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स्टेट पी.सी.एस.

  • 21 Nov 2023
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उत्तर प्रदेश Switch to English

निवेश प्रोत्साहन नीति की मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) जारी

चर्चा में क्यों?

20 नवंबर, 2023 को अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास आयुक्त मनोज कुमार सिंह ने प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) और फार्च्यून 500 कंपनियों को आकर्षित करने के लिये बनाई गई निवेश प्रोत्साहन नीति (एफडीआई पालिसी) की मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) जारी कर दी।

प्रमुख बिंदु

  • जारी एसओपी के अनुसार यह एफडीआई पालिसी एक नवंबर 2023 से 31 अक्तूबर, 2028 तक प्रभावी रहेगी।
  • फार्च्यून 500 में फार्च्यून ग्लोबल 500 और फार्च्यून इंडिया 500 कंपनियों को शामिल किया गया है।
  • निवेशकों को पाँच साल बिजली के बिल में सौ फीसदी छूट तथा स्टांप ड्यूटी व पंजीकरण में 50 से 100 फीसदी छूट मिलेगी। इसके अलावा ज़मीन पर भी 75 से 80 फीसदी तक सब्सिडी का प्रावधान किया गया है।
  • निवेशकों को स्टांप ड्यूटी और पंजीकरण में छूट गौतमबुद्ध नगर और गाजियाबाद में 50 फीसदी, मध्यांचल, पश्चिमांचल में 75 फीसदी और बुंदेलखंड व पूर्वांचल में 100 फीसदी होगी। सब्सिडी के एवज में निवेशक को उतनी ही रकम की बैंक गारंटी देनी होगी।
  • विकास प्राधिकरणों से ज़मीन लेने पर स्टांप छूट के लिये शासन द्वारा निवेशक को एक पत्र दिया जाएगा। निजी डेवलपर से ज़मीन खरीदने पर इनवेस्ट यूपी द्वारा प्रमाण-पत्र जारी किया जाएगा। इसी के आधार पर सब्सिडी मिलेगी। औद्योगिक उत्पादन शुरू होने के बाद स्टांप व पंजीकरण शुल्क की प्रतिपूर्ति कर दी जाएगी।
  • एफडीआई के तहत निवेशकों को ज़मीन पर न्यूनतम 75 फीसदी से 80 फीसदी सब्सिडी मिलेगी। कुछ मामलों में ये 80 फीसदी से भी ज्यादा हो सकती है। इसकी समीक्षा सात दिन के अंदर इनवेस्ट यूपी के सीईओ की अध्यक्षता में गठित मूल्यांकन समिति करेगी। इस रिपोर्ट को अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास आयुक्त के नेतृत्व में गठित प्राधिकार समिति के सामने पेश किया जाएगा।
  • समिति 15 दिन में प्रस्ताव को स्वीकार या अस्वीकार कर देगी। प्राधिकार समिति द्वारा प्रस्ताव स्वीकार होने पर संबंधित विकास प्राधिकरण के लिये पत्र जारी किया जाएगा। यदि निवेशक दी गई निवेश अवधि के अंदर उत्पादन शुरू नहीं करता है तो 12 फीसदी ब्याज के साथ ज़मीन वापस ले ली जाएगी।
  • सब्सिडी प्राप्त करने के लिये जरूरी लेटर आफ कम्फर्ट को निवेशकों को कंपनी से जुड़े 11 दस्तावेज़ अनिवार्य रूप से जमा करने होंगे।
  • निवेश के लिये अवधि-
    • 100 से 200 करोड़ रुपए के निवेश में उत्पादन अधिकतम 4 साल में शुरू करना होगा।
    • 200 से 500 करोड़ रुपए के निवेश में उत्पादन अधिकतम 5 साल में शुरू करना होगा।
    • 500 से 3000 करोड़ रुपए के निवेश में उत्पादन अधिकतम 7 साल में शुरू करना होगा।
    • 3000 करोड़ रुपए से ज्यादा निवेश में उत्पादन अधिकतम 9 साल में शुरू करना होगा।

उत्तर प्रदेश Switch to English

प्रदेश में 1,600 मेगावाट की अनपरा ई का जल्द निर्माण होगा शुरू

चर्चा में क्यों?

