बिहार Switch to English
अंतरिक्ष में होने का अहसास कराएगा पटना का अत्याधुनिक तारामंडल
चर्चा में क्यों?
हाल ही में कोलकाता से आई 6 सदस्यीय टीम ने पटना स्थित तारामंडल का निरीक्षण किया, जिसके उपरांत इस तारामंडल को डिजिटल बनाने का कार्य शुरू हो गया है।
प्रमुख बिंदु
- पटना तारामंडल देश का पहला ऐसा तारामंडल होगा, जहाँ 6 रेड, ग्रीन और ब्ल्यू (आरजीबी) प्योर लेज़र प्रोजेक्टर लगाए जाएंगे। इन प्रोजेक्टर में रंगों के अनेक प्रकार हैं।
- ये प्रोजेक्टर आरजीबी किरणों को कंप्यूटर के माध्यम से मिलाकर शो के लिये वास्तविक रंगों का निर्माण करेंगे, जिससे दर्शकों को तारामंडल में अंतरिक्ष में होने का अहसास होगा।
- यह प्रोजेक्शन सिस्टम 16 मीटर डायमीटर डोम एरिया के अनुरूप उपयुक्त एवं आधुनिक तकनीक से लैस होगा। इसकी कुल लागत 36 करोड़ 13 लाख 20 हज़ार रुपए होगी।
- इस प्रोजेक्टर से 2डी और 3डी शो देखने की सुविधा मिलेगी।
- गौरतलब है कि देश में 22 तारामंडल हैं, जिनमें से कोलकाता साइंस सिटी और कर्नाटक पिलिकुला स्वामी विवेकानंद प्लेटरियम में 3डी प्रोजेक्टर लगा हुआ है। बाकी सभी तारामंडलों में 2डी प्रोजेक्टर लगे हैं।
- विदत है कि बिहार में पटना के अलावा गया और भागलपुर में भी तारामंडल का निर्माण कार्य प्रगति पर है।
- आरजीबी प्योर लेज़र प्रोजेक्टर की आयु 40 हज़ार से अधिक घंटे की होती है। इसमें कूलिंग सिस्टम लगा रहता है। इस प्रोजेक्टर से आँखों पर कोई हानिकारक प्रभाव नहीं पड़ता। डिजिटल प्रोजेक्टर की अपेक्षा इसमें ब्राइटनेस अधिक होती है।
बिहार Switch to English
नेशनल मिशन फॉर इंटर डिसिप्लिनरी साइबर फिजिकल सिस्टम
चर्चा में क्यों?
21 फरवरी, 2022 को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में आयोजित मंत्रिपरिषद की बैठक में राज्य के सभी राजकीय अभियंत्रण महाविद्यालयों में भारत सरकार की बहुविषयक साइबर फिजिकल प्रणाली योजना (NM-ICPS) के तहत प्रौद्योगिकी विकास, कौशल विकास, उद्यमिता एवं स्टार्टअप विषयों में प्रशिक्षण दिये जाने हेतु प्रौद्योगिकी नवाचार केंद्र के रूप में आईआईटी रूड़की के ‘दिव्या संपर्क इनोवेशन हब’ को मनोनीत किया गया।
प्रमुख बिंदु
- NM-ICPS एक समग्र मिशन है, जो साइबर फिजिकल सिस्टम में प्रौद्योगिकी विकास, मानव संसाधन विकास, उद्यमशीलता और स्टार्टअप विकास तथा संबंधित प्रौद्योगिकियों के मुद्दों को हल करेगा।
- मिशन का लक्ष्य 15 प्रौद्योगिकी नवाचार केंद्र, 6 विनियोग नवाचार केंद्र और 4 प्रौद्योगिकी आधारित नव अनुसंधान केंद्र बनाना है।
- इस मिशन को वर्ष 2018 में केंद्र सरकार द्वारा 5 वर्षों के लिये मंज़ूरी प्रदान की गई थी।
मध्य प्रदेश Switch to English
मध्य प्रदेश में इंदौर HIV और एड्स के हाई रिस्क ग्रुप में पहले नंबर पर
चर्चा में क्यों?
