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राजस्थान मृत शरीर का सम्मान विधेयक -2023 ध्वनिमत से पारित
चर्चा में क्यों?
20 जुलाई, 2023 को राजस्थान विधानसभा में राजस्थान मृत शरीर का सम्मान विधेयक -2023 को चर्चा के बाद ध्वनिमत से पारित कर दिया गया। यह विधेयक मृत शरीरों की गरिमा को सुनिश्चित करते हुए इनके धरना-प्रदर्शन में किये जाने वाले दुरुपयोग पर प्रभावी रोक लगाएगा।
प्रमुख बिंदु
- संसदीय कार्यमंत्री शांति कुमार धारीवाल ने विधानसभा में इस विधेयक पर चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि मृत शवों को रखकर धरना-प्रदर्शन की प्रवृत्ति दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। वर्तमान में ऐसी घटनाओं पर प्रभावी रूप से रोक लगाने के लिये विधिक में प्रावधान नहीं है, इसीलिये यह विधेयक लाया गया है।
- संसदीय कार्यमंत्री शांति कुमार धारीवाल ने बताया कि वर्ष 2014 से 2018 तक इस तरह की 82 एवं वर्ष 2019 से अब तक 306 घटनाएँ हुई हैं।
- इस विधेयक से लावारिस शवों की डीएनए एवं जेनेटिक प्रोफाइलिंग कर डाटा संरक्षित भी किया जाएगा ताकि भविष्य में उनकी पहचान हो सके।
- संसदीय कार्य मंत्री ने बताया कि परिजन द्वारा मृत व्यक्ति का शव नहीं लेने की स्थिति में विधेयक में एक वर्ष तक की सजा व जुर्माने का प्रावधान किया गया है। साथ ही परिजन द्वारा धरना-प्रदर्शन में शव का उपयोग करने पर भी 2 वर्ष तक की सजा व जुर्माने का प्रावधान किया गया है।
- इसी प्रकार परिजन से भिन्न अन्य व्यक्ति द्वारा शव का विरोध करने के लिये इस्तेमाल करने पर 6 माह से 5 वर्ष तक की सजा एवं जुर्माने से दंडित करने का प्रावधान किया गया है।
- कार्यपालक मजिस्ट्रेट को मृतक का अंतिम संस्कार 24 घंटे में कराने की शक्ति प्रदान की गई है। यह अवधि विशेष परिस्थितियों में बढ़ाई भी जा सकेगी। साथ ही परिजन द्वारा शव का अंतिम संस्कार नहीं करने की स्थिति में लोक प्राधिकारी द्वारा अंतिम संस्कार किया जा सकेगा।
- शांति कुमार धारीवाल ने बताया कि सिविल रिट पिटीशन आश्रय अधिकार अभियान बनाम यूनियन ऑफ इंडिया में उच्चतम न्यायालय ने मृत शरीरों के शिष्टतापूर्वक दफन या अंतिम संस्कार के निर्देश प्रदान किए थे। इस निर्देशों की पालना में इस विधेयक में लावारिस शवों का सम्मानपूर्वक अंतिम संस्कार करना और इन शवों की डीएनए प्रोफाइलिंग और डिजिटाइजेशन के माध्यम से आनुवंशिक जेनेटिक डाटा सूचना का संरक्षण और सूचना की गोपनीयता रखने जैसे महत्त्वपूर्ण प्रावधान किये गए हैं।
- इससे लावारिस शवों का रिकॉर्ड संधारित हो सकेगा और उनकी भविष्य में पहचान भी हो सकेगी। उन्होंने बताया कि वर्ष 2023 तक प्रदेश में 3216 लावारिस शव मिले हैं।
- इससे पूर्व सदन ने जनमत जानने के लिये विधेयक को परिचालित करने का प्रस्ताव अस्वीकार कर दिया।
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राजकीय महाविद्यालयों में मिलेगी कैंपस प्लेसमेंट सुविधा
चर्चा में क्यों?