20 नवंबर, 2023 को उत्तर प्रदेश राज्य उत्पादन निगम बोर्ड की बैठक में प्रदेश में 1,600 मेगावाट की नई उत्पादन इकाई अनपरा ई के निर्माण के प्रस्ताव को अनुमोदित कर दिया गया है। अब इसे शासन को भेजा जाएगा।

प्रमुख बिंदु

  • अनपरा ई इकाई के निर्माण में लगभग 18,624 करोड़ रुपए खर्च होने का अनुमान है। इसे एनटीपीसी और उत्पादन निगम लिमिटेड के संयुक्त उपक्रम मेजा उत्पादन निगम लिमिटेड के तहत स्थापित किया जाएगा।
  • विदित हो कि अभी तक अनपरा में चार इकाइयाँ हैं। इनमें से तीन इकाइयाँ उत्पादन निगम की हैं, जिसकी क्षमता 2630 मेगावाट है। वहीं 1200 मेगावाट की एक इकाई लेंको कंपनी की है।
  • पावर कॉर्पोरेशन के अध्यक्ष डॉ. आशीष कुमार गोयल ने बताया कि ओवरा सी की 660-660 मेगावाट और जवाहरपुर की 660-660 मेगावाट की नई इकाइयाँ हैं। इन दोनों जगह एक-एक इकाइयों में जल्द ही विद्युत उत्पादन शुरू हो जाएगा। वहीं दोनों जगह की एक-एक इकाइयाँ निर्माणाधीन हैं। इसी तरह पनकी की 660 मेगावाट की एक इकाई भी गर्मी के दिन में बिजली उत्पादन करने लगेगी।


बिहार Switch to English

बिहार निवेश प्रोत्साहन परिषद की बैठक में 46 निवेश प्रस्तावों को प्रथम क्लियरेंस दिया गया

चर्चा में क्यों?

हाल ही में बिहार निवेश प्रोत्साहन परिषद (एसआइपीबी) की 50वीं बैठक में 820.76 करोड़ रुपए के कुल 46 निवेश प्रस्तावों को प्रथम क्लियरेंस दिया गया है। सभी प्रस्ताव दो करोड़ रुपए से अधिक के हैं।

प्रमुख बिंदु

  • बिहार निवेश प्रोत्साहन परिषद की यह बैठक 10 नवंबर को हुई थी, जिसकी प्रोसीडिंग 17 नवंबर को जारी की गयी।
  • परिषद द्वारा जिन निवेश प्रस्तावों को प्रथम क्लियरेंस दिया गया है उनमें सर्वाधिक 14 प्रस्ताव (490 करोड़ रुपए) खाद्य प्रसंस्करण के हैं। इसके अलावा 13 प्रस्ताव (157.23 करोड़ रुपए) राइस मिलों की स्थापना के लिये, 12 प्रस्ताव (115 करोड़ रुपए) जनरल मैन्युफैक्चरिंग के, 4 प्रस्ताव (38 करोड़ रुपए) हेल्थ एंड केयर सेक्टर के, एक प्रस्ताव (102 करोड़ रुपए) टेक्सटाइल एंड लेदर सेक्टर का, एक प्रस्ताव (5.61 करोड़ रुपए) आइटी सेक्टर का और एक प्रस्ताव (3.91 करोड़ रुपए) स्मॉल स्केल इंडस्ट्रीज का है।
  • राज्य के वैशाली ज़िले में 102 करोड़ रुपए से अधिक के निवेश से लेदर फुटवियर बनाने की फैक्ट्री स्थापित की जाएगी। साथ ही 191 करोड़ रुपए के निवेश से लॉजिस्टिक एंड वेयर हाउस स्थापित करने का प्रस्ताव है।
  • हाजीपुर में 61 करोड़ रुपए के निवेश से बिस्कुट एंड केक यूनिट स्थापित करने का प्रस्ताव है। पटना में पाटलिपुत्र रोड क्षेत्र में फूड टेस्टिंग लेबोरेटरी की स्थापना और पाटलिपुत्र औद्योगिक क्षेत्र में सॉफ्टवेयर सर्विस कंपनी निवेश करने जा रही है।
  • भागलपुर और पूर्णिया में इथेनॉल प्लांट स्थापित होने जा रहा है। इसके अलावा नौ ज़िलों- नालंदा, मुजफ्फरपुर, मुंगेर, गया, पश्चिमी चंपारण, औरंगाबाद, पटना, बक्सर और शेखपुरा में नयी राइस मिल स्थापित करने का प्रस्ताव है।
  • भागलपुर के नौगछिया में 58 करोड़ रुपए के निवेश और पूर्णिया के परौरा में 17.30 करोड़ रुपए के निवेश से इथेनॉल प्लांट स्थापित किया जाएगा। बेगूसराय में वाटर पार्क/होटल/रेस्टारेंट स्थापित करने में लगभग 10 करोड़ रुपए का निवेश किया जाएगा।
  • पटना में फूड लैब की स्थापना में करीब छह करोड़ रुपए का निवेश किया जा रहा है। पश्चिमी चंपारण के नरकटियागंज में चार करोड़ रुपए से अधिक के निवेश में होटल स्थापित किया जाएगा। शेष निवेश फूड प्रोसेसिंग के क्षेत्र में किये जाएंगे।
  • एसआइपीबी की बैठक में 216.85 करोड़ रुपए के 28 निवेश प्रस्तावों को वित्तीय क्लियरेंस भी दिया गया है। ये वे प्रस्ताव हैं, जिनमें निवेश के लिये वित्तीय मदद देने के लिये बैंक और अन्य वित्तीय एजेंसियाँ तैयार हैं। इस तरह का क्लियरेंस उन यूनिटों को दिया जाता है, जिन्हें वित्तीय एजेंसियां लोन और दूसरी सुविधाएं देने के लिये अंतिम रूप से तैयार हो जाती हैं।


