स्पुतनिक-वी वैक्सीन | उत्तराखंड | 23 Aug 2021
चर्चा में क्यों?
22 अगस्त, 2021 को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने देहरादून स्थित ग्राफिक एरा इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज द्वारा शुरू की गई स्पुतनिक-वी टीकाकरण सेवा का उद्घाटन करते हुए राज्य में पहली बार स्पुतनिक-वी वैक्सीन को लॉन्च किया।
प्रमुख बिंदु
- लॉन्च कार्यक्रम में कुल 100 लोगों को स्पुतनिक-वी वैक्सीन दी गई। ग्राफिक एरा ग्रुप के मुख्य संरक्षक आरसी घनशाला ने स्पुतनिक-वी वैक्सीन की पहली डोज ली।
- ग्राफिक एरा अस्पताल के प्रधान चिकित्सा अधिकारी डॉ. अजय पटेल ने कहा कि स्पुतनिक-वी वैक्सीन को कोविड-19 के खिलाफ 95 प्रतिशत प्रभावी घोषित किया गया है और डेल्टा संस्करण के मामले में यह टीका लगभग 83 प्रतिशत प्रभावी माना जाता है।
- कोविन ऐप पर पंजीकरण के बाद कोई भी व्यक्ति सरकार द्वारा निर्धारित शुल्क पर ग्राफिक एरा अस्पताल में स्पुतनिक-वी का टीका लगवा सकता है।
- राज्य के स्वास्थ्य मंत्री धन सिंह रावत ने बताया कि राज्य में बागेश्वर शत-प्रतिशत टीकाकरण प्राप्त करने वाला पहला ज़िला, जबकि खिर्सू पहली खुराक का शत-प्रतिशत टीकाकरण प्राप्त करने वाला पहला ब्लॉक बन गया है।
- गौरतलब है कि उत्तराखंड में अब तक 58 लाख से अधिक लोगों को कोविड-19 टीकाकरण की पहली खुराक मिल चुकी है, जबकि दोनों खुराक प्राप्त करने वालों की संख्या 18 लाख से अधिक है।
देश का सबसे ऊँचा औषधि उद्यान | उत्तराखंड | 23 Aug 2021
चर्चा में क्यों?
21 अगस्त, 2021 को उत्तराखंड के चमोली ज़िले में भारत-चीन सीमा के समीप स्थित माणा गाँव में 11,000 फीट की ऊँचाई पर भारत के सबसे ऊँचे औषधि उद्यान का उद्घाटन किया गया।
प्रमुख बिंदु
- उत्तराखंड वन विभाग की अनुसंधान शाखा ने माणा वन पंचायत द्वारा दी गई तीन एकड़ से अधिक की ज़मीन पर उद्यान का विकास किया है। इस औषधि उद्यान में हिमालयी क्षेत्र के ऊँचाई वाले अल्पाइन क्षेत्र की औषधीय महत्त्व वाली करीब 40 प्रजातियों को सरक्षित किया गया है।
- अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (IUCN) की रेड लिस्ट के अनुसार, इनमें से कई प्रजातियाँ संकटग्रस्त हैं। साथ ही राज्य जैव विविधता बोर्ड की लुप्तप्राय प्रजातियों की सूची में शामिल हैं।
- यह उद्यान चार वर्गों में विभाजित है। इसमें पहले वर्ग में बद्रीनाथ (भगवान विष्णु) से जुड़ी प्रजातियाँ बद्री तुलसी, बद्री बेर, बद्री वृक्ष और पवित्र वृक्ष भोजपत्र शामिल हैं।
- दूसरा वर्ग अष्टवर्ग प्रजातियों का है, जो हिमालयी क्षेत्र में पाई जाने वाली आठ जड़ी-बूटियों का समूह है। इनमें रिद्धि, वृद्धि, जीवक, ऋषभक, काकोली, क्षीर काकोली, मैदा और महा मैदा शामिल हैं, जो च्यवनप्राश की महत्त्वपूर्ण सामग्री हैं। इनमें से चार जड़ी-बूटियाँ लिली परिवार की और चार ऑर्किड परिवार की हैं।
- तीसरे वर्ग में हिम कमल की प्रजातियाँ हैं। इनमें ब्रह्म कमल भी शामिल है, जो उत्तराखंड का राजकीय पुष्प है। उद्यान में हिम कमल की अन्य प्रजातियों में फेम कमल, नील कमल और कूट शामिल हैं।
- चौथे वर्ग में अतीश, मीठावीश, वनककड़ी एवं चोरू समेत अल्पाइन प्रजातियाँ हैं और ये सभी महत्त्वपूर्ण औषधीय जड़ी-बूटियाँ हैं तथा इनकी बहुत अधिक मांग रहती है।
- गौरतलब है कि माणा चीन की सीमा से लगे चमोली ज़िले में आखिरी भारतीय गाँव है और यह हिमालय पर स्थित प्रसिद्ध मंदिर ‘बद्रीनाथ’ के करीब है।