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छत्तीसगढ स्टेट पी.सी.एस.

  • 21 Jun 2022
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आयरन-फोर्टिफाइड चावल से आयरन की अधिक मात्रा हो सकती है: रिपोर्ट

चर्चा में क्यों? 

20 जून, 2022 को छत्तीसगढ़ के चार ज़िलों के 11 गाँवों का दौरा करने के बाद एक तथ्य-खोज रिपोर्ट जारी करते हुए आशा (अलायंस फॉर सस्टेनेबल एंड होलिस्टिक एग्रीकल्चर) कविता कुरुगंती ने कहा कि आयरन-फोर्टिफाइड चावल से आयरन की अधिकता हो सकती है। 

प्रमुख बिंदु 

  • बस्तर, कोंडागाँव, सरगुजा और कोरबा के पाँच ब्लॉकों के 11 गाँवों का दौरा करने के बाद यह रिपोर्ट जारी करते हुए कुरुगंती ने कहा कि छत्तीसगढ़ धान उत्पादन में आत्मनिर्भर है और एक विकेंद्रीकृत खरीद प्रणाली भी है।  
  • उन्होंने कहा कि राज्य में चावल फोर्टिफिकेशन योजना की बड़े पैमाने पर स्केलिंग का वास्तव में कोई आधार नहीं है, जहाँ छत्तीसगढ़ पूरे देश में वितरित किये जा रहे सभी फोर्टिफाइड चावल का 25-45 प्रतिशत अभी वितरित कर रहा है।  
  • रिपोर्ट के अनुसार कोंडागाँव ज़िले में तो प्रायोगिक कार्य पूरा किया गया है, ही मूल्यांकन किया गया है और परिणाम सार्वजनिक जाँच के लिये रखे गए हैं, लेकिन इसे बढ़ाकर 12 ज़िलों में कर दिया गया।  
  • भोजन का अधिकार अभियान (आरटीएफसी) छत्तीसगढ़ की संगीता साहू ने कहा कि पायलट मूल्यांकन केवल प्रभावकारिता का, बल्कि सुरक्षा का भी हो सकता है।  
  • उन्होंने कहा कि सिकलसेल विकार, थैलेसीमिया, तपेदिक (टीबी) जैसी बीमारियों के बोझ के साथ, छत्तीसगढ़ को सार्वजनिक योजनाओं में आयरन-फोर्टिफाइड चावल की केंद्र की अवैज्ञानिक और जोखिम भरी नीति से बाहर निकलना चाहिये।  
  • छत्तीसगढ़ में पहले से ही लगभग 1.5 लाख व्यक्तियों के सिकलसेल विकारों का उच्च रोग भार है। राज्य में थैलेसीमिया, मलेरिया और तपेदिक भी प्रचलित हैं।  
  • उन्होंने कहा कि राज्य में पहले से ही कुछ अनुकरणीय और अनूठी पहलें हैं, जैसे- एक समग्र, विविधता से भरपूर, खाद्य-आधारितसुपोषण अभियान’, ‘नरवा, गरुवा, घुरुवा और बाड़ी’ (एनजीजीबी) औरगोधन न्याय योजना आदि

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