नोएडा शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 9 दिसंबर से शुरू:   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

झारखंड स्टेट पी.सी.एस.

  • 23 Sep 2023
  • 0 min read
  • Switch Date:  
झारखंड Switch to English

बेरमो के ढोरी एरिया में लगेगी CCL की पहली हाइवॉल माइनिंग

चर्चा में क्यों?

  • 21 सितंबर, 2023 को मीडिया से मिली जानकारी के अनुसार बोकारो ज़िले में बेरमो कोयलांचल अंतर्गत सीसीएल के ढोरी एरिया में सीसीएल की पहली हाइवॉल माइनिंग लगेगी। 2024 के फरवरी-मार्च तक यहाँ हाइवॉल माइनिंग से कोयला उत्पादन शुरू होने की संभावना है।

प्रमुख बिंदु

  • जानकारी के अनुसार ढोरी एरिया के एएडीओसीएम के अमलो माइंस में लगने वाली इस हाइवॉल माइनिंग से तीन साल में कुल 13 लाख टन कोयले का उत्पादन होगा।
  • यहाँ से हर साल 3.5 लाख टन कोयले का खनन किया जाएगा। पहले साल तीन लाख टन और इसके बाद के वर्षों में सालाना 5-5 लाख टन यहाँ से कोल प्रोडक्शन होगा।
  • इसमें अंडरग्राउंड माइंस गैलरी की तरह उत्पादन होगा। इसमें उत्पादित कोयले का साइज माइनस 100 एमएम से भी कम होगा और क्रश होकर बिलकुल फ्रेश कोयला निकलेगा। यह कोल माइंस से सीधे कन्वेयर बेल्ट में आएगा और यहाँ से फिर सरफेस में आकर गिरेगा। यहाँ से टिपर में लोड होकर साइडिंग व वाशरी में यह कोयला जाएगा।
  • झारखंड में फिलहाल एकमात्र टाटा के घाटी कोलियरी में हाइवॉल माइनिंग से उत्पादन किया जा रहा है। पूरे कोल इंडिया में कुल 30 हाइवॉल माइनिंग शुरू होने वाली हैं। इसीएल में दो और सीसीएल में एक बेरमो के ढोरी एरिया में इस तकनीक से कोयला उत्पादन शुरू होगा।
  • जानकारी के अनुसार एएडीओसीएम की अमलो माइंस में जहाँ पर इस हाइवॉल माइनिंग को लगाया जाएगा, उसके ऊपरी सतह पर गाँव व बस्ती रहने के कारण जगह खाली नहीं हो पा रही है। साथ ही 100 मीटर के अंदर ब्लास्टिंग किया जाना भी प्रतिबंधित है। ऐसे में बगैर गाँव व बस्ती को हटाए और ज़मीन खाली कराए बिना यानी सरफेस को बगैर डिस्टर्ब किये अमलो माइंस में हाइवॉल माइनिंग लगाई जाएगी।
  • भूमिगत खदान की गैलरी की तरह माइंस के अंदर प्लेटफॉर्म बनाया जाएगा, जिसपर हाइवॉल मशीन लगेगी और उत्पादन शुरू होगा।
  • ढोरी एरिया के तारमी प्रोजेक्ट में सालाना 3 लाख टन कोयला फीड करने की क्षमता का एक नया कोकिंग वाशरी भी लगने जा रहा है। प्रबंधन के अनुसार ढोरी एरिया के एसडीओसीएम, अमलो, तारमी के अलावा कल्याणी एक्सपेंशन प्रोजेक्ट से उत्पादित कोयले को इस वाशरी में फीड किया जाएगा। यहाँ से वाशरी ग्रेड-5 का कोयला सीएचपी में चला जाएगा, जबकि वाशरी ग्रेड-3 का कोयला वाशरी में रह जाएगा। यहाँ से फिर इसे अन्यत्र जगहों पर भेजा जाएगा।
  • जल्द ही ढोरी एरिया में सालाना 2 मिलियन क्षमता की कल्याणी एक्सपेंशन माइंस भी अस्तित्व में आएगी, जो 20 साल का प्रोजेक्ट है। इसके बाद ढोरी एरिया का कोल प्रोडक्शन का ग्राफ काफी बढ़ जाएगा, जिसको देखते हुए यहाँ वाशरी व सीएचपी का निर्माण किया जा रहा है।
  • ढोरी क्षेत्रीय प्रबंधन के अनुसार ढोरी एरिया अंतर्गत बंद पिछरी माइंस से 2024 के फरवरी-मार्च तक हर हाल में कोयला उत्पादन शुरू हो जाएगा। कुल 98 एकड़ में 20 लाख टन कोयला उत्पादन होगा, जबकि पूरी पिछरी माइंस 459 एकड़ की है, जिसमें 28-30 मिलियन टन कोयला है, जो 16 साल का प्रोजेक्ट है।

 


 Switch to English
close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2
× Snow