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मध्य प्रदेश स्टेट पी.सी.एस.

  • 23 Aug 2023
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मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में मंत्रि-परिषद के महत्त्वपूर्ण निर्णय

चर्चा में क्यों?

  • 22 अगस्त, 2023 को मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में मंत्रि-परिषद की बैठक मुख्यमंत्री निवास ‘समत्व भवन’में हुई, जिसमें अनेक महत्त्वपूर्ण निर्णय लिये गए।

प्रमुख बिंदु

  • मंत्रि-परिषद द्वारा पुलिस विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों को मिलने वाले भत्तों में वृद्धि के लिये स्वीकृति प्रदान की गई है।
  • मंत्रि-परिषद द्वारा राज्य शासन के पेंशनरों/परिवार पेंशनरों को 01 जुलाई, 2023 (भुगतान माह अगस्त, 2023) से देय मंहगाई राहत की दर में वृद्धि करने की स्वीकृति दी गई है। मंत्री परिषद के निर्णय के अनुसार महँगाई राहत की दर सातवें वेतनमान के अंतर्गत 42% और छठवें वेतनमान के अंतर्गत 221% की गई है। इस निर्णय से शासन पर अनुमानित 410 करोड़ रुपए का अतिरिक्त व्यय भार संभावित है ।
  • मंत्रि-परिषद द्वारा ज़िला बैतूल में नवीन अनुविभाग आमला के सृजन की स्वीकृति दी गई है।
  • मंत्रि-परिषद द्वारा ज़िला पंचायत सदस्यों एवं जनपद पंचायत सदस्यों के मानदेय में वृद्धि करने का निर्णय लिया गया है। ज़िला पंचायत सदस्यों का मानदेय 4500 से बढ़ाकर 13 हज़ार 500 रुपए और जनपद पंचायत सदस्यों का मानदेय 1500 से बढ़ाकर 4500 रुपए करने का निर्णय लिया गया है।
  • मंत्रि-परिषद द्वारा रबी वर्ष 2022-23 (विपणन वर्ष 2023-24) एवं आगामी दो वर्षों में भारत सरकार के प्राईस सपोर्ट स्कीम के अंतर्गत चना, मसूर एवं सरसों तथा ग्रीष्मकालीन मूंग एवं उड़द का पंजीकृत कृषकों से उपार्जन राज्य उपार्जन एजेंसी म.प्र. राज्य सहकारी विपणन संघ मर्यादित द्वारा किये जाने का निर्णय लिया गया।
  • साथ ही रबी वर्ष 2021-22 (रबी विपणन वर्ष 2022-23) में प्राईस सपोर्ट स्कीम के अंतर्गत भारत सरकार द्वारा चना के लिये 8 लाख 71 हज़ार 100 मीट्रिक टन एवं मसूर के लिये 1 लाख 67 हज़ार 130 मीट्रिक टन तथा सरसों के लिये 3 लाख 48 हज़ार 935 मीट्रिक टन के नियत उपार्जन लक्ष्य के भीतर चने के 8 लाख 01 हज़ार 662.86 मीट्रिक टन का उपार्जन राज्य उपार्जन एजेंसी म.प्र. राज्य सहकारी विपणन संघ द्वारा किये जाने का कार्योत्तर अनुमोदन किया गया

          counsil-of-ministry

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‘मध्य प्रदेश नक्सली आत्म-समर्पण, पुनर्वास सह राहत नीति 2023’ की स्वीकृति

चर्चा में क्यों?

