उत्तर प्रदेश Switch to English
उत्तर प्रदेश के 150 आईटीआई अपग्रेड होंगे
चर्चा में क्यों?
21 फरवरी, 2023 को मीडिया से मिली जानकारी के अनुसार उत्तर प्रदेश सरकार प्रदेश के राजकीय औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों (आईटीआई) को अपग्रेड करने जा रही है। अपग्रेडिंग के लिये 150 आईटीआई को चिह्नित किया गया है।
प्रमुख बिंदु
- राज्य सरकार के इस निर्णय से प्रदेश के हज़ारों युवाओं को लाभ होगा और वो मौजूदा इंडस्ट्री की ज़रूरतों के हिसाब से स्किल और रोज़गार हासिल कर सकेंगे।
- विदित है कि व्यावसायिक शिक्षा एवं कौशल विकास विभाग के अंतर्गत प्रदेश में कुल 305 राजकीय औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान (आईटीआई) संचालित हैं, जिनमें विभिन्न प्रकार के कुल 72 व्यवसाय संबंधी प्रशिक्षण संचालित किये जा रहे हैं।
- इंड्रस्ट्री 0 प्रस्तावों की मांग के अनुसार राजकीय औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों का आधुनिकीकरण किये जाने की आवश्यकता बताई गई है। आधुनिक बाज़ार के मांग के अनुरूप ऐसे नवीन व्यवसायों/पाठयक्रमों को प्रशिक्षण में सम्मिलित किया जाए, जिससे प्रशिक्षण की गुणवत्ता से स्थानीय/राष्ट्रीय /वैश्विक औद्योगिक मांग के अनुरूप दक्ष मैन पावर तैयार किया जा सके। टाटा टेक्नोलॉजी लि.(टीटीएल) के इस प्रस्ताव को शासन की ओर से मंजूरी दी गई है।
- इसके अलावा टाटा टेक्नोलॉजी लि. एवं राज्य सरकार (व्यावसायिक शिक्षा एवं कौशल विकास विभाग) के बीच इसी संबंध में एक एमओए (मेमोरेंडम ऑफ एग्रीमेंट) भी किया गया है।
- कौशल विकास मिशन के डिप्टी डायरेक्टर राजीव यादव ने बताया कि इस एमओए के अंतर्गत प्रावधान किया गया है कि जिन आईटीआई को अपग्रेड किया जाएगा, उसमें आने वाले व्यय का 13 प्रतिशत हिस्सा राज्य सरकार की ओर से दिया जाएगा, जबकि 87 प्रतिशत हिस्सा निजी कंपनी टीटीएल द्वारा उठाया जाएगा।
उत्तर प्रदेश Switch to English
लखनऊ में नवाबों की पाँच ऐतिहासिक इमारतें बनेंगी हेरिटेज होटल
चर्चा में क्यों?
21 फरवरी, 2023 को उत्तर प्रदेश पुरातत्त्व विभाग की निदेशक डॉ. रेणु द्विवेदी ने बताया कि प्रदेश की राजधानी लखनऊ में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिये शहर की पाँच ऐतिहासिक इमारतों को हेरिटेज होटलों में बदलने के प्रस्ताव को शासन ने मंजूरी दे दी है।
प्रमुख बिंदु
- निदेशक डॉ. रेणु द्विवेदी ने बताया कि प्रस्ताव मंजूर होने के बाद पर्यटन विभाग ने इन्हें असंरक्षित श्रेणी में डालते हुए यहाँ हेरिटज होटल विकसित करने का नोटिस चस्पा कर दिया है। इन इमारतों को डी नोटिफाई कर दिया जाएगा और इनके हेरिटेज होटल बनने की राह में आने वाली बाधाओं को दूर कर दिया जाएगा।
- माना जा रहा है कि इन इमारतों को होटल का लुक देने से न सिर्फ पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा बल्कि पर्यटन विभाग की आय में भी इज़ाफा होगा। राजस्थान में इसी तरह से तमाम ऐतिहासिक इमारतों को होटलों में बदलने का बड़ा फायदा हुआ है। तेजी से पर्यटक इनके प्रति आकर्षित हो रहे हैं।
