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विपश्यना ध्यान
चर्चा में क्यों?
21 अक्तूबर, 2021 को बिहार विधानसभा भवन के 100 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में मनाए गए शताब्दी समारोह में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने ‘विपश्यना ध्यान’ के लिये 15 दिनों की सरकारी छुट्टी देने की घोषणा की।
प्रमुख बिंदु
- मुख्यमंत्री ने कहा कि पटना जंक्शन के पास बुद्ध स्मृति पार्क में विपश्यना केंद्र बनाया गया है। इसमें शामिल होने वाले इच्छुक सरकारी अधिकारियों और कर्मचारियों को सरकार की तरफ से 15 दिनों की छुट्टी दी जाएगी।
- बुद्ध स्मति पार्क में करुणा स्तूप और बुद्ध स्मति संग्रहालय का निर्माण कराया गया है। इसे पहले मेडिटेशन केंद्र बनाया गया था, फिर बाद में इसे विपश्यना केंद्र बनाया गया।
- इस करुणा स्तूप में पाँच देशों- जापान, म्यांमार, दक्षिण कोरिया, श्रीलंका और थाईलैंड से लाये गए भगवान बुद्ध के अवशेषों को रखा गया है। इसके अलावा दलाई लामा द्वारा लाये गए बोधिवृक्ष भी यहाँ पर लगाये गए हैं।
- इस केंद्र में 10 दिनों का रहना-खाना बिल्कुल फ्री होता है। फिलहाल बिहार के पाँच जगहों पर विपश्यना केंद्र चल रहे हैं। इनमें पटना के अलावा बोधगया, मुज़फ्फरपुर, नालंदा और वैशाली में भी सेंटर हैं।
- ‘विपश्यना’ ध्यान की सबसे प्राचीन तकनीकों में से एक है। इसका अर्थ है- चीज़ों को वैसे ही देखना, जैसे वो वास्तव में हैं। इसे ढाई हज़ार साल से भी पहले गौतम बुद्ध ने खोजा था। इसका उद्देश्य मानसिक अशुद्धियों का पूर्ण उन्मूलन और पूर्ण मुक्ति के बाद का सुख है।
- गौरतलब है कि भगवान बुद्ध ने ध्यान की ‘विपश्यना-साधना’ से बुद्धत्व प्राप्त किया था। महात्मा बुद्ध की शिक्षाओं में से एक विपश्यना भी है। विपश्यना जीवन की सच्चाई से भागने की शिक्षा नहीं देती है, बल्कि यह जीवन की सच्चाई को उसके वास्तविक रूप में स्वीकारने की प्रेरणा देती है।
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