बिहार में रामजानकी मार्ग को चार लेन में बनाने की मंज़ूरी | बिहार | 22 Jan 2022
चर्चा में क्यों?
21 जनवरी, 2022 को केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने बिहार के पथ निर्माण मंत्री नितिन नवीन को पत्र लिखकर जानकारी दी कि बिहार में रामजानकी मार्ग को चार लेन में बनाने की मंज़ूरी दे दी गई है।
प्रमुख बिंदु
- पत्र में केंद्रीय मंत्री गडकरी ने कहा कि रामजानकी मार्ग धार्मिक महत्त्व एवं पथ निर्माण विभाग, बिहार के अनुरोध को स्वीकार करते हुए इस राजमार्ग को राज्य में चार लेन किया जाएगा।
- बिहार के पथ निर्माण मंत्री ने बताया कि राज्य में करीब 240 किमी. की लंबाई में बन रहे रामजानकी मार्ग में से सिर्फ 90 किमी. ही फोरलेन मानक के अनुरूप है। शेष 150 किमी. दो-लेन सड़क के रूप में प्रस्तावित है। केंद्र सरकार से 150 किमी. लंबाई को भी फोरलेन किये जाने का प्रस्ताव दिया गया था, जिस पर केंद्र ने अनुमति दे दी है। अब पूरा 240 किमी. लंबा रामजानकी मार्ग चार लेन का होगा।
- राज्य में रामजानकी मार्ग उत्तर प्रदेश सीमा पर स्थित मेहरौना से शुरू होकर सीतामढ़ी ज़िले में नेपाल के अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर स्थित भिटॅा मोड़ तक जाता है। इसकी लंबाई लगभग 240 किमी. है।
- पीएम पैकेज बिहार-2015 के अंतर्गत इस पथ के 200 किमी. भाग को फोरलेन सड़क में विकसित करने का काम एनएचआई द्वारा किया जा रहा है।
- इसके साथ ही केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने बताया कि बिहार के वैशाली, समस्तीपुर और बेगूसराय ज़िलों में एनएच-122बी के हाज़ीपुर-महनार-बछवाड़ा खंड के पूर्व-निर्माण और महनार से बछवारा खंड के दो-लेन में सुधार के लिये 624.43 करोड़ रुपए के बजट के साथ स्वीकृति दी गई है।
‘जागती जोत’ के ‘पंडित भरत व्यास विशेषांक’का विमोचन | राजस्थान | 22 Jan 2022
चर्चा में क्यों?
21 जनवरी, 2022 को राजस्थान के कला, साहित्य एवं संस्कृति मंत्री डॉ. बी.डी. कल्ला ने जयपुर स्थित अपने राजकीय आवास पर राजस्थानी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति अकादमी, बीकानेर की मुखपत्रिका ‘जागती जोत’के ‘पंडित भरत व्यास विशेषांक’का विमोचन किया।
प्रमुख बिंदु
- इस विशेषांक के माध्यम से पंडित व्यास द्वारा रचित साहित्य के संबंध में, विशेषकर युवा पीढ़ी को महती जानकारी और प्रेरणा मिल सकेगी।
- इस अवसर पर डॉ. बी.डी. कल्ला ने कहा कि मरुधरा के अमर गीतकार पं. भरत व्यास राजस्थानी भाषा से बहुत प्रेम करते थे। उनके अनेक गीतों में राजस्थान की माटी की महक है और भक्ति-शक्ति-प्रेम के साक्षात् दर्शन होते हैं।
- राजस्थान की जिन प्रतिभाओं ने प्रदेश का नाम देश-विदेश में रोशन किया है, उन बहुआयामी व्यक्तित्व व कृतित्व के धनी लोगों में पं. भरत व्यास का नाम प्रमुख है। वे एक सफल गीतकार होने के साथ-साथ बेहतरीन अभिनेता, निर्देशक, संगीतकार, कथाकार व आशुकवि भी थे।
