मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने छोड़ी विधानपरिषद की सदस्यता | उत्तर प्रदेश | 23 Mar 2022
चर्चा में क्यों?
21 मार्च, 2022 को उत्तर प्रदेश के निवर्तमान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपनी विधानपरिषद की सदस्यता से त्यागपत्र दे दिया।
प्रमुख बिंदु
- मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा यह त्यागपत्र हाल ही में संपन्न हुए विधानसभा चुनावों में गोरखपुर (शहरी) सीट से निर्वाचित होने के पश्चात् दिया गया है।
- हाल ही में संपन्न चुनावों में भाजपा के 255 सीटें जीतने से आदित्यनाथ पिछले 37 वर्षों में उत्तर प्रदेश में एक कार्यकाल पूरा करने के बाद दोबारा सत्तारूढ़ होने वाले पहले मुख्यमंत्री होंगे। इसके लिये 25 मार्च को वे मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेंगे।
- उल्लेखनीय है कि योगी आदित्यनाथ पिछले दो दशकों में ऐसे पहले मुख्यमंत्री होंगे, जो विधानसभा के सदस्य होगे, न कि विधानपरिषद के। विधानसभा सदस्यता वाले उत्तर प्रदेश के अंतिम मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव थे, जब उन्होंने वर्ष 2003 में गुन्नौर सीट से चुनाव जीता था।
बिहार दिवस | बिहार | 23 Mar 2022
चर्चा में क्यों?
22 मार्च, 2022 को बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राज्य के 110वें स्थापना दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित समारोह का पटना के गांधी मैदान में उद्घाटन किया।
प्रमुख बिंदु
- इस अवसर पर पाँच सौ ड्रोन की सहायता से लेज़र शो का आयोजन किया गया, जिसमें पहले बिहार के मानचित्र को, तत्पश्चात् बिहार की सांस्कृतिक गौरव गाथा को प्रदर्शित किया गया। साथ ही पर्यावरण संरक्षण और नशा मुक्ति का संदेश भी दिया गया।
- गौरतलब है कि 22 मार्च, 1912 को अंग्रेज़ों ने बंगाल से पृथक् एक नए प्रांत ‘बिहार’का गठन किया था।
- वर्ष 1905 में लागू किये गए बंगाल विभाजन के विरुद्ध चलाए गए स्वदेशी आंदोलन के परिणामस्वरूप बंगाल विभाजन को रद्द करने के साथ ही बिहार एवं असम का गठन किया गया था।
- वर्ष 2000 में बिहार से पृथक् एक नए राज्य ‘झारखंड’की स्थापना की गई।
आज़ादी का अमृत महोत्सव के आयोजन में देश में चौथे पायदान पर पहुँचा राजस्थान | राजस्थान | 23 Mar 2022
चर्चा में क्यों?
22 मार्च, 2022 को आज़ादी का अमृत महोत्सव के तहत आयोजित किये जा रहे कार्यक्रमों को संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार के पोर्टल पर अपलोड करने के मामले में राजस्थान ने देश के विभिन्न राज्यों के मध्य चौथा स्थान अर्जित कर लिया है।
प्रमुख बिंदु
- देश भर में मनाई जा रही भारत की स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगाँठ के अवसर पर भारत के विभिन्न राज्यों में आयोजित किये जा रहे कार्यक्रम संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार के पोर्टल पर नियमित रूप से अपलोड किये जाते हैं।
- राजस्थान में 12 मार्च को दांडी मार्च की वर्षगाँठ पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा आज़ादी का अमृत महोत्सव की शुरुआत की गई थी। इसके बाद से विभाग द्वारा आयोजित कार्यक्रमों को भारत सरकार के इस हेतु बनाए गए पोर्टल पर अपलोड किया जाता रहा है।
- आज से लगभग 15 दिवस पूर्व राजस्थान देश में 20वें नंबर पर था। 22 मार्च तक 431 कार्यक्रमों को अपलोड कर राजस्थान भारत के विभिन्न राज्यों के मध्य चौथे स्थान पर पहुँच गया है।
- आज़ादी का अमृत महोत्सव के आयोजन हेतु कला, साहित्य, संस्कृति एवं पुरातत्त्व विभाग नोडल विभाग है तथा संपूर्ण प्रदेश में विभिन्न विभागों एवं ज़िलों के समन्वय तथा सहयोग से राजस्थान में उक्त आयोजन को ऐतिहासिक बनाए जाने हेतु निरंतर प्रयासरत् है।
‘आदि बाज़ार’ का भोपाल हाट में उद्घाटन | मध्य प्रदेश | 23 Mar 2022
चर्चा में क्यों?
