स्थानीय समुदाय पर खर्च होगी ईको टूरिज्म की 90% कमाई | उत्तराखंड | 22 May 2023
चर्चा में क्यों?
18 मई, 2023 को उत्तराखंड कैबिनेट ने ईको टूरिज्म गतिविधियों में रेवेन्यू शेयरिंग के प्रस्ताव को मंजूरी दी। इसके तहत उत्तराखंड में ईको टूरिज्म से होने वाली आय का 90 प्रतिशत हिस्सा स्थानीय स्तर पर खर्च किया जाएगा।
प्रमुख बिंदु
- कैबिनेट द्वारा पारित प्रस्ताव के तहत अब संरक्षित क्षेत्रों से बाहर वन क्षेत्रों में नए ईको टूरिज्म डेस्टिनेशंस में विभिन्न मदों (प्रवेश शुल्क, साहसिक गतिविधियों, पार्किंग, स्थगन सुविधाओं, कैंपिंग) में लिये जाने वाले शुल्क से होने वाली कमाई का पहले साल में 10 प्रतिशत और आगामी वर्षों में 20 प्रतिशत सरकार के खाते में जमा की जाएगी।
- पर्यटन गतिविधियों के संचालन के लिये स्थानीय स्तर पर गठित संस्थाएँ और समितियाँ इस पैसे का उपयोग पर्यटक स्थलों के रखरखाव व अन्य मदों में खर्च कर सकेंगी।
- यह व्यवस्था पहले वर्ष तक लागू रहेगी, जबकि दूसरे वर्ष से कमाई का 20 प्रतिशत हिस्सा सरकार और 80 प्रतिशत स्थानीय समुदाय को जाएगा।
- इसके अलावा ऐसे ईको टूरिज्म डेस्टिनेशन, जिनकी आय जब एक समय के बाद पाँच करोड़ रुपए से अधिक हो जाएगी तब अतिरिक्त धनराशि राजकीय कोष में जमा की जाएगी। पहले से संचालित ईको टूरिज्म डेस्टिनेशंस के संबंध में 20 प्रतिशत राजकोष में जमा किया जाएगा, जबकि 80 प्रतिशत स्थानीय संस्थाओं के पास उनके रखरखाव आदि पर खर्च के लिये रहेगा।
- ईको-टूरिज्म डेस्टिनेशंस को विकसित किये जाने पर उत्कृष्ट कार्य करने वाले ज़िलों को तीन पुरस्कार भी दिये जाएंगे। प्रथम पुरस्कार के रूप में एक करोड़ रुपए, द्वितीय में 75 लाख रुपए और तृतीय पुरस्कार के रूप में 50 लाख रुपए दिये जाएंगे।
- ज़िले इस पुरस्कार राशि का इस्तेमाल ईको-टूरिज्म की अन्य गतिविधियों को आगे बढ़ाने में करेंगे। प्रथम स्थान पर आने वाले ज़िले पर अगले तीन वर्षों तक इस पुरस्कार के लिये विचार नहीं किया जाएगा।
- गौरतलब है कि प्रदेश में उत्तराखंड ईको टूरिज्म डेवलपमेंट कारपोरेशन की स्थापना कंपनी अधिनियम 2013 के तहत वर्ष 2016 में की गई थी। इसके तहत अब रेवेन्यू शेयरिंग का प्रस्ताव पारित किया गया है।
प्रदेश को जल्द मिलेगी साइबर फॉरेंसिक लैब | उत्तराखंड | 22 May 2023
चर्चा में क्यों?
19 मई, 2023 को मीडिया से मिली जानकारी के अनुसार साइबर अपराधों में जाँच के लिये अब उत्तराखंड पुलिस को केंद्रीय फॉरेंसिक लैब या अन्य प्रदेशों की लैब पर निर्भर नहीं होना पड़ेगा। जल्द ही प्रदेश को अपनी फॉरेंसिक लैब मिल जाएगी।
प्रमुख बिंदु
- जानकारी के अनुसार इसके लिये केंद्र सरकार द्वारा चार करोड़ रुपए का बजट मंजूर किया गया है। इसमें से सवा करोड़ रुपए बतौर लिमिट जारी भी कर दिये गए हैं।
- विदित है कि लगातार साइबर अपराध बढ़ रहे हैं। वर्तमान में उत्तराखंड का देश में पाँचवां स्थान है, जहाँ सबसे ज्यादा साइबर अपराध दर्ज किये जाते हैं। बहुत से मामलों में कंप्यूटर, मोबाइल और अन्य वस्तुओं को फॉरेंसिक जाँच के लिये केंद्रीय फॉरेंसिक लैब चंडीगढ़ भेजी जाती हैं।
- चंडीगढ़ लैब के ऊपर चंडीगढ़ पुलिस के मामलों की जाँच करने की प्राथमिकता रहती है। इसके बाद वह पंजाब और हरियाणा पुलिस को तरजीह देते हैं। ऐसे में उत्तराखंड या अन्य प्रदेशों की पुलिस का नंबर बहुत बाद में आता है।
- पुलिस अधिकारियों के मुताबिक कई बार जाँच रिपोर्ट देरी से आने में मुकदमों की जाँच भी प्रभावित होती है। कोर्ट में जाँच रिपोर्ट प्रस्तुत करने का भी दबाव रहता है। ऐसे में पिछले साल साइबर फॉरेंसिक लैब स्थापित करने के लिये प्रस्ताव भेजा गया था।