- पंडित भरत व्यास ने बीकानेर, चूरू, कोलकाता में रंगकर्मी के रूप में अपनी अनूठी छाप छोड़ी। बाद में वे मुंबई गए व अनेक फिल्मों में सैकड़ों कालजयी गीतों की रचना की। पंडित व्यास द्वारा रचित गीत- ‘ऐ मालिक तेरे बंदे हम’आज भी शिक्षण संस्थाओं और विभिन्न धार्मिक स्थलों पर प्रार्थना के रूप में गाया जाता है।
- उनके द्वारा लिखित अन्य गीत- जरा सामने तो आओ छलिये, आ लौट के आजा मेरे मीत, आधा है चंद्रमा, यह कहानी है दीये की और तूफान की, सहित ऐसे अनेक गीत हैं, जो इतने वर्ष बाद भी प्रासंगिक और मंत्रमुग्ध कर देने वाले हैं।
- अकादमी सचिव शरद केवलिया ने बताया कि जागती जोत के जनवरी माह के इस विशेषांक में देश के लब्धप्रतिष्ठ राजस्थानी साहित्यकारों के पं. भरत व्यास के व्यक्तित्व-कृतित्व पर आधारित आलेख, गीत, अनुवाद आदि सम्मिलित किये गए हैं।
‘जल महोत्सव’ को स्पेन में मिला भारत का अद्वितीय जल और साहसिक कार्निवल अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार | मध्य प्रदेश | 22 Jan 2022
चर्चा में क्यों?
20 जनवरी, 2022 को मध्य प्रदेश के वार्षिक पर्यटन कार्यक्रम ‘जल महोत्सव’ को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर स्पेन के मेड्रिड में भारत के अद्वितीय जल और साहसिक कार्निवल के रूप में सम्मानित किया गया है। फितूर (FITUR) द्वारा ऐरेलिबर (AireLibre) पत्रिका के साथ आयोजित सक्रिय पर्यटन प्रतियोगिता के 26वें संस्करण में यह पुरस्कार दिया गया है।
प्रमुख बिंदु
- इस प्रतियोगिता का आयोजन पर्यटन उद्योग में विकास और विपणन को बढ़ावा देने के लिये किया गया था। यह साहसिक पर्यटन, संस्कृति, प्रकृति, खाद्य और पेय पदार्थ, प्रौद्योगिकी विकास और पर्यावरण में उत्पादों को बढ़ावा देने पर केंद्रित है।
- प्रमुख सचिव पर्यटन और मध्य प्रदेश पर्यटन बोर्ड के प्रबंध निदेशक शिव शेखर शुक्ला ने कहा कि प्रतियोगिता में प्रदर्शित 100 उत्पादों में से मध्य प्रदेश पर्यटन के वार्षिक प्रचार कार्यक्रम ‘जल महोत्सव’को भारत के अद्वितीय जल और साहसिक कार्निवल के रूप में सम्मानित किया गया है।
- ‘जल महोत्सव’खेल और प्रकृति के प्रति उत्साही लोगों को आनंद एवं रोमांच की अनुभूति के लिये साहसिक गतिविधियों के अवसर प्रदान करता है।
- ‘जल महोत्सव’में साहसिक खेलों को ध्यान में रखते हुए अन्य उत्साहवर्धक गतिविधियाँ, जैसे- हॉट एयर बैलूनिंग, साइकिलिंग, क्रूज बोटिंग, वाटर पैरासेलिंग, पैरा मोटरिंग, आइलैंड केंपिंग, स्टार गेजिंग, बर्ड वॉचिंग आदि का भी आयोजन किया जाता है।
- उल्लेखनीय है कि जल महोत्सव को वर्ष 2017 में भारत सरकार के पर्यटन मंत्रालय द्वारा सबसे अनोखे/अद्वितीय नवीन पर्यटन उत्पाद के रूप में राष्ट्रीय पर्यटन पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका है।
राज्य पशु कल्याण सलाहकार मंडल गठित | मध्य प्रदेश | 22 Jan 2022
चर्चा में क्यों?
