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बिहार स्टेट पी.सी.एस.

  • 20 Oct 2022
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बिहार में अतिपिछड़ा वर्ग आयोग गठित

चर्चा में क्यों?

19 अक्टूबर, 2022 को राज्य सरकार ने जदयू के वरिष्ठ नेता डॉ. नवीन चंद्र आर्या की अध्यक्षता में अतिपिछड़ा वर्ग आयोग का गठन किया। यह आयोग सुप्रीम कोर्ट के दिशानिर्देशों के अनुसार निकाय चुनाव में अतिपिछड़ों के लिये आरक्षण की अनुशंसा करेगा।

प्रमुख बिंदु

  • आयोग के अन्य सदस्यों में अरविंद निषाद, विनोद भगत, ज्ञानचंद्र पटेल एवं तारकेश्वर ठाकुर शामिल हैं। पहली बार इस आयोग का गठन 2006 में किया गया था। आयोग को रिपोर्ट देने के लिये अधिकतम तीन महीने का समय दिया गया है।
  • गौरतलब है कि राज्य सरकार ने 19 अक्टूबर को पटना हाईकोर्ट में हलफनामा दायर कर कहा था कि वह अतिपिछड़ा वर्ग आयोग (ईबीसी कमीशन) से अतिपिछड़ों की स्थिति का आकलन कराने के बाद विस्तृत रिपोर्ट तैयार करेगी। राज्य सरकार के इस निर्णय के बाद हाईकोर्ट का 4 अक्टूबर का फैसला यथावत रह गया।
  • राज्य सरकार की ओर से दायर पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई के दौरान यह पक्ष रखा गया, जिसे कोर्ट ने स्वीकार कर लिया। हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि ईबीसी कमीशन की रिपोर्ट आने के बाद बिहार के निकाय चुनाव कराए जाएंगे।
  • इसके लिये 2005 में अस्तित्व में आए बिहार ईबीसी आयोग को बतौर डेडिकेटेड कमीशन पुनर्जीवित किया गया है। आयोग जल्द अतिपिछड़ों के राजनीतिक पिछड़ेपन से जुडे+ आँकड़े जुटा कर अपनी रिपोर्ट सौंप देगा। रिपोर्ट के अवलोकन के बाद ही राज्य निर्वाचन आयोग बिहार में निकाय चुनाव अधिसूचित करेगा।
  • उल्लेखनीय है कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में स्पष्ट कहा है कि स्थानीय निकाय चुनाव में तभी पिछड़े वर्ग को आरक्षण दिया जा सकता है, जब सरकार ट्रिपल टेस्ट कराए। सरकार ये पता लगाए कि किस वर्ग को पर्याप्त राजनीतिक प्रतिनिधित्व नहीं मिल रहा है।

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