बिहार Switch to English
बिहार के कॉलेजों में "प्लस टू" कक्षाएँ नहीं
चर्चा में क्यों?
हाल ही में बिहार सरकार ने राज्य के विभिन्न विश्वविद्यालयों से संबद्ध कॉलेजों में आयोजित होने वाली प्लस टू (इंटरमीडिएट) कक्षाओं को बंद करने की घोषणा की।
मुख्य बिंदु:
- अधिसूचना के मुताबिक, नए सत्र से इंटरमीडिएट की शिक्षा (तीनों संकाय- कला, विज्ञान और वाणिज्य) अब केवल उच्च माध्यमिक विद्यालयों में ही दी जाएगी।
- विश्वविद्यालय अधिनियम, 1956 में कॉलेजों से इंटरमीडिएट को अलग करने की सिफारिश की गई है, लेकिन उच्च माध्यमिक विद्यालयों में अपर्याप्त बुनियादी ढाँचे और जनशक्ति के कारण इसे अब तक लागू नहीं किया जा सका है।
- वर्ष 2007 में सरकार ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति (1986/92) के अनुरूप कॉलेजों से इंटरमीडिएट शिक्षा को चरणबद्ध तरीके से समाप्त करने का नीतिगत निर्णय लिया था और प्लस टू में 10+2 प्रारूप पेश किया था।
- एक विशेष अभियान के तहत, विभाग ने पहले ही बड़े पैमाने पर बुनियादी ढाँचे का विकास किया और उच्च माध्यमिक विद्यालयों के लिये 67,961 शिक्षकों तथा माध्यमिक विद्यालयों में 65,737 अन्य शिक्षकों की भर्ती की है।
- बिहार सरकार ने हर पंचायत में एक उच्च माध्यमिक विद्यालय खोलने का नीतिगत निर्णय लिया और मौजूदा माध्यमिक विद्यालयों को अपग्रेड किया था।
राजस्थान Switch to English
सड़क अवसंरचना के वित्तपोषण हेतु वित्तीय विकल्प
चर्चा में क्यों?
राजस्थान सरकार सड़क बुनियादी ढाँचे के विस्तार हेतु बढ़ी हुई धनराशि हासिल करने के लिये सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP) सहित कुछ नवीन वित्तीय विकल्पों पर विचार कर रही है।
मुख्य बिंदु:
- राजस्थान राज्य राजमार्गों के मामले में सातवें स्थान पर है और राष्ट्रीय राजमार्गों के मामले में देश में दूसरा सबसे बड़ा स्थान है।
- राजस्थान राज्य राजमार्ग प्राधिकरण ने बेहतर कनेक्टिविटी की आवश्यकता को पूरा करने और नवीन निवेश तथा वित्तपोषण मॉडल की सुविधा के लिये नए उपाय अपनाना शुरू कर दिया है।
- लोक निर्माण विभाग (PWD) और इंडिया इंफ्रास्ट्रक्चर फाइनेंस कंपनी लिमिटेड (IIFCL) प्रोजेक्ट्स द्वारा संयुक्त रूप से "सड़क बुनियादी ढाँचे के विकास के लिये वित्तपोषण मॉडल" पर एक कार्यशाला का आयोजन किया गया था।
- IIFCL एक अग्रणी सार्वजनिक क्षेत्र का बुनियादी ढाँचा वित्त संस्थान है, जिसने देश की राष्ट्रीय राजमार्ग क्षमता का लगभग 21% वित्त पोषित किया है, जिसमें लगभग 30,000 किमी. सड़कें शामिल हैं।
- राज्य सरकार अपने सड़क नेटवर्क को मज़बूत करने और इसे तमिलनाडु, महाराष्ट्र तथा गुजरात के समानांतर लाने के लिये IIFCL परियोजनाओं के साथ मिलकर कार्य करेगी।
सार्वजनिक-निजी भागीदारी मॉडल
- यह सार्वजनिक संपत्ति और/या सार्वजनिक सेवाओं के प्रावधान के लिये सरकार एवं निजी क्षेत्र के मध्य एक व्यवस्था है। सार्वजनिक-निजी भागीदारी बड़े पैमाने पर सरकारी परियोजनाओं, जैसे सड़कों, पुलों या अस्पतालों को निजी वित्तपोषण के साथ पूरा करने की अनुमति देती है।
- इस प्रकार की साझेदारी में, निजी क्षेत्र की संस्था द्वारा एक निर्दिष्ट अवधि के लिये निवेश किया जाता है।
- ये साझेदारियाँ तब अच्छी तरह से कार्य करती हैं जब निजी क्षेत्र की प्रौद्योगिकी और नवाचार समय पर तथा बजट के भीतर कार्य पूरा करने के लिये सार्वजनिक क्षेत्र के प्रोत्साहन के साथ जुड़ते हैं।
- चूंँकि PPP मॉडल में सेवाएँ प्रदान करने के लिये सरकार द्वारा ज़िम्मेदारी का पूर्ण प्रतिधारण शामिल है, यह निजीकरण की प्रक्रिया नहीं है।
- इसमें निजी और सार्वजनिक इकाई के मध्य जोखिम का एक सुव्यवस्थित तरीके से आवंटन होता है।
- निजी इकाई को खुली प्रतिस्पर्द्धी बोली के आधार पर चुना जाता है और वह प्रदर्शन आधारित भुगतान प्राप्त करती है।
- PPP मार्ग उन विकासशील देशों में एक विकल्प हो सकता है, जहाँ सरकारों को महत्त्वपूर्ण परियोजनाओं के लिये ऋण लेने में विभिन्न बाधाओं का सामना करना पड़ता है।
- यह बड़ी परियोजनाओं की योजना बनाने या उन्हें क्रियान्वित करने में आवश्यक विशेषज्ञता भी प्रदान कर सकता है
हरियाणा Switch to English
हरियाणा पुलिस प्रदर्शनकारी किसानों के खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा कानून लगाएगी
चर्चा में क्यों?
अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन कर रहे किसानों के साथ गतिरोध के बीच अंबाला ज़िले में हरियाणा पुलिस के अनुसार, विरोध प्रदर्शन के दौरान सरकारी और निजी संपत्ति को हुए किसी भी नुकसान की भरपाई प्रदर्शनकारियों की संपत्ति कुर्क करके तथा बैंक खाते ज़ब्त करके की जाएगी।
मुख्य बिंदु:
- दिल्ली कूच को लेकर किसानों द्वारा शंभू बॉर्डर पर लगाए गए बैरिकेड को तोड़ने की लगातार किसान संगठनों द्वारा कोशिश की जा रही है और रोज़ाना पुलिस प्रशासन पर पथराव कर अशांति फैलाकर कानून व्यवस्था को खराब करने की कोशिश की जा रही है।
- यदि आंदोलन के दौरान आंदोलनकारियों द्वारा सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुँचाया जाता है, तो लोक संपत्ति नुकसान निवारण अधिनियम, 1984 (PDPP अधिनियम) में संशोधन किया गया है।
- सर्वोच्च न्यायालय के प्रावधानों के तहत, आंदोलन के दौरान सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुँचाने वाले या आंदोलन का आह्वान करने वाले लोगों और उस संगठन के पदाधिकारियों को किसी भी नुकसान के लिये ज़िम्मेदार ठहराया जाता है।
- हरियाणा लोक प्रशासन संपत्ति वसूली अधिनियम, 2021 के अनुसार, सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुँचाने की स्थिति में, नुकसान पहुँचाने वाले व्यक्ति की संपत्ति कुर्क करके और बैंक खाते ज़ब्त करके सार्वजनिक संपत्ति के नुकसान की भरपाई करने का प्रावधान है।
- पुलिस ने किसान नेताओं के खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (NSA), 1980 की कार्रवाई की है।
लोक संपत्ति नुकसान निवारण अधिनियम, 1984
- इस अधिनियम के अनुसार, अगर कोई व्यक्ति किसी भी सार्वजनिक संपत्ति को दुर्भावनापूर्ण कृत्य द्वारा नुकसान पहुँचाता है तो उसे पाँच साल तक की जेल अथवा जुर्माना या दोनों सज़ा से दंडित किया जा सकता है। इस कानून के प्रावधानों को भारतीय दंड संहिता (IPC) के प्रावधानों के साथ जोड़ा जा सकता है।
- इस अधिनियम के अनुसार लोक संपत्तियों में निम्नलिखित को शामिल किया गया है- कोई ऐसा भवन या संपत्ति जिसका प्रयोग जल, प्रकाश, शक्ति या उर्जा के उत्पादन और वितरण में किया जाता है, तेल संबंधी प्रतिष्ठान, खान या कारखाना, सीवेज संबंधी कार्यस्थल, लोक परिवहन या दूर-संचार का कोई साधन या इस संबंध में उपयोग किया जाने वाला कोई भवन, प्रतिष्ठान तथा संपत्ति आदि।
हरियाणा लोक प्रशासन संपत्ति वसूली अधिनियम, 2021
- विधेयक में दंगों और हिंसक अव्यवस्था सहित वैध या गैरकानूनी, किसी सभा द्वारा सार्वजनिक व्यवस्था में गड़बड़ी के दौरान व्यक्तियों द्वारा की गई संपत्तियों के नुकसान की वसूली का प्रावधान है।
- यह पीड़ितों को मुआवज़ा भी सुनिश्चित करता है।
- वसूली न केवल हिंसा में शामिल लोगों से की जाएगी, बल्कि विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व करने वालों, आयोजकों, इसकी योजना में शामिल लोगों और प्रोत्साहन प्रदान करने वालों तथा प्रतिभागियों से भी की जाएगी।
- दायित्व निर्धारित करने, क्षति का आकलन करने और मुआवज़ा देने के लिये दावा न्यायाधिकरण के गठन का प्रावधान है।
राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम, 1980
- NSA सार्वजनिक व्यवस्था और राष्ट्रीय सुरक्षा को बनाए रखने के लिये वर्ष 1980 में बनाया गया एक निवारक निरोध कानून है।
- निवारक निरोध कानून भविष्य में किसी व्यक्ति को अपराध करने से रोकने और/या भविष्य में अभियोजन से बचने के लिये उसे हिरासत में लेना है।
- संविधान का अनुच्छेद 22 (3) (b) राज्य को सुरक्षा और सार्वजनिक व्यवस्था के कारणों से निवारक निरोध तथा व्यक्तिगत स्वतंत्रता पर प्रतिबंध की अनुमति देता है।
- अनुच्छेद 22(4) में कहा गया है कि निवारक नज़रबंदी का प्रावधान करने वाला कोई भी कानून किसी व्यक्ति को तीन महीने से अधिक की अवधि के लिये हिरासत में रखने का अधिकार नहीं देगा।
- यह अधिनियम एक राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के गठन का भी प्रावधान करता है, जो राष्ट्रीय सुरक्षा से संबंधित मामलों पर प्रधानमंत्री को सलाह देती है।
मध्य प्रदेश Switch to English
मध्य प्रदेश ने 'बैग लेस स्कूल' पहल शुरू की
चर्चा में क्यों?
