बच्चा गोद लेने के लिये मैरिज सर्टिफिकेट की आवश्यकता नहीं | उत्तर प्रदेश | 23 Feb 2022
चर्चा में क्यों?
हाल ही में इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने कहा कि बच्चा गोद लेने के लिये विवाह प्रमाण-पत्र अनिवार्य शर्त नहीं है।
प्रमुख बिंदु
- न्यायालय ने यह टिप्पणी ट्रांसजेंडर रीना किन्नर और उनके पति द्वारा दायर की गई एक रिट पर सुनवाई करते हुए की, जिसमें बच्चे को गोद लेने की मांग की गई थी।
- हिंदू दत्तक और भरण-पोषण अधिनियम, 1956 के अनुसार, एकल माता-पिता भी एक बच्चे को गोद ले सकते हैं।
- गौरतलब है कि मद्रास हाईकोर्ट ने वर्ष 2019 में एक निर्णय में कहा था कि हिंदू विवाह अधिनियम के तहत ‘दुल्हन’ शब्द के अंतर्गत ऐसे ट्रांसजेंडर और इंटरसेक्स व्यक्ति शामिल है, जो स्वयं की एक महिला के रूप में पहचान कराते हैं।
- ट्रांसजेंडर के कल्याण तथा उनके विरुद्ध होने वाले भेदभाव को समाप्त करने के लिये संसद द्वारा वर्ष 2019 में ट्रांसजेंडर व्यक्ति (अधिकारों का संरक्षण) अधिनियम, 2019 को पारित किया गया था। इसमें ट्रांसजेंडर व्यक्ति के साथ होने वाले भेदभाव को पूरी तरह से प्रतिबंधित किया गया है, जिसमें निम्नलिखित के संबंध में सेवा प्रदान करने से इनकार करना या अनुचित व्यवहार करना शामिल हैं- (1) शिक्षा (2) रोज़गार (3) स्वास्थ्य सेवा (4) सार्वजनिक स्तर पर उपलब्ध उत्पादों, सुविधाओं और अवसरों तक पहुँच एवं उनका उपभोग (5) कहीं आने-जाने का अधिकार (6) किसी मकान में निवास करने, उसे किराये पर लेने और स्वामित्व हासिल करने का अधिकार (7) सार्वजनिक या निजी पद ग्रहण करने का अवसर।
स्वाइन फीवर | बिहार | 23 Feb 2022
चर्चा में क्यों?
हाल ही में बिहार के सारण ज़िले में एक हज़ार से अधिक सूअरों की मृत्यु हो गई है, जिसके लिये प्रथमदृष्टया स्वाइन फीवर को उत्तरदायी माना जा रहा है।
प्रमुख बिंदु
गौरतलब है कि स्वाइन फीवर एक संक्रामक पशु रोग है। इसके मुख्यत: दो प्रकार होते हैं-
- अफ्रीकन स्वाइन फीवर (ASF)
- यह एक अत्यधिक संक्रामक और घातक पशु रोग है, जो घरेलू और जंगली सूअरों को संक्रमित करता है तथा रक्तस्रावी बुखार का एक तीव्र रूप धारण कर लेता है।
- ASF मनुष्यों के लिये खतरा नहीं है, क्योंकि यह सिर्फ एक जानवर से दूसरे जानवर में फैलता है।
- क्लासिकल स्वाइन फीवर (CSF)
- सीएसएफ को हॉग हैज़ा के नाम से भी जाना जाता है।
- यह फ्लेविविरिडे परिवार के जीनस पेस्टीवायरस के वायरस के कारण होता है, जो उन वायरस से निकटता से संबंधित है, जो मवेशियों में गोजातीय वायरल दस्त और भेड़ में बॉर्डर रोग का कारण बनते हैं।
- ICAR-IVRI ने विदेशी स्ट्रेन से लैपिनाइज्ड वैक्सीन वायरस का उपयोग कर एक सेल कल्चर सीएसएफ वैक्सीन (लाइव एटेंयूएटेड) विकसित किया है।
विधानसभा का आईओएस मोबाइल ऐप लॉन्च | राजस्थान | 23 Feb 2022
चर्चा में क्यों?
