वरुण सागर | राजस्थान | 06 Mar 2025
चर्चा में क्यों?
राजस्थान विधानसभा अध्यक्ष ने अजमेर स्थित सुप्रसिद्ध फॉयसागर झील का नाम परिवर्तित कर 'वरुण सागर' किया।
मुख्य बिंदु
- मुद्दे के बारे में:
- विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि अजमेर की फायसागर झील का नाम गुलामी का प्रतीक था। यह झील अजमेर के लोगों द्वारा बनाई गई थी और इसमें सिंधी सहित सभी समुदायों की धार्मिक व सामाजिक आस्था जुड़ी हुई है।
- वरुण देवता सिंधी समाज सहित अन्य सभी समुदायों के आराध्य देव रहे हैं, इसलिये अब यह झील "वरुण सागर" के नाम से जानी जाएगी।
- झील के बारे में:
- यह झील अजमेर ज़िले में स्थित एक कृत्रिम झील है।
- इस झील का निर्माण ब्रिटिश राज के एक अंग्रेज़ अभियंता फॉय के निर्देशन में वर्ष 1891-1892 में बाढ़ और अकाल राहत परियोजना के तहत किया गया था।
- यह राजस्थान की दूसरी अकाल राहत झील है, पहली राजसमंद झील है।
राजसमंद झील
- परिचय
- यह राजस्थान का एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल है। इसका निर्माण 17वीं शताब्दी में महाराणा राज सिंह ने करवाया था।
- इस झील को राजसमंद झील के नाम से भी जाना जाता है।
- निर्माण:
- झील का निर्माण 1662 में शुरू हुआ और 1676 में पूरा हुआ।
- यह राजस्थान का सबसे पुराना अकाल राहत कार्य था।
- यह झील गोमती, केलवा और ताली नदियों पर बनाई गई थी।
- इसका जलग्रहण क्षेत्र लगभग 196 वर्ग मील है।
- विशेषताएँ:
- यह झील 4 मील लंबी, 1.7 मील चौड़ी और 60 फीट गहरी है।
- दक्षिणी छोर पर स्थित सफेद संगमरमर के तटबंध को नौचौकी कहा जाता है।
- झील तक जाने वाले घाटों या पत्थर की सीढ़ियों पर मेवाड़ के इतिहास के बारे में शिलालेख अंकित हैं।
- बाँध के ऊपर स्थित राज-प्रशस्ति दृश्य में संस्कृत में दुनिया का सबसे लंबा और सबसे बड़ा पत्थर का शिलालेख है।
उदय गोल्ड कप फुटबॉल टूर्नामेंट | राजस्थान | 06 Mar 2025
चर्चा में क्यों
1 मार्च से 7 मार्च 2025 तक बीकानेर में चतुर्थ राज्य स्तरीय उदय गोल्ड कप फुटबॉल टूर्नामेंट का आयोजन किया जा रहा है।
मुख्य बिंदु
- टूर्नामेंट के बारे में:
- इस टूर्नामेंट का आयोजन मास्टर उदय क्लब द्वारा पुष्करणा स्टेडियम में दूधिया रोशनी में किया जा रहा है।
- इस टूर्नामेंट में कुल 11 मैच खेले जाएंगे।
- इस टूर्नामेंट में अब तक 12 टीमों ने प्रवेश लिया है। जिनमें बीकानेर, जोधपुर, जयपुर की दो-दो एवं श्रीगंगानगर हनुमानगढ़ कोटा, अजमेर, नागौर और करौली की एक-एक टीम शामिल है।
बीकानेर के बारे में
- स्थापना:
- बीकानेर की स्थापना सन् 1488 ई. में, राठौड़ राजकुमार राव बीकाजी ने की थी।
- भौगोलिक स्थिति:
- अक्षांश 28.01° उत्तर और रेखांश 73.9° पूर्व पर स्थित।
- भौगोलिक विशेषता:
- रेगिस्तानी ज़िला, उत्तर-पूर्व राजस्थान में स्थित।
- बीकानेर में कोई नदी नहीं है।
- दर्शनीय स्थल:
- करणी माता का मंदिर: चूहों के मंदिर के रूप में प्रसिद्ध।
- मुकाम मंदिर: बिश्नोई सम्प्रदाय का मुख्य धार्मिक स्थल।
- जूनागढ़ किला: राजस्थान के सबसे सुंदर किलों में से एक।
- भांडशाह जैन मंदिर: शहरी परकोटे के भीतर स्थित प्राचीन जैन मंदिर।
- लूणकरनसर - खारे पानी की झील।
- गजनेर अभयारण्य - बटबट(इम्पीरियल सेंडगाउज, रेत का तीतर) पक्षी तथा जंगली सुअर के लिये प्रसिद्ध है।
- सभ्यताएँ:
- सोथी, पूंगल, डाडाथोरा प्राचिन सभ्यताएँ बीकानेर में है।
- ऊँट अनुसंधान केंद्र:
- बीकानेर में हर साल जनवरी में ऊँट महोत्सव का आयोजन होता है।
- दुनियाँ का सबसे बड़ा ऊँट अनुसंधान और प्रजनन केंद्र बीकानेर (1984) में है।