हाल ही में मध्य प्रदेश एड्स कंट्रोल सोसाइटी ने रिपोर्ट जारी की है, जिसमें बताया गया है कि एड्स के हाई रिस्क ग्रुप में इंदौर पहले स्थान पर है, अर्थात् यहाँ खतरा सबसे ज़्यादा है।
प्रमुख बिंदु
- दूसरे शहरों के मुकाबले इंदौर में फीमेल सेक्स वर्कर तो ज्यादा हैं ही, लेकिन सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि यहाँ GAY (पुरुषों से संबंध बनाने वाले पुरुष) भी ज्यादा हैं। GAY के मामलों में ग्वालियर दूसरे, जबलपुर तीसरे और भोपाल चौथे नंबर पर है।
- उल्लेखनीय है कि मध्य प्रदेश एड्स कंट्रोल सोसाइटी राज्य में हाई रिस्क ग्रुप के 55 हज़ार लोगों में HIV और एड्स की रोकथाम के लिये गैर-सरकारी संस्थाओं के ज़रिये काम कर रही है। सोसाइटी हाई रिस्क कैटेगरी वाले लोगों को जागरूक करती है तथा HIV स्क्रीनिंग कराने का काम भी करती है, जिनमें HIV की पुष्टि होती है, उनका इलाज कराया जाता है।
- HIV पॉजिटिव पेशेंट्स के सेक्स पार्टनर और बच्चों की भी HIV स्क्रीनिंग कराई जाती है, ताकि संक्रमण पैलने से रोका जा सके।
- मध्य प्रदेश में हाई रिस्क ग्रुप में करीब 12 हज़ार MSM (Men who have Sex with Men) रिकॉर्ड में हैं। सबसे ज़्यादा 1570 इंदौर ज़िले में दर्ज हैं। ग्वालियर में 849, जबलपुर में 795 और भोपाल में 766, वहीं आगर-मालवा में 8 और सीधी में 2 लोग डैड कैटेगरी के रिकॉर्ड में हैं।
- फीमेल सेक्स वर्कर्स (FSW) के मामले में भी इंदौर पहले नंबर पर है। प्रदेश में करीब 35 हज़ार फीमेल सेक्स वर्कर्स की जानकारी एड्स कंट्रोल सोसाइटी के पास दर्ज है। सबसे ज़यादा FSW इंदौर में 2513 में हैं। इसके बाद छिंदवाड़ा में 2464 हैं।
- प्रदेश में इंजेक्टिंग ड्रग यूजर (IDU), यानी इंजेक्शन सिरिंज के ज़रिये नशा करने वाले करीब 8 हज़ार लोग रिकॉर्ड में हैं। इनमें सबसे ज़्यादा IDU कैटेगरी के लोग जबलपुर ज़िले में 1303 हैं, भोपाल में 1223 और रीवा में 1089 हैं।
- एड्स की रोकथाम के बारे में मध्य प्रदेश एड्स कंट्रोल सोसाइटी के प्रोजेक्ट डायरेक्टर के.डी. त्रिपाठी ने बताया कि हाई रिस्क कैटेगरी में अलग-अलग ग्रुप्स तक पहुँचने के लिये करीब 68 लक्ष्यगत हस्तक्षेप परियोजनाएँ (टारगेटेड इंटरवेंशन प्रोजेक्ट) चलाई जा रही हैं।
- इन प्रोजेक्ट के ज़रिये हाई रिस्क ग्रुप में HIV की रोकथाम के लिये स्क्रीनिंग, यौन संबंधों के दौरान कंडोम का उपयोग करने, इंजेक्शन से नशा करने वालों को सिरिंज उपलब्ध कराना है।
- HIV संक्रमितों को AET सेंटर से लिंक कराकर नियमित दवाएँ और उपचार मुहैया कराने का काम किया जा रहा है।
- मध्य प्रदेश में HIV की स्क्रीनिंग के लिये करीब 1652 FICTC ( Facilitated Integrated Counselling and Testing Centre) संचालित हैं।
मध्य प्रदेश Switch to English
बटेश्वर के मंदिरों का पुनरुद्धार
चर्चा में क्यों?