22 फरवरी, 2022 को राजस्थान विधानसभा के सचिव महावीर प्रसाद शर्मा ने विधानसभा में विधानसभा का आईओएस (आईफोन ऑपरेटिंग सिस्टम) आधारित मोबाइल ऐप लॉन्च किया।
प्रमुख बिंदु
- विधानसभा के सचिव ने बताया कि इस नवीनतम तकनीक में अग्रणी राजस्थान विधानसभा द्वारा राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र के सहयोग से विकसित इस ऐप में विधानसभा के कार्य से संबंधित नवीनतम जानकारी उपलब्ध रहेगी।
- इस ऐप में प्रश्न, प्रस्ताव, विधेयक, कार्यसूची, सत्र समीक्षा, बजट भाषण, राज्यपाल महोदय के अभिभाषण, सदन की कार्यवाही के विवरण सहित विधानसभा के सदस्यों के उपयोग हेतु प्रक्रिया तथा कार्य संचालन नियमावली व समाचार कतरनें भी उपलब्ध रहेंगी। इस ऐप में महत्त्वपूर्ण व्यक्तियों के जीवन परिचय भी उपलब्ध होंगे।
- उल्लेखनीय है कि विधानसभा का एंड्राइड आधारित मोबाइल ऐप पूर्व में संचालित है। आईफोन ऑपरेटिंग सिस्टम उपकरण धारक उपयोगकर्त्ताओं की सुविधा के लिये यह ऐप जारी किया गया है।
‘वैद्य आपके द्वार’ टेलीमेडिसिन ऐप को मिला राष्ट्रीय स्कॉच अवार्ड | मध्य प्रदेश | 23 Feb 2022
चर्चा में क्यों?
22 फरवरी, 2022 को मध्य प्रदेश आयुष विभाग के टेलीमेडिसिन ऐप ‘आयुष क्योर’ को प्रतिष्ठित स्कॉच अवार्ड द्वारा अखिल भारतीय स्तर पर रजत पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
प्रमुख बिंदु
- ‘वैद्य आपके द्वार’ योजना में विकसित आयुष क्योर ऐप को प्रतियोगिता के विभिन्न चरणों में विषय-विशेषज्ञों तथा प्रबंधन विशेषज्ञों द्वारा सराहा गया। इसे जन-सामान्य में अधिक-से-अधिक प्रचारित करने का सुझाव भी दिया गया है।
- इस ऐप के माध्यम से नागरिक घर बैठे ही आयुष डॉक्टरों से परामर्श प्राप्त कर सकते हैं। ऐप के द्वारा ही रिपोर्ट भेजने तथा उपचार संबंधी दिशा-निर्देश प्राप्त करने की सुविधा भी उपलब्ध कराई गई है।
- मध्य प्रदेश में अब तक 37 हज़ार से ज़्यादा यूज़र द्वारा आयुष क्योर ऐप डाउनलोड किया जा चुका है। ऐप पर बुकिंग करने वालों में से 88 प्रतिशत लोगों ने चिकित्सकीय परामर्श प्राप्त किया है।
- आयुष विभाग द्वारा शुरू की गई ‘वैद्य आपके द्वार’ योजना के ज़रिये घर-बैठे आयुष चिकित्सा विशेषज्ञ से लाइव वीडियो कॉल द्वारा नि:शुल्क चिकित्सा परामर्श लिया जा रहा है।
- इस योजना में आयुष की तीनों विधाओं- आयुर्वेद, होम्योपैथी और यूनानी का लाभ लिया जा सकता है।
- आयुष विभाग ने सामान्य जन को आयुष स्वास्थ्य सेवा सहजता से घर पर उपलब्ध कराने के मकसद से इस योजना को टेलीमेडिसिन ऐप से उपलब्ध कराया है।
विशेष प्रोत्साहन पैकेज में अब प्लास्टिक एवं टेक्सटाइल्स उद्योग भी शामिल | छत्तीसगढ़ | 23 Feb 2022
चर्चा में क्यों?
