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स्टेट पी.सी.एस.

  • 22 May 2023
  • 1 min read
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उत्तर प्रदेश Switch to English

आगरा फोर्ट से ताजमहल के बीच जल्द तैयार होगी मेट्रो रेलवे लाइन, दोनों स्टेशन के बीच टनल निर्माण शुरू

चर्चा में क्यों?

21 मई, 2023 को मीडिया से मिली जानकारी के अनुसार आगरा फोर्ट से ताजमहल के बीच जल्द ही मेट्रो रेलवे लाइन तैयार होगी। 77 दिन के रिकॉर्ड टाइम में पहला ब्रेक थ्रू करने के बाद टीबीएम यमुना ने ताजमहल मेट्रो स्टेशन की दिशा में टनल का निर्माण शुरू कर दिया है।

प्रमुख बिंदु 

  • विदित है कि आगरा से पहले उत्तर प्रदेश के कई ज़िलों में मेट्रो शुरू हो चुकी है। लेकिन आगरा में मेट्रो का काम इसलिये भी खास है क्योंकि आगरा मेट्रो रेल परियोजना पहली ऐसी परियोजना है जहाँ टीबीएम लॉन्च के बाद महज 77 दिन के रिकॉर्ड टाइम में पहला ब्रेक थ्रू किया गया है।
  • टीबीएम यमुना को फरवरी में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा लॉन्च किया गया था। इसके बाद टीबीएम यमुना ने 77 दिन में पहला ब्रेक थ्रू करते हुए बिजली घर से आगरा फोर्ट तक की टनल का काम पूरा किया था।
  • टीबीएम द्वारा भूमिगत मेट्रो लाइन के निर्माण को मुख्य तौर पर 3 चरणों में विभाजित किया गया है। इस प्रक्रिया में प्रथम चरण इनिशियल ड्राइव होता है, जिसमें टीबीएम लॉन्चिंग सॉफ्ट से चैनल की खुदाई का काम शुरू करती है।
  • इस चरण में अस्थायी रिंग्स को मैनुअल तरीके से लगाया जाता है। इस दौरान मशीन में लगे थ्रस्ट जैक इन अस्थायी रिंग सेगमेंट्स की मदद से टीबीएम को आगे बढ़ाते हैं। इसके बाद टीबीएम मेन ड्राइव में पहुँचती है। टीबीएम खुदाई के साथ ही स्थायी रिंग सेगमेंट्स लगाते हुए टनल का निर्माण करती है। इसके बाद टीबीएम मशीन दूसरे छोर पर ब्रेक थ्रू करते हुए बाहर आती है।

 


बिहार Switch to English

बिहार में गंगा नदी के किनारे वाले शहरों में बनेगा एसटीपी

चर्चा में क्यों?

21 मई, 2023 को मीडिया से मिली जानकारी के अनुसार बिहार में गंगा नदी के किनारे वाले शहरों में सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) बनाया जाएगा। प्लांट से निकले वेस्ट से खाद तैयार किया जाएगा।

