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कुशीनगर अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे का उद्घाटन
चर्चा में क्यों?
20 अक्तूबर, 2021 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जनपद कुशीनगर में लगभग 254 करोड़ रुपए की लागत से निर्मित कुशीनगर अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे का उद्घाटन किया।
प्रमुख बिंदु
- इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने जनपद कुशीनगर में 281.45 करोड़ रुपए की लागत के राजकीय मेडिकल कॉलेज, कुशीनगर के शिलान्यास सहित 180.66 करोड़ रुपए के 12 विकास कार्यों का लोकार्पण/शिलान्यास किया।
- ज्ञातव्य है कि वर्ष 1947 से लेकर वर्ष 2014 तक उत्तर प्रदेश में केवल 2 एयरपोर्ट- लखनऊ, व वाराणसी फंक्शनल थे। प्रदेश की कनेक्टिविटी भी उस समय मात्र 15 से 16 स्थानों के लिये थी।
- यह प्रदेश का 9वाँ फंक्शनल एयरपोर्ट होगा, अब उत्तर प्रदेश 75 गंतव्य स्थानों पर वायु सेवा के साथ सीधे जुड़ चुका है।
- कुशीनगर, अयोध्या तथा नोएडा अंतर्राष्ट्रीय एयरपोर्ट के बाद प्रदेश का तीसरा अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा है। वर्तमान में उत्तर प्रदेश में 11 नए एयरपोर्ट पर कार्य हो रहा है।
- कुशीनगर इंटरनेशनल एयरपोर्ट पूर्वी उत्तर प्रदेश के साथ-साथ पश्चिमोत्तर बिहार के विकास में सहायक होगा।
- कुशीनगर इंटरनेशनल एयरपोर्ट एयर कनेक्टिविटी का माध्यम बनने के साथ-साथ इसका सीधा लाभ किसान, पशुपालक, दुकानदार, श्रमिक, उद्यमी आदि को मिलेगा। सबसे अधिक लाभ यहाँ के टूरिज़्म, ट्रेवल टैक्सी, होटल-रेस्टोरेंट, छोटे-छोटे बिज़नेस करने वालों को मिलेगा। साथ ही, इस क्षेत्र के युवाओं के लिये रोज़गार के नए अवसर बनेंगे।
- इस एयरपोर्ट के उद्घाटन समारोह में 12 देशों के राजनयिकों ने हिस्सा लिया। इस एयरपोर्ट से श्रीलंका, नेपाल, जापान, कोरिया, थाईलैंड, सिंगापुर, लाओस एवं दक्षिण-पूर्वी एशिया के कई देशों को भारत के साथ अंतर्राष्ट्रीय वायु सेवा से जोड़ा जाएगा।
- उल्लेखनीय है कि कुशीनगर विश्व के बौद्ध मतावलंबियों की आस्था एवं प्रेरणा का केंद्र है। यह भगवान बुद्ध का महापरिनिर्वाण स्थल है।
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उत्तर प्रदेश का पहला जनजातीय संग्रहालय
चर्चा में क्यों?
हाल ही में राज्य संग्रहालय के निदेशक द्वारा बताया गया कि राज्य का पहला जनजातीय संग्रहालय मार्च 2022 तक पूरी तैयार हो जाएगा।
प्रमुख बिंदु
- गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा ‘बलरामपुर’ ज़िले के थारू प्रधान ग्राम ‘इमिलिया कोडर’ में थारू जनजातीय संग्रहालय का निर्माण किया जा रहा है।
- सरकार के अनुसार, इस संग्रहालय में थारू जनजाति के उद्विकास से लेकर उनकी संस्कृति, परंपराएँ, धर्म, जीवनशैली आदि सभी आयामों को प्रदर्शित किया जाएगा।
- थारू जनजाति के लोगों को शिक्षा प्रदान करने के उद्देश्य से लखीमपुर खीरी में एक महाविद्यालय स्थापित किया गया है। साथ ही इनके विकास के लिये वर्ष 1980 में ‘थारू विकास परियोजना’ प्रारंभ की गई थी।
- उल्लेखनीय है कि थारू जनजातीय समूह उत्तर प्रदेश का तीसरा सबसे बड़ा जनजातीय समूह है। इस जनजाति के लोग दीपावली को शोकपर्व के रूप में मनाते हैं। थारू जनजाति द्वारा ‘बजहर’ नामक पर्व मनाया जाता है। इसके अतिरिक्त इनमें ‘बदला विवाह’ भी प्रचलित है।
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