हाल में ही मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की अध्यक्षता में हुई मंत्रिपरिषद की बैठक में राज्य में असीम संभावनाओं को ध्यान में रखते हुए प्लास्टिक और टेक्सटाइल क्षेत्र के दो उद्योगों को विशेष निवेश प्रोत्साहन पैकेज दिये जाने का अनुमोदन किया गया।
प्रमुख बिंदु
- जिन दो उद्योगों को विशेष प्रोत्साहन पैकेज देने का अनुमोदन किया गया है उनमें प्लास्टिक गुड्स मैन्युफेक्चरिंग प्लांट एवं नॉनओवन इंटरलाइनिंग फैब्रिक उद्योग शामिल हैं।
- प्लास्टिक गुड्स मैन्युफेक्चरिंग प्लांट लगाने के लिये मेसर्स वीटेक प्लास्टिक प्राइवेट लिमिटेड रायपुर के साथ 107.73 करोड़ रुपए का एमओयू किया गया है, जिसमें लगभग 200 लोगों को रोज़गार मिलेगा।
- इसी प्रकार मेसर्स एसबीटी टेक्सटाइल्स प्राइवेट लिमिटेड रायपुर के द्वारा नॉनओवन इंटरलाइनिंग फैब्रिक उद्योग लगाने के लिये 22.15 करोड़ रुपए का एमओयू किया गया है। इस टेक्सटाइल्स उद्योग की स्थापना से लगभग 220 लोगों को रोज़गार मिलेगा।
- ‘बी स्पोक पॉलिसी’ के तहत विशेष प्रोत्साहन पैकेज में राज्य के कोर सेक्टर के लौह-इस्पात, सीमेंट एवं बिज़ली के उद्योगों को पहले ही शामिल कर लिया गया है।
- ‘बी-स्पोक पॉलिसी’ के तहत प्लास्टिक और टेक्सटाइल के दो उद्योगों के लगने से राज्य में लगभग 400 लोगों को रोज़गार मिलेगा। इस पॉलिसी के तहत स्पंज आयरन एवं स्टील सेक्टर के उद्योग के लिये क्षेत्रवार छूट की सीमा 60 प्रतिशत से 150 प्रतिशत तक दी गई है।
ई-पास के ज़रिये अब खाद्यान्न का वितरण | छत्तीसगढ़ | 23 Feb 2022
चर्चा में क्यों?
हाल ही में छत्तीसगढ़ के खाद्य नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण विभाग द्वारा प्रदेश के सभी कलेक्टरों को पत्र जारी करते हुए कहा गया है कि छत्तीसगढ़ शासन द्वारा संचालित उचित मूल्य की दुकानों में मार्च महीने से ई-पास के ज़रिये खाद्यान्न वितरण किया जाएगा।
प्रमुख बिंदु
- विभाग ने माह फरवरी का खाद्यान्न वितरण ई-पास उपकरण के साथ-साथ टैबलेट के माध्यम से भी किये जाने के निर्देश दिये हैं।
- ज्ञातव्य है कि राज्य में 13 हज़ार 294 शासकीय उचित मूल्य की दुकानें संचालित की जा रही हैं, जिनमें 12 हज़ार 322 शासकीय उचित मूल्य की दुकानों में ई-पास उपकरण स्थापित किया जा चुका है।
- इन दुकानों में माह मार्च 2022 से खाद्यान्न का वितरण टेबलेट की जगह ई-पास उपकरण के माध्यम से किया जाएगा। शेष 972 उचित मूल्य की दुकानों में ई-पास उपकरण स्थापित होने तक टैबलेट के माध्यम से खाद्यान्न का वितरण किया जा सकेगा।
- प्रदेश के नारायणपुर, बीजापुर, सुकमा एवं दंतेवाड़ा ज़िले को छोड़कर शेष 24 ज़िलों की ई-पास स्थापित 12 हज़ार 322 उचित मूल्य दुकानों के राशन कार्डधारियों को इन ज़िलों में अपनी पसंद की उचित मूल्य दुकान से राशन सामग्री प्राप्त करने की सुविधा उपलब्ध हो जाएगी।
- ऐसे राशन कार्डधारी, जिनमें किसी भी सदस्य का आधार नंबर सत्यापित नहीं अथवा अप्राप्त है, उनके आधार नंबर की जानकारी तत्काल प्राप्त कर विभागीय वेबसाइट में दर्ज कराने के निर्देश दिये गए हैं।
