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बिहार स्टेट पी.सी.एस.

  • 21 Sep 2022
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बिहार में चावल से लेकर चीनी तक के लिये निवेश प्रस्ताव, 20 नई यूनिट लगाने की योजना

चर्चा में क्यों?

20 सितंबर, 2022 को मीडिया सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार बिहार में खाद्य प्रसंस्करण के क्षेत्र में निवेश के लिये 529 करोड़ रुपए के नए प्रस्ताव आए हैं। इन प्रस्ताव में 20 नई यूनिट लगाने की योजना है। राज्य की निवेश प्रोत्साहन परिषद ने इसे प्रारंभिक स्वीकृति दे दी है।

प्रमुख बिंदु

  • ये प्रस्ताव राज्य निवेश प्रोत्साहन परिषद की 41वीं बैठक में आए हैं। खाद्य प्रसंस्करण की सात प्रमुख यूनिटों की स्थापना में 419 करोड़ रुपए के निवेश के प्रस्ताव हैं। वैशाली में खाद्य प्रसंस्करण की प्रस्तावित यूनिट में 213 करोड़ रुपए के निवेश की संभावना है। इस यूनिट में केच-अप, टोमैटो पेस्ट और न्यूट्रिशनल पाउडर का निर्माण होगा।
  • गोपालगंज स्थित विष्णु शुगर मिल्स लिमिटेड 90 करोड़ रुपए की लागत से मोलासेस बेस्ड इथेनॉल डिस्टिलरी, पश्चिमी चंपारण स्थित मछौलिया सुगर इंडस्ट्रीज़ भी मोलासेस बेस्ट डिस्टलरी प्लांट पर 27 करोड़ रुपए खर्च करेगी।
  • इसके अलावा हरिनगर सुगर मिल्स लिमिटेड पश्चिमी चंपारण में 80 करोड़ रुपए की लागत से चीनी मिल प्लांट स्थापित किया जाएगा। इसी तरह औरंगाबाद औद्योगिक क्षेत्र में विभिन्न प्रकार के सत्तू और फ्रूट उत्पाद के कारखाने प्रस्तावित हैं।
  • खाद्य प्रसंस्करण से जुड़े अन्य प्रस्तावों में 110 करोड़ रुपए के निवेश से 13 राइस मिल लगाने के प्रस्ताव हैं। ये यूनिट अरवा और उसना चावल से जुड़ी हैं। ये सभी राइस मिलें सीतामढ़ी, मधुबनी के विद्यानगर, किशनगंज के कासीपुर बेलवा, रोहतास के करघर, औरंगाबाद में खेरहरी, बांका, पश्चिमी चंपारण, भोजपुर में जगदीशपुर और पूर्णिया में स्थापित की जानी हैं।
  • निवेश प्रोत्साहन परिषद में टेक्सटाइल और लेदर यूनिट लगाने के भी 46 करोड़ रुपए से अधिक के प्रस्ताव हैं। किशनगंज के सुल्तानगंज में जूट के धागे, फाइबर उत्पाद, सिलाई, बुनाई और कढ़ाई की यूनिट लगाना प्रस्तावित है। इसी तरह भागलपुर, पूर्णिया, बांका और पूर्वी चंपारण में टेक्सटाइल और लेदर यूनिट के लिये प्रथम क्लियरेंस दिया गया है।
  • अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य-
    • फ्लाइ ऐश ईंट निर्माण के लिये मुज़फ्फरपुर मोहनपुर में, भागलपुर, पटना, बेगूसराय में यूनिट स्थापित करने के प्रस्ताव हैं। हालाँकि, इस पर केवल सात करोड़ रुपए के निवेश प्रस्तावित हैं।
    • इसके अलावा पूर्णिया, पटना और मुज़फ्फरपुर ज़िलों में पीवीसी पाइप्स आदि के लघु उद्योग स्थापित किये जाने हैं।
    • लगभग 177 करोड़ रुपए की 21 अन्य यूनिट लगाने के प्रस्ताव हैं। जनरल मैन्युफैक्चरिंग, नवीकृत ऊर्जा, फ्लोर मिल, पेपर कप और प्लेट, कोल्ड स्टोरेज, वेयर हाउस, मशीन मैनुफैक्चरिंग, हॉस्पीटल, ऑक्सीजन प्लांट और वुडन फर्नीचर यूनिट लगनी हैं।
    • निवेश प्रोत्साहन परिषद की 41वीं बैठक में 765 करोड़ रुपए के 53 प्रस्तावों पर प्रथम क्लियरेंस की मुहर लगी, 164 करोड़ रुपए के 11 प्रस्तावों को वित्तीय क्लियरेंस दी गई तथा 10 इकाइयों के फर्स्ट क्लियरेंस के आवेदनों को निरस्त कर दिया गया।

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राज्य सरकार ने गया एयरपोर्ट पर घटाया VAT

चर्चा में क्यों?

20 सितंबर, 2022 को एयरपोर्ट कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार राज्य सरकार ने गया एयरपोर्ट पर विमानों को ईंधन लेने में बड़ी सहूलियत देते हुए अपने हिस्से के वैट चार्ज को 29 प्रतिशत से घटाकर मात्र चार प्रतिशत कर दिया है।

प्रमुख बिंदु

  • राज्य सरकार ने गया व बोधगया में देशी-विदेशी पर्यटकों की संख्या में इजाफा करने व गया एयरपोर्ट के रास्ते ज़्यादा-से-ज़्यादा यात्रियों की आवाजाही बढ़ाने को लेकर यह निर्णय लिया है। इससे गया व बोधगया को आर्थिक लाभ भी मिलेगा। विमानों की आवाजाही बढ़ने से गया एयरपोर्ट को भी लाभ होगा और विमानों के लैंडिंग चार्ज के रूप में आमदनी बढ़ेगी।
  • राज्य सरकार के इस निर्णय से गया एयरपोर्ट पर विमानों को सस्ता ईंधन मिल पाएगा और इस कारण यहाँ ईंधन लेने के लिये दूसरे रूट के विमानों की भी आवाजाही बढ़ जाएगी। मुख्यरूप से घरेलू विमानों के गया एयरपोर्ट तक पहुँचने से यात्रियों की आवाजाही भी बढ़ सकती है।
  • ज़्यादातर विमान, जो दूसरे रूट से भी आवाजाही कर रहे हैं, वह सस्ता ईधन लेने के लिये गया एयरपोर्ट पर लैंड करेंगे और गया एयरपोर्ट का रूट तय करेंगे। इससे गया आने व गया से बाहर जाने वाले यात्रियों को लाभ होगा। घरेलू विमानों की आवाजाही बढ़ जाएगी और गया एयरपोर्ट देश के कई बड़े शहरों से जुड़ जाएगा। यहाँ तक कि बैंकॉक से कोलकाता के लिये उड़ान भरने वाले विमान भी वाया गया का रूट पसंद करेंगे।
  • गया में ईधन लेने से विमानों को एक हज़ार लीटर ईंधन पर कम-से-कम 20 हज़ार रुपए की बचत होगी। अमूमन कोई भी विमान ईंधन रिफिलिंग के वक्त दो हज़ार लीटर के करीब फ्यूल लेती हैं। इस तरह विमानन कंपनियों को एक बार ईधन लेने में कम-से-कम 40 हज़ार रुपए की बचत होगी। इसका लाभ उठाने के लिये अब चेन्नई से दिल्ली व दिल्ली से कोलकाता के लिये उड़ान भरने वाले विमान भी गया एयरपोर्ट का रूट ही पसंद करेंगे।

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