मशहूर कॉमेडियन राजू श्रीवास्तव का 58 वर्ष की आयु में हुआ निधन | उत्तर प्रदेश | 22 Sep 2022
चर्चा में क्यों?
21 सितंबर, 2022 को मशहूर कॉमेडियन और अभिनेता राजू श्रीवास्तव का दिल्ली के AIIMS अस्पताल में 58 वर्ष की आयु में निधन हो गया। दिल्ली एम्स में उनका बीते 41 दिनों से इलाज चल रहा था, जहाँ उन्होंने उपचार के दौरान अंतिम सांस ली।
प्रमुख बिंदु
- राजू श्रीवास्तव को 10 अगस्त को जिम में ट्रेडमिल पर दौड़ते समय दिल का दौरा पड़ने के बाद नई दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में भर्ती कराया गया था। वह तब से लाइफ सपोर्ट पर थे और उनमें सुधार के कुछ लक्षण भी दिखे थे।
- उनका जन्म उत्तर प्रदेश के कानपुर में 25 दिसंबर, 1963 को हुआ था। उनका असली नाम सत्य प्रकाश श्रीवास्तव था, जिन्हें पेशेवर रूप से राजू श्रीवास्तव के नाम से जाना जाता है। राजू श्रीवास्तव को अक्सर ‘गजोधर भइया’के नाम से जाना जाता है।
- राजू श्रीवास्तव एक भारतीय हास्य अभिनेता, अभिनेता और राजनीतिज्ञ थे। 2014 से वह भारतीय जनता पार्टी के सदस्य थे। मार्च 2019 में उन्हें उत्तर प्रदेश की भाजपा सरकार द्वारा उत्तर प्रदेश फिल्म विकास परिषद के अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया गया था।
- वे 1980 के दशक में हिन्दी फिल्म उद्योग में काम करने के लिये मुंबई चले गए। उन्होंने बाजीगर, बॉम्बे टू गोवा, आमदनी अठन्नी खरचा रुपैया आदि फिल्मों में अभिनय किया।
- वे कॉमेडी शो ‘द ग्रेट इंडियन लाफ्टर चैलेंज’में उपविजेता बने। उन्होंने इसके स्पिन-ऑफ शो ‘द ग्रेट इंडियन लाफ्टर चैलेंज-चैंपियंस’में ‘द किंग ऑफ कॉमेडी’का खिताब जीता।
बिहार के सभी एनएच पर लगाया जाएगा ऑटोमेटिक रडार गन | बिहार | 22 Sep 2022
चर्चा में क्यों?
21 सितंबर, 2022 को मीडिया से मिली जानकारी के अनुसार बिहार में राष्ट्रीय राजमार्ग (एनएच) पर ओवर स्पीड को कम करने के लिये सभी एनएच पर आठ से 10 किमी. पर ऑटोमेटिक रडार गन लगाया जाएगा, ताकि तय गति सीमा से तेज़ गाड़ी चलाने वाले हर वाहनों पर ऑनलाइन जुर्माना लगाया जा सके।
प्रमुख बिंदु
- जुर्माना लगाने के बाद गाड़ी मालिकों को इसकी सूचना ऑनलाइन, यानी एसएमएस से भेजी जाएगी। रडार उन सभी एनएच पर लगाया जाएगा, जहाँ दुर्घटनाएँ अधिक हो रही हैं। साथ ही, रडार लगाते समय भी दुर्घटना वाली जगहों पर विशेष ध्यान दिया जाएगा।
- गौरतलब है कि राज्य के पाँच अधिकारियों को इस संबंध में प्रशिक्षण के लिये बंगलूरू भेजा गया था। अब 29-30 सितंबर को दिल्ली में प्रशिक्षण के बाद ये अपनी पूरी रिपोर्ट सरकार को सौंप देंगे, ताकि सड़क दुर्घटना में ओवर स्पीड के मामले को कम किया जा सके।
- उल्लेखनीय है कि बिहार में राष्ट्रीय राजमार्ग (एनएच) पर होने वाली सड़क दुर्घटनाओं का सबसे बड़ा कारण ओवर स्पीड को माना जाता है। 2021 में राज्य में एनएच पर हुए हादसों में ज़्यादातर एनएच-31, एनएच-28, एनएच-30 और एनएच-57 पर हुए।
- इनमें सबसे खतरनाक एनएच-31 है। नवादा, बिहारशरीफ, पटना, बेगूसराय, खगड़िया, पूर्णिया व किशनगंज से होकर गुज़र रहे इस एनएच पर 644 सड़क दुर्घटनाएँ हुईं, जिनमें 520 की मौत हो गईं। बेगूसराय, मुजफ्फरपुर व गोपालगंज से होकर गुज़रने वाले एनएच-28 पर 515 हादसे हुए, जिनमें 443 लोगों की मौत हुई। बिहार में एनएच में कुल 3285 दुर्घटनाएँ हुईं।
बिहार में बनेंगे नए ईको टूरिज्म स्पॉट | बिहार | 22 Sep 2022
चर्चा में क्यों?