प्रमुख बिंदु 

  • जानकारी के अनुसार बिहार में गंगा नदी के किनारे वाले 23 शहरों व इसकी सहायक नदियों वाले 16 शहरों में सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) निर्माण के साथ ही 76 छोटे शहरों में एफएसटीपी (फिकल स्लज ट्रीटमेंट प्लांट) पर भी काम चल रहा है।
  • इन एफएसटीपी के माध्यम से निजी सेप्टिक टैंकों से निकलने वाली गंदगी को एकत्रित करने के बाद उसे ट्रीट कर खाद तैयार किया जाएगा। फिलहाल चिह्नित निकायों में एफएसटीपी के निर्माण को लेकर ज़मीन की तलाश की जा रही है।
  • 76 शहरों में लगाए जाने वाले एफएसटीपी प्लांटों की कुल क्षमता 1287 केएलडी होगी। यानि स्थापित होने वाले प्लांट हर दिन 1287 किलो लीटर सेप्टिक व दूषित कचरे का निबटारा कर सकेंगे।
  • वर्तमान में छोटे शहरों में लोग मल त्याग के लिये सेप्टिक टैंक का ही प्रयोग करते हैं। निकायों के टैंकरों के माध्यम से इनको खाली कर निकलने वाली मलयुक्त गाद को खाली जगह, गड्ढा अथवा नालों में फेंक दिया जाता है, जिससे कई गंभीर रोग पैदा होने के साथ जल स्रोत दूषित होते हैं। इस पर लगाम लगाने और लोगों को सुविधा के लिये ही एफएसटीपी प्लांट स्थापित करने की योजना तैयार की गई है।
  • अधिकारियों के मुताबिक यह प्लांट न केवल घरेलू सेप्टिक टैंकों के गाद को बल्कि शहर के अन्य सभी प्रकार के दूषित मलबे को ट्रीट कर सॉलिड और लिक्विड में अलग करता है। ट्रीटमेंट के बाद प्लांट के बचे सॉलिड वेस्ट का इस्तेमाल खाद के रूप में जबकि लिक्विड का इस्तेमाल सिंचाई के लिये किया जा सकता है। प्लांट पूरी तरह वैज्ञानिक आधार पर कई स्टेप में काम करता है।
  • गंगा व सहायक नदियों के अलावा आठ अन्य महत्त्वपूर्ण शहरों में भी सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) की तैयारी है। इनमें चार गंदी नदियों वाले शहर रामनगर, नरकटियागंज, रक्सौल और जोगबनी जबकि चार महत्त्वपूर्ण शहर गया, आरा, बेतिया और कटिहार हैं।
  • यहाँ पर कुल 251.75 एमएलडी क्षमता का एसटीपी लगाया जा रहा है। इनमें से रामनगर में नौ एमएलडी और नरकटियागंज में सात एमएलडी क्षमता के एसटीपी को लेकर टेंडर प्रक्रिया चल रही है जबकि रक्सौल में 12 एमएलडी, जोगबनी में 4.25 एमएलडी, गया में 84 एमएलडी, आरा में 47 एमएलडी, बेतिया में 33 एमएलडी और कटिहार में 55.5 एमएलडी क्षमता के सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट का डीपीआर तैयार कर उसे एनएमसीजी (नेशनल मिशन फॉर क्लीन गंगा) को भेजा गया है। इसकी मंजूरी मिलते ही टेंडर प्रक्रिया पूरी कर काम शुरू कर दिया जाएगा।
  • गौरतलब है कि नदियों को स्वच्छ रखने को लेकर मंजूर की गई करीब छह दर्जन एसटीपी परियोजनाओं में अब तक मात्र सात परियोजनाओं को ही पूरा कर शुरू किया जा सका है। शहरों से निकलने वाले कुल गंदे पानी का दस फीसदी भी अब तक ट्रीट करने की सुविधा विकसित नहीं की जा सकी है।

 


राजस्थान Switch to English

अब हर ज़िले में दो लवकुश वाटिकाएँ

चर्चा में क्यों?

20 मई, 2023 को राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने प्रदेश के सभी ज़िलों में दो-दो लवकुश वाटिकाएँ विकसित करने हेतु 66 करोड़ रुपए की स्वीकृति दी है। इससे प्रदेश में इको-टूरिज्म को बढ़ावा मिलेगा।

प्रमुख बिंदु 

  • मुख्यमंत्री के निर्णय से इन वाटिकाओं में वन एवं वन्यजीवों से संबंधित मॉडल स्थापित होंगे, जिनसे बच्चों को पर्यावरण व वन्यजीव संरक्षण की शिक्षा मिल सकेगी। यहाँ इको ट्रेल पथों का निर्माण और प्रदर्शनी के लिये जगह बनेगी।
  • इन वाटिकाओं का उद्देश्य पर्यावरण संरक्षण के प्रति आमजन को शिक्षित एवं जागरूक करना है।
  • उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री द्वारा वर्ष 2023-24 के बजट में प्रत्येक ज़िले में एक-एक अतिरिक्त वाटिका विकसित करने की घोषणा की गई थी।

राजस्थान Switch to English

जोधपुर, उदयपुर, कोटा और अजमेर शहर बनेंगे थ्री डी सिटी

चर्चा में क्यों?