21 जनवरी, 2022 को राज्य शासन द्वारा पशुपालन एवं डेयरी मंत्री प्रेमसिंह पटेल की अध्यक्षता में राज्य पशु कल्याण सलाहकार मंडल का गठन किया गया।
प्रमुख बिंदु
- केंद्र शासन के दिशा-निर्देशानुसार गठित मंडल में अध्यक्ष कार्य परिषद मध्य प्रदेश गो-पालन एवं पशुधन संवर्धन बोर्ड उपाध्यक्ष और अपर मुख्य सचिव पशुपालन सदस्य होंगे। अन्य सदस्यों में विधायक, अशासकीय प्रतिनिधि और पशु कल्याण से जुड़ी संस्थाएँ शामिल की गई हैं।
- समिति पशुओं के प्रति क्रूरता एवं बरताव के निवारण, पशुओं के परिवहन में उपयोग, पशुओं के लिये शेड, पानी, चिकित्सा सहायता आदि के संबंध में राज्य सरकार को समय-समय पर सुझाव देगी।
- विधायकों में सुमित्रा देवी कास्डेकर और राम दांगोरे, गृह विभाग के अपर मुख्य सचिव और वन, शिक्षा, पंचायत एवं ग्रामीण विकास और नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग के प्रमुख सचिव, पीसीसीएफ (वाइल्ड लाइफ), संचालक पशुपालन एवं डेयरी विभाग, प्रबंध संचालक पशुधन एवं कुक्कुट विकास निगम और भारतीय वन जीव कल्याण बोर्ड के प्रतिनिधि को सदस्य नामांकित किया गया है।
- अशासकीय सदस्यों में कैलाश ललवानी गोपाल गोशाला नलखेड़ा ज़िला आगर-मालवा, वैदपाल झा केदारधाम गोशाला एवं जैव कृषि अनुसंधान केंद्र केदारपुर ज़िला ग्वालियर, प्रमोद नेमा भोपाल, जितेंद्र नरोलिया इंदौर और शंकर लाल पाटीदार कामधेनु सेवा संस्थान इमलिया जिला रायसेन शामिल हैं।
- पशु कल्याण से जुड़ी संस्थाओं में गो सेवा आश्रम देवरी ज़िला मुरैना, एनिमल क्योर एंड केयर ग्वालियर, श्री गोस्वामी रामानंद गोशाला गुना, श्री कृष्ण गोशाला सेवा आश्रम कुसमानिया ज़िला देवास, एनिमल एंड एनवायरनमेंट केयर ऑर्गनाइजेशन भोपाल, कामधेनु गोशाला भोपाल, श्री कृष्ण गोशाला एवं गो-संवर्धन समिति सिरोंज, त्रिवेणी गोशाला बैतूल, श्री दयोदय पशुधन संरक्षण समिति हरदा और जन-जागरण एजूकेशनल एंड हेल्थ वेलफेयर सोसायटी मकरोनिया ज़िला सागर भी बोर्ड के सदस्य होंगे।
- इस सलाहकार मंडल के प्रमुख कार्य हैं-
- पशुओं के प्रति क्रूरता का निवारण अधिनियम, 1960 के उपबंधों का पर्यवेक्षण एवं प्रशासन को सलाह देना।
- पशुओं के प्रति क्रूरता या बर्ताव के संबंध में शासन को सलाह देना।
- पशुओं के परिवहन में उपयोग होने वाले यानों की संरचना में सुधार हेतु शासन, प्रशासन या यान स्वामी को सुझाव देना।
- पशुओं के लिये शेड, पानी, चिकित्सा सहायता हेतु निर्णय लेना।
- पशुवध गृहों की संरचना, रख-रखाव के संबंध में शासन और स्थानीय प्राधिकरणों को आवश्यक सुझाव देना।
- आवारा पशुओं को पकड़ते समय उन्हें यातना और दर्द से निजात दिलाने के लिये आवश्यक कदम उठाना।
- असहाय, वृद्ध पशुओं और वन्य-प्राणियों की सुरक्षा करने वाली संस्थाओं को पिंजरा, बल्लियाँ, आश्रय स्थल के निर्माण आदि के लिये आवश्यक अनुदान उपलब्ध कराना।
- पशु क्रूरता निवारण के क्षेत्र में कार्यरत् संस्थाओं को आवश्यक सहयोग देना।
- पशुओं को सामान्यत: दी जाने वाली अनावश्यक यातनाओं के विरुद्ध लोगों को जागरूक करना और पशुओं के स्वास्थ्य संरक्षण के संबंध में राज्य शासन को सुझाव देना शामिल हैं।
हरियाणा, हिमाचल सरकार ने बांध निर्माण के लिये समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये | हरियाणा | 22 Jan 2022
चर्चा में क्यों?
