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जेएसएलपीएस (JSLPS) द्वारा पीवीटीजी (PVTGs) जनजातियों के विकास की पहल
चर्चा में क्यों?
हाल ही में झारखंड स्टेट लाइवलीहुड प्रमोशन सोसाइटी (JSLPS) द्वारा आजीविका सुधार के माध्यम से राज्य के विशेष रूप से कमज़ोर जनजातीय समूहों (PVTGs) को विकास की मुख्यधारा में शामिल करने के लिये गैर-सरकारी संगठन ‘वासन’ के साथ एमओयू पर हस्ताक्षर किये गए।
प्रमुख बिंदु
- इस समझौते के अनुसार वासन, JSLPS द्वारा संचालित ‘उड़ान’ प्रोजेक्ट के अंतर्गत PVTGs की आजीविका सुधार के लिये उनको शहद की उन्नत खेती से जोड़कर उनकी आय में वृद्धि का प्रयास किया जाएगा।
- इस परियोजना के तहत JSLPS द्वारा झारखंड बाजरा मिशन शुरू किया जाएगा, जिसमें वासन द्वारा बाजरा उत्पादन से लेकर प्रसंस्करण विपणन आदि तक तकनीकी सहायता प्रदान की जाएगी।
- साथ ही राज्य के 20 पिछड़े प्रखंडों में बैकयार्ड पॉल्ट्री के माध्यम से उद्यमिता का मॉडल स्थापित कर PVTGs की आय में वृद्धि सुनिश्चित की जाएगी।
- उल्लेखनीय है कि वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार झारखंड की कुल जनसंख्या में से 26.2% जनसंख्या अनुसूचित जनजातियों की है। इसमें से कुछ जनजातियों PVTGs का दर्जा प्रदान किया गया है, जैसे- असुर, बिरहोर, बिर्जिआ, पहाड़ी खारिया, कोरवा, माल पहाड़िया, परहिया आदि।
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