21 सितंबर, 2022 को बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने विभागीय समीक्षा बैठक में प्रदेश में नए ईको टूरिज्म स्पॉट बनाने के लिये अधिकारियों को निर्देश दिये।
प्रमुख बिंदु
- मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने प्रदेश में नए ईको टूरिज्म स्पॉट बनाने का टास्क वन एवं पर्यावरण मंत्री तेज प्रताप यादव को दिया है।
- मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश देते हुए कहा कि बिहार में जो पर्यटन स्थल विकसित किये गए हैं, उनके अतिरिक्त अन्य स्थलों का चयन करें। साथ ही, उसे पर्यटक स्थल के रूप में विकसित करने के लिये कार्य करें।
- मुख्यमंत्री ने कहा कि बिहार से झारखंड के अलग होने के बाद राज्य का हरित आवरण क्षेत्र नौ प्रतिशत रह गया था। वर्ष 2012 में हरियाली मिशन की शुरुआत की गई, जिसके तहत 24 करोड़ पौधारोपण का लक्ष्य रखा गया था, जिसमें 22 करोड़ पौधे लगाए गए। जल-जीवन-हरियाली अभियान की शुरुआत वर्ष 2019 में की गई। इसमें सभी ज़िलों में अधिक-से-अधिक पौधारोपण का लक्ष्य रखा गया है।
- बड़ी संख्या में पौधारोपण किये जाने से राज्य का हरित आवरण क्षेत्र बढ़कर अब 15 प्रतिशत तक पहुँच गया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य का हरित आवरण क्षेत्र कम-से-कम 17 प्रतिशत तक करने के लिये तेज़ी से और पौधारोपण कराएँ।
राजस्थान विनियोग (संख्या-3) विधेयक, 2022 ध्वनिमत से पारित | राजस्थान | 22 Sep 2022
चर्चा में क्यों?
21 सितंबर, 2022 को राजस्थान विधानसभा ने राजस्थान विनियोग (संख्या-3) विधेयक, 2022 को ध्वनिमत से पारित कर दिया।
प्रमुख बिंदु
- विधेयक पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए प्रभारी मंत्री और विधायक बुलाकी दास कल्ला ने कहा कि राज्य सरकार ने पूरी तरह से राजकोषीय उत्तरदायित्व और बजट प्रबंधन अधिनियम (एफबीआरएम) का पालन किया है। राज्य का राजकोषीय घाटा 5 प्रतिशत से कम रहा है, जबकि 2016-17 में यह09 प्रतिशत था।
- उन्होंने बताया कि सरकार के ऑन टैक्स रेवेन्यू में 28 प्रतिशत और नॉन टैक्स रेवेन्यू में 23 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। बेहतर वित्तीय प्रबंधन की वजह से अगस्त, 2021 में राजस्व प्राप्तियाँ 90 हज़ार 11 करोड़ रुपए प्राप्त हुई थीं, जो इस वर्ष अगस्त में 1 लाख 30 हज़ार 777 करोड़ रुपए पहुँच गई हैं।