  • 22 अगस्त, 2023 को मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में मंत्रि-परिषद की बैठक में मंत्रि-परिषद द्वारा आत्म-समर्पण करने वाले नक्सलियों को लाभकारी रोज़गार और उद्यमशीलता के अवसरों को प्रदान करने के उद्देश्य से ‘मध्य प्रदेश नक्सली आत्मसमर्पण, पुनर्वास सह राहत नीति 2023’ स्वीकृत की गई है।

प्रमुख बिंदु

  • मध्य प्रदेश नक्सली आत्म-समर्पण, पुनर्वास सह राहत नीति राज्य में उत्पन्न वर्तमान सुरक्षा परिदृश्य को ध्यान में रखते हुए तैयार की गई है।
  • इस नीति का मुख्य उद्देश्य हिंसा का रास्ता त्यागकर स्वेच्छा से आत्म-समर्पण करने वालों को मुख्यधारा में शामिल करना है।
  • म.प्र. नक्सली आत्म-समर्पण, पुनर्वास-सह-राहत नीति 2023 में नक्सली/नक्सलवादी एवं आत्म-समर्पणकर्त्ता को स्पष्ट एवं वृहत् रूप से परिभाषित किया गया है। आत्म-समर्पणकर्त्ता के निर्धारण के लिये निश्चित मापदंड निर्धारित किये गए हैं।
  • आत्म-समर्पणकर्त्ता को लाभ देने के लिये राज्यस्तरीय जाँच समिति का प्रावधान किया गया है। (पूर्व नीति में आत्म-समर्पणकर्त्ता को लाभ देने के लिये राज्यस्तरीय जाँच समिति की अवधारणा नहीं है।)
  • आत्म-समर्पण प्रक्रिया को सुलभ बनाने के लिये सक्षम अधिकारियों की परिधि बढ़ाई गई है, जैसे- आत्म-समर्पणकर्त्ता स्वेच्छा से किसी पुलिस अधिकारी, कार्यपालिक दंडाधिकारी, केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल के सहायक सेनानी से अन्यून रैंक के अधिकारी (जहाँ केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल तैनात है) या राज्य सरकार द्वारा नामांकित अधिकारी के समक्ष आत्म-समर्पण कर सकेगा। (पूर्व नीति में आत्म-समर्पण के लिये पुलिस अधीक्षक को माध्यम निर्धारित किया गया है।)
  • नक्सली द्वारा आत्म-समर्पण किये जाने के पश्चात् की प्रक्रिया का स्पष्ट उल्लेख किया गया है।
  • आत्म-समर्पणकर्त्ता द्वारा शस्त्रों के साथ समर्पण किये जाने पर अनुग्रह राशि का स्पष्ट वर्गीकरण किया गया है।
  • आत्म-समर्पणकर्त्ता ने यदि शस्त्रों (शस्त्र चालू हालत स्थिति में हो तो) के साथ समर्पण किया है तो ऐसी स्थिति में 07 श्रेणियों में शस्त्रों का वर्गीकरण किया जाकर 20 हज़ार से 4 लाख 50 हज़ार रुपए तक अनुग्रह राशि स्वीकृत करने का प्रावधान है। (पूर्व नीति में इस विषय पर अनुग्रह राशि का स्पष्ट वर्णन नहीं है।)
  • आत्म-समर्पणकर्त्ता को गृह निर्माण के लिये 1 लाख 50 हज़ार रुपए अनुदान का स्पष्ट प्रावधान किया गया है। (पूर्व नीति में इंदिरा आवास योजना में अनुदान की राशि उपलब्ध कराना प्रावधानित है।)
  • आत्म-समर्पणकर्त्ता को विवाह के लिये 50 हज़ार रुपए की प्रोत्साहन राशि का प्रावधान किया गया है। (पूर्व नीति में इस प्रकार का कोई प्रावधान नहीं है।)
