उत्तर प्रदेश Switch to English
बच्चा गोद लेने के लिये मैरिज सर्टिफिकेट की आवश्यकता नहीं
चर्चा में क्यों?
हाल ही में इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने कहा कि बच्चा गोद लेने के लिये विवाह प्रमाण-पत्र अनिवार्य शर्त नहीं है।
प्रमुख बिंदु
- न्यायालय ने यह टिप्पणी ट्रांसजेंडर रीना किन्नर और उनके पति द्वारा दायर की गई एक रिट पर सुनवाई करते हुए की, जिसमें बच्चे को गोद लेने की मांग की गई थी।
- हिंदू दत्तक और भरण-पोषण अधिनियम, 1956 के अनुसार, एकल माता-पिता भी एक बच्चे को गोद ले सकते हैं।
- गौरतलब है कि मद्रास हाईकोर्ट ने वर्ष 2019 में एक निर्णय में कहा था कि हिंदू विवाह अधिनियम के तहत ‘दुल्हन’ शब्द के अंतर्गत ऐसे ट्रांसजेंडर और इंटरसेक्स व्यक्ति शामिल है, जो स्वयं की एक महिला के रूप में पहचान कराते हैं।
- ट्रांसजेंडर के कल्याण तथा उनके विरुद्ध होने वाले भेदभाव को समाप्त करने के लिये संसद द्वारा वर्ष 2019 में ट्रांसजेंडर व्यक्ति (अधिकारों का संरक्षण) अधिनियम, 2019 को पारित किया गया था। इसमें ट्रांसजेंडर व्यक्ति के साथ होने वाले भेदभाव को पूरी तरह से प्रतिबंधित किया गया है, जिसमें निम्नलिखित के संबंध में सेवा प्रदान करने से इनकार करना या अनुचित व्यवहार करना शामिल हैं- (1) शिक्षा (2) रोज़गार (3) स्वास्थ्य सेवा (4) सार्वजनिक स्तर पर उपलब्ध उत्पादों, सुविधाओं और अवसरों तक पहुँच एवं उनका उपभोग (5) कहीं आने-जाने का अधिकार (6) किसी मकान में निवास करने, उसे किराये पर लेने और स्वामित्व हासिल करने का अधिकार (7) सार्वजनिक या निजी पद ग्रहण करने का अवसर।
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