मध्य प्रदेश Switch to English

पल्स पोलियो अभियान का अतिरिक्त चरण 10 से 12 दिसंबर तक

चर्चा में क्यों?

20 नवंबर, 2023 को एनएचएम मुख्यालय में राज्य टास्क फोर्स की बैठक में बताया गया कि प्रदेश के 16 ज़िलों में 10 से 12 दिसंबर, 2023 तक पल्स पोलियो अभियान के अतिरिक्त चरण में जीरो से 5 वर्ष आयु के लगभग 37 लाख 50 हज़ार बच्चों को पल्स पोलियो वैक्सीन की खुराक दी जाएगी।

प्रमुख बिंदु

  • अभियान की तैयारियों के सिलसिले में हुई टास्क फोर्स की बैठक में महिला-बाल विकास, स्कूल शिक्षा, नगरीय प्रशासन, वन, पंचायत, आदिम जाति कल्याण, आयुष, खेल एवं युवा कल्याण विभाग के अधिकारियों और डब्ल्यू.एच.ओ., यूनिसेफ, यूएनडीपी और अन्य संस्थाओं के प्रतिनिधियों ने भाग लिया।
  • बैठक में बताया गया कि पाकिस्तान और अफगानिस्तान में पोलियो के केस मिलने के कारण और साथ ही पोलियो-फ्री स्टेटस को मेंटेन रखने के लिये पल्स पोलियो अभियान का अतिरिक्त चरण किया जा रहा है।
  • प्रदेश के भिंड, भोपाल, छिंदवाड़ा, दतिया, ग्वालियर, इंदौर, कटनी, खरगौन, मंदसौर, नरसिंहपुर, नीमच, निवाड़ी, सतना, श्योपुर, टीकमगढ़ और विदिशा ज़िलों में अभियान संचालित होगा।
  • इन ज़िलों में पोलियो दवाई पिलाने के लिये स्थानीय बूथ के साथ-साथ माइग्रेटरी पापुलेशन को कवर करने के लिये मोबाइल टीम भी गठित की जाएगी।


हरियाणा Switch to English

भारतीय तकनीक से सुधरेगी 34 देशों की मिट्टी-पानी की गुणवत्ता

चर्चा में क्यों?

