबंधी तकनीक को साझा करने तथा इस क्षेत्र में प्रदेश के संबंधित विभागों, संस्थानों, तकनीकी व्यक्तियों, रियल इस्टेट कंपनियों आदि की इस विषय पर दक्षता निर्माण करने हेतु ए.एस.सी.आई. के एम.ओ.यू. किया है।
- छत्तीसगढ़ राज्य अक्षय ऊर्जा विकास अभिकरण (क्रेडा) की ओर से मुख्य कार्यपालन अधिकारी आलोक कटियार ने इस करारनामा में हस्ताक्षर किया है। इसके तहत छत्तीसगढ़ के भवनों में ऊर्जा दक्षता को सुधारने एवं उसकी गति बढ़ाने के लिये तकनीकी सहयोग एवं सलाह दी जाएगी, जिसके लिये कोई भी धनराशि नहीं प्रदान करनी होगी।
- इस प्रायोजन हेतु वर्कशॉप सेमीनार ट्रेनिंग विषय विषेशज्ञों का भ्रमण आदि क्रियाकलाप एन.आर.डी.सी. के द्वारा आयोजित किये जाएंगे। एन.आर.डी.सी. के द्वारा एनर्जी एफीसियेनशी बिल्डिंग कोड़ (ई.सी.बी.सी.) एवं कूल रूफ प्रोग्राम को छत्तीसगढ़ में लागू करने एवं तकनीकी सुविधा तथा प्रदर्शन उपलब्ध कराने का काम करेगी।
- प्रदेश में ऊर्जा दक्ष व्यावसायिक भवनों का निर्माण छत्तीसगढ़ ईसीबीसी (CGECBC) के अंतर्गत किया जाएगा। इस हेतु सीजीईसीबीसी (CGECBC) कोड को पालन करने वाले ऊर्जा दक्ष भवनों के डिजाइन तैयार करने एवं निर्माण हेतु तथा भवन निर्माण की स्वीकृति की प्रक्रिया के साथ साथ भवन निर्माण के दौरान और निर्मित हो जाने के पश्चात् छत्तीसगढ़ ईसीबीसी के पालन की पुष्टि हेतु थर्ड पार्टी ऐसेसर इकाईयों को प्रशिक्षण दे कर प्रदेश में ही इस क्षमता का निर्माण किया जा सकेगा।
- हैदराबाद में स्थित एडमिनेसट्रेटीव स्टॉफ कॉलेज ऑफ इंडिया (ए.एस.सी.आई) जिसने तेलंगाना व देश के अन्य प्रदेशों में ऊर्जा दक्ष भवनों के क्षेत्र में क्षमता निर्माण का महती कार्य किया है। इनके सहयोग से छत्तीसगढ़ में भी ये क्षमता निर्माण संभव होगा। इससे प्रदेश में ही उपलब्ध तकनीकी अमले को प्रशिक्षित किया जा सकेगा। आने वाले समय में इससे प्रदेश में रोज़गार की नई संभावनाओं का उदय होगा।
- उल्लेखनीय है कि प्राकृतिक संसाधन रक्षा परिषद (एनआरडीसी) एक संयुक्त राज्य आधारित गैर-प्रॉफिट इंटरनेशनल एनवायरनमेंटल एडवोकेसी ग्रुप है जिसका मुख्यालय न्यूयार्क में स्थित है। 1970 में स्थापित इस संस्था के तीन मिलियन से अधिक सदस्य है, जिनमें राष्ट्रव्यापी ऑनलाइन गतिविधियाँ और लगभग 700 वकीलों, वैज्ञानिक और अन्य नीति विशेषज्ञ शामिल हैं।
- एनआरडीसी पर्यावरण, प्राकृतिक संसाधन एवं ऊर्जा संरक्षण विषयों पर जलवायु परिवर्तन के कार्यक्षेत्र में संलग्न एक अंतर्राष्ट्रीय संस्था है।
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उत्तराखंड की चार नदियों में पाँच साल खनन कार्य के लिये पर्यावरणीय स्वीकृति
चर्चा में क्यों?
