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राजस्थान स्टेट पी.सी.एस.

  • 21 Feb 2022
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‘ऑपरेशन अस्मिता’

चर्चा में क्यों?

19 फरवरी, 2022 को मुख्य सचिव के समक्ष बूंदी ज़िला कलेक्टर रेणु जयपाल ने ‘ऑपरेशन अस्मिता’ नवाचार का प्रेजेंटेशन दिया।

प्रमुख बिंदु

  • बूंदी ज़िले के कुछ क्षेत्रों में देह व्यापार कुरीति को समाप्त करने, बालिकाओं को बेहतर बचपन, उत्कृष्ट शिक्षा एवं सर्वांगीण विकास की राह पर ले जाने के लिये ज़िला प्रशासन द्वारा ‘ऑपरेशन अस्मिता’ को शुरू किया जा रहा है।
  • इस नवाचार के ज़रिये नोबेल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी की टीम एवं विशेषज्ञ संस्थाओं के सहयोग से विभिन्न विकासोन्मुखी गतिविधियों द्वारा शिक्षा और रोज़गार से जोड़कर पीड़ित वर्ग को मुख्यधारा में लाने का मार्ग प्रशस्त किया जाएगा।
  • ज़िला कलेक्टर ने बताया कि ‘ऑपरेशन अस्मिता’ बूंदी ज़िले के एक समुदाय विशेष के बाहुल्य वाले क्षेत्रों में शुरू किया जा रहा है। 
  • ज़िले के गाँव रामनगर से इसकी शुरुआत की जा रही है। हिंडोली के शंकरपुरा तथा इंद्रगढ़ के मोहनपुरा को भी शामिल किया जाएगा। 
  • ‘ऑपरेशन अस्मिता’ के प्रभावी क्रियान्वयन के लिये चरणवार कार्ययोजना बनाई गई है। इसके अंतर्गत विभिन्न संस्थाओं के सहयोग से गतिविधियाँ की जाएंगी।
  • चयनित गाँवों में चिह्नित परिवारों के लक्षित समूह के साथ विभिन्न स्तरों पर कार्य होगा। नोबेल पुरस्कार प्राप्त सामाजिक कार्यकर्त्ता कैलाश सत्यार्थी (बचपन बचाओ आंदोलन के प्रणेता) के सहयोग से प्रभावित क्षेत्रों में जागरूकता गतिविधियाँ होंगी। 
  • शिक्षा से वंचित या ड्रॉपआउट के लिये उनके अनुकूल शैक्षणिक सुविधाएँ दी जाएंगी। शिक्षित बेरोज़गारों को रोज़गार से जोड़ा जाएगा। परिवार के अन्य सदस्यों के साथ काउंसिलिंग, जागरूकता गतिविधियों के माध्यम से ब्रेन वाशिंग कर स्वास्थ्य एवं करियर निर्माण के प्रति जागरूक बनाया जाएगा।
  • परिवार की आजीविका के दृष्टिगत संबंधित विभागों के सहयोग से कौशल विकास एवं रोज़गारोन्मुखी प्रशिक्षण दिलवाए जाएंगे।
  • समय-समय पर विभिन्न कंपनियों द्वारा चयनित गाँवों के लिये प्लेसमेंट शिविर आयोजित करवाए जाएंगे और शिक्षित बेरोज़गारों को रोज़गार के अवसर दिये जाएंगे।
  • खेल प्रतिभाओं को अवसर देने के लिये संबंधित क्षेत्रों में खेल मैदानों का विकास किया जाएगा तथा खेल सुविधाएँ एवं आवश्यक प्रशिक्षण की सुविधा दी जाएंगी।
  • इस नवाचार के क्रियान्वयन में नोबेल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी की टीम के साथ बाल कल्याण समिति, चाइल्डलाइन अन्य अनुभवी विशेषज्ञ संस्थाओं एवं व्यक्तियों की मदद ली जाएगी। ज़िला प्रशासन के विभिन्न विभागों एवं संस्थाओं का भी सहयोग रहेगा।

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‘मेड इन इंडिया’ पुस्तक

चर्चा में क्यों?

19 फरवरी, 2022 को भारतीय रेलवे लेखा सेवा की अधिकारी तारिका रॉय और भारतीय विदेश सेवा की अधिकारी सौम्या गुप्ता द्वारा संयुक्त रूप से लिखी गई पुस्तक ‘Mad(e) in India’ पर आईएएस लिटरेरी सोसायटी राजस्थान द्वारा वर्चुअल इंटरेक्शन सेशन के माध्यम से चर्चा की गई। तारिका रॉय और सौम्या गुप्ता की यह पहली किताब है।

प्रमुख बिंदु

  • तारिका रॉय ने अपनी किताब पर चर्चा करते हुए बताया कि यह पुस्तक हमारे देश भारत और भारतीयों की आदतों, रहन-सहन, आचारख्रव्यवहार तथा यहाँ की संस्कृति एवं परंपराओं के मजेदार पहलुओं की खोज है।  
  • इस किताब से हर भारतीय खुद को जोड़ सकता है। यह पुस्तक बताती है कि हम एक व्यक्ति और एक राष्ट्र के रूप में कौन हैं, हमारी विचित्रता, अंधविश्वास, असंख्य देवी-देवता और पवित्र पुरुष, हमारे भीड़ख्रभाड़ वाले शहर और सड़कें, फिल्मी सितारों और फिल्मी शैली के साथ हमारा जुनून, बड़ी और छोटी सभी समस्याओं को हल करने के हमारे जुगाडू़ तरीके, हमारे विविध व्यंजन, सांस्कृतिक परंपराएँ और कला रूप तथा विविधता में एकता, जो हमारे सतही मतभेदों को पाटती है। 
  • इस पुस्तक का एक अध्याय भारतीय रेल से संबंधित विभिन्न पहलुओं से जुड़ा है, जो पाठकों की बहुत-सी यादें ताजा कर देगा। 
  • सौम्या गुप्ता ने बताया कि यह किताब हमारे देश से बाहर रहने वाले लोगों को भी रोचक, अनूठे और विशिष्ट भारत की तस्वीर दिखाएगी। इस किताब में पाठकों को ट्रकों के पीछे लिखी इबारतों से लेकर लोगों के मुँह पर रहने वाले तकिया कलामों के मजेदार रूप पढ़ने को मिलेंगे। साथ ही पैरेंटल कंट्रोल और हाईवे स्पेशल ढाबों की दुनिया के मज़ेदार किस्से भी। इस पुस्तक में देश की विशेषताओं और अनोखेेपन को एक नए तरीके से पाठक के सामने रखने का प्रयास किया गया है।

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