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स्टेट पी.सी.एस.

  • 21 Apr 2023
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उत्तर प्रदेश Switch to English

गोरखपुर में बनेगा प्रदेश का पहला महिला विश्वविद्यालय

चर्चा में क्यों?

20 अप्रैल, 2023 को मंडलायुक्त गोरखपुर रवि कुमार एनजी ने बताया कि सीएसआर के तहत गोरखपुर में प्रदेश का पहला महिला विश्वविद्यालय बनेगा। यहाँ अंतर्राष्ट्रीय स्तर की सारी सुविधाएँ उपलब्ध होगी।

प्रमुख बिंदु 

  • सीएसआर के तहत करीब 700 करोड़ रुपए की लागत से गोरखपुर ज़िले में प्रस्तावित महिला विश्वविद्यालय का निर्माण किया जाएगा।
  • इस विश्वविद्यालय में प्राथमिक से लेकर उच्च शिक्षा तक की व्यवस्था होगी। बालिकाओं के उत्थान के लिये जरूरी सुविधाओं के आकलन हेतु कंसल्टेंसी फर्म को जिम्मेदारी दी गई है।
  • गोरखपुर में प्रदेश का पहला महिला विश्वविद्यालय की स्थापना का निर्णय रियल एस्टेट कंपनी शोभा डेवलपर की ओर से लिया गया है, जिसको लेकर कंपनी के अधिकारियों ने गोरखपुर का दौरा भी किया था।
  • इस महिला विश्वविद्यालय के लिये ज़िला प्रशासन द्वारा 100 एकड़ ज़मीन उपलब्ध कराई जाएगी और इसका संचालन भी कंपनी की ओर से किया जाएगा।
  • विदित है कि गोरखपुर में पहले से चार विश्वविद्यालय संचालित हैं, जिसमें दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय, मदन मोहन मालवीय प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, आयुष विश्वविद्यालय और महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय शामिल हैं। महिला विश्वविद्यालय बन जाने से गोरखपुर में पाँच विश्वविद्यालय हो जाएंगे।
  • गोरखपुर में महिला विश्वविद्यालय स्थापित करने का उद्देश्य कंपनी का फोकस महिलाओं के उत्थान पर है। पूर्वी उत्तर प्रदेश में महिलाओं को आगे बढ़ाने के लिये सुविधाओं की काफी ज़रूरत है। पूर्वांचल के पिछड़ेपन को दूर करने में यह विश्वविद्यालय काफी कारगर साबित होगा।

राजस्थान Switch to English

राजस्थान हाउसिंग बोर्ड को ‘टाइम्स रियल एस्टेट कॉन्क्लेव’अवॉर्ड्स से किया जाएगा सम्मानित

चर्चा में क्यों?

20 अप्रैल, 2023 को राजस्थान सूचना एवं जनसंपर्क विभाग द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार केंद्र सरकार की एजेंसी नेशनल रियल एस्टेट डेवलपमेंट काउंसिल (NAREDCO) द्वारा राजस्थान हाउसिंग बोर्ड को ‘टाइम्स रियल एस्टेट कॉन्क्लेव’अवॉर्ड्स से सम्मानित किया जाएगा।

प्रमुख बिंदु 

  • रियल एस्टेट के क्षेत्र में बेहतरीन कार्य करने के लिये राजस्थान हाउसिंग बोर्ड को 26 अप्रैल को गुरुग्राम में होने वाले सम्मान समारोह में इस अवॉर्ड्स से सम्मानित किया जाएगा।
  • कार्यक्रम के मुख्य अतिथि केंद्रीय शहरी एवं आवास मंत्री हरदीप सिंह पुरी तथा गेस्ट ऑफ ऑनर दिल्ली रेरा के चेयरमैन आनंद कुमार होंगे।
  • गौरतलब है कि आवासन आयुक्त पवन अरोड़ा की अगुवाई में पिछले चार वर्षों में मंडल को कुल 14 अवार्ड मिल चुके हैं। इनमें मकान विक्रय में वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्डस, स्कॉच अवार्ड-2021, अवार्ड ऑफ एक्सीलेन्सी, नेशनल रियल एस्टेट डवलपमेंट काउंसिल द्वारा सम्मान, नेशनल हाउसिंग अवार्ड, आई.बी.सी और ‘स्टार ऑफ गवर्नेंस-गोल्ड अवार्ड’ जैसे प्रतिष्ठित अवार्ड शामिल हैं।

राजस्थान Switch to English

जेईसीसी में राष्ट्रीय आरोग्य मेले का शुभारंभ

चर्चा में क्यों?