  • आत्म-समर्पणकर्त्ता को बिना शर्त 5 लाख रुपए प्रोत्साहन अथवा इनाम राशि प्रदान करने का स्पष्ट प्रावधान किया गया है। (पूर्व नीति में आत्म-समर्पणकर्त्ता के नक्सल विरोधी अभियान में सहयोग के आधार पर घोषित इनाम राशि दिये जाने का प्रावधान है।)
  • आत्म-समर्पणकर्त्ता को अचल संपत्ति /जमीन क्रय के लिये 20 लाख रुपए अनुदान राशि का स्पष्ट प्रावधान किया गया है। (पूर्व नीति में अनुदान राशि प्रावधानित नहीं है, केवल गरीबी रेखा के नीचे आने वाले आत्मसमर्पित नक्सलियों को भू-आवंटन का प्रावधान किया गया गया है।)
  • आत्म-समर्पणकर्त्ता के शिक्षण के लिये 1 लाख 50 हज़ार रुपए का प्रावधान किया गया है। (पूर्व नीति में अनुदान राशि प्रावधानित नहीं है, शासकीय योजनाओं में अस्पष्ट प्रावधान किये गए हैं।)
  • आत्म-समर्पणकर्त्ता की उपयोगिता के आधार पर गोपनीय सैनिक अथवा उसके सहयोग से नक्सल उन्मूलन अभियान में सफलता प्राप्त होने पर पुलिस विभाग में शासकीय नौकरी प्रदान किये जाने का प्रावधान किया गया है। (पूर्व नीति में शासकीय सेवा में नियुक्त होने की पात्रता रखने पर उसे नियुक्ति दिये जाने पर विचार किये जाने का प्रावधान है, अन्यथा उसे पात्रता अनुसार होमगार्ड के रूप में नियुक्ति दिये जाने का प्रावधान है।)
  • नक्सल पीड़ित परिवार एवं शारीरिक अक्षमता के संबंध में स्पष्ट एवं बृहद् उल्लेख है।
  • हिंसा में व्यक्ति/सुरक्षाकर्मी की मृत्यु होने की स्थिति में अनुग्रह राशि में वृद्धि की गई है। आम नागरिक को 15 लाख रुपए एवं सुरक्षाकर्मी को 20 लाख रुपए प्रावधानित हैं। (पूर्व नीति में आम व्यक्ति को 1 लाख रुपए एवं सुरक्षाकर्मी को 2 लाख रुपए प्रदान किये जाने का प्रावधान है।)
  • नक्सल हिंसा में व्यक्ति/सुरक्षाकर्मी के शारीरिक अक्षम हो जाने पर 4 लाख रुपए अनुग्रह राशि प्रदान किये जाने का प्रावधान है। (पूर्व नीति में स्थायी असमर्थ को 50 हज़ार एवं गंभीर घायल को 10 हज़ार रुपए प्रदान किये जाने का प्रावधान है।)
  • मृतक के आश्रित को शासकीय सेवा में लिये जाने का स्पष्ट प्रावधान किया गया है। (पूर्व नीति में यदि मृतक का कोई सदस्य शासकीय सेवा में न हो तथा पात्रता रखने पर नियुक्ति पर विचार किये जाने का प्रावधान है।)
  • अचल संपत्ति को क्षति होने की स्थिति में राहत राशि का प्रावधान किया गया है, जैसे- पूरा मकान ध्वस्त होने पर 1 एक 50 हज़ार रुपए तथा आंशिक क्षति होने पर क्षति अनुसार अधिकतम 50 हज़ार रुपए का भुगतान किया जाएगा। (पूर्व नीति में क्षति होने पर कच्चे मकान हेतु 5 हज़ार रुपए एवं पक्के मकान के लिये 15 हज़ार रुपए क्षतिपूर्ति का प्रावधान है।) नक्सलियों के पुनर्वास के लिये समय-सीमा एवं प्रक्रिया का स्पष्ट उल्लेख किया गया है