हाल ही में इंफोसिस द्वारा मध्य प्रदेश के मुरैना स्थित बटेश्वर के 200 मंदिर समूहों का जीर्णोद्धार पुन: प्रारंभ किया गया है।
प्रमुख बिंदु
- गौरतलब है कि बटेश्वर मंदिर समूहों के संरक्षण का कार्य वर्ष 2005 में भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण के तत्कालीन क्षेत्रीय अधीक्षक के.के. मुहम्मद द्वारा शुरू किया गया था।
- 2005 से 2011 के मध्य 60 मंदिरों का जीर्णोद्धार किया गया था।
- ये मंदिर समूह शिव, विष्णु और शक्ति को समर्पित हैं, अर्थात् ये हिंदू धर्म की तीन प्रमुख परंपराओं (शैव, वैष्णव और शाक्त) का प्रतिनिधित्व करते हैं।
- मध्य प्रदेश के पुरातत्त्व निदेशालय के अनुसार, गुर्जर-प्रतिहार राजवंश के शासनकाल में 200 मंदिरों का यह समूह बनाया गया था।
हरियाणा Switch to English
एचएसबीटीई ने ‘जिंदल स्टेनलेस कंपनी’ के साथ किया समझौता
चर्चा में क्यों?
21 फरवरी, 2022 को हरियाणा के पॉलिटेक्निक संस्थानों में पढ़ने वाले छात्रों को स्टेनलेस स्टील प्रौद्योगिकी एवं एप्लीकेशन में सशक्त बनाने के दृष्टिकोण के साथ हरियाणा राज्य तकनीकी शिक्षा बोर्ड (एचएसबीटीआई) ने ‘जिंदल स्टेनलेस कंपनी’ के साथ एक समझौता किया।
प्रमुख बिंदु
- इस समझौता ज्ञापन पर बोर्ड के सचिव राजेश गोयल और ‘जिंदल स्टेनलेस कंपनी’ के विनिर्माण विभाग के वरिष्ठ उपाध्यक्ष विजय बिंदलिश ने हस्ताक्षर किये।
- बोर्ड के सचिव डॉ. राजेश गोयल ने बताया कि आत्मनिर्भर भारत अभियान के अंतर्गत युवाओं को स्वावलंबी बनाने की दिशा में यह एमओयू एक मील का पत्थर साबित होगा। ‘जिंदल स्टेनलेस कंपनी’ के निदेशक विजय शर्मा ने कहा कि इस समझौते से व्यावसायिक पाठ्यक्रमों की एक नई शृंखला का मार्ग प्रशस्त होगा और इस स्टेनलेस स्टील में पारंगत विद्यार्थियों के मिलने से इस उद्योग को नई ऊँचाइयाँ हासिल होंगी।
- इस साझेदारी के तहत स्टेनलेस स्टील पर दो मॉड्यूल लॉन्च किये जाएंगे। हरियाणा में सभी सरकारी पॉलिटेक्निक के मैकेनिकल इंजीनियरिंग के चौथे सेमेस्टर के छात्रों के लिये एक अनिवार्य मॉड्यूल शुरू किया जाएगा। यह मॉड्यूल मटेरियल एवं मेटलर्जी विषय का हिस्सा होगा और इसमें 10 व्याख्यान होंगे। इसे हरियाणा के सभी 25 पॉलिटेक्निक कॉलेजों में संस्थागत रूप दिया जाएगा, जिससे हर साल 3,000 से अधिक छात्र लाभान्वित होंगे।
- उक्त पाठ्यक्रम मार्च 2022 से शुरू करने की योजना है। इसके अलावा, गवर्नमेंट पॉलिटेक्निक हिसार में मैकेनिकल इंजीनियरिंग के पाँचवे सेमेस्टर के छात्रों के लिये 3 क्रेडिट, 42 व्याख्यान का वैकल्पिक पाठ्यक्रम शुरू किया जाएगा।
- ‘जिंदल स्टेनलेस कंपनी’ गवर्नमेंट पॉलिटेक्निक हिसार में एक व्यावहारिक प्रयोगशाला स्थापित करेगी, जहाँ छात्रों को स्टेनलेस स्टील की बेल्डिंग और पैब्रिकेशन का व्यावहारिक ज्ञान मिलेगा। इस तरह नौकरी के अवसरों के अलावा छात्रों को उद्योग का अनुभव और प्रशिक्षण भी मिलेगा।
झारखंड Switch to English
जनजातीय और क्षेत्रीय भाषाओं की नई सूची जारी
चर्चा में क्यों?