20 अप्रैल, 2023 को राजस्थान के आयुष राज्यमंत्री डॉ. सुभाष गर्ग ने सीतापुरा स्थित जयपुर एग्जीबिशन एंड कन्वेंशन सेंटर (जेईसीसी) में केंद्रीय आयुष मंत्रालय, राज्य के आयुष विभाग तथा पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स के संयुक्त तत्वावधान में राष्ट्रीय आरोग्य मेले का शुभारंभ किया।

प्रमुख बिंदु 

  • आयुष राज्यमंत्री डॉ. सुभाष गर्ग ने कहा कि ‘निरोगी राजस्थान’की संकल्पना को साकार करने की दिशा में राज्य सरकार प्रदेश में आयुर्वेद एवं भारतीय चिकित्सा पद्धति को लगातार बढावा दे रही है, जिसके परिणामस्वरूप आयुष पद्धति के प्रति लोगों में रूझान बढ़ा है और यह एलोपैथी के मजबूत विकल्प के रूप में उभर रही है। अन्य राज्यों के समक्ष राज्य सरकार की यह एक अनुकरणीय पहल है।
  • आयुष राज्य मंत्री ने आयुष के क्षेत्र में राजस्थान की उपलब्धियों की चर्चा करते हुए कहा कि राजस्थान के जोधपुर में देश का दूसरा आयुर्वेद विश्वविद्यालय है। कोविड के समय आयुष विभाग द्वारा विकसित काढ़ा पूरे देश-दुनिया में कारगर सिद्ध हुआ है।
  • 23 अप्रैल तक आयोजित राष्ट्रीय आरोग्य मेले में लगभग 100 स्टॉल्स के माध्यम से विभिन्न आयुष उपकरण एवं औषधियाँ प्रदर्शित की गई हैं, जिनके माध्यम से आगंतुकों को जागरूक किया जाएगा।
  • आरोग्य मेले में आयुष उद्योग प्रदर्शनी, निरूशुल्क ओपीडी, दवा वितरण, उपचार एवं परामर्श के साथ-साथ आयुर्वेद, होम्यो, यूनानी, योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा पद्धतियों का प्रदर्शन किया जाएगा।
  • मेले में चार दिन में विभिन्न सत्रों का आयोजन किया जाएगा। यह सत्र अस्वस्थ जीवन शैली के कारण उत्पन्न हो रही स्वास्थ्य समस्याओं से निजात पाने के लिये कारगर साबित होंगे। 


मध्य प्रदेश Switch to English

छात्रों में उद्यमी विश्वास और कौशल विकसित करने के लिये प्रारंभ होगा तेजस्वी कार्यक्रम

चर्चा में क्यों?

20 अप्रैल, 2023 को मंत्रालय में स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा छात्रों में उद्यमी विश्वास एवं कौशल विकसित करने के उददेश्य से तैयार किये गए तेजस्वी कार्यक्रम के क्रियान्वयन के लिये बहुपक्षीय एमओयू हस्ताक्षरित किया गया।

