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प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना को सफल बनाने में हरियाणा की नई पहल
चर्चा में क्यों?
19 सितंबर, 2022 को हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने राज्य में ‘प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना’ को सफल बनाने हेतु मत्स्य पालक किसानों के लिये एक नई पहल की घोषणा की।
प्रमुख बिंदु
- मुख्यमंत्री ने नई पहल के रूप में बताया कि प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के तहत केंद्र सरकार से आने वाली जो सब्सिडी देर से आती है, वह सब्सिडी अब हरियाणा सरकार एडवांस में देगी।
- इसके अतिरिक्त मुख्यमंत्री ने सिरसा ज़िले के मछली पालकों के लिये सिरसा में ही मछलीपालन से संबंधित टेस्टिंग लैब स्थापित करने की घोषणा की, जिससे यहाँ के झींगा मछली पालकों को सीधे लाभ होगा। इससे पहले यहाँ के मछली पालकों को रोहतक जाकर लैब टेस्टिंग की सुविधा लेनी पड़ती थी।
- इसके साथ-साथ मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने मछली की खरीद व बिक्री के लिये झज्जर या गुरुग्राम में से किसी एक ज़िले में थोक मछली मार्केट स्थापित करने की भी घोषणा की, जिससे किसानों को आर्थिक तरक्की में लाभ मिलेगा।
- मुख्यमंत्री ने यह भी बताया कि भिवानी ज़िले के गरवा गाँव में 30 करोड़ रुपए की लागत से एक्वापार्क बनाया जाएगा। यह एक्वापार्क 25 एकड़ में होगा। इसमें मछली पालन से जुड़े नए-नए शोध, मछली पालन की नई किस्म, बीज पर शोध किया जाएगा। इससे मछली पालकों को सीधे लाभ मिलेगा।
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हरियाणा एक्स-सीटू मैनेजमेंट ऑफ पैडी स्ट्रॉ पॉलिसी-2022 का प्रारूप तैयार
चर्चा में क्यों?
19 सितंबर, 2022 को हरियाणा के मुख्य सचिव संजीव कौशल की अध्यक्षता में राज्य में फसल अवशेष जलाने की घटनाओं पर पूर्णरूप से रोक लगाने तथा पराली का समुचित प्रबंधन सुनिश्चित करने हेतु नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा विभाग द्वारा हरियाणा एक्स-सीटू मैनेजमेंट ऑफ पैडी स्ट्रॉ पॉलिसी-2022 का प्रारूप तैयार किया गया है।
प्रमुख बिंदु
- हरियाणा एक्स-सीटू मैनेजमेंट ऑफ पैडी स्ट्रॉ पॉलिसी-2022 के प्रारूप को अंतिम मंज़ूरी मुख्यमंत्री मनोहर लाल द्वारा प्रदान की जाएगी।
- मुख्य सचिव ने बताया कि हरियाणा एक्स-सीटू मैनेजमेंट ऑफ पैडी स्ट्रॉ पॉलिसी-2022 का उद्देश्य पराली आधारित बायोमास, बिजली परियोजनाओं, उद्योगों, कम्प्रैस्ड बायोगैस संयंत्रों, अपशिष्ट से ऊर्जा संयंत्रों, ईंट-भट्ठों, पैकेजिंग सामग्री इत्यादि में निवेश को आकर्षित करने के लिये अनुकूल वातावरण बनाना है। इसके साथ ही किसानों को अपने खेत में पराली को काटने, गठरी बनाने और स्टोर करने हेतु प्रोत्साहित करना तथा विभिन्न परियोजनाओं में उपयोग के लिये इसे बेचने की सुविधा प्रदान करना है।
- इस नीति के माध्यम से फसल के अवशेषों की मांग और आपूर्ति प्रबंधन के लिये किसानों व उद्योगों/गोशालाओं/उपयोगकर्त्ताओं के बीच लिंक स्थापित किया जाएगा। साथ ही, विद्युत संयंत्रों, औद्योगिक बॉयलरों, ईंट-भट्ठों या किसी अन्य औद्योगिक, वाणिज्यिक या संस्थागत प्रतिष्ठानों में पराली का उपयोग करने पर भी ज़ोर दिया जाएगा।
- नई प्रौद्योगिकियों में अनुसंधान और विकास (आर एंड डी) को बढ़ावा देना भी इस नीति के मुख्य उद्देश्यों में से एक है।
- राज्य में पावर प्रोजेक्ट्स, सीबीजी प्लांट, एथनॉल और अन्य बायोफ्यूल के उपयोग को प्रचलित करने के लिये इस नीति के प्रारूप में विभिन्न वित्तीय प्रोत्साहनों का भी प्रावधान किया गया है।
- मुख्य सचिव ने कहा कि पराली की मांग के लिये ज़िलावार मैपिंग करने की रणनीति को भी नीति में शामिल किया गया है।
- उन्होंने बताया कि कृषि विभाग द्वारा राज्य में फसल अवशेष प्रबंधन के लिये किसानों को जागरूक व प्रोत्साहित करने हेतु निरंतर कार्य किये जा रहे हैं। विभाग द्वारा व्यक्तिगत श्रेणी के तहत किसानों को 50 प्रतिशत सब्सिडी पर तथा कस्टमर हायरिंग सेंटर खोलने के लिये 80 प्रतिशत सब्सिडी पर बेलिंग यूनिट (हे-रेक, शर्ब मास्टर और स्ट्रॉ बेलर) उपलब्ध करवाई जा रही है।
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