21 मार्च, 2022 को ट्राइफेड के अध्यक्ष रामसिंह राठवा ने भोपाल के भोपाल हाट में जैविक जनजातीय उत्पादों और दस्तकारी के सामानों की जीवंत प्रदर्शनी ‘आदि बाज़ार’का वर्चुअल माध्यम से उद्घाटन किया।
प्रमुख बिंदु
- यह प्रदर्शनी 21 मार्च से 30 मार्च, 2022 तक चलेगी। इसमें देश के 15 राज्यों का प्रतिनिधित्व करने वाले 70 से अधिक स्टॉल होंगे।
- जनजातीय जीवन के मूल लोकाचार का प्रतिनिधित्व करते हुए 10 दिनों तक चलने वाले इस उत्सव में देश के 15 राज्यों के जनजातीय हस्तशिल्प, कला, पेंटिंग, कपड़े, आभूषणों की प्रदर्शनी-सह-बिक्री होती है।
- जनजातीय कला और शिल्प की प्रदर्शनी ‘आदि बाज़ार’का आयोजन जनजातीय सहकारी विपणन विकास संघ लिमिटेड (ट्राइफेड) एवं जनजातीय कार्य मंत्रालय के संयुक्त तत्वावधान में किया जा रहा है।
- ये आदि बाज़ार वंचित जनजातीय लोगों की आजीविका में सुधार के लिये ट्राइफेड के संगठित प्रयासों का एक हिस्सा है, जो पिछले दो वर्षों में सबसे ज़्यादा प्रभावित हुए हैं।
- आदि बाज़ार में ट्राइब्स इंडिया और जनजातीय कारीगरों द्वारा प्रस्तुत किये जाने वाले उत्पाद, जैसे- मध्य प्रदेश की प्रसिद्ध माहेश्वरी साड़ियाँ, लद्दाख और हिमाचल प्रदेश के गर्म ऊनी कपड़े, तमिलनाडु के जनजातीय लोगों द्वारा खरीदी गई प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने वाली विभिन्न जड़ी-बूटियाँ और मसाले, उत्तर-पूर्वी भारत के विशेष शहद और जैविक उत्पाद, प्रतिष्ठित टोडा कढ़ाई से लेकर असम के मोगा रेशम और नागालैंड की काली मिट्टी के बर्तन तक उपलब्ध हैं।
हरियाणा गैर-कानूनी धर्मांतरण रोकथाम विधेयक, 2022 पारित | हरियाणा | 23 Mar 2022
चर्चा में क्यों?