- निदेशक डॉ. रेणु द्विवेदी ने बताया कि फिलहाल लखनऊ की छतर मंजिल, रोशन-उद्दौला कोठी, कोठी गुलिस्ताने-इरम, कोठी दर्शन विलास और फरहद बख्स को हेरिटेज होटल में तब्दील करने की तैयारी है।
- उन्होंने बताया कि इन इमारतों को असंरक्षित किये जाने के मामले में यदि किसी भी व्यक्ति को आपत्ति हो तो वह विभाग में आपत्ति दर्ज करा सकता है और केवल उन्हीं आपत्तियों पर विचार किया जाएगा जो इस अधिसूचना के निरस्त होने के एक माह के भीतर आएंगी।
- डॉ. रेणु द्विवेदी ने बताया कि अन्य राज्यों में इमारतों को होटलों में बदलने के इस मॉडल ने विरासत को बचाने में काफी मदद की है और उन्हें आत्मनिर्भर बनाया है। इससे इन स्मारकों को जीर्ण-शीर्ण होने से बचाने में भी मदद मिलेगी।
- इन ऐतिहासिक इमारतों का व्यावसायिक उपयोग के लिये परिवर्तन करने से इनके संरक्षण में काफी मदद मिलेगी। राज्य एएसआई यह सुनिश्चित करेगा कि इमारत का नवीनीकरण और पुनर्निर्माण विरासत को प्रभावित किये बिना किया जाए।
- पर्यटन एवं संस्कृति विभाग के प्रमुख सचिव मुकेश मेश्राम ने बताया कि अन्य राज्यों की तर्ज पर इन भवनों को हेरिटेज होटलों में बदलने से इनके संरक्षण में मदद मिलेगी। साथ ही इससे राज्य की राजधानी में पर्यटकों की संख्या बढ़ाने में मदद मिलेगी।
- छतर मंजिल भवन - इस भवन का निर्माण नवाब सआदत अली खाँ ने 1798-1814 के बीच अपनी माता छतर कुँअर के नाम पर करवाया था। इसके बाद बादशाह गाजीउद्दीन हैदर के 1827-1837 के शासनकाल में इस भवन को सँवारा गया। छतर मंजिल का भवन इंडो-इटालियन स्थापत्य कला से बना है। इसके भूतल की दीवारों से गोमती का पानी टकराता था, जिससे भवन में बराबर ठंडक बनी रहती थी। इस भवन का उपयोग अवध की बेगमों के निवास के लिये किया जाता था। यह भी माना जाता है कि सिंहासनारोहण के समय जब नवाब ने छत्र धारण किया तब उसने इस महल के ऊपर भी छत्र लगवाया था। 1857 के स्वतंत्रता संग्राम में छतर मंजिल का प्रयोग क्रांतिकारियों ने किया।
- गुलिस्तान-ए-इरम - इसका निर्माण 19वीं शताब्दी की शुरुआत में अवध के दूसरे नवाब नसीरुद्दीन हैदर ने करवाया था। यह नसीरुद्दीन का निजी पुस्तकालय था। ब्रिटिश काल में यह सरकार का फार्म हाउस बन गया। 1857 में स्वतंत्रता संग्राम के बाद अंग्रेजों ने कैसरबाग को ध्वस्त करने का आदेश दिया था, क्योंकि यह नवाबों का गढ़ था। इसी आदेश के तहत गुलिस्तान-ए-इरम को भी ध्वस्त कर दिया गया।
- कोठी दर्शन विलास - कोठी दर्शन विलास के जिस भवन में अब स्वास्थ्य निदेशालय स्थित है, वह कभी एक महल था। इसका निर्माण नवाब गाजीउद्दीन हैदर के शासनकाल में शुरू हुआ।
- रोशन-उद्-दौला - अवध के नवाब नसीरुद्दीन हैदर (1827-1837) के शासनकाल के दौरान उनके प्रधानमंत्री रोशन-उद्-दौला ने इसका निर्माण कराया। इसे जल्द ही नवाब वाजिद अली शाह ने ले लिया। इसके वास्तु में ब्रिटिश और मुगल कला दोनों के संकेत मिलते हैं।
- फरहत बख्श कोठी - इस कोठी का मूल नाम मार्टिन विला था। इसका निर्माण मेजर जनरल क्लाउड मार्टिन ने सन् 1781 में करवाया था। यह इंडो-फ्रेंच वास्तुकला का अद्भुत नमूना है। यह उनका निवास स्थान हुआ करता था।
बिहार Switch to English
मो. शम्स का चयन पैरा स्वीमिंग चैंपियनशिप के लिये
चर्चा में क्यों?