20 मई, 2023 को राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने प्रदेश के चार शहरों जोधपुर, उदयपुर, कोटा और अजमेर में जीआईएस आधारित थ्री डी सिटी और राजधरा सैटेलाइट इमेजरी रिपोजिटरी परियोजनाओं के क्रियान्वयन के लिये 106.46 करोड़ रुपए के वित्तीय प्रस्ताव को मंजूरी दी है।

प्रमुख बिंदु 

  • राज्य सरकार द्वारा शहरों के विकास की बेहतर प्लानिंग एवं प्रबंधन के लिये प्रदेश के जोधपुर, उदयपुर, कोटा और अजमेर शहरों के जियोग्राफिक इनफार्मेशन सिस्टम (जीआईएस) आधारित थ्री डी सिटी मॉडल विकसित किये जाएंगे।
  • इससे शहरों के मास्टर प्लान में लैंड यूज प्रस्तावित करना, नई सड़कों, फ्लाईओवर, नई कॉलोनियों के निर्माण व विस्तार, ड्रेनेज प्लान सहित विभिन्न कार्यों को धरातल पर उतारने, बड़े पैमाने पर आधारभूत ढाँचे के विकास, परिवहन योजना, भूमि नियोजन, नगर नियोजन इत्यादि के प्रभावी आकलन, सिमुलेशन एवं योजना बनाने में आसानी होगी।
  • विकसित थ्री डी मॉडल का ऑगमेंटेड रियलिटी/वर्चुअल रियलिटी (AR/VR) द्वारा शहर का वर्चुअल टूर भी किया जा सकेगा।
  • इसके अतिरिक्त राजधरा प्लेटफॉर्म पर राजस्थान की विभिन्न समयावधि की सैटेलाइट इमेजरी की रिपोजिटरी भी स्थापित की जाएगी। इससे  विभिन्न विभागों की आवश्यकताओं के अनुसार जैसे लेंड यूज, लेंड कवर, जलाशयों/जल स्रोतों एवं वन क्षेत्रों में परिवर्तन, फसल उपज अनुमान, शहरों के विकास एवं फैलाव इत्यादि के विश्लेषण में आसानी होगी। 

राजस्थान Switch to English

राजस्थान साहित्य अकादमी पुरस्कार 2022-23

चर्चा में क्यों?

19 मई, 2023 को राजस्थान के कला साहित्य एवं संस्कृति मंत्री बी. डी. कल्ला ने राजस्थान साहित्य अकादमी का वार्षिक पुरस्कार-सम्मान समारोह 2022-23 में साहित्यकारों को संगीत, कला और साहित्य के क्षेत्र में अमूल्य योगदान के लिये सम्मानित किया।

प्रमुख बिंदु 

  • राजस्थान साहित्य अकादमी का वार्षिक पुरस्कार-सम्मान समारोह हरिश्चंद्र माथुर राजस्थान राज्य लोक प्रशासन संस्थान (ओटीएस) के भगवत सिंह मेहता सभागार में आयोजित किया गया।
  • समारोह में मीरा पुरस्कार, रांगेय राघव पुरस्कार, सुधींद्र पुरस्कार, देवीलाल सामर पुरस्कार, देवराज उपाध्याय पुरस्कार,  कन्हैयालाल सहल पुरस्कार, शंभूदयाल सक्सेना पुरस्कार, सुमनेश जोशी पुरस्कार, परदेशी पुरस्कार, चंद्रदेव शर्मा पुरस्कार एवं सुधा गुप्ता पुरस्कार का वितरण किया गया।
  • इस मौके पर विशिष्ट साहित्यकार सम्मान से प्रदेश के कई ख्यातनाम साहित्यकारों को भी सम्मानित किया गया।
  • मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के विशेषाधिकारी फारूक आफरीदी को भी साहित्य के क्षेत्र में उनके अहम योगदान के लिये विशिष्ट साहित्यकार सम्मान प्रदान किया गया।
  • इन साहित्यकारों को मिला सम्मान-
    • 2022-23 के वार्षिक पुरस्कारों के तहत कथा एवं उपन्यास विधा में दिया जाने वाला रांगेय राघव पुरस्कार बाँसवाड़ा निवासी भरत चंद्र शर्मा को उनके उपन्यास ‘पीर परबत-सी’ के लिये दिया गया।
    • काव्य विधा के लिये दिया जाने वाला सुधींद्र पुरस्कार जयपुर के कवि मायामृग को उनकी कविता संग्रह ‘मुझमें मीठा तू हैं’के लिये तथा एकांकी-नाटक के लिये दिया जाने वाला देवीलाल सामर पुरस्कार जयपुर निवासी अजय अनुरागी को नाट्य कृति ‘रांग नंबर’ के लिये दिया गया।
    • आलोचना क्षेत्र का प्रतिष्ठित देवराज उपाध्याय पुरस्कार भरतपुर मूल के राजाराम भादू को आलोचना-कृति ‘कविता के आयाम’को तथा विविध विधाओं का कन्हैयालाल सहल पुरस्कार जयपुर के व्यंग्यकार यश गोयल को कृति ‘नामुमकिन नेता’के लिये दिया गया।
    • बाल साहित्य के क्षेत्र में शंभूदयाल सक्सेना पुरस्कार कांकरोली की कुसुम अग्रवाल को उनकी पुस्तक ‘हम सब एक हैं’के लिये दिया गया। 
    • बहुप्रतिष्ठित मीरा पुरस्कार, रति सक्सेना को उनकी कृति ‘हँसी एक प्रार्थना के लिये’ के लिये प्रदान किया गया।
    • ये सभी पुरस्कार इकतीस हज़ार रुपए की राशि के हैं।
    • इक्कीस हज़ार रुपए की राशि वाला प्रथम प्रकाशित कृति सुमनेश जोशी पुरस्कार उदयपुर निवासी कथाकार तराना परवीन को कहानी संग्रह ‘एक सौ आठ’के लिये दिया गया।