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‘मुख्यमंत्री सीखो-कमाओ’ योजना का शुभारंभ

चर्चा में क्यों?

  • 22 अगस्त, 2023 को मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भोपाल में ‘मुख्यमंत्री सीखो-कमाओ’योजना का शुभारंभ किया।

प्रमुख बिंदु

  • इस योजना के तहत युवाओं को काम सिखाने के बदले 8 से 10 हज़ार रुपए स्टाइपेंड के रूप में दिये जाएंगे। काम सीखने के बाद वे खुद का स्वरोज़गार शुरू कर सकते हैं। साथ ही उद्योगों में परमानेंट जॉब भी मिल सकेगी।
  • उल्लेखनीय है कि ‘मुख्यमंत्री सीखो-कमाओ’ योजना में प्रशिक्षण कंपनियों का पंजीयन 7 जून, 2023 से शुरू किया गया था। अब तक 16 हज़ार 744 कंपनियाँ पंजीकृत हो चुकी हैं। अब तक 70 हज़ार 386 पद प्रकाशित हुए हैं।
  • साथ ही इस योजना में युवाओं का रजिस्ट्रेशन 4 जुलाई, 2023 से प्रारंभ हुआ था। इसमें अब तक 8 लाख 71 हज़ार 330 युवा पंजीकृत हुए और अब तक 15 हज़ार 92 अनुबंध निर्मित हुए हैं।
  • इस योजना में 46 क्षेत्रों के 700 से अधिक पाठ्यक्रमों में प्रशिक्षण मिलेगा।
  • मुख्यमंत्री सीखो कमाओ ‘लर्न एंड अर्न’कार्यक्रम है, जिसमें युवाओं को जॉब ओरिएंटेड स्किल ट्रेनिंग मिलेगी।
  • छात्रों को कार्यक्षेत्र में रहकर अनुभव प्राप्त करने और अपना कौशल विकसित करने का अवसर मिलेगा।
  • प्रशिक्षण के साथ ही प्रतिमाह स्टाइपेंड भी मिलेगा, ताकि वे प्रशिक्षण के दौरान अपने खर्च उठा सकें -
    • 12वीं उत्तीर्ण को 8000 रुपए
    • आईटीआई उत्तीर्ण को 8500 रुपए
    • डिप्लोमा उत्तीर्ण को 9000 रुपए
    • स्नातक उत्तीर्ण या उच्च शैक्षणिक योग्यता को 10000 रुपए
  • इस योजना में अभ्यर्थियों को मिलने वाले लाभ
    • उद्योग-उन्मुख प्रशिक्षण।
      • नवीनतम तकनीक और नवीनतम प्रक्रिया के माध्यम से प्रशिक्षण।
      • व्यावसायिक प्रशिक्षण के दौरान स्टाइपेंड।
      • मध्य प्रदेश राज्य कौशल विकास एवं रोज़गार निर्माण बोर्ड (MPSSDEGB) द्वारा स्टेट कौंसिल फॉर वोकेशनल ट्रेनिंग (SCVT) का प्रमाणन।
      • नियमित रोज़गार प्राप्त करने की योग्यता अर्जित करना।
  • उद्योगों को मिलने वाले लाभ -
    • इस योजना के माध्यम से उद्योगों को अपनी ज़रूरत के अनुसार युवाओं का कौशल संवर्धन करने का अवसर मिलेगा।
    • प्रशिक्षण के दौरान प्रशिक्षण प्रदाता प्रतिष्ठान छात्रों की परख करके तथा प्रशिक्षण के बाद इन छात्रों को अपने संस्थान में नौकरी दे सकेंगे।
    • इस प्रकार उद्योगों को कुशल और अनुभवी कर्मचारियों को प्राप्त करने में मदद मिलेगी।
    • उद्योगों को कर्मचारियों को प्रशिक्षित करने की लागत कम होगी, क्योंकि छात्रों को पहले से ही कुछ कौशल और अनुभव प्राप्त होगा।
    • एक छात्र-अभ्यर्थी पर प्रतिमाह 75% स्टाइपेंड की बचत होगी।
    • एक छात्र-अभ्यर्थी पर प्रतिमाह अधिकतम 9,000 रुपए तक की बचत होगी।
    • छात्र-अभ्यर्थी पर एपीएफ, बोनस एवं इंडस्ट्रियल डिस्प्यूट एक्ट लागू नहीं होगा

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