21 फरवरी, 2023 को मीडिया से मिली जानकारी के अनुसार बिहार के मधुबनी ज़िले के पैरा स्वीमर मो. शम्स आलम का चयन पैरा स्वीमिंग वर्ल्ड सीरीज़ चैंपियनशिप के लिये किया गया है।
प्रमुख बिंदं
- इंग्लैंड के शेफील्ड में 16 से 19 मार्च, 2023 तक आयोजित होने वाली पैरा स्वीमिंग चैंपियनशिप के लिये भारतीय पैरा स्वीमिंग टीम में पैरा स्वीमर मो. शम्स आलम का चयन किया गया है।
- गौरतलब है कि 11-13 नवंबर, 2022 को गुवाहटी के डॉ. जाकिर हुसैन जलीय परिसर में आयोजित राष्ट्रीय पैरा स्वीमिंग चैंपियनशिप में मो. शम्स आलम दो स्वर्ण और एक काँस्य पदक जीत चुके हैं।
- मो. शम्स आलम जून 2022 में पैरा स्वीमिंग चैंपियनशिप में 4 मिनट, 39.71 सेकेंड में 200 मीटर की दौड़ पूरी कर नया राष्ट्रीय रिकॉर्ड बनाते हुए छठे स्थान पर रहे थे।
- इन्हें वर्ष 2021 में नेशनल बेस्ट स्पोर्ट्स पर्सन अवॉर्ड भी मिल चुका है।
मध्य प्रदेश Switch to English
एआईएसएचई में 22वें से 17वें स्थान पर पहुँचा मध्य प्रदेश
चर्चा में क्यों?
21 फरवरी, 2022 को एआईएसएचई शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार में उप महानिदेशक आर. राजेश ने उच्च शिक्षा विभाग द्वारा प्रशासन अकादमी में एक दिवसीय कार्यशाला का शुभारंभ करते हुए कहा कि एआईएसएचई के माध्यम से उच्च शिक्षा संस्थानों के डाटा प्रविष्टि के कार्य में मध्य प्रदेश 22वें स्थान से 17वें स्थान पर आ गया है।
प्रमुख बिंदु
- गौरतलब है कि मध्य प्रदेश में वर्ष 2020-21 की रिपोर्ट में लगभग साढ़े चार लाख नए विद्यार्थियों का डाटा, पोर्टल में दर्ज हुआ है।
- आर. राजेश ने कहा कि एआईएसएचई द्वारा इस बात पर विशेष ध्यान दिया जाता है कि पोर्टल पर दर्ज किया जाने वाले आँकड़े पूरी तरह सटीक हों, क्योंकि इस डाटा बेस का इस्तेमाल भारत सरकार के विभिन्न मंत्रालयों द्वारा नीति निर्माण, बजट आवंटन एवं अनुसंधान में किया जाता है। इस डाटा बेस का इस्तेमाल कई बार यूनेस्को, डब्ल्यूएचओ जैसे विश्वस्तरीय संगठन भी करते हैं।
- निजी विश्वविश्वविद्यालय विनियामक आयोग के अध्यक्ष प्रो. भरत शरण ने कहा कि वर्ष 2020-21 की रिपोर्ट से पता चलता है कि मध्य प्रदेश में अनुसूचित जनजाति वर्ग की छात्राओं के नामांकन में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।
- उल्लेखनीय है कि एआईएसएचई उच्च शिक्षा के क्षेत्र में देश का सबसे बड़ा सर्वेक्षण संस्थान है, जो वर्ष 2010-11 से प्रारंभ हुआ है। इसके माध्यम से सभी उच्चतर शिक्षा संस्थानों के विद्यार्थी शिक्षक से संबंधित संपूर्ण जानकारी, परीक्षा परिणाम, पाठयक्रम, शिक्षा की गुणवत्ता के लिये संस्थाओं में होने वाले प्रशिक्षण एवं कार्यकम, बुनियादी सुविधाएँ, आर्थिक संसाधन के आँकड़े एक पोर्टल के माध्यम से एकत्रित किये जाते हैं।
छत्तीसगढ़ Switch to English
स्कूल शिक्षा मंत्री द्वारा आन-डिमांड बहु-भाषा शिक्षण पर आनलाईन कोर्स का शुभारंभ
चर्चा में क्यों?