प्रमुख बिंदु 

  • सह समझौता पत्र (MOU) आयुक्त लोक शिक्षण, राज्य ओपन स्कूल एवं सहयोगी संस्था उदृयम लर्निंग फाउंडेशन और द एजुकेशन एलायंस के बीच हस्ताक्षरित किया गया।
  • उल्लेखनीय है कि तेजस्वी कार्यक्रम के तहत छात्रों को विद्यालयीन समय से ही नवीन उद्योगों और स्व व्यवसाय की जानकारी प्रदान की जाएगी। इसके लिये पृथक पाठ्यक्रम भी विकसित किया गया है।
  • विद्यालयों में इस पाठ्यक्रम के आधार पर सप्ताह में तीन दिन 40-40 मिनट की विशेष कक्षाएँ संचालित की जाएंगी।
  • इसके साथ ही विभिन्न नवाचारी व्यवसायों पर आधारित अनुभव आधारित प्रशिक्षण कार्यक्रम और प्रोजेक्ट कार्य भी संचालित होंगे। इसके लिये आवश्यक लागत राशि भी कार्यक्रम अंतर्गत शासन द्वारा उपलब्ध कराई जायेगी, जिससे शालेय विद्यार्थी स्व-रोज़गार और नये उद्यमों की स्थापना हेतु प्रेरित हो सकेंगे।
  • इस अवसर पर प्रमुख सचिव, स्कूल शिक्षा रश्मि अरुण शमी ने कहा कि शाला स्तर से ही विद्यार्थियों में चुनौतियों का सामना करने की योग्यताएँ एवं व्यवसायिक दृष्टिकोण विकसित करने के लिये तेजस्वी कार्यक्रम प्रारंभ किया जा रहा है।
  • उन्होंने कहा कि प्रायोगिक तौर पर यह कार्यक्रम अभी प्रदेश के दो महानगरों भोपाल और इंदौर के शासकीय विद्यालयों की कक्षा नवमीं और ग्यारहवीं के विद्यार्थियों के लिये प्रारंभ किया जा रहा है जिसे भविष्य में कक्षा 9 से 12 तक के विद्यार्थियों के मध्य संपूर्ण प्रदेश में संचालित किया जा सकेगा।
  • आयुक्त लोक शिक्षण अनुभा श्रीवास्तव ने बताया कि इस कार्यक्रम का उद्देश्य छात्रों में उद्यमी विश्वास और 21वीं सदी के कौशल विकसित करना है ताकि वे जीवन की चुनौतियों के लिये बेहतर रूप से तैयार हो सकें।
  • उन्होंने बतायया कि ‘तेजस्वी एमपी कार्यक्रम’पाठ्यक्रम के अंतर्गत भोपाल और इंदौर के 301 शासकीय विद्यालयों में कक्षा 9वीं के लगभग 44,780 विद्यार्थी तथा ‘तेजस्वी एमपी सामाजिक और व्यवसायिक नवाचार चौलेंज कार्यक्रम’में इन्हीं दोनों नगरों के 176 विद्यालयों के 11वीं कक्षा के 22,738 विद्यार्थी लाभान्वित होंगे।

मध्य प्रदेश Switch to English

प्रदेश में ट्रांसजेंडर समुदाय पिछड़ा वर्ग में शामिल

चर्चा में क्यों?

19 अप्रैल, 2023 को राज्य शासन ने ट्रांसजेंडर समुदाय को मध्य प्रदेश राज्य पिछड़ा वर्ग की सूची में शामिल करने की अधिसूचना जारी कर दी।

प्रमुख बिंदु 

  • ट्रांसजेंडर (किन्नर) समुदाय को मध्य प्रदेश राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग अधिनियम-1995 के तहत जोड़ा गया है।
  • विदित है कि प्रदेश में विकास की मुख्यधारा से अलग चल रहे किन्नर (ट्रांसजेंडर) समुदाय को पिछड़ा वर्ग सूची में शामिल करने के पिछड़ा वर्ग तथा अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के प्रस्ताव को 11 अप्रैल को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता वाली कैबिनेट ने स्वीकृति दी थी।
  • राज्य सरकार द्वारा किन्नरों को ओबीसी वर्ग में शामिल करने का फैसला सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले के परिपालन में लिया गया है। सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया था कि शिक्षा, सामाजिक एवं आर्थिक तौर पर इन्हें पिछड़ा माना जाता है।
  • सामाजिक न्याय विभाग के अनुसार प्रदेश में किन्नरों की प्रमाणित संख्या नहीं है। जबकि आर्थिक एवं सांख्यिकी विभाग ने करीब 6 हज़ार किन्नरों की संख्या दर्ज की है, जिसमें कुछ ज़िलों में सुधार भी किया गया है।
  • प्रदेश में चुनाव आयोग के रिकॉर्ड में 1432 किन्नर दर्ज हैं। इसमें सबसे ज्यादा 176 किन्नर भोपाल में हैं, जबकि उज्जैन में 75, इंदौर में 102 दर्ज हैं।
  • उल्लेखनीय है कि 24 फरवरी, 2023 को राज्य सरकार ने मध्य प्रदेश ट्रांसजेंडर (अधिकारों का संरक्षण) नियम-2021 (Transgender Protection of Rights Rules-2021) के तहत आदेश जारी कर नौकरियों में सीधी भर्ती में ट्रांसजेंडर समुदाय के लिये अलग श्रेणी बनाई है। इसके साथ ही अब सरकारी नौकरियों के लिये आवेदन पत्र में पुरुष और महिला के साथ ट्रांसजेंडर का विकल्प भी उपलब्ध हो गया है।

मध्य प्रदेश Switch to English

मध्य प्रदेश पुलिस के दो प्रशिक्षण संस्थानों को मिलेगी यूनियन होम मिनिस्टर ट्रॉफी

चर्चा में क्यों?