- प्रभारी मंत्री ने बताया कि सरकार ने अनुपूरक अनुदान की मांगें आरजीएसएस, ईआरसीपी, नेहरू यूथ हॉस्टल (दिल्ली), इंदिरा गांधी शहरी रोज़गार गारंटी योजना, जयपुर मेट्रो, उड़ान इत्यादि के क्रियान्वयन के लिये ली हैं। सरकार का मकसद कैपिटल असेट्स बनाना और पैसे का सदुपयोग करना है।
- विधेयक को सदन में रखते हुए उन्होंने बताया कि यह विधेयक वित्तीय वर्ष 2022-23 की सेवाओं के लिये राज्य की समेकित निधि में से कतिपय और राशियों के संदाय एवं विनियोजन को प्राधिकृत करने के लिये लाया गया है। विधेयक पारित होने से 4 हज़ार 402 करोड़ 12 लाख 18 हज़ार रुपए की राशि संदत्त और उपयोजित की जा सकेगी।
- इससे पूर्व विधानसभा ने अनुपूरक अनुदान की मांगें वर्ष 2022-23 (प्रथम संकलन) को भी पारित किया। प्रभारी मंत्री कल्ला ने मांगों का उपस्थापन किया, जिसे सदन ने मुखबंद का प्रयोग कर पारित कर दिया।
राजस्थान अधिवक्ता कल्याण निधि (संशोधन) विधेयक, 2020 ध्वनिमत से पारित | राजस्थान | 22 Sep 2022
चर्चा में क्यों?
21 सितंबर, 2022 को राजस्थान विधानसभा ने राजस्थान अधिवक्ता कल्याण निधि (संशोधन) विधेयक, 2020 को ध्वनिमत से पारित कर दिया। शिक्षा मंत्री डॉ. बी.डी. कल्ला ने विधेयक को सदन में प्रस्तुत किया था।
प्रमुख बिंदु
- शिक्षा मंत्री डॉ. बी.डी. कल्ला ने विधेयक पर हुई चर्चा के बाद अपने जवाब में कहा कि बार काउंसिल ऑफ राजस्थान के साथ विचार-विमर्श के बाद ही विधेयक में संशोधन किये गए हैं। बार काउंसिल ने अगस्त, 2021 में सरकार को पत्र में जो भी सुझाव दिये थे, वे इस विधेयक में शामिल किये गए हैं।
- उन्होंने कहा ही काउंसिल के ही सुझाव पर 5 से 50 वर्ष तक वकालत का कार्य करने के बाद अधिवक्ताओं को राशि देने का विधेयक में प्रावधान किया गया है। यह राशि एक्स-ग्रेसिया नहीं, अपितु अधिवक्ताओं की सेवाओं का प्रतिफल है।
- डॉ. कल्ला ने बताया की विधेयक में वकालत पर 100 रुपए के स्टाम्प का प्रावधान किया है। सेशन कोर्ट, उच्च न्यायालय या जेडीए सहित सभी कोर्ट में यह समान रूप से लागू होगा। यह संशोधन भी काउंसिल के सुझाव पर ही शामिल किया गया है।
राजस्थान कृषि उपज मंडी (संशोधन) विधेयक, 2022 ध्वनिमत से पारित | राजस्थान | 22 Sep 2022
चर्चा में क्यों?