23 फरवरी, 2023 को मीडिया सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के अनुरोध पर केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने उत्तराखंड की चार प्रमुख नदियों में अगले पाँच साल के लिये नवीकरण को मंजूरी दे दी है।
प्रमुख बिंदु
- उत्तराखंड में कुमाऊँ मंडल की चार प्रमुख नदियों गौला, शारदा, दाबका और कोसी में अगले पाँच साल तक खनन कार्य के लिये पर्यावरणीय स्वीकृति मिल गई है। इससे नदियों से खनन सामग्री तो मिलेगी ही, साथ ही इस कारोबार से जुड़े 50 हज़ार स्थानीय लोगों व श्रमिकों को रोज़गार भी मिलेगा।
- गौरतलब है कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी पिछले दिनों जब दिल्ली में थे तब उन्होंने यह मसला केंद्रीय मंत्री के समक्ष उठाया था। मुख्यमंत्री के मुताबिक, सिविल निर्माण कार्यों, धार्मिक व सामरिक रूप से आवश्यक सड़क और रेल नेटवर्क का विस्तार जैसे अति महत्त्वपूर्ण बुनियादी ढाँचे के विकास के लिये बेहद जरूरी है। इन नदियों से आरबीएम की उपलब्धता सुनिश्चित होगी।
- गौला नदी
- कुमाऊँ में सोने की खान कहे जाने वाली गौला नदी एक हिमालयी नदी है जो भारत में बहती है। इस नदी का स्रोत पहाड़पानी है और अंतिम बिंदु किच्छा है। इस नदी की लंबाई लगभग 103 किमी. है।
- गौला नदी उत्तराखंड में सातताल झील से निकलती है। यह काठगोदाम, हल्द्वानी और शाही से होकर बहती है। फिर यह गंगा की एक सहायक नदी रामगंगा नदी में मिल जाती है।
- मिट्टी के कटाव और वनों की कटाई के परिणामस्वरूप गौला जलग्रहण कई भूस्खलन से प्रभावित हुआ है। साथ ही, पिछले कुछ वर्षों में झरनों के पानी और समग्र वर्षा में कमी आई है, जिससे इसका प्रवाह कम हो गया है। हल्द्वानी के पास मैदान से टकराने के बाद गौला नदी का तल अत्यधिक उत्खनन के कारण मिट्टी के कटाव का सामना कर रहा है।
- शारदा नदी
- शारदा नदी एक हिमालयी नदी है जो ‘काली नदी’, ‘कुटियांगडी’या ‘महाकाली नदी’के रूप में भी जाना जाता है। यह उत्तराखंड से होकर बहती है।
- शारदा नदी का पारंपरिक स्रोत उत्तराखंड के पिथौरागढ़ ज़िले में लिपमपियाधुरा है, जो समुद्र तल से 3,600 मीटर (लगभग 11,800 फीट) ऊपर है।
- इस नदी की लंबाई 252 किमी. और बेसिन क्षेत्र 18,140 वर्ग किमी. है। काली नदी महाकाली नदी की मुख्य धारा है।
- कोशी नदी
- कोशी नदी, जिसे कोसी या कौशिकी भी कहा जाता है, उत्तर भारत की प्रमुख तथा पवित्र नदियों में से एक हैं। स्कंदपुराण के मानसखंड में इस नदी का उल्लेख कौशिकी के नाम से हुआ है।
- यह उत्तराखंड के कुमांऊॅँ क्षेत्र की एक महत्त्वपूर्ण नदी है। यह रामगंगा की सहायक नदी है। नदी के तट पर कैर तथा शीशम के जंगल पाए जाते हैं।
- कोशी नदी की लंबाई 168 किमी. है तथा इसका अपवाह क्षेत्र लगभग 346 वर्ग किमी. क्षेत्र में फैला है।
- दाबका नदी
- दाबका नदी उत्तराखंड में एक धारा है और इसकी ऊँचाई 1,100 मीटर है।
- कोसी नदी के पूर्व में प्रवाहित यह नदी नैनीताल के गरमपानी नामक स्थान के पश्चिम से निकलकर नैनीताल तथा ऊधम सिंह नगर में बहते हुए बाजपुर के पास राज्य से बाहर निकल जाती है।
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यमुनोत्री रोप-वे निर्माण के लिये हुआ अनुबंध
चर्चा में क्यों?
23 फरवरी, 2023 को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी एवं पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज की उपस्थिति में यमुनोत्री रोप-वे परियोजना के लिये प्रदेश के पर्यटन विभाग और निजी निर्माण कंपनी ‘एसआरएम इंजीनियरिंग एवं एफआईएल इंडस्ट्री प्राइवेट लिमिटेड’के बीच अनुबंध किया गया।
प्रमुख बिंदु
- प्रस्तावित जानकीचट्टी (खरसाली) से यमुनोत्री धाम के लिये 38 किमी. लंबे रोप-वे निर्माण के लिये वन मंत्रालय से क्लीयरेंस पहले ही मिल चुका है। रोपवे का संचालन पीपीपी मोड पर होगा। इस रोप-वे पर करीब 167 करोड़ रुपए खर्च होंगे।
- इस रोप-वे के बनने से यमुनोत्री धाम जाने वाले श्रद्धालुओं को छह किमी. पैदल नहीं चढ़ना पड़ेगा। रोप-वे से मात्र 15 से 20 मिनट में यमुनोत्री पहुँच सकेंगे। श्रद्धालुओं को जानकीचट्टी (खरसाली) पैदल मार्ग के जरिये करीब 11 हज़ार फुट की ऊँचाई पर स्थित यमुनोत्री धाम पहुँचने में अभी करीब तीन घंटे का समय लगता है।
- इस मौके पर मुख्यमंत्री ने कहा कि रोप-वे परियोजना के बनने के बाद यमुनोत्री धाम अपने शीतकालीन प्रवास स्थल खरसाली से जुड़ जाएगा और श्रद्धालु माँ यमुना के दर्शन के लिये सुगमता से पहुँच सकेंगे और प्रदूषण मुक्त प्राकृतिक सौंदर्य का लाभ उठा सकेंगे। रोप-वे बनने से श्रद्धालुओं को सुविधा मिलने के साथ ही स्थानीय स्तर पर भी लोगों के रोज़गार के संसाधन बढ़ेंगे।
- प्रदेश के पर्यटन सचिव सचिन कुर्वे ने बताया कि 38 किमी. लंबाई का पीपीपी मोड पर बनने वाला यह रोप-वे मोनोकेबल डिटैचबल प्रकार का होगा जिसका निर्माण यूरोपीय मानकों के अनुसार फ्राँस और स्विटजरलैंड की तर्ज पर किया जाएगा।
- पर्यटन सचिव ने बताया कि इस रोपवे की यात्री क्षमता एक घंटे में लगभग 500 लोगों को ले जाने की होगी जबकि एक कोच में एक बार में आठ यात्री जा सकेंगे। रोप-वे का लोअर टर्मिनल खरसाली में 1.787 हेक्टेयर भूमि पर जबकि अपर टर्मिनल 0.99 हेक्टेयर भूमि पर यमुनोत्री में बनाया जाएगा।
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