मध्य प्रदेश सरकार ने आगामी शैक्षणिक सत्र 2024-25 से कक्षा 1 से 12 तक के छात्रों के लिये सप्ताह में एक बार 'बैग लेस स्कूल' दिवस की घोषणा की है। यह निर्णय राज्य में संचालित सभी सरकारी और निजी स्कूलों पर लागू होता है।
मुख्य बिंदु:
- राज्य सरकार ने छात्रों पर बोझ कम करने के उद्देश्य से विभिन्न कक्षाओं के लिये स्कूल बैग के अधिकतम स्वीकार्य वज़न की रूपरेखा बताते हुए एक नोटिस जारी किया है।
- कक्षा 11 और 12 के छात्रों के लिये स्कूल बैग का वज़न स्कूल प्रबंधन समिति द्वारा छात्रों की संबंधित स्ट्रीम के आधार पर निर्धारित किया जाएगा।
- इस पहल में प्रत्येक सप्ताह एक निर्दिष्ट 'बैग लेस स्कूल' दिवस शामिल है, जिसके दौरान छात्रों को खेल, सांस्कृतिक कार्यक्रम और संगीत जैसी मनोरंजक गतिविधियों में शामिल होने के लिये प्रोत्साहित किया जाता है।
- इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि स्कूल को छात्रों के लिये तनाव का स्रोत नहीं बल्कि आनंद का स्रोत माना जाए।
- स्कूलों को वर्ष 2024-25 में शैक्षणिक सत्र की शुरुआत से नई स्कूल बैग नीति का पालन करने के सख्त निर्देश जारी किये गए हैं।
उत्तराखंड Switch to English
उत्तराखंड पेश करेगा 90,000 करोड़ का बजट
चर्चा में क्यों?
हाल ही में उत्तराखंड कैबिनेट ने विधानसभा सत्र में 90,000 करोड़ रुपए का वार्षिक बजट पेश करने के प्रस्ताव को मंज़ूरी दी।
मुख्य बिंदु:
- राज्य विधानसभा में पेश किये जाने वाले संशोधन इस प्रकार हैं:
- कैबिनेट ने बाल श्रम, नकली नोट और मानव तस्करी को गैंगस्टर एक्ट, 1986 के दायरे में शामिल करने का फैसला किया है।
- जमरानी बांध और सोंग बांध परियोजना को मंज़ूरी दे दी गई और उन नदियों के जलग्रहण क्षेत्रों में बोरिंग करना प्रतिबंधित कर दिया गया है जहाँ से पीने के पानी का उपयोग किया जा रहा है।
- सभी 13 ज़िलों में छात्रों के लिये मोबाइल लैब वैन को मंज़ूरी।
- केदारनाथ और बद्रीनाथ में अस्पतालों के लिये उपकरण खरीदने का प्रस्ताव।
- रियल एस्टेट में दो संशोधनों को मंज़ूरी दी गई:
- आवास विभाग के तहत विनियमन और विकास अधिनियम 2016 तथा आर्थिक रूप से कमज़ोर वर्ग (EWS) आवास परियोजनाओं का निर्माण।
- शिक्षा विभाग के तहत कैबिनेट ने इन्हें भी दी मंज़ूरी:
- एक प्रस्ताव में कहा गया है कि यदि किसी विश्वविद्यालय में कुलपति (VC) का पद खाली हो जाता है, तो छह महीने की अवधि के लिये दूसरे विश्वविद्यालय के VC को अतिरिक्त प्रभार दिया जा सकता है।
- शिक्षा विभाग में कला शिक्षकों के लिये बीएड अनिवार्य कर दिया गया है और संगीत शिक्षकों के लिये संगीत प्रभाकर डिग्री की अवधि पाँच से बढ़ाकर छह वर्ष कर दी गई है।
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