21 सितंबर, 2022 को राजस्थान विधानसभा ने राजस्थान कृषि उपज मंडी (संशोधन) विधेयक, 2022 को ध्वनिमत से पारित कर दिया। कृषि विपणन राज्य मंत्री मुरारीलाल मीणा ने विधेयक को सदन में प्रस्तुत किया था।
प्रमुख बिंदु
- राज्य मंत्री मुरारीलाल मीणा ने विधेयक पर हुई चर्चा के बाद अपने जवाब में कहा कि यह नया विधेयक केंद्र सरकार द्वारा कृषि संबंधी लाए गए तीन कृषि कानूनों से उत्पन्न स्थिति से निपटने के लिये लाया गया है। केंद्रीय कानूनों के निरस्त होने के बाद इस कानून के माध्यम से पुन: पहले वाली स्थिति को अस्तित्व में लाया जा रहा है। साथ ही, कृषि मंडियों में गैर-अधिसूचित कृषि उपजों तथा खाद्य उत्पादों के व्यापार को सुविधाजनक बनाया गया है।
- मुरारीलाल मीणा ने कहा कि केंद्र सरकार के कृषि कानूनों की वजह से मंडी समितियों द्वारा संगृहीत की जाने वाली मंडी फीस और किसान कल्याण फीस में काफी कमी आ गई थी। इन कानूनों के आने से पहले वर्ष 2019-20 में कृषि मंडी समितियों को 665 करोड़ रुपए की राजस्व प्राप्ति हुई।
- नए केंद्रीय कृषि कानूनों के अस्तित्व में आने के बाद इनकी राजस्व प्राप्ति गिरकर वर्ष 2020-21 में 562 करोड़ रुपए एवं वर्ष 2021-22 में 424 करोड़ रुपए रह गई। इससे मंडियों के आधारभूत विकास पर विपरीत असर पड़ा है।
- उन्होंने बताया कि केंद्रीय कृषि कानूनों को वापस लेने की अधिसूचना जारी होने के बाद 24 जनवरी, 2022 को मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में समीक्षा बैठक आयोजित हुई, जिसमें व्यापार मंडलों एवं किसान प्रतिनिधियों से सलाह-मशविरा कर मंडियों में पहले की तरह ही व्यवस्थाएँ करने का निर्णय लिया गया।
- उन्होंने बताया कि राज्य सरकार किसान कल्याण शुल्क के माध्यम से एग्रो प्रोसेसिंग इकाइयाँ लगाने और आधारभूत संरचना विकास के लिये एक करोड़ रुपए तक अनुदान दे रही है।
- राज्य मंत्री ने बताया कि कृषि मंडियों में अधिसूचित वस्तुओं के साथ गैर-अधिसूचित कृषि उपज का भी व्यापार करते हैं। इसको ध्यान में रखते हुए मंडी यार्ड के भीतर गैर-अधिसूचित कृषि उपजों तथा खाद्य उत्पादों के कारोबार के लिये व्यापारियों को बेहतर सुविधाएँ उपलब्ध कराने के लिये एक नई धारा 17ख जोड़ी गई है। इन वस्तुओं पर मात्र 0.25 प्रतिशत शुल्क लगाया गया है, जबकि उत्तर प्रदेश सहित कई राज्यों में यह शुल्क एक फीसदी से अधिक है।
मध्य प्रदेश के पैरा स्वीमर सतेंद्र सिंह लोहिया नॉर्थ चैनल पार करने वाले एशिया के पहले पैरा स्वीमर बने | मध्य प्रदेश | 22 Sep 2022
चर्चा में क्यों?
20 सितंबर, 2022 को मध्य प्रदेश के पैरा स्वीमर सतेंद्र सिंह लोहिया आयरलैंड में नॉर्थ चैनल पार करने वाले एशिया के पहले पैरा स्वीमर बन गए हैं। सतेंद्र सिंह ने 36 किमी. के नॉर्थ चैनल को 14 घंटे 39 मिनट में पार कर विश्व रिकॉर्ड बनाया।
प्रमुख बिंदु
- अंतर्राष्ट्रीय दिव्यांग पैरा स्वीमर सतेंद्र सिंह लोहिया ने पूर्व में इंग्लिश और कैटलीना चैनल को पार करके विश्व रिकॉर्ड बनाया था और ऐसा करने वाले एशिया के पहले अंतर्राष्ट्रीय दिव्यांग पैरा स्वीमर बने थे। अब नॉर्थ चैनल पार करने वाले पहले एशियाई दिव्यांग तैराक भी बन गए हैं।