20 नवंबर, 2023 को करनाल स्थित केंद्रीय मृदा एवं लवणता अनुसंधान संस्थान (सीएसएसआरआई) के निदेशक डॉ. आरके यादव ने बताया कि संस्थान की ओर से विकसित तकनीक, प्रौद्योगिकी और लवण सहनशील फसलों की किस्मों से 34 देश अपनी भूमि और भूमिगत जल की गुणवत्ता सुधारेंगे।

प्रमुख बिंदु

  • सीएसएसआरआई द्वारा विकसित ये भारतीय तकनीक अब तक 25 देशों तक पहुँच चुकी है, और अभी सात और देशों को तकनीक का प्रशिक्षण दिया जा रहा है।
  • विदित हो कि भारत में लगभग 67.4 लाख हेक्टेयर भूमि लवणता और क्षारीय से प्रभावित है, वहीं 34 अफ्रीकी एवं एशियाई देशों में लाखों हेक्टेयर भूमि और भूमिगत जल में लवणता और क्षारीयता बढ़ रही है, जिससे यहाँ की भूमि भी बंजर होने की ओर अग्रसर है।
  • अंतर्राष्ट्रीय संस्था अफ्रीकी-एशियाई ग्रामीण विकास संगठन (एएआरडीओ) यानी आरडू ने अपने सभी 34 सदस्य देशों को लवण एवं क्षारीयता प्रभावित भूमि व भूमिगत निम्न गुणवत्ता वाले जल के सुधार के लिये करनाल स्थित सीएसएसआरआई की ओर से विकसित भूमि एवं जल सुधार तकनीक का प्रशिक्षण दिलाने का अनुबंध किया है।
  • ये प्रशिक्षण पिछले 13 सालों से चल रहा है। अब तक 25 देशों के 100 वैज्ञानिकों, कृषि विशेषज्ञों को इस तकनीक का प्रशिक्षण दिया जा चुका है।
  • सीएसएसआरआई करनाल के निदेशक डॉ. आरके यादव ने बताया कि हाल ही में प्रशिक्षण प्राप्त करने के लिये सात देशों (बांग्लादेश, श्रीलंका, मॉरीशस, केन्या, जाम्बिया, जॉर्डन और एस्वातिनी शामिल) से नौ विदेशी वैज्ञानिक व कृषि विशेषज्ञ अधिकारी संस्थान में पहुँचे हैं, जिन्हें तकनीकों का प्रशिक्षण दिया जा रहा है।
  • सीएसएसआरआई करनाल की ओर से विकसित तकनीकों में क्षारीय भूमि के सुधार के लिये जिप्सम, सल्फर, एफजीडी जिप्सम तकनीक है तो लवणीय भूमि के सुधार के लिये सब सरफेस ड्रेनेज, ड्रेनज तकनीक और लवण सहनसील फसलों की किस्में, उनके बीज हैं तो निम्न गुणवत्ता वाले जल के सुधार के लिये जिप्सम बेड, जिप्सम ब्रेकेट्स व रैपिड एसिडूलेरिंग मैटेरियल और कल्चर आदि कई तकनीक, प्रौद्योगिकी व विधियाँ शामिल हैं।

 


झारखंड Switch to English

झारखंड के कोडरमा ज़िले में मिला लिथियम का भंडार

चर्चा में क्यों?

18 नवंबर, 2023 को भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (जीएसआइ) के महानिदेशक जनार्दन प्रसाद ने प्रेस वार्ता में बताया कि कोडरमा ज़िले में भविष्य का खजाना कहे जाने वाले खनिज ‘लिथियम’ का भंडार मिला है। जीएसआइ की प्रारंभिक जाँच में इसकी पुष्टि हो गयी है।

प्रमुख बिंदु

  • जीएसआइ के महानिदेशक जनार्दन प्रसाद ने प्रेस वार्ता में बताया कि कोडरमा में माइका के साथ-साथ लिथियम का भी भंडार है। अब जी-3 लेवल की खुदाई कर विस्तृत रूप से यह पता चल सकेगा कि यहाँ लिथियम की मात्रा कितनी है।
  • उन्होंने कहा कि 2050 तक देश में बैटरी पर निर्भरता बढ़ने वाली है। इसके लिये लिथियम सबसे जरूरी तत्व है। इसलिये लिथियम की खोज पर फोकस किया जा रहा है। जम्मू में लिथियम के भंडार का पता चल चुका है। राजस्थान के भीलवाड़ा और आंध्र प्रदेश के नेल्लोर में भी लिथियम भंडार की संभावना है।
  • महानिदेशक ने बताया कि लिथियम की खुदाई (एक्सट्रेक्शन) की तकनीक चीन के पास है। इस पर उसकी मोनोपोली है। लिहाजा, जीएसआइ धनबाद के सिंफर, आइआइटी आइएसएम व अन्य आइआइटी समेत कई अन्य संस्थानों के साथ एमओयू किया जायेगा, खुदाई करनेवाले संस्थानों को भारत सरकार फंडिंग भी करेगी।
  • महानिदेशक ने बताया कि तमाड़ में दो जगहों पर सोने की खदान का पता चला है। पूर्व में भी झारखंड में सोने की दो खदानों का पता चल चुका है। खनिज मिलने से सबसे ज्यादा फायदा राज्य सरकार को राजस्व के रूप में होगा। संबंधित इलाकों में रोज़गार का सृजन होगा।


झारखंड Switch to English

झारखंड की नदियों के कछार में की जाएगी हीरे की खोज, केंद्र की मिली मंज़ूरी

चर्चा में क्यों?

18 नवंबर, 2023 को मीडिया से मिली जानकारी के अनुसार झारखंड के राँची और पलामू प्रमंडलीय ज़िलों की कई नदियों के कछार में हीरा खोजा जायेगा। केंद्र सरकार के खान मंत्रालय ने इस परियोजना को स्वीकृति दे दी है।

प्रमुख बिंदु

  • विदित हो कि भारतीय भूगर्भ सर्वेक्षण विभाग ने 2019 में यह परियोजना तैयार की है। इसके लिये मुगल शासन के ‘जहाँगीरनामा’से लेकर 1917 तक दर्जनों विश्व प्रसिद्ध लेखकों की पुस्तकों में झारखंड के ‘डायमंड रिवर’ का नक्शा और अन्य जानकारियों को आधार बनाया गया है।
  • फ्रांसिसी यात्री जेबी ट्रेवर्नियर के भारत यात्रा वृतांत पुस्तक में जारी नक्शा छोटानागपुर में डायमंड रिवर के पास भी खोजबीन होगी। इसके लिये राँची, गुमला, सिमडेगा, लोहरदगा, लातेहार समेत कई ज़िलों के नदी विशेषकर कोयल, शंख नदी का सर्वेक्षण किया जाएगा।
  • नदी के किनारे जहाँ ज़मीन से कीड़ा, मुसा, दीमक पाये जाते हैं, उन स्थानों को इसमें शामिल किया गया है। साथ ही प्रदेश में जहाँ-जहाँ अन्य खनिज बड़े पैमाने में निकाले जा रहे हैं, वहाँ भी सर्वेक्षण किया जाएगा।
  • जहाँगीरनामा के अनुवादक मुंशी देवी प्रसाद व दूसरे अनुवादक ब्रजरत्नदास ने बताया कि राँची की शंख नदी के किनारे छोटे-बड़े दोनों तरह के हीरे पाये जाते हैं। ‘तुजुक-ए-जहाँगीरी’के अनुवादक डॉ. मथुरालाल शर्मा ने भी इसकी पुष्टि की है।
  • एच कुपलेन ने बंगाल डिस्ट्रक्ट गजेटियर मानभूम में नागवंशियों के क्षेत्राधिकार में हीरा होने की बात लिखी है। जबकि, बिहार डिस्ट्रिक्ट गजेटियर राँची में एमजी हैलिट ने राँची की शंख नदी के कछार में हीरा होने का उल्लेख किया है।
  • इसी तरह प्रो. जोन डाउसन ने पुस्तक ‘द हिस्ट्री ऑफ इंडिया एज टोल्ड बॉय इट्स ऑन हिस्टोरियन’ में झारखंड की शंख नदी के किनारे छोटे-बड़े दोनों प्रकार के हीरे पाये जाने का जिक्र किया है।
  • इसके अलावा कर्नल डाल्टन की पुस्तक ‘इथनोलॉजी ऑफ बंगाल’, जेबी ट्रेविनियर की पुस्तक ‘ट्राइबल्स इन इंडिया’, सीएफ जॉर्ज की पुस्तक ‘वाट ए डिक्शनरी ऑफ द इकोनॉमिक प्रोडक्ट ऑफ इंडिया’, वी बाल की पुस्तक ‘द डायमंडस, कोल एंड गोल्ड ऑफ इंडिया’आदि में भी इस तरह के जिक्र हैं।


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