21 फरवरी, 2023 को छत्तीसगढ़ के स्कूल शिक्षा मंत्री डॉ. प्रेमसाय सिंह टेकाम ने अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस पर ज़िला एवं विकासखंड स्तरीय अधिकारियों के लिये ऑनलाईन डिमांड बहु-भाषा शिक्षण हेतु ऑनलाईन कोर्स का शुभारंभ किया।
प्रमुख बिंदु
- इसके अलावा स्कूल शिक्षा मंत्री डॉ. प्रेमसाय सिंह टेकाम ने राज्य में भाषायी सर्वे के आधार पर बच्चों को बहु-भाषा शिक्षण देने के लिये शिक्षकों के लिये पठन सामग्री का विमोचन किया। साथ ही बच्चों को उनकी स्थानीय भाषा में कहानी सुनाने के लिये पॉडकास्ट का उपयोग करने हेतु शिक्षकों का ऑन डिमांड क्षमता संवर्धन कार्यक्रम का भी शुभारंभ किया।
- उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल द्वारा राज्य में स्कूली बच्चों को उनकी स्थानीय भाषा में शिक्षा देने की घोषणा की गई है, जिसके आधार पर मातृभाषा शिक्षण पर विभिन्न कार्य प्रारंभ किये गए हैं, इसका लाभ राज्य में आदिवासी अंचल के बच्चों को मिल रहा है।
- छत्तीसगढ़ पहला राज्य है जहाँ लैंग्वेज एंड लर्निंग फाउंडेशन (एल.एल.एफ.) और यूनिसेफ के सहयोग से भाषायी सर्वेक्षण का कार्य भी पूरा किया गया है। ऐसे में अब जब कक्षाओं में बच्चों को सीखने में स्थानीय भाषा का उपयोग किया जाना है, तो स्कूल शिक्षा विभाग के अधिकारियों के लिये ऑनलाईन कोर्स का शुभारंभ किया गया है।
- छत्तीसगढ़ पहला राज्य है जिसने बच्चों द्वारा बोली जाने वाली भाषा पर आधारित भाषायी सर्वे किया है। इस रिपोर्ट को समझने एवं स्कूलों में शिक्षकों को बहुभाषा संबंधी विभिन्न मुद्दों पर जानकारी देने हुए शिक्षण विधियों में आवश्यक सुधार लाने हेतु समग्र शिक्षा की ओर से संदर्भ सामग्री तैयार की गई है। यह सामग्री प्राथमिक स्कूलों के शिक्षकों को उपलब्ध करवाई जाएगी।
- राज्य में वर्तमान में शिक्षकों की एक टीम द्वारा प्रतिमाह चर्चा पत्र को पॉडकास्ट के रूप में प्रकाशित किया जाता है, जिसे शिक्षक बड़ी रूचि से सुनते हैं और उसमें कही गई बातों को अपनी-अपनी कक्षा में लागू करने का प्रयास करते हैं।
- इसी कड़ी में कुछ विशेषज्ञ शिक्षकों, कुछ स्थानीय भाषा के जानकार शिक्षकों एवं कुछ बाह्य संस्थाएँ जो इस कार्य में सहयोग देना चाहते हों, उनके साथ मिलकर विभिन्न स्थानीय कहानियों का संकलन, उन पर पॉडकास्ट बनाना, बाद में चयनित कुछ कहानियों का प्रिंट वर्जन भी साझा करना जैसे कार्य इस टीम के साथ मिलकर किये जाएंगे।
- इस कार्य के लिये इच्छुक लोगों की टीम सोशल मीडिया के माध्यम से बनाई जाएगी। इन पॉडकास्ट को स्कूलों में शिक्षकों द्वारा मोबाइल, प्राथमिक शालाओं में उपलब्ध स्पीकर आदि का उपयोग कर इस्तेमाल में लाया जा सकेगा। इस पॉडकास्ट को सुनकर बच्चे अपने संस्कृति, इतिहास एवं परंपराओं को जानकार आत्म गौरवान्वित हो सकेंगे।
- पॉडकास्ट निर्माण में तकनीकी समर्थन, इनके कक्षाओं में उपयोग हेतु उपकरण की आवश्यकता के आधार पर मांग एवं समर्थन हेतु ‘विद्यांजली’पोर्टल पर भी इसे अपलोड किया जाना प्रस्तावित है।
उत्तराखंड Switch to English
गोवा-केरल की तर्ज पर उत्तराखंड में तैयार होगा पर्यटन पुलिस का ढाँचा
चर्चा में क्यों?