- सतेंद्र ने नॉर्थ आयरलैंड के समयानुसार सुबह 6:31 बजे और भारतीय समयानुसार 11:00 बजे नॉर्थ चैनल समुद्र में तैराकी शुरू की थी। यह नॉर्थ चैनल नार्दनलैंड के डोनगड़ी और पोर्ट पेट्रियट स्कॉटलैंड के बीच की 36 किमी. दूरी की तैराकी है। इस चैनल की खासियत है कि यह विश्व के सभी चैनलों में सबसे ठंडा चैनल है। इसका तापमान 12 डिग्री सें. के लगभग रहता है।
- गौरतलब है कि अंतर्राष्ट्रीय पैरा स्वीमर सतेंद्र सिंह लोहिया ने 24 जून, 2018 को 12 घंटे 24 मिनट में 49 किमी. लंबे इंग्लिश चैनल को पार किया था। इसके लिये उनका नाम एशियाई लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड में दर्ज है। अमेरिका में 18 अगस्त, 2019 को उन्होंने 11 घंटे 34 मिनट में 42 किमी. लंबे कैटलीना चैनल को पार किया था।
- सतेंद्र सिंह ने 7 नेशनल पैरा तैराकी चैंपियनशिप में भाग लेकर देश के लिये 24 पदक हासिल किये हैं। मध्य प्रदेश सरकार ने 2014 में उन्हें सर्वोच्च खेल सम्मान विक्रम अवार्ड से नवाजा था। इसके बाद 3 दिसंबर, 2019 को उपराष्ट्रपति द्वारा सर्वश्रेष्ठ दिव्यांग खिलाड़ी का राष्ट्रीय अवार्ड भी मिला था। सतेंद्र सिंह लोहिया को पीएम नरेंद्र मोदी भी सम्मानित कर चुके हैं।
उत्तराखंड में होगा राज्य मत्स्य विकास बोर्ड का गठन | उत्तराखंड | 22 Sep 2022
चर्चा में क्यों?
21 सितंबर, 2022 को उत्तराखंड के पशुपालन मंत्री सौरभ बहुगुणा ने पत्रकारों को बताया कि प्रदेश में मछली पालन व्यवसाय को बढ़ावा देने के लिये पहली बार सरकार राज्य मत्स्य विकास बोर्ड का गठन करेगी। सचिव मत्स्य की अध्यक्षता में बोर्ड का ढाँचा तैयार किया जा रहा है।
प्रमुख बिंदु
- पशुपालन मंत्री सौरभ बहुगुणा ने बताया कि प्रदेश में मछली पालन में रोज़गार की बहुत संभावनाएँ हैं। मछली पालन को बढ़ावा देने के लिये पहली बार अलग से बोर्ड बनाने के निर्देश विभागीय अधिकारियों को दिये गए हैं। बोर्ड के माध्यम से मछली पालन योजनाओं का क्रियान्वयन और मार्केटिंग को बढ़ावा दिया जाएगा।
- राज्य मत्स्य पालक विकास अभिकरण की प्रबंध समिति की बैठक में बोर्ड के गठन का निर्णय लिया गया। बोर्ड के ढाँचे का प्रस्ताव बनाने की कवायद शुरू हो गई है, जिसके बाद मंज़ूरी के लिये कैबिनेट में प्रस्ताव लाया जाएगा।
- गौरतलब है कि राज्य में लगभग छह हज़ार मीट्रिक टन मछली का उत्पादन किया जाता है। सरकार ने आने वाले एक साल के भीतर मछली उत्पादन को 11 हज़ार मीट्रिक टन तक पहुँचाने का लक्ष्य रखा है।
- प्रदेश में 11 हज़ार से अधिक लोग मछली व्यवसाय कर रहे हैं। प्रदेश में अभी तक कॉमन कार्प, सिल्वर कॉर्प, रोहू मछली का उत्पादन अधिक है।
- बाज़ार में बढ़ती मांग को देखते हुए सरकार की ट्राउट फिश उत्पादन बढ़ा कर रोज़गार के अवसर उपलब्ध कराने की योजना है। प्रदेश सरकार पशुपालन विकास के लिये उत्तराखंड पशुधन विकास बोर्ड की तर्ज़ पर अब मछली पालन के लिये अलग से मत्स्य विकास बोर्ड बनाने जा रही है।
- उत्तराखंड में शीर्ष तीन मछली उत्पादक जिले हैं- 1. ऊधमसिंह नगर (2921.349 मीट्रिक टन), 2. हरिद्वार (1424.89 मीट्रिक टन), 3. देहरादून (295.53 मीट्रिक टन)।