21 जनवरी, 2022 को हरियाणा और हिमाचल प्रदेश की सरकारों के बीच 215.35 करोड़ रुपए की अनुमानित लागत से आदिबद्री बांध के निर्माण के लिये एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये गए।
प्रमुख बिंदु
- पंचकूला में हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खटेर और हिमाचल प्रदेश के उनके समकक्ष जयराम ठाकुर के समक्ष दोनों राज्यों के मुख्य सचिवों ने समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये।
- यह बांध हिमाचल प्रदेश में 31.66 हेक्टेयर भूमि पर बनाया जाएगा और हर साल 224.58 हेक्टेयर मीटर पानी का भंडारण करेगा, जिसमें से हिमाचल प्रदेश को 61.88 हेक्टेयर मीटर और हरियाणा को शेष 162 हेक्टेयर मीटर पानी मिलेगा।
- आदिबद्री बांध बनने से सरस्वती नदी में लगातार 20 क्यूसेक पानी बहेगा। इससे सरस्वती में साल भर पानी बहता रहेगा। इस बाँध की चौड़ाई 101.06 मीटर और ऊँचाई 20.5 मीटर होगी।
- खटेर ने कहा कि आदि बद्रीबांध के निर्माण से कई वर्षों से विलुप्त सरस्वती नदी का कायाकल्प होगा। सरस्वती नदी के जीर्णोद्धार से प्राचीन काल से धार्मिक मान्यताओं को भी पुनर्जीवित किया जाएगा, साथ ही इस क्षेत्र को तीर्थस्थल के रूप में भी विकसित किया जाएगा।
- मुख्यमंत्री ने कहा कि सरस्वती नदी पर शोध करने के लिये कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय में एक पीठ स्थापित की गई है, इसके अलावा हरियाणा सरस्वती विरासत विकास बोर्ड भी स्थापित किया गया है। हरियाणा सरकार ने सरस्वती नदी के लिये आदि बद्री से कैथल होते हुए घग्गर नदी तक 200 किमी. के क्षेत्र को अधिसूचित किया है।
- खटेर ने कहा कि इस परियोजना का उद्देश्य सरस्वती नदी को पुनर्जीवित करने के साथ-साथ भूजल स्तर को बढ़ाना है। बांध के चालू होने से बरसात के दिनों में अत्यधिक बारिश से उत्पन्न बाढ़ की स्थिति से भी निपटा जा सकेगा। इसके पास बन रही झील से पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा।
- उन्होंने कहा कि कालका से लेकर कालेसर तक का क्षेत्र पर्यटन की दृष्टि से बहुत महत्त्वपूर्ण है। इस क्षेत्र में आदिबद्री, लोहागढ़, कपालमोचन, माता मंत्र देवी समेत कई धार्मिक और पर्यटन स्थल आते हैं। बांध के साथ-साथ झील के विकास से यहाँ कई पर्यटक आएंगे, जिससे दोनों राज्यों को फायदा होगा।
- मुख्यमंत्री ने कहा कि हिमाचल प्रदेश के सहयोग से कई परियोजनाओं पर काम किया जाएगा, जिनमें हथिनीकुंड बैराज पर एक बांध का निर्माण भी शामिल है। इस बांध से बिजली पैदा करने के साथ ही यमुना नदी में साफ पानी का सतत् प्रवाह भी संभव हो सकेगा। इससे फसलों को भी बाढ़ जैसी स्थिति से बचाया जा सकेगा।