19 अप्रैल, 2023 को मध्य प्रदेश जनसंपर्क विभाग द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार मध्य प्रदेश पुलिस के दो प्रशिक्षण संस्थानों- पुलिस अकादमी भौरी और पुलिस प्रशिक्षण शाला पचमढ़ी को पुलिस के सर्वश्रेष्ठ प्रशिक्षण संस्थानों को प्रतिवर्ष दी जाने वाली यूनियन होम मिनिस्टर ट्रॉफी के वर्ष 2021-22 के लिये चुना गया है।

प्रमुख बिंदु 

  • केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा नई दिल्ली में अलंकरण समारोह यूनियन होम मिनिस्टर ट्रॉफी से सम्मानित किये जाने वाले प्रशिक्षण संस्थानों को ट्रॉफी एवं प्रमाण-पत्र के साथ 2 लाख रुपए की नगद राशि भी प्रदान की जाएगी।
  • पुलिस प्रशिक्षण शाला पचमढ़ी की ओर से श्रीमती निमिषा पांडेय एवं मध्य प्रदेश पुलिस अकादमी भौरी भोपाल की ओर से मलय जैन यह सम्मान प्राप्त करेंगे।
  • पश्चिम ज़ोन के लिये आरक्षकों का सर्वश्रेष्ठ प्रशिक्षण केंद्र पुलिस प्रशिक्षण शाला पचमढ़ी एवं उप पुलिस अधीक्षकों की सर्वश्रेष्ठ प्रशिक्षण अकादमी, मध्य प्रदेश पुलिस अकादमी भौरी को चुना गया है।
  • प्रशिक्षण में नव प्रयोग तथा आधुनिक तकनीक का समावेश कर देश के पुलिस प्रतिभागियों को प्रशिक्षण का लाभ देने में मध्य पुलिस पुलिस अग्रणी रही है। प्रशिक्षण विशेषज्ञों को जोड़ने के लिये देश-विदेश के विश्वविद्यालयों एवं रिसर्च इंस्टीट्यूट के साथ एम.ओ.यू. एवं विशेषज्ञता के आदान-प्रदान से उत्तम कोटि के परिणाम सामने आए।
  • उल्लेखनीय है कि देश के पुलिस प्रशिक्षण संस्थानों में उत्कृष्ट प्रशिक्षण का आकलन ब्यूरो ऑफ पुलिस रिसर्च एवं डेवलपमेंट द्वारा निर्धारित मानकों पर किया जाता है।
  • इसमें आरक्षकों के प्रशिक्षण संस्थान एक कैटेगरी में तथा उप निरीक्षक एवं पुलिस उप-अधीक्षकों के प्रशिक्षण संस्थान अलग-अलग कैटेगरी में रखकर निर्धारित मापदंड पर बेहतर प्रशिक्षण पद्धति, संसाधनों का समुचित रख-रखाव एवं वर्ष भर में उत्कृष्ट प्रशिक्षण क्षमता प्रदर्शित करने वाले प्रशिक्षण संस्थान का चयन राष्ट्रीय स्तर पर गठित कमेटी द्वारा किया जाता है।

हरियाणा Switch to English

‘हरियाणा किराये पर सरकारी संपत्ति निपटान नीति 2023’ अधिसूचित

चर्चा में क्यों?

20 अप्रैल, 2023 को हरियाणा सरकार ने पिछले 20 वर्ष या उससे अधिक समय से किराये या पट्टे के माध्यम से व्यक्तिगत या निजी संस्था के कब्जे वाली सरकारी विभागों, बोर्डों, निगमों और प्राधिकरणों की संपत्तियों (दुकानों/मकानों) को बेचने के लिये ‘हरियाणा किराये पर सरकारी संपत्ति निपटान नीति 2023