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छत्तीसगढ स्टेट पी.सी.एस.

  • 24 Feb 2022
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स्कूल शिक्षा विभाग को मिला डिजिटल टेक्नोलॉजी सभा-2022 अवार्ड

चर्चा में क्यों?

23 फरवरी, 2022 को छत्तीसगढ़ में शैक्षणिक गतिविधियों को तकनीक के माध्यम से सहज बनाने के लिये राज्य के स्कूल शिक्षा विभाग को एक वर्चुअल सम्मेलन में राष्ट्रीय इंडियन एक्सप्रेस समूह द्वारा डिजिटल टेक्नोलॉजी सभा-2022 अवार्ड से नवाजा गया। यह अवार्ड एन.आई.सी. के वरिष्ठ तकनीकी निदेशक ए.के. सोमशेखर द्वारा ग्रहण किया गया।

प्रमुख बिंदु

  • यह अवार्ड स्कूली बच्चों के शैक्षणिक आकलन के लिये एनआईसी के सहयोग से विकसित एनक्लियर ऐप तथा टेली प्रेक्टिस ऐप के उपयोग के लिये दिया गया है। शिक्षा विभाग द्वारा उपयोग में लाए जा रहे उक्त दोनों ऐप के माध्यम से स्कूली बच्चों की सहजता से आकलन एवं मॉनिटरिंग की जा सकती है।
  • एनक्लियर में बच्चों को उनकी आईडी के साथ एक क्यूआर कोड कार्ड दिया जाता है, जिसका सालभर का 40 विद्यार्थियों पर व्यय मात्र 20 रुपए आता है। बच्चों को इस कार्ड को अपने पास सुरक्षित रखना होता है। 
  • एनक्लियर ऐप का सबसे बड़ा फायदा यह है कि कक्षा में शिक्षकों द्वारा बहुविकल्पीय प्रश्न पूछने पर बच्चों को सही उत्तर के आधार पर कार्ड को एक विशेष दिशा में पकड़कर प्रदर्शित करना होता है। शिक्षक द्वारा अपने मोबाइल कैमरे से कक्षा में एक जगह से सभी बच्चों के कार्ड को दूर से ही स्केन कर लिया जाता है। स्केन करते ही विद्यार्थियों का अपने आप आकलन हो जाता है और प्रश्नवार, विद्यार्थीवार रिपोर्ट शिक्षक एवं विभिन्न स्तरों पर देखी जा सकती है। इसमें शिक्षकों को प्रत्येक प्रश्न के उत्तर को जाँचने एवं अंक देने के झंझट से मुक्ति मिलती है।
  • इसी तरह विद्यार्थियों के आकलन के लिये एनआईसी द्वारा विकसित किये गए टेली-प्रेक्टिस ऐप के माध्यम से बच्चों के साथ मौखिक क्विज का आयोजन किया जा सकता है। इसके लिये टेलीग्राम ग्रुप में विद्यार्थियों को जोड़कर पायथोन नामक कार्यक्रम के माध्यम से बच्चों को वाइस मैसेज भेजकर स्क्रीन पर चित्र एवं लिखित प्रश्न भेजा जाता है।
  • इन प्रश्नों के मौखिक जवाब विद्यार्थियों द्वारा दिये जाते हैं। जिसे इस कार्यक्रम में एक साथ विद्यार्थियों के उत्तरों को एक फिल्म के रूप में व्यक्तिगत विद्यार्थियों, उनके शिक्षकों एवं पालकों द्वारा देखा जा सकता है। शिक्षक विद्यार्थीवार वीडियो देखकर प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के आधार पर अंक दे सकते हैं।
  • इस कार्यक्रम के माध्यम से एक साथ बहुत से विद्यार्थियों से सवाल करते हुए उनसे एक ही समय में उत्तर देने का प्रावधान होने से शिक्षकों एवं विद्यार्थियों, दोनों का समय बचता है। शिक्षकों को प्रत्येक विद्यार्थी की स्थिति की जाँच करने में भी आसानी होती है और समय बचता है।
  • इस प्रकार के आकलन के सप्रमाण होने से गलत आकलन की संभावनाओं  से भी बचा जा सकता है। प्रत्येक विद्यार्थी को उनके उत्तरों के आधार पर उनका अपना वीडियो प्रश्न और उत्तर के साथ देखने का अवसर मिलता है। इन सबसे शिक्षकों का कार्य बहुत आसान हो जाता है।
  • उल्लेखनीय है कि कोरोना संकटकाल के दौरान शिक्षा में नवाचार एवं डिजिटल टेक्नोलॉजी के मामले में छत्तीसगढ़ राज्य के स्कूल शिक्षा विभाग ने पूरे देश में अपनी एक पहचान कायम की है। स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा कोरोना संकटकाल के दौरान स्कूली बच्चों को घर-बैठे शिक्षा उपलब्ध कराने की तकनीक को देश ने सराहा है। ‘पढ़ई तुंहर दुआर’ को इस हेतु राष्ट्रीय स्तर पर पुरस्कार भी प्राप्त हुए हैं। 

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