हाल ही में झारखंड सरकार ने ज़िलास्तरीय पदों पर नियुक्ति के लिये जनजातीय व क्षेत्रीय भाषाओं की नई सूची जारी की।
प्रमुख बिंदु
- इस संबंध में कार्मिक विभाग की ओर से अधिसूचना जारी कर दी गई है। इसके साथ ही ज़िलास्तरीय नियुक्तियों के लिये जनजातीय व क्षेत्रीय भाषाओं की सूची से संबधित 24 दिसंबर को जारी अधिसूचना को विलोपित कर दिया गया है। इससे पहले क्षेत्रीय भाषाओं की सूची में उर्दू को शामिल किया गया था।
- क्षेत्रीय भाषाओं की नई सूची में बोकारो से भोजपुरी एवं धनबाद से भोजपुरी और मगही को हटा दिया गया है।
- जेएसएससी द्वारा मैट्रिक व इंटर स्तर की प्रतियोगिता परीक्षा में ज़िलास्तरीय पदों के लिये भाषाओं को ज़िलावार चिह्नित करते हुए यह सूची जारी की गई है।
- उल्लेखनीय है कि विभिन्न संगठनों द्वारा, खासकर बोकारो और धनबाद में भोजपुरी एवं मगही भाषा को क्षेत्रीय भाषा की सूची में शामिल किये जाने के विरोध में आंदोलन किया गया था। शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो सहित झामुमो के कई नेताओं और कई संगठनों ने सरकार से क्षेत्रीय भाषाओं की सूची से भोजपुरी और मगही को हटाने की मांग की थी।
झारखंड Switch to English
एकीकृत कृषि प्रणाली में पशुधन को शामिल करना अत्यंत उपयोगी
चर्चा में क्यों?
21 फरवरी, 2022 झारखंड में राँची के बिरसा कृषि विश्वविद्यालय (बीएयू) कॉलेज ऑफ वेटरनरी साइंस एंड एनिमल हसबेंडरी द्वारा आयोजित 21 दिवसीय राष्ट्रीय पुनश्चर्या पाठ्यक्रम के समापन पर किसानों के लिये एक विचार मंथन और प्रशिक्षण कार्यक्रम में विशेषज्ञों ने गाय, भैंस, बकरी, सुअर, मुर्गीपालन, मछली और बत्तखपालन गतिविधियों जैसे पशुधन को एकीकृत खेती में शामिल करने पर ज़ोर दिया।
प्रमुख बिंदु
- बीएयू के कुलपति ओंकार नाथ सिंह ने कहा कि पशुधन की नवीनतम तकनीकों को शामिल करते हुए कृषि प्रणाली में प्रबंधन, किसानों की आय दोगुनी करने का एक बेहतर विकल्प है, जिससे देश में छोटे और सीमांत किसानों की बेहतर आजीविका और पोषण सुरक्षा मज़बूत होगी।
- गौरतलब है कि लगभग 60 एकीकृत कृषि प्रणालियों की पहचान की गई है और पूरे देश के विभिन्न जलवायु क्षेत्रों के लिये सिंचित एवं गैर-सिंचित परिस्थितियों के अनुरूप विकसित की गई हैं।
- शोध में वैज्ञानिकों ने एकीकृत कृषि प्रणाली को देश के किसानों की आय बढ़ाने का सबसे उपयुक्त माध्यम पाया है।
- एकीकृत कृषि प्रणाली एक संपूर्ण कृषि प्रबंधन प्रणाली है, जिसका उद्देश्य अधिक टिकाऊ कृषि प्रदान करना है। यह कृषि प्रणालियों में पशुधन और फसल उत्पादन का एकीकृत करती है।
- एकीकृत कृषि प्रणालियों ने पशुधन, जलीय कृषि, बागवानी, कृषि-उद्योग और संबद्ध गतिविधियों की पारंपरिक खेती में क्रांति ला दी है। इस प्रणाली में आधार के रूप में फसल गतिविधि के साथ अन्य उद्योगों के अंतर-संबंधित सेट शामिल हैं, इसमें एक घटक से ‘अपशिष्ट’ सिस्टम के दूसरे भाग के लिये एक इनपुट बन जाता है, जिससे लागत कम हो जाती है और मिट्टी के स्वास्थ्य में सुधार होता है एवं उत्पादन और आय में वृद्धि होती है।
छत्तीसगढ़ Switch to English
छत्तीसगढ़ के आकांक्षी और हाईबर्डन ज़िले में होगा फोर्टिफाइड चावल का वितरण
चर्चा में क्यों?