- इस अवसर पर हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कहा कि आदिबद्री बांध दोनों राज्यों के लिये सिंचाई और पीने के पानी की आवश्यकता को पूरा करेगा। सरस्वती नदी में पानी के बहाव के कारण इस क्षेत्र का विकास धर्म और पर्यटन की दृष्टि से किया जाएगा।
- उन्होंने कहा कि यह परियोजना हिमाचल प्रदेश के लिये भी बहुत उपयोगी होगी, क्योंकि पहाड़ी राज्य के लिये पेयजल की आवश्यकता हेतु 3.92 हेक्टेयर मीटर प्रति वर्ष और परियोजना प्रभावित बस्तियों की सिंचाई पानी की मांग के लिये 57.96 हेक्टेयर मीटर पानी निर्धारित किया जाएगा।
- उन्होंने कहा कि परियोजना की पूरी फंडिंग की व्यवस्था हरियाणा सरकार द्वारा की जाएगी। दोनों राज्य सरकारें परियोजना के प्राथमिक उद्देश्यों से समझौता किये बिना, अपने स्वयं के संसाधनों से स्थानीय लोगों के कल्याण और विकास के लिये आवश्यक अन्य बुनियादी सुविधाओं के साथ-साथ पर्यटन परियोजनाओं को तैयार करने हेतु स्वतंत्र होंगी।
टाटा स्टील की उत्सर्जन कम करने के लिये ‘दुनिया में अपनी तरह की पहली’ सीबीएम इंजेक्शन पहल | झारखंड | 22 Jan 2022
चर्चा में क्यों?
हाल ही में टिकाऊ स्टील उत्पादन की ओर बढ़ने के अपने निरंतर प्रयासों के हिस्से के रूप में टाटा स्टील ने जमशेदपुर वर्क्स में एक ब्लास्ट फर्नेस (ई ब्लास्ट फर्नेस) में कोल बेड मीथेन (सीबीएम) गैस के निरंतर इंजेक्शन के लिये परीक्षण शुरू करने की पहल की है। यह दुनिया में ऐसा पहला उदाहरण है, जहाँ किसी स्टील कंपनी में सीबीएम को इंजेक्टेंट के रूप में इस्तेमाल किया जाएगा।
प्रमुख बिंदु
- इस प्रक्रिया से कोक की दर 10 किग्रा/टीएचएम (टन हॉट मेटल) कम होने की उम्मीद है, जो कच्चे स्टील के प्रति टन 33 किग्रा. CO2 को कम करने के बराबर होगी। परीक्षण अगले कुछ हफ्तों में होगा।
- सीबीएम इंजेक्शन की सुविधा के लिये ई ब्लास्ट फर्नेस में पूरे सिस्टम की तकनीक, डिज़ाइन और विकास टाटा स्टील की इन-हाउस टीम द्वारा किया गया है।
- टाटा स्टील के आयरन मेकिंग के वाइस प्रेसिडेंट उत्तम सिंह ने कहा कि स्टील को बड़े पैमाने पर डीकार्बोनाइज करने की तकनीक अभी तैयार नहीं है। टाटा स्टील ने डीकार्बोनाइजेशन के लिये नए और स्केलेबल समाधानों का पता लगाने हेतु पायलटों और परीक्षणों सहित विभिन्न प्रौद्योगिकी पहल की हैं।
