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हरियाणा स्टेट पी.सी.एस.

  • 23 Jul 2022
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परिवार पहचान-पत्र आधारित पिछड़ा वर्ग प्रमाण-पत्र की ऑनलाइन सेवा लॉन्च

चर्चा में क्यों?

22 जुलाई, 2022 को हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने परिवार पहचान-पत्र (पीपीपी) आधारित पिछड़ा वर्ग प्रमाण-पत्र की ऑनलाइन सेवा लॉन्च की। इसके माध्यम से अब पात्र व्यक्ति महज़ एक क्लिक से अपना पिछड़ा वर्ग प्रमाण-पत्र बनवा सकेंगे।

प्रमुख बिंदु

  • ऑनलाइन सेवा की लॉन्चिंग के बाद मुख्यमंत्री ने कहा कि इसके माध्यम से लोगों को कार्यालयों के चक्कर नहीं काटने पड़ेंगे।
  • मुख्यमंत्री ने बताया कि हरियाणा में अभी तक 22 लाख पिछड़ा वर्ग के परिवारों ने परिवार पहचान-पत्र (पीपीपी) में रजिस्ट्रेशन किया है। इनमें से 19 लाख परिवारों की इनकम पीपीपी के माध्यम से वेरीफाई हो चुकी है। यह परिवार ‘सरल’पोर्टल के माध्यम से अपना पिछड़ा वर्ग प्रमाण-पत्र बनवा सकते हैं।
  • मुख्यमंत्री ने कहा कि जिनका इनकम वेरीफिकेशन अभी बाकी है और यदि उन्हें पिछड़ा वर्ग प्रमाण-पत्र चाहिये तो वे सरल पोर्टल के माध्यम से आवेदन कर सकते हैं। उनके आवेदन को तत्काल प्राथमिकता देते हुए उनका इनकम वेरीफिकेशन करवाया जाएगा और जल्द-से-जल्द उनका पिछड़ा वर्ग प्रमाण-पत्र बनाया जाएगा।
  • मुख्यमंत्री ने बताया कि सरल पोर्टल से उपलब्ध होने वाले पिछड़ा वर्ग प्रमाण-पत्र पर एडीसी के हस्ताक्षर होंगे।

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159 करोड़ रुपए की कृषि योजनाओं को मंज़ूरी

चर्चा में क्यों?

21 जुलाई, 2022 को हरियाणा के मुख्य सचिव संजीव कौशल की अध्यक्षता में राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के तहत राज्यस्तरीय अनुमोदन समिति की बैठक हुई, जिसमें 159 करोड़ रुपए की परियोजनाओं को स्वीकृति प्रदान की गई।

प्रमुख बिंदु 

  • मुख्य सचिव ने कहा कि प्रदेश के किसानों का जोखिम कम करने और कृषि व्यापार, उद्यमिता को बढ़ावा देने के माध्यम से खेती को एक लाभकारी आर्थिक गतिविधि बनाने के लिये क्रियान्वित की जा रही योजनाओं हेतु अनुमोदन समिति की बैठक में अनुमति प्रदान की गई है।
  • इन योजनाओं के क्रियान्वयन से कृषि की उच्च तकनीक विकसित करने में मदद मिलेगी और किसानों की आय में बढ़ोतरी होगी।
  • मुख्य सचिव ने प्रदेश में मक्का उगाने वाले किसानों को 2400 रुपए प्रति एकड़ तथा दलहन फसलों के लिये 3600 रुपए प्रति एकड़ प्रोत्साहन राशि को मंज़ूरी दी। इससे प्रदेश में तिलहनी और दलहनी फसलों को बढ़ावा मिलेगा।
  • इसके अलावा फसल विविधीकरण के लिये50 करोड़ रुपए की स्वीकृति प्रदान की गई है, ताकि किसान परंपरागत खेती के अलावा फसल विविधीकरण अपनाकर अपनी आर्थिक स्थिति मज़बूत कर सकें।
  • फसल विविधीकरण के लिये प्रदेश के 10 ज़िलों में डेंचा, मक्का और दलहनी फसलों को बढ़ावा हेतु 50 हज़ार एकड़ भूमि में फसल विविधीकरण की योजनाएँ क्रियान्वित की जाएंगी।
  • उन्होंने कहा कि फसल चक्र बदलने से भूजल के गंभीर दोहन को रोकने में भी मदद मिलेगी और मिटेी स्वास्थ्य में सुधार होगा। उन्होंने कहा कि जल संरक्षण के कार्यों में भी बढ़ोतरी की जाए, ताकि भूमिगत जलस्तर में सुधार हो सके।
  • मुख्य सचिव ने कहा कि प्रदेश के किसानों को जलभराव की समस्या से निजात दिलाने के लिये पोर्टल बनाया गया है। किसान स्वेच्छा से पोर्टल पर अपलोड कर अपनी कृषि भूमि से जल निकासी करवा सकते हैं। इस वर्ष झज्जर, रोहतक, सोनीपत के किसानों की 20 हज़ार एकड़ भूमि को जलभराव समस्या से निजात दिलाने का लक्ष्य रखा गया है।
  • उन्होंने बताया कि सॉयल हेल्थ कार्ड योजना के तहत मृदा की जाँच की जा रही है और किसानों को भूमि की गुणवत्ता अनुसार खाद, बीज आदि का उपयोग करने के लिये प्रेरित किया जा रहा है। इसके लिये 100 मृदा जाँच लेबोरेट्री संचालित की जा रही है। इनके माध्यम से अब तक 25 लाख सैंपल लिये गए हैं तथा किसानों, किसान सहायकों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इसके साथ ही स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से प्रदर्शन प्लांट भी लगाए जा रहे हैं।

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