हरियाणा में पाँच वर्ष से कम आयु की बाल मृत्यु दर में पाँच अंकों की गिरावट | हरियाणा | 22 Apr 2022
चर्चा में क्यों?
21 अप्रैल, 2022 को हरियाणा के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री अनिल विज ने बताया कि भारत के रजिस्ट्रार जनरल और नमूना पंजीकरण प्रणाली (एसआरएस) के अनुसार नवीनतम बाल स्वास्थ्य आँकड़ों में पाँच वर्ष से कम आयु की शिशु मृत्यु दर में हरियाणा में पाँच अंकों की उल्लेखनीय गिरावट आई है।
प्रमुख बिंदु
- मंत्री अनिल विज ने बताया कि पंजाब, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड जैसे पड़ोसी राज्यों की तुलना में हरियाणा में यू5एमआर में 5 अंकों की गिरावट सबसे अधिक है।
- उन्होंने बताया कि हरियाणा माताओं और शिशुओं को गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने के निरंतर प्रयास के माध्यम से बाल स्वास्थ्य सेवाओं को और बेहतर बनाने पर ध्यान केंद्रित कर रहा है। आरबीएसके कार्यक्रमों के तहत मुफ्त सर्जरी ने भी बाल मृत्यु दर की गिरावट में योगदान दिया है।
- हरियाणा में पाँच अंकों की गिरावट के साथ पाँच वर्ष से कम मृत्यु दर (यू5एमआर) 36 (एसआरएस, 2018) से घटकर 31 (एसआरएस, 2019) प्रति 1000 जन्म हुई है।
- शिशु मृत्यु दर (आईएमआर) 30, (एसआरएस 2018) से 27 (एसआरएस 2019) और नवजात मृत्यु दर (एनएमआर) 22 (एसआरएस 2018) से घटकर 19 (एसआरएस 2019) हो गई है, इन दोनों संकेतकों में भी उल्लेखनीय 3 अंक की गिरावट आई है।
- बाल स्वास्थ्य संकेतकों में गिरावट स्वास्थ्य विभाग द्वारा की गई, विभिन्न बाल स्वास्थ्य पहलों के कारण हुई है, जिसमें कार्यात्मक कंगारू मदर केयर यूनिट (केएमसी इकाइयों) के साथ 24 विशेष नवजात देखभाल इकाइयाँ (एसएनसीयू) शामिल हैं। उपमंडल अस्पताल (एसडीएच), अंबाला छावनी और एसडीएच जगाधरी में 2 नए एसएनसीयू स्थापित किये गए हैं।
- नलहड़ मेडिकल कॉलेज, नूँह और अग्रोहा मेडिकल कॉलेज, हिसार में मदर न्यूबॉर्न केयर यूनिट (एमएनसीयू) की स्थापना की गई है। 66 नवजात स्थिरीकरण इकाइयों (एनबीएसयू), 318 नवजात देखभाल केंद्रों के साथ-साथ 11 पोषण पुनर्वास केंद्रों (एनआरसी) ने भी एनएमआर और आगे आईएमआर को कम करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
- यू5एमआर में कमी टीकाकरण सेवाओं में सुधार, अन्य बाल स्वास्थ्य संबंधी कार्यक्रमों, जैसे- गहन दस्त नियंत्रण पखवाड़ा, सामाजिक जागरुकता और निमोनिया को सफलतापूर्वक बेअसर करने के लिये कार्रवाई, सूक्ष्म पोषक तत्त्व अनुपूरक दौर, राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस, आशा के माध्यम से घर-घर प्रसवोत्तर देखभाल आदि नियमित रूप से चलने वाले कार्यक्रमों के कारण हुई है।