- ऐसे राशन कार्डधारी, जिनमें किसी भी सदस्य का आधार सत्यापित है, परंतु ई-पास उपकरण के माध्यम से आधार प्रमाणीकरण असफल हो रहा है, ऐसे राशन कार्डधारियों को खाद्यान्न वितरण हेतु नॉमिनी (प्रतिनिधि) के निर्धारण के लिये ज़िला कलेक्टर के माध्यम से खाद्य संचालनालय को प्रस्ताव भेजने को कहा गया है। संचालनालय से अनुमति प्राप्त होने के बाद ज़िला स्तर पर खाद्य अधिकारी द्वारा अन्य हितग्राही को नॉमिनी नियुक्त करने के पश्चात् नॉमिनी के माध्यम से खाद्यान्न का वितरण किया जा सकेगा।
- नि:शक्त, 60 वर्ष से अधिक अथवा 10 वर्ष से कम आयु के राशन कार्डधारियों के लिखित आवेदन पर ज़िला स्तर पर खाद्य अधिकारी द्वारा नियुक्त हितग्राही को नॉमिनी नियुक्त कर हुए नॉमिनी के माध्यम से खाद्यान्न का वितरण किया जा सकेगा।
- सभी शासकीय उचित मूल्य की दुकानों में मासिक आवंटन के अनुसार चावल, शक्कर, चना, नमक, गुड़ एवं केरोसिन का भंडारण वितरण माह के प्रथम तारीख से पहले अनिवार्य रूप से प्रतिमाह करने को कहा गया है।
- साथ ही यह निर्देश दिया गया है कि राशन कार्डधारियों को शासकीय उचित मूल्य दुकान संचालकों द्वारा किसी भी परिस्थिति में खाद्यान्न का मैन्युअल वितरण न किया जाए।
हरिद्वार में पंचायत चुनाव पर वैधानिक संकट | उत्तराखंड | 23 Feb 2022
चर्चा में क्यों?
हाल ही में हरिद्वार ज़िले में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव को लेकर वैधानिक संकट खड़ा हो गया है। पंचायतीराज एक्ट में संशोधन के बाद प्रशासकों का कार्यकाल छह माह और बढ़ाने के बाद भी वहाँ चुनाव की स्थिति नहीं बन पा रही है। राज्य गठन के बाद त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव को लेकर ऐसी स्थिति पहली बार बनी है।
प्रमुख बिंदु
- प्रदेश में हरिद्वार ऐसा ज़िला है, जहाँ त्रिस्तरीय पंचायतों के चुनाव अन्य ज़िलों के साथ नहीं हो पाते। राज्य गठन के बाद से ही यह क्रम बना हुआ है।
- यहाँ पंचायतों का गठन अन्य ज़िलों से सालभर बाद होता है। इसी के चलते अक्टूबर 2019 में हुए पंचायत चुनावों में हरिद्वार में चुनाव नहीं हो पाए थे। हरिद्वार में पिछले पंचायत चुनाव वर्ष 2015 के आखिर में हुए थे। तब वहाँ 29 मार्च, 2016 को ग्राम पंचायतों, 16 मई को ज़िला पंचायत और 10 जून को क्षेत्र पंचायतों की पहली बैठक हुई थी। पहली बैठक के साथ ही पंचायतों का पाँच साल का कार्यकाल शुरू होता है, जो पिछले वर्ष खत्म हुआ।
- उत्तराखंड पंचायतीराज एक्ट, 2016 के अनुसार पंचायतों का कार्यकाल खत्म होने से 15 दिन पहले तक चुनाव न होने की स्थिति में उन्हें छह माह तक प्रशासकों के हवाले किया जा सकता है। इस क्रम में मार्च से हरिद्वार ज़िले में त्रिस्तरीय पंचायतों में प्रशासक नियुक्त किये गए। इस अवधि के भीतर भी चुनाव न हो पाने पर सरकार ने पंचायतीराज एक्ट में संशोधन कर प्रशासकों का कार्यकाल छह माह और आगे बढ़ाया।
- हरिद्वार की 306 ग्राम पंचायतों में प्रशासकों का कार्यकाल आगामी 29 मार्च को खत्म हो जाएगा। इस अवधि में भी चुनाव की स्थिति नहीं बन पा रही है, जिससे वैधानिक संकट खड़ा हो गया है। यद्यपि, विधानसभा चुनाव के लिये मतदान संपन्न होने के बाद शासन ने हरिद्वार में पंचायत चुनाव की प्रक्रिया शुरू करने के मद्देनज़र चुनाव आयोग से अनुमति मांगी थी, लेकिन वह उसे नहीं मिल पाई।
- राज्य के पंचायतीराज सचिव नितेश झा ने कहा कि हरिद्वार ज़िले में पंचायत चुनाव न होने से वैधानिक संकट की स्थिति उत्पन्न हो रही है। इस सिलसिले में महाधिवक्ता और न्याय विभाग से राय ली जा रही है।