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उत्तराखंड स्टेट पी.सी.एस.

  • 23 Feb 2023
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उत्तराखंड के दो सिपाहियों को मिला प्रधानमंत्री जीवन रक्षा पदक

चर्चा में क्यों?

22 फरवरी, 2023 को मीडिया से मिली जानकारी के अनुसार उत्तराखंड पुलिस के दो सिपाहियों फैज़ान अली और राजेश कुँवर को प्रधानमंत्री रक्षा पुलिस पदक से नवाज़ा गया है। उन्हें यह पदक मध्य प्रदेश के राज्यपाल मंगूभाई पटेल के हाथों से दिया गया।

प्रमुख बिंदु 

  • दोनों सिपाहियों ने वर्ष 2019 में रायपुर स्थित एक घर में पार्क कार में आग लगने से फँसे परिवार के छह लोगों को बचाया था।
  • राज्य के डीजीपी अशोक कुमार ने बताया कि 13 से 17 फरवरी तक मध्य प्रदेश के भोपाल में ऑल इंडिया पुलिस ड्यूटी मीट का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम के दौरान ही दोनों सिपाहियों को पदक देने की घोषणा की गई थी।
  • उल्लेखनीय है कि 5 जुलाई, 2019 की रात देहरादून के रायपुर थाना क्षेत्र के दशमेश विहार कॉलोनी के एक घर पर कार में आग लग गई थी। सूचना पर चीता ड्यूटी में नियुक्त कांस्टेबल फैज़ान अली और कांस्टेबल राजेश कुँवर तत्काल वहाँ पहुँचे। कांस्टेबल फैज़ान और राजेश ने जान की परवाह किये बिना अपनी सूझबूझ से छह लोगों की जिंदगी बचाई।

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अनमैंड ट्रैफिक मैनेजमेंट सॉफ्टवेयर

चर्चा में क्यों?

22 फरवरी, 2023 को उत्तराखंड के पुलिस संचार एडीजी अमित सिन्हा ने बताया कि प्रदेश में उड़ने वाला हर ड्रोन अब पुलिस की नज़रों के सामने रहेगा। इसके लिये पुलिस अब अनमैंड ट्रैफिक मैनेजमेंट (यूटीएम) सॉफ्टवेयर तैयार करा रही है।

प्रमुख बिंदु 

  • पुलिस संचार एडीजी अमित सिन्हा ने बताया कि अनमैंड ट्रैफिक मैनेजमेंट (यूटीएम) सॉफ्टवेयर तैयार करने के लिये दिल्ली की एक कंपनी से करार किया जा रहा है। इस सॉफ्टवेयर पर प्रत्येक ड्रोन संचालकों को रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य होगा। पुलिस इस सॉफ्टवेयर का अगले सप्ताह ट्रायल करेगी।
  • दिल्ली की यह कंपनी पुलिस के लिये यूटीएम सॉफ्टवेयर विकसित कर रही है। इस पर हर ड्रोन को पंजीकृत किया जाएगा। इससे टेक ऑफ होने से लेकर रूट और लैंडिंग तक की लाइव लोकेशन पता चल जाएगी। यदि कोई ड्रोन बिना पंजीकरण उड़ाया जा रहा है तो उसे जैमर से जाम भी कर दिया जाएगा। इस सॉफ्टवेयर पर मालवाहक ड्रोन से लेकर शौकिया ड्रोन उड़ाने वालों को भी पंजीकरण कराना अनिवार्य होगा।
  • गौरतलब है कि प्रदेश में अभी तक कौन, कहाँ और क्यों ड्रोन उड़ा रहा है, इस पर नज़र रखने के लिये पुलिस के पास कोई तंत्र नहीं है, जबकि, प्रदेश के कई हिस्सों में छोटे मालवाहक ड्रोन भी उड़ाए जा रहे हैं। इनसे दवाएँ, ब्लड सैंपल और तमाम तरह की सामग्रियों को दूर-दराज के इलाकों में पहुँचाया जा रहा है। ऐसे में कुछ असामाजिक तत्त्व इसका गलत फायदा भी उठा सकते हैं।
  • वर्तमान में डीजीसीए ने ड्रोन के लिये यूनिक आईडेंटिफिकेशन नंबर (यूआईएन) जरूरी कर दिया है। अब हर ड्रोन का यूआईएन नंबर जारी होता है। पुलिस यह नंबर अपने सॉफ्टवेयर में फीड करेगी। इसके माध्यम से पुलिस को उसकी लोकेशन का पता चल सकेगा। पुलिस का यह सॉफ्टवेयर नो परमिशन नो टेकऑफ के आधार पर काम करेगा।
  • पिछले साल तक आने वाले ड्रोन में यूआईएन नहीं होता था। इसमें आरआईडी (रिमोट आईडेंटिफिकेशन) होता था। आरआईडी रजिस्टर्ड करने के साथ-साथ पुलिस इन ड्रोन में विशेष चिप लगाएगी। यह चिप लोकेशन बताने के लिये लगाई जाएगी।

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