20 जुलाई, 2023 को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने प्रदेश के विभिन्न राजकीय महाविद्यालयों में विद्यार्थियों को रोज़गार के बेहतर अवसर उपलब्ध कराने के लिये प्लेसमेंट ड्राइव आयोजित करने हेतु 9.18 करोड़ रुपए के वित्तीय प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान की है।
प्रमुख बिंदु
- प्रस्ताव के अनुसार, प्रथम चरण में 100 राजकीय महाविद्यालयों में कैंपस प्लेसमेंट योजना प्रारंभ की जाएगी, जिसके तहत महाविद्यालयों में कम से कम वर्ष में दो बार कैंपस प्लेसमेंट आयोजित किये जाएंगे।
- कैंपस प्लेसमेंट से पूर्व विद्यार्थियों को प्री प्लेसमेंट के माध्यम से सॉफ्ट स्किल की ट्रेनिंग दी जाएगी, जिससे विद्यार्थियों के आत्मविश्वास में वृद्धि होने के साथ ही उन्हें रोज़गार प्राप्त करने में सुगमता होगी।
- इसके अतिरिक्त विभिन्न विशेषज्ञ संस्थानों जैसे भारतीय सुदूर संवेदन संस्थान (आईआईआरएस), राष्ट्रीय सुदूर संवेदन केंद्र (एनआरएससी), राष्ट्रीय रासायनिक प्रयोगशाला (एनसीएल) पुणे, राष्ट्रीय जैव विज्ञान केंद्र, बैंगलोर एवं सेबी के साथ समन्वय स्थापित कर विद्यार्थियों का कौशल संवर्द्धन किया जाएगा।
- उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री द्वारा वर्ष 2023-24 के बजट में प्रदेश के विभिन्न राजकीय महाविद्यालयों में विद्यार्थियों को रोज़गार के अवसर उपलब्ध कराने के लिये कैंपस प्लेसमेंट सुविधा प्रारंभ करने की घोषणा की गई थी।
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तीन दशक में सर्वाधिक बैठकें पंद्रहवीं राजस्थान विधानसभा में
चर्चा में क्यों?
20 जुलाई, 2023 को पंद्रहवीं राजस्थान विधानसभा में 144वीं बैठक हुई। राजस्थान विधानसभा की नवीं विधानसभा से लेकर अब तक की पंद्रहवीं विधानसभा तक तीन दशक में यह 144 बैठकें सर्वाधिक है।
प्रमुख बिंदु
- इससे पहले नवीं, दसवीं, ग्यारहवीं, बारहवीं, तेरहवीं और चौदहवीं विधानसभा में क्रमश: 95, 141, 143, 140, 119 और 139 बैठकें हुई थी।
- पंद्रहवीं राजस्थान विधानसभा का प्रश्नकाल देश की अन्य विधानसभाओं में भी चर्चा का विषय रहा है। राजस्थान विधानसभा अध्घ्यक्ष डॉ. सी.पी. जोशी ने सदन संचालन में बेहतर प्रदर्शन कर सूचीबद्ध सभी प्रश्नों पर प्रतिदिन प्रश्नकाल के नियत समय में चर्चा कराई। पंद्रहवीं विधानसभा के आठवें सत्र में लगभग प्रतिदिन ही सूचीबद्ध सभी प्रश्नों पर नियत समय में चर्चा हुई।
- डॉ. सी.पी. जोशी ने विधायकों और मंत्रीगण को भी प्रश्न करने और जवाब देने के विश्लेषण में आने वाली कठिनाइयों को भी सरलता से विश्लेषण करके मदद की।
- विधानसभा के प्रमुख सचिव महावीर प्रसाद शर्मा ने बताया कि पंद्रहवीं राजस्थान विधानसभा के अष्टम सत्र में 15,17 व 28 फरवरी और 1,2,3 व 15 मार्च और 17,18 व 19 जुलाई को प्रश्नकाल में सभी प्रश्नों पर सदन में चर्चा हुई।
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