नवोदित साहित्यकारों को भी अकादमी द्वारा सम्मानित किया गया

  • विद्यालय स्तरीय परदेशी पुरस्कार
    • कविता के लिये- महारानी गायत्री देवी कन्या विद्यालय, जयपुर की प्राचा शर्मा को ‘सागर मोती एवं अन्य कविताएँ’के लिये,
    • कहानी के लिये- जवाहर नवोदय विद्यालय, पल्लू-हनुमानगढ़ की दिव्या सानप को कहानी ‘खुशी के आँसू’के लिये,
    • निबंध के लिये- राउमावि अमरपुरा-उदयपुर की हर्षिता मीणा को निबंध ‘नवाचारों का उद्भव’के लिये
    • लघुकथा के लिये- राजकीय सार्दुल उमावि बीकानेर के अरमान नदीम की लघुकथा ‘असली ताकत’के लिये दिया गया।
  • महाविद्यालय स्तरीय चंद्रदेव शर्मा पुरस्कार
    • कविता के लिये- राजकीय लोहिया महाविद्यालय चूरू के हिमांशु भारद्वाज को ‘स्पृहा और अन्य कविताएँ’के लिये,
    • कहानी के लिये- इक्कीस कॉलेज गोपल्याण-लूणकरणसर की निर्मला शर्मा को कहानी ‘कोई चारा नहीं’के लिये,
    • एकांकी के लिये- माँ जालपा देवी राजकीय महाविद्यालय तारानगर की तनिष्का पड़िहार की एकांकी ‘जागो प्यारे, जागो’के लिये,
    • निबंध के लिये- सोनादेवी सेठिया कन्या महाविद्यालय सुजानगढ़ की मैना कँवर को निबंध ‘विगत और संभावनाएँ’के लिये दिया गया।
  • सुधा गुप्ता महाविद्यालय स्तरीय कविता पुरस्कार महिला स्नातकोत्तर महाविद्यालय जोधपुर की सूरज कुमारी को ‘प्रकृति की आवाज और अन्य कविताएँ’के लिये दिया गया।
  • उल्लेखनीय है कि उक्त सभी पुरस्कारों के तहत पाँच हज़ार रुपए प्रति पुरस्कार प्रदान किये जाते हैं।


राजस्थान Switch to English

आहूस (डेनमार्क) एवं राजस्थान सरकार के बीच हुआ एमओयू

चर्चा में क्यों?