21 फरवरी, 2022 को छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की अध्यक्षता में आयोजित मंत्रिपरिषद की बैठक में आकांक्षी ज़िलों और हाईबर्डन ज़िलों में कुपोषण एवं एनीमिया जैसी समस्याओं से निपटने के लिये फोर्टिफाइड चावल के वितरण का महत्त्वपूर्ण निर्णय लिया गया है।
प्रमुख बिंदु
- राज्य सरकार द्वारा वित्तीय वर्ष 2022-23 में 10 आंकाक्षी ज़िलों और 2 हाईबर्डन ज़िलों में मार्च 2022 से सार्वजनिक वितरण प्रणाली के अंतर्गत राज्य योजना के राशनकार्डधारी परिवारों को फोर्टिफाइड चावल का वितरण किया जाएगा। राइस फोर्टिफिकेशन का शत-प्रतिशत खर्च राज्य सरकार द्वारा वहन किया जाएगा।
- खाद्य विभाग से मिली जानकारी के अनुसार सार्वजनिक वितरण प्रणाली में राज्य योजना के राशनकार्डों में चावल का वार्षिक आवंटन लगभग 3 लाख 89 हज़ार 486 टन है। इस चावल के फोर्टिफिकेशन के लिये लगभग 28.43 करोड़ और राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के हितग्राहियों को फोर्टिफाइड चावल के वितरण के लिये राज्य सरकार द्वारा 11.16 करोड़ रुपए इस प्रकार की 39.59 करोड़ रुपए की राशि व्यय की जाएगी।
- फोर्टिफाइड चावल का वितरण राज्य के 10 आकांक्षी ज़िले- कोरबा, राजनांदगाँव, महासमुंद, कांकेर, नारायणपुर, दंतेवाड़ा, बीजापुर, बस्तर, कोंडागाँव, सुकमा तथा 2 हाईबर्डन ज़िलों कबीरधाम और रायगढ़ में किया जाएगा।
- इन ज़िलों में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के राशनकार्डों की तरह ही राज्य योजना के राशनकार्डों में फोर्टिफाइड चावल का वितरण किया जाएगा।
- गौरतलब है कि ‘फोर्टिफाइड’ चावल आयरन और विटामिन से युक्त होता है। इस चावल में विटामिन ए, विटामिन बी1, विटामिन बी12, फोलिक एसिड, आयरन और ज़िंक, सभी पोषक तत्त्व का मिश्रण होता है। यह लोगों की खुराक में आवश्यक पौष्टिक तत्त्वों की पूर्ति के साथ ही कुपोषण के नियंत्रण में काफी हद तक मददगार होता है।
उत्तराखंड Switch to English
एक प्रदेश, एक संपत्ति कर निर्धारण प्रणाली
चर्चा में क्यों?
हाल ही में उत्तराखंड शहरी विकास निदेशालय के अपर निदेशक अशोक कुमार पांडेय ने बताया कि पूरे राज्य में प्रॉपर्टी टैक्स की एक समान कर निर्धारण प्रणाली लागू करने के लिये शहरों की जीआईएस (GIS) मैपिंग की जा रही है।
प्रमुख बिंदु
- पहले चरण में उत्तराखंड के 14 शहरों को शामिल किया गया है, जिसमें से 4 शहरों- देहरादून, हरिद्वार, हल्द्वानी और रुद्रपुर की जीआईएस मैपिंग अंतिम चरण में है।
- दूसरे चरण में सभी नगर पंचायतों में हाउस टैक्स के लिये सर्वे किया जाएगा।
- इस योजना के तहत नगर निकाय क्षेत्र का जीआईएस मैंपिंग कर सभी आवासीय एवं व्यावसायिक भवनों की जियो रैंकिंग की जाएगी तथा सभी भवनों को एक यूनिक आईडी नंबर युक्त स्मार्ट कार्ड दिया जाएगा।
- इस आईडी में भवन की फोटो, आकार, कवर एरिया, मकान मालिक का नाम, मकान का नंबर सहित सभी विवरण दर्ज होंगे।
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