- यह परीक्षण ब्लास्ट फर्नेस में प्रयुक्त कोक दर में कमी तथा उत्पादकता पर इसके प्रभाव की मात्रा का निर्धारण करने में मदद करेगा और हाइड्रोजन आधारित इंजेक्टरों के साथ ब्लास्ट फर्नेस के संचालन के बारे में उपयोगी अंतर्दृष्टि प्रदान करेगा। इससे अधिक हाइड्रोजन युक्त हरित ईंधन के साथ ब्लास्ट फर्नेस के भविष्य के टिकाऊ संचालन के लिये एक रूपरेखा तैयार करने में मदद मिलेगी।
- सीबीएम में मुख्य रूप से भूमिगत कोयला भंडारों से निकाली गई अन्य गैसों की ट्रेस मात्रा के साथ 98% मीथेन होती है। भारत सीबीएम के प्रचुर संसाधनों से संपन्न है, जिसका प्रमुख स्रोत देश का पूर्वी क्षेत्र है।
- यह परीक्षण इंजेक्शन उद्देश्यों के लिये सीबीएम के उपयोग का लाभ उठाने हेतु तार्किक और आर्थिक रूप से एक आशाजनक अवसर प्रदान करता है।
- टाटा स्टील प्रक्रिया में सुधार, कुशल कच्चे माल और संसाधन प्रबंधन, उप-उत्पादों के उच्च उपयोग, उत्पादों के जीवनचक्र आकलन आदि के माध्यम से उच्चतम पर्यावरणीय प्रदर्शन मानकों को प्राप्त करने के लिये लगातार सफल प्रौद्योगिकियों में निवेश कर रही है।
- संधारणीयता के कारण का नेतृत्व करते हुए, कंपनी ने हरियाणा में भारत का पहला स्टील रीसाइक्लिंग प्लांट चालू किया, तैयार स्टील के परिवहन के लिये इलेक्ट्रिक वाहनों का उपयोग शुरू किया और जमशेदपुर में ब्लास्ट फर्नेस गैस से CO2 कैप्चर के लिये भारत का पहला प्लांट स्थापित किया।
मुख्यमंत्री ने जशपुर के पर्यटन और जैव-विविधता पर आधारित कैलेंडर का विमोचन किया | छत्तीसगढ़ | 22 Jan 2022
चर्चा में क्यों?
21 जनवरी 2022 को छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने अपने निवास कार्यालय में जशपुर के पर्यटन और जैव-विविधता पर आधारित वर्ष 2022 के कैलेंडर तथा दैनिक समाचार-पत्र ‘आज की जनधारा’के वार्षिक कैलेंडर का विमोचन किया।
प्रमुख बिंदु
- जैव विविधता पर आधारित इस कैलेंडर में जशपुर ज़िले के मनोरम जलप्रपात, पर्वत, वन्य प्राणी, धार्मिक स्थलों सहित चाय बागान, एडवेंचर स्पोर्ट्स और जनजातीय जीवन के पर्व-त्योहारों के दृश्यों को शामिल किया गया है।
- न्यूज़ समूह के स्टेट हेड सुभाष मिश्रा ने बताया कि इस वर्ष ‘आज की जनधारा’के कैलेंडर में रंगकर्मी अरुण काठोटे के कविता पोस्टर संकलित किये गए हैं।
- कैलेंडर में सर्वश्री गजानन माधव मुक्तिबोध, विनोद कुमार शुक्ल, धूमिल, नागार्जुन, पाब्लो नेरुदा सरीखे हिन्दी और विश्व साहित्य के जनवादी कवियों की प्रसिद्ध रचनाओं को शामिल किया गया है। साथ ही जाने-माने साहित्यकारों, कलाकारों की जयंती सहित शासकीय अवकाश की जानकारी भी उपलब्ध कराई गई है।