21 फरवरी, 2023 को उत्तराखंड के पुलिस प्रवक्ता व एडीजी वी. मुरुगेशन ने बताया कि प्रदेश में जल्द ही गोवा और केरल की तर्ज पर पर्यटन पुलिस का गठन किया जाएगा। इसके लिये एक नया सिलेबस तैयार किया जाएगा।
प्रमुख बिंदु
- पुलिस प्रवक्ता व एडीजी वी. मुरुगेशन ने बताया कि उत्तराखंड एक पर्यटन प्रदेश है। यहाँ पर बहुत से शहर ऐसे हैं जहाँ पर वर्षभर करोड़ों लोग पर्यटन और तीर्थाटन के लिये आते हैं। इनसे संवाद स्थापित करने और परेशानियों को दूर करने के लिये पर्यटन पुलिस की ज़रूरत पर बल दिया जा रहा है।
- उन्होंने बताया कि पिछले साल पर्यटन मंत्रालय की ओर से दिशा-निर्देश जारी हुए थे। इसमें सभी राज्यों को अपने यहाँ सशक्त पर्यटन पुलिस का गठन करने को कहा गया था।
- वी. मुरुगेशन ने बताया कि इसके लिये उत्तराखंड पुलिस केरल और गोवा पुलिस के ढाँचे का अध्ययन कर रही है, जिसकी तर्ज पर ही उत्तराखंड में भी पर्यटन पुलिस का गठन किया जाना है। जल्द ही शासन को पर्यटन पुलिस के ढाँचे के लिये प्रस्ताव भेजा जाएगा। शासन से मंत्रणा के बाद ही यह तय होगा कि ढाँचा कितना बड़ा होगा।
- उन्होंने बताया कि पुलिस अधिकारियों और कर्मचारियों का ट्रेनिंग मोड्यूल भी इसी तरह से तय किया जाएगा कि उससे उत्तराखंड के पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा।
- पर्यटन पुलिस को उन शहरों में स्थायी पोस्टिंग दी जाएगी, जहाँ पर वर्षभर पर्यटकों का आना-जाना लगा रहता है। इन पुलिस के जवानों को एक पर्यटन गाइड की तरह प्रशिक्षण दिया जाएगा।
- पुलिस प्रवक्ता व एडीजी ने बताया कि पुलिस केवल पर्यटकों की कानून-व्यवस्था के तहत ही मदद नहीं करेगी, बल्कि उनकी गाइड की तरह मदद की जाएगी। इसके लिये पुलिसकर्मियों को राज्य के इतिहास, भूगोल की जानकारी भी दी जाएगी। उन्हें यहाँ के महत्त्वपूर्ण स्थलों, मंदिरों आदि के बारे में बारीकी से बताया जाएगा।
उत्तर प्रदेश Switch to English
‘मुख्यमंत्री उत्थान’ और ‘ज्ञानकोष योजना’
चर्चा में क्यों?
20 फरवरी, 2023 को उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बताया कि प्रदेश में छात्रों को आईएएस-पीसीएस समेत कई प्रतियोगी परीक्षाओं के लिये अब मुफ्त कोचिंग मिलेगी। इन परीक्षाओं की तैयारी के लिये ‘मुख्यमंत्री उत्थान’ और ‘ज्ञानकोष योजना’ शुरू करने की घोषणा की गई है।
प्रमुख बिंदु
- मुख्यमंत्री ने बताया कि मुख्यमंत्री उत्थान योजना के तहत राज्य में छात्रों को आईएएस, आईपीएस, पीसीएस, एनडीए, सीडीएस, मेडिकल एवं इंजीनियरिंग जैसी प्रतियोगी परीक्षाओं की कोचिंग दी जाएगी। इससे आर्थिक अभाव की वजह से इन परीक्षाओं की तैयारी न कर पाने वाले छात्र-छात्राओं के लिये सुविधा होगी।
- उन्होंने बताया कि इन छात्रों को ऑनलाइन स्टडी मटेरियल, ऑफलाइन कक्षाएँ परीक्षा से संबंधित पाठ्यक्रम, प्रश्न बैंक आदि सुविधाएँ उपलब्ध कराई जाएंगी।
- ‘ज्ञानकोष योजना’ के तहत विभागीय छात्रावास, आश्रम पद्धति विद्यालयों और विभागीय प्रतिष्ठानों का उपयोग करते हुए हर ज़िले में समृद्ध पुस्तकालय की स्थापना, पुस्तकालयों का उपयोग प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले युवा, छात्र, शिक्षक एवं समुदाय के सदस्य कर सकेंगे।
- पुस्तकालयों में योग्य अनुभवी और प्रोफेशनल व्याख्याताओं को सूचीबद्ध करते हुए एक संपर्क केंद्र बनाया जाएगा, जो प्रतियोगी परीक्षाओं से संबंधित विषयगत समस्या को दूर करेंगे तथा पुस्तकालयों के उपयोग के लिये विशेषज्ञों को सूचीबद्ध, पुस्तकों की व्यवस्था, इन्फ्रास्ट्रक्चर आदि की समीक्षा विशेषज्ञ समिति की ओर से की जाएगी।
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