19 मई, 2023 को राजस्थान के जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी मंत्री डॉ. महेश जोशी की उपस्थिति में सचिवालय के कॉन्फ्रेंस हॉल में शहरी जल प्रबंधन के लिये आहूस, डेनमार्क एवं राजस्थान सरकार के बीच हुए एमओयू पर हस्ताक्षर किये गए।

प्रमुख बिंदु 

  • एमओयू पर राज्य सरकार की ओर से अतिरिक्त मुख्य सचिव पीएचईडी एवं जल संसाधन डॉ. सुबोध अग्रवाल ने हस्ताक्षर किये जबकि आहूस (डेनमार्क) की ओर से डायरेक्टर प्लानिंग लुइसे पेपे के डिजिटल हस्ताक्षर हुए।
  • जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी मंत्री डॉ. महेश जोशी ने कहा कि डेनमार्क एवं राजस्थान के बीच विभिन्न क्षेत्रों में आपसी सहयोग की मार्च, 2021 में पहल की गई थी। राजस्थान एवं डेनमार्क के बीच आपसी सहयोग की कड़ी को आगे बढ़ाते हुए इस एमओयू पर हस्ताक्षर किये गए हैं।
  • शहरी पेयजल क्षेत्र में सेवाओं एवं गुणवत्ता में सुधार, वितरण तंत्र की दक्षता में वृद्धि से गैर-राजस्व जल (छीजत) में कमी, जल स्त्रोतों का समन्वित प्रबंधन तथा भूजल एक्विफर मैपिंग, अपशिष्ट जल प्रबंधन की योजना एवं पुनर्चक्रण, नदियों के कायाकल्प के लिये हरित समाधान आदि क्षेत्रों में राजस्थान एवं डेनमार्क मिलकर कार्य करेंगे।
  • जलदाय मंत्री ने पानी के सदुपयोग एवं जल संरक्षण पर जोर देते हुए कहा कि डेनमार्क में पानी की छीजत शून्य है और वहाँ पानी का पूरा इस्तेमाल होता है। अलग-अलग तरीकों से पानी बचाने की उनकी तकनीक, पेयजल, अपशिष्ट जल प्रबंधन एवं पुनर्चक्रण, नदियों के कायाकल्प आदि में आपसी सहयोग से राजस्थान को इसका लाभ होगा।
  • अतिरिक्त मुख्य सचिव डॉ. सुबोध अग्रवाल ने कहा कि केंद्र सरकार के जल शक्ति मंत्रालय सहित विभिन्न स्तरों पर मंजूरी एवं प्रक्रियाएँ पूरी करने के बाद यह एमओयू हुआ है। इससे पेयजल प्रबंधन में स्मार्ट वाटर तकनीक, गैर राजस्व जल (छीजत) में कमी लाने, अपशिष्ट जल के ट्रीटमेंट एवं रिसाइकल के साथ ही नदियों के पुनरूद्धार में डेनमार्क का तकनीकी सहयोग मिलेगा।
  • इस एमओयू के बाद जोधपुर, कोटा एवं जयपुर जैसे बड़े ज़िलों में कुशल जल प्रबंधन के क्षेत्र में आहूस एवं राजस्थान के बीच सहयोग बढ़ाया जाएगा।
  • डेनमार्क के राजदूत फ्रेडी स्वान ने कहा कि डेनमार्क एवं भारत के बीच स्ट्रेटजिक पार्टनरशिप है। उन्होंने कहा कि राजस्थान के साथ लंबे समय तक आपसी सहयोग की दिशा में सकारात्मक प्रयास किये जाएंगे।


मध्य प्रदेश Switch to English

सभी ग्रामों में बनेंगी लाड़ली बहना सेनाएँ

चर्चा में क्यों?

21 मई, 2023 को मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने धार ज़िले के गंधवानी में आयोजित ‘लाड़ली बहना महासम्मेलन’में कहा कि बहनों के कल्याण के लिये संचालित योजनाओं के बेहतर क्रियान्वयन और निगरानी के लिये सभी ग्रामों में लाड़ली बहना सेनाएँ बनेंगी।

