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हरियाणा स्टेट पी.सी.एस.

  • 21 Nov 2022
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हरियाणा ने सुशासन पुरस्कार योजना के शुरू होने की अधिसूचना जारी की

चर्चा में क्यों?

19 नवंबर, 2022 को हरियाणा के मुख्य सचिव संजीव कौशल ने बताया कि राज्य सरकार ने उल्लेखनीय और अभिनव कार्य करने वाले कर्मचारियों को प्रोत्साहित करने के लिये ‘सुशासन पुरस्कार योजना’ शुरू की है। इसके लिये अधिसूचना भी जारी कर दी गई है।

प्रमुख बिंदु 

  • मुख्य सचिव संजीव कौशल ने बताया कि ‘सुशासन पुरस्कार योजना’का उद्देश्य सुशासन को बढ़ावा देना और उन कर्मचारियों को पुरस्कृत करना है, जो अपने व्यक्तिगत नवाचारों एवं विशेष प्रयासों के माध्यम से राज्य में सुशासन को बढ़ावा देते हैं।
  • उन्होंने बताया कि सुशासन पुरस्कार दो स्तरों पर दिये जाएंगे- एक राज्यस्तरीय पुरस्कार और दूसरा ज़िलास्तरीय पुरस्कार। राज्यस्तरीय पुरस्कार में व्यक्तिगत कर्मचारियों या कर्मचारियों की विजेता टीम को पहला पुरस्कार 51 हज़ार रुपए नकद, दूसरा पुरस्कार 31 हज़ार रुपए और तीसरा पुरस्कार 21 हज़ार रुपए का दिया जाएगा।
  • इसी प्रकार, ज़िलास्तरीय पुरस्कार में पहला पुरस्कार 31 हज़ार रुपए नकद, दूसरा पुरस्कार 21 हज़ार रुपए और तीसरा पुरस्कार 11 हज़ार रुपए दिया जाएगा। इन पुरस्कार में नकद पुरस्कार के साथ ट्रॉफी, मुख्यमंत्री द्वारा हस्ताक्षरित प्रशंसा पत्र (जिसकी प्रति कर्मचारी की सर्विस बुक में लगेगी) भी दिया जाएगा।
  • योजना के अनुसार राज्य स्तर पर अधिकतम 10 पुरस्कार दिये जाएंगे। पहले पायदान के लिये 2 पुरस्कार, दूसरे स्थान के लिये 3 पुरस्कार और तीसरे के लिये 5 पुरस्कार दिये जाएंगे। इसी प्रकार, ज़िला स्तर पर तीनों पायदान के लिये प्रत्येक ज़िले में 3-3 पुरस्कार दिये जाएंगे।
  • उल्लेखनीय है कि राज्य सरकार ने हरियाणा सुशासन पुरस्कार योजना, 2022 शुरू की है, जो ग्रुप ए, बी, सी और डी के सभी कर्मचारियों तथा हरियाणा सरकार के अधीन किसी भी विभाग, बोर्ड, निगम, वैधानिक प्राधिकरण, मिशन, सोसायटी, संस्थान, विश्वविद्यालय, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम आदि में आउटसोर्सिंग नीति के तहत काम करने वाले कर्मचारी और व्यक्तियों, जिन्होंने निर्दिष्ट क्षेत्रों में उल्लेखनीय और अभिनव कार्य किया है, पर लागू है। हालांकि, यह योजना प्रशासनिक सचिवों, विभागाध्यक्षों और एआईएस अधिकारियों पर लागू नहीं है।

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संस्कृत साहित्यकारों की सम्मान राशि में बढ़ोतरी

चर्चा में क्यों?