22 मार्च, 2022 को हरियाणा विधानसभा ने बल, अनुचित प्रभाव अथवा लालच के ज़रिये धर्मातरण कराने के खिलाफ हरियाणा गैर-कानूनी धर्मांतरण रोकथाम विधेयक, 2022 (Haryana Prevention of Unlawful Conversions Bill, 2022) पारित किया।
प्रमुख बिंदु
- इसके साथ ही हरियाणा धर्मांतरण विधेयक पारित करने वाला देश का चौथा राज्य बन गया है। इसी तरह के विधेयक हाल में मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और हिमाचल प्रदेश में पारित किये गए थे।
- उल्लेखनीय है कि 4 मार्च, 2022 को हरियाणा विधानसभा में हरियाणा गैर-कानूनी धर्मांतरण रोकथाम विधेयक, 2022 पेश किया गया था।
- हरियाणा गैर-कानूनी धर्मांतरण रोकथाम विधेयक, 2022 के तहत किया गया प्रत्येक अपराध संज्ञेय और गैर-जमानती होगा।
- इस विधेयक के अनुसार, डिजिटल माध्यम का उपयोग समेत अगर लालच, बल या धोखाधड़ी के ज़रिये धर्म-परिवर्तन कराया जाता है तो एक से पाँच साल की सज़ा और कम-से-कम एक लाख रुपए के जुर्माना का प्रावधान है।
- जो भी नाबालिग या महिला अथवा अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति के व्यक्ति का धर्म-परिवर्तन कराता है या इसका प्रयास करता है तो उसे कम-से-कम चार साल जेल की सज़ा मिलेगी, जिसे बढ़ाकर 10 साल और कम-से-कम तीन लाख रुपए का जुर्माना किया जा सकता है।
- शादी के इरादे से अपना धर्म छुपाने पर कम-से-कम तीन साल की सज़ा का प्रावधान है, जिसे बढ़ाकर 10 साल तक किया जा सकता है। इसी तरह शादी करने का दोषी पाए जाने वाले को कम-से-कम तीन लाख रुपए का जुर्माना भुगतना होगा।
- विधेयक के मुताबिक, सामूहिक धर्मांतरण की सूरत में कम-से-कम पाँच साल की सज़ा होगी, जोकि बढ़ाकर 10 साल तक की जा सकती है तथा कम-से-कम चार लाख रुपए का जुर्माना किया जाएगा। वहीं जबरन धर्मांतरण साबित होने पर अधिकतम दस साल कैद व न्यूनतम पाँच लाख रुपए का जुर्माना होगा।
स्थानीय नीति को लेकर प्रदर्शन | झारखंड | 23 Mar 2022
चर्चा में क्यों?
21 मार्च, 2022 को ब्रिटिश हुकूमत के दौरान सन् 1932 में कराए गए भूमि सर्वे के आधार पर स्थानीय नीति (डोमिसाइल पॉलिसी) तय करने के मुद्दे पर आदिवासी-मूलवासी संगठनों से जुड़े हज़ारों युवाओं ने राँची में प्रदर्शन किया।
प्रमुख बिंदु
- आंदोलनकारियों का कहना है कि अलग झारखंड राज्य का निर्माण इस उद्देश्य के तहत हुआ था कि यहाँ के आदिवासियों और मूल निवासियों को सरकारी नौकरियों, संसाधनों और सुविधाओं में प्राथमिकता मिलेगी। किंतु, झारखंड बनने के लगभग दो दशक बाद भी ऐसा नहीं हो पा रहा है, क्योंकि यहाँ के संसाधनों और नौकरियों में दूसरे प्रदेशों से झारखंड में आकर बसे लोगों का प्रभुत्व कायम हो गया है।
- इस आधार पर ही यह मांग हो रही है कि झारखंड का ‘स्थानीय व्यक्ति’(डोमिसाइल) सिर्फ उन लोगों को माना जाए, जिनके पास यह प्रमाण हो कि उनके पूर्वजों के नाम 1932 में ज़मीन संबंधी सर्वे के कागज़ात (खतियान) में शामिल हैं।
- गौरतलब है कि 2016 में झारखंड के तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुवर दास के कार्यकाल में परिभाषित स्थानीय नीति के अनुसार वर्ष 1985 से झारखंड में रहने वाले लोगों को झारखंड का स्थानीय निवासी माना गया है, किंतु वर्तमान सरकार ने इस नीति को व्यावहारिक तौर पर निष्प्रभावी कर दिया है।
- इस संदर्भ में बजट सत्र के दौरान पूछे गए सवाल पर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि 1932 के खतियान के आधार पर पूर्व में बाबूलाल मरांडी की सरकार द्वारा बनाई गई नीति को हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया था, इसलिये इस मामले में वैधानिक परामर्श के बाद ही उनकी सरकार निर्णय लेगी।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने सी-मार्ट के लोगो का किया विमोचन | छत्तीसगढ़ | 23 Mar 2022
चर्चा में क्यों?
22 मार्च, 2022 को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने विधानसभा परिसर में सी-मार्ट के लोगो का विमोचन किया। यह लोगो कारीगरों, बुनकरों, शिल्पकारों, कुम्हारों और अन्य पारंपरिक कलाकारों के कामों को एक उत्सव की तरह प्रतिबिंबित करता है।
प्रमुख बिंदु
- लोगो में साल वृक्ष के नीचे आदिवासियों के पारंपरिक हाट-बाज़ार को प्रदर्शित किया गया है, भारतीय गाँवों और कस्बों में मुक्ताकाश बाज़ार ही स्थानीय लोगों का विनिमय केंद्र होता है।
- धान की बालियों के माध्यम से छत्तीसगढ़ में चावल उत्पादन की प्रचुरता पर प्रकाश डाला गया है। छत्तीसगढ़ प्रदेश भारत के तीन प्रमुख धान उत्पादक राज्यों में से एक है।
- मटमैले मैरून और हरे रंग के माध्यम से छत्तीसगढ़ की आदिवासी महिलाओं के पारंपरिक परिधानों को दर्शाया गया है।
- उल्लेखनीय है कि राज्य सरकार द्वारा ग्रामीण अर्थव्यवस्था के तेज़ी से विकास के लिये गाँवों में तैयार उत्पादों को शहरों के मार्केट से जोड़ने की नई पहल की गई है।
- राज्य सरकार के विभिन्न विभागों की योजनाओं के अंतर्गत महिला स्व-सहायता समूहों, शिल्पियों, बुनकरों, दस्तकारों, कुंभकारों अथवा अन्य पारंपरिक एवं कुटीर उद्योगों द्वारा निर्मित उत्पादों का समुचित मूल्य सुनिश्चित करने हेतु इनकी व्यावसायिक ढंग से मार्केटिंग के लिये शहरों में आधुनिक शोरूम की तरह सी-मार्ट स्थापित किया जा रहा है।
- इसके लिये प्रथम चरण में सभी ज़िला मुख्यालयों में नगर निगमों की स्थिति में 8 से 10 हज़ार वर्गफीट तथा नगर पालिकाओं की स्थिति में 6 से 8 हज़ार वर्गफीट में आधुनिक शोरूम की तरह सी-मार्ट की स्थापना की जा रही है।
- सी-मार्ट की स्थापना से इन सभी वर्गों के उद्यमियों को अधिकतम लाभ प्राप्त हो सकेगा। सी-मार्ट विभिन्न उद्यमियों के उत्पादों का एक ही छत के नीचे विक्रय की व्यवस्था सुनिश्चित करेगा।
झंडा मेला | उत्तराखंड | 23 Mar 2022
चर्चा में क्यों?
22 मार्च, 2022 को नए पवित्र श्रीझंडे जी के आरोहण के साथ ही देहरादून में झंडा मेले की औपचारिक शुरुआत हो गई।
प्रमुख बिंदु
- गौरतलब है कि लगभग एक महीने तक चलने वाला झंडा मेला होली के पाँच दिन बाद चैत्र कृष्ण पंचमी को दरबार साहिब में श्रीझंडे जी के आरोहण के साथ ही शुरू हो जाता है।
- देहरादून में आयोजित होने वाले श्रीझंडे जी मेले का अपना इतिहास है। इसके लिये पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश, राजस्थान सहित देश के अलग-अलग जगहों से हज़ारों की संख्या में श्रद्धालु श्री दरबार साहिब पहुँचते हैं।
- श्रीझंडे जी पर तीन तरह के गिलाफों का आवरण होता है। सबसे भीतर की ओर 41 सादे गिलाफ, मध्यभाग में शनील के 21 गिलाफ तथा सबसे बाहर की ओर 1 दर्शनी गिलाफ चढ़ाया जाता है।