प्रमुख बिंदु

  • महासम्मेलन में मुख्यमंत्री ने 229 करोड़ 66 लाख रुपए के विकास कार्यों का लोकार्पण और 187 करोड़ 76 लाख रुपए के विकास कार्यों का भूमि-पूजन किया।
  • मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि योजनाओं के बेहतर क्रियान्वयन और कार्यों पर निगरानी रखने के लिये लाड़ली बहना सेनाओं की भूमिका को सक्रिय बनाया जाएगा। बड़े ग्रामों में 21 सदस्य और छोटे ग्रामों में 11 सदस्य शामिल की जाएंगी।
  • मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्ष 2017 में विशेष पिछड़ी जनजाति बेगा, सहरिया और भारिया के लिये 1000 रुपए मासिक प्रदान करने की योजना प्रारंभ की गई थी। इस राशि से महिलाएँ घर में फल, दूध, सब्जी आदि खरीदने का कार्य कर सकती हैं।
  • लाड़ली बहना योजना भी इसी विचार का विस्तार है। इसमें विशेष पिछड़ी जनजातियों के अलावा सभी बहनों के लिये प्रतिवर्ष 12 हज़ार रुपए प्रदान करने का निर्णय लिया गया। 10 जून से महिलाओं को इस योजना का लाभ मिलने लगेगा।
  • मुख्यमंत्री ने कहा कि धार ज़िले में पीएम मित्र टेक्सटाईल पार्क प्रारंभ होने से क्षेत्र में महिलाओं को आसानी से रोज़गार उपलब्ध होंगे। टेक्सटाईल पार्क से दो लाख लोगों को रोज़गार मिलेगा।
  • इस अवसर पर धार ज़िले के 13 विकासखंड की बहनों ने ज़िले की 90 हज़ार बहनों की ओर से मुख्यमंत्री श्री चौहान को पाती (चिट्ठियाँ) सौंपी जिसमें उन्होंने मुख्यमंत्री लाड़ली बहना योजना प्रारंभ करने के लिये धन्यवाद दिया।


झारखंड Switch to English

गिरिडीह के सरिया व बिरनी को केंद्रीय मंत्री ने दी जलापूर्ति योजनाओं की सौगात

चर्चा में क्यों?

20 मई, 2023 को केंद्रीय शिक्षा राज्य मंत्री अन्नपूर्णा देवी ने गिरिडीह ज़िले के सरिया व बिरनी प्रखंड में जलापूर्ति योजनाओं का शिलान्यास किया।

प्रमुख बिंदु 

  • केंद्रीय शिक्षा राज्य मंत्री अन्नपूर्णा देवी ने गिरिडीह ज़िले के सरिया प्रखंड क्षेत्र की अमनारी पंचायत अंतर्गत करनीडीह में 54 करोड़ रुपए की लागत से बनने वाली दो जलापूर्ति योजना क्रमश: अमनारी व कैलाटांड जलापूर्ति योजना का शिलान्यास किया।
  • इस योजना से अमनारी, परसिया व घुठियापेसरा पंचायत के एक दर्जन गाँव के 20 हज़ार 889 लोग लाभान्वित होंगे।
  • कैलाटांड जलापूर्ति योजना से कैलाटांड, मोकामो, बंदखारी तथा कुसमाडीह के एक दर्जन गाँव की लगभग 20 हज़ार की आबादी लाभान्वित होगी।
  • विधायक विनोद कुमार सिंह ने कहा कि 24 करोड़ से अमनारी व 30 करोड़ की लागत से कैलाटांड जलापूर्ति योजना पूरी होगी। इस योजना से क्षेत्र के हज़ारों लोग लाभान्वित होंगे एवं क्षेत्र के लोगों को शुद्ध पेयजल मिलेगा। 

झारखंड Switch to English

जमशेदपुर के दलमा में बनेगा ग्रासलैंड

चर्चा में क्यों?

20 मई, 2023 को मीडिया से मिली जानकारी के अनुसार जमशेदपुर के दलमा वन्य प्राणी आश्रयणी से सटे गाँवों में हाथियों और मानव के आपसी संघर्ष को कम करने व वन्यजीवों की हो रही कमी को दूर करने के लिये वन विभाग द्वारा वन क्षेत्र में ग्रासलैंड (घास का मैदान) विकसित किया जाएगा।

प्रमुख बिंदु 

  • जानकारी के अनुसार वन विभाग ने इसके लिये कार्य योजना बनाई है। वन क्षेत्र में ग्रासलैंड विकसित किया जाएगा, ताकि इसके माध्यम से जीव जंतुओं को बाहर निकलने से रोका जा सके।
  • ग्रासलैंड के माध्यम से दलमा सेंचुरी क्षेत्र में शाकाहारी व माँसाहारी जीवों के लिये भोजन श्रृंखला सुदृढ़ करने की कवायद शुरू कर दी गई है।
  • विदित है कि दलमा सेंचुरी क्षेत्र में लगातार हो रहे अतिक्रमण के चलते उसमें रहने वाले जानवरों को पर्याप्त भोजन वन क्षेत्र में उपलब्ध नहीं हो पा रहा है, जिसके कारण हाथी और अन्य जानवर लगातार आबादी वाले क्षेत्र में घुस रहे हैं और बच्चों व मवेशियों को निशाना बना रहे हैं।
  • लगातार बढ़ रहे मानव-वन्यजीव संघर्ष को लेकर वन विभाग ने भी इसके प्रभावी नियंत्रण पर कार्य शुरू कर दिया है। करीब 194 वर्ग किलोमीटर में फैले दलमा सेंचुरी क्षेत्र में अब ग्रासलैंड विकसित कर सभी जानवरों के लिये पर्याप्त फूड चेन तैयार की जाएगी।
  • दलमा सेंचुरी में अभी 10 हेक्टेयर में ग्रासलैंड विकसित किया जा रहा है। इनके विकसित होने से दलमा सेंचुरी में रहने वाले जंगली जानवरों की आबादी बढ़ेगी, शाकाहारी जानवरों के अलावा जीव जंतुओं का भी रखरखाव आसान हो सकेगा तथा भोजन के लिये पर्याप्त शिकार भी दलमा के अंदर ही उपलब्ध होगा।


छत्तीसगढ़ Switch to English

मुख्यमंत्री ने किया ‘हमर सुघ्घर लईका अभियान’का शुभारंभ

चर्चा में क्यों?

21 मई, 2023 को छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने दुर्ग ज़िले के सांकरा में आयोजित ‘भरोसे का सम्मेलन’कार्यक्रम में ‘हमर सुघ्घर लईका अभियान’का शुभारंभ किया।

प्रमुख बिंदु 

  • ज़िले के संबंधित अधिकारियों द्वारा बताया गया कि ‘हमर सुघ्घर लईका अभियान’का उद्देश्य ज़िले के सर्वे सूची के आधार पर चिह्नित 18 सौ कुपोषित बच्चों को शीघ्र पोषित बच्चों की श्रेणी में लाना है।
  • ज़िला स्तर पर शुरू किया जाने वाला यह राज्य में पहला कार्यक्रम है। इस अभियान की विशेषता एपेटाइड टेस्ट के आधार पर बच्चों की ग्रोथ का प्रबंधन करना है।
  • इसमें ए.एन.एम. व मितानिन घर-घर जाकर कुपोषण की श्रेणी में आने वाली बच्चों का एपेटाइड टेस्ट करेंगी। इसके अलावा बच्चों की स्क्रीनिंग के लिये शिविर का आयोजन किया जाएगा। इसके बाद कुपोषण की श्रेणी में आने वाले बच्चों के परिवार को एक न्यूट्रिशयन की तरह जागरूक किया जाएगा और उन्हें ट्रेनिंग भी दी जाएगी।
  • इस अभियान के अंतर्गत संबंधित परिवार के साथ सामंजस्य स्थापित कर बच्चे की स्थिति बेहतर न होने तक परिवार को प्रशिक्षण व मार्गदर्शन दिया जाएगा।

उत्तराखंड Switch to English

स्थानीय समुदाय पर खर्च होगी ईको टूरिज्म की 90% कमाई

चर्चा में क्यों?

18 मई, 2023 को उत्तराखंड कैबिनेट ने ईको टूरिज्म गतिविधियों में रेवेन्यू शेयरिंग के प्रस्ताव को मंजूरी दी। इसके तहत उत्तराखंड में ईको टूरिज्म से होने वाली आय का 90 प्रतिशत हिस्सा स्थानीय स्तर पर खर्च किया जाएगा।

प्रमुख बिंदु 

  • कैबिनेट द्वारा पारित प्रस्ताव के तहत अब संरक्षित क्षेत्रों से बाहर वन क्षेत्रों में नए ईको टूरिज्म डेस्टिनेशंस में विभिन्न मदों (प्रवेश शुल्क, साहसिक गतिविधियों, पार्किंग, स्थगन सुविधाओं, कैंपिंग) में लिये जाने वाले शुल्क से होने वाली कमाई का पहले साल में 10 प्रतिशत और आगामी वर्षों में 20 प्रतिशत सरकार के खाते में जमा की जाएगी।
  • पर्यटन गतिविधियों के संचालन के लिये स्थानीय स्तर पर गठित संस्थाएँ और समितियाँ इस पैसे का उपयोग पर्यटक स्थलों के रखरखाव व अन्य मदों में खर्च कर सकेंगी।
  • यह व्यवस्था पहले वर्ष तक लागू रहेगी, जबकि दूसरे वर्ष से कमाई का 20 प्रतिशत हिस्सा सरकार और 80 प्रतिशत स्थानीय समुदाय को जाएगा।
  • इसके अलावा ऐसे ईको टूरिज्म डेस्टिनेशन, जिनकी आय जब एक समय के बाद पाँच करोड़ रुपए से अधिक हो जाएगी तब अतिरिक्त धनराशि राजकीय कोष में जमा की जाएगी। पहले से संचालित ईको टूरिज्म डेस्टिनेशंस के संबंध में 20 प्रतिशत राजकोष में जमा किया जाएगा, जबकि 80 प्रतिशत स्थानीय संस्थाओं के पास उनके रखरखाव आदि पर खर्च के लिये रहेगा।
  • ईको-टूरिज्म डेस्टिनेशंस को विकसित किये जाने पर उत्कृष्ट कार्य करने वाले ज़िलों को तीन पुरस्कार भी दिये जाएंगे। प्रथम पुरस्कार के रूप में एक करोड़ रुपए, द्वितीय में 75 लाख रुपए और तृतीय पुरस्कार के रूप में 50 लाख रुपए दिये जाएंगे।
  • ज़िले इस पुरस्कार राशि का इस्तेमाल ईको-टूरिज्म की अन्य गतिविधियों को आगे बढ़ाने में करेंगे। प्रथम स्थान पर आने वाले ज़िले पर अगले तीन वर्षों तक इस पुरस्कार के लिये विचार नहीं किया जाएगा।
  • गौरतलब है कि प्रदेश में उत्तराखंड ईको टूरिज्म डेवलपमेंट कारपोरेशन की स्थापना कंपनी अधिनियम 2013 के तहत वर्ष 2016 में की गई थी। इसके तहत अब रेवेन्यू शेयरिंग का प्रस्ताव पारित किया गया है। 

उत्तराखंड Switch to English

प्रदेश को जल्द मिलेगी साइबर फॉरेंसिक लैब

चर्चा में क्यों?

19 मई, 2023 को मीडिया से मिली जानकारी के अनुसार साइबर अपराधों में जाँच के लिये अब उत्तराखंड पुलिस को केंद्रीय फॉरेंसिक लैब या अन्य प्रदेशों की लैब पर निर्भर नहीं होना पड़ेगा। जल्द ही प्रदेश को अपनी फॉरेंसिक लैब मिल जाएगी।

प्रमुख बिंदु 

  • जानकारी के अनुसार इसके लिये केंद्र सरकार द्वारा चार करोड़ रुपए का बजट मंजूर किया गया है। इसमें से सवा करोड़ रुपए बतौर लिमिट जारी भी कर दिये गए हैं।
  • विदित है कि लगातार साइबर अपराध बढ़ रहे हैं। वर्तमान में उत्तराखंड का देश में पाँचवां स्थान है, जहाँ सबसे ज्यादा साइबर अपराध दर्ज किये जाते हैं। बहुत से मामलों में कंप्यूटर, मोबाइल और अन्य वस्तुओं को फॉरेंसिक जाँच के लिये केंद्रीय फॉरेंसिक लैब चंडीगढ़ भेजी जाती हैं।
  • चंडीगढ़ लैब के ऊपर चंडीगढ़ पुलिस के मामलों की जाँच करने की प्राथमिकता रहती है। इसके बाद वह पंजाब और हरियाणा पुलिस को तरजीह देते हैं। ऐसे में उत्तराखंड या अन्य प्रदेशों की पुलिस का नंबर बहुत बाद में आता है।
  • पुलिस अधिकारियों के मुताबिक कई बार जाँच रिपोर्ट देरी से आने में मुकदमों की जाँच भी प्रभावित होती है। कोर्ट में जाँच रिपोर्ट प्रस्तुत करने का भी दबाव रहता है। ऐसे में पिछले साल साइबर फॉरेंसिक लैब स्थापित करने के लिये प्रस्ताव भेजा गया था। 

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