हाल ही में हरियाणा संस्कृत अकादमी के निदेशक डॉ. दिनेश शास्त्री ने बताया कि राज्य सरकार ने राज्य के संस्कृत विद्वानों और साहित्यकारों की सम्मान राशि में बढ़ोतरी करने की घोषणा की है।

प्रमुख बिंदु 

  • डॉ. दिनेश शास्त्री ने बताया कि सम्मान राशि के अलावा सम्मान की नियमावली में भी फेरबदल किया गया है। सर्वोच्च सम्मान संस्कृत साहित्यालंकार और हरियाणा गौरव के लिये अब आयु सीमा का बंधन हटा दिया गया है। छात्रवृति, अनुदान और वित्तीय सहायता योजना की राशि में भी कई गुना बढ़ोतरी की गई है।
  • उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय स्तर के सम्मान ‘संस्कृत साहित्यालंकार सम्मान’में 2 लाख रुपए की राशि को बढ़ाकर 7 लाख रुपए कर दी है। इसी तरह ‘हरियाणा संस्कृत गौरव सम्मान’की पुरस्कार राशि दो लाख रुपए से बढ़ाकर 5 लाख रुपए कर दी गई है।
  • महर्षि वाल्मीकि और महर्षि वेदव्यास सम्मान की राशि डेढ़ लाख रुपए से बढ़ाकर तीन लाख रुपए कर दी गई है। महर्षि विश्वामित्र सम्मान की राशि डेढ़ लाख से बढ़ाकर ढाई लाख रुपए, आचार्य स्थाणुदत्त सम्मान में अब डेढ़ लाख के स्थान पर दो लाख रुपए मिलेंगे। इसी क्रम में महाकवि बाणभट्ट सम्मान के तहत एक लाख के स्थान पर ढाई लाख रुपए मिलेंगे। साहित्यकार सम्मान राशि पहले 11 लाख थी, जो अब बढ़कर 25 लाख हो गई है।
  • निदेशक ने बताया कि आचार्य सम्मान की पुरस्कार राशि चार लाख रुपए से बढ़ाकर 8 लाख रुपए कर दी गई है। इसी प्रकार, अब गुरु विरजानंद आचार्य सम्मान, विद्यामार्तंड पं. सीताराम शास्त्री आचार्य सम्मान, पं. युधिष्ठिर मीमांसक आचार्य सम्मान को अब एक लाख रुपए से बढ़ाकर दो लाख रुपए कर दिया गया है। स्वामी धर्मदेव संस्कृत समाराधक सम्मान के लिये भी अब एक लाख रुपए की राशि को बढ़ाकर दो लाख रुपए कर दिया गया है।
  • संस्कृत की नवलेखन प्रतिभाओं के लिये पुस्तक पुरस्कार राशि को भी 31,000 रुपए से बढ़ाकर 51,000 रुपए कर दिया गया है। इससे साहित्य लेखन में प्रतिभाएँ और उत्साहपूर्वक कार्य करेंगी। पांडुलिपि प्रकाशनार्थ सहायतानुदान के मानदेय की राशि 10,000 रुपए से बढ़ाकर 21,000 रुपए कर दी गई है। लघु संस्कृत कथा लेखन, नाटक लेखन प्रतियोगिता में प्रथम को अब 10,000 रुपए द्वितीय को 8,000 रुपए तथा तृतीय को 5,000 रुपए का पुरस्कार मिलेगा। सांत्वना पुरस्कार भी 3,000 रुपए से 6,000 रुपए किये गए हैं।
  • डॉ. शास्त्री ने बताया कि संस्कृत पढ़ने वाले छात्रों को भी सरकार ने विशेष तोहफा दिया है। इसके तहत प्रथमा, पूर्व मध्यमा, उत्तर मध्यमा, विशारद, प्राक् शास्त्री और शास्त्री कक्ष में अध्ययन करने वाले छात्रों को छात्रवृत्ति राशि अब 3,000 रुपए की जगह 8,000 रुपए मिलेगी। इसके अलावा आचार्य कक्षाओं के छात्रों को 10,000 रुपए मिलेंगे।
  • अभावग्रस्त संस्कृत लेखकों को चिकित्सा खर्च के लिये एक वर्ष में 3,000 रुपए की जगह 50,000 रुपए की सहायता मिल सकेगी। इसी तरह लेखक को वित्त वर्ष में मिलने वाली वित्तीय अनुदान राशि को भी बढ़ाकर 6,000 रुपए से सीधे 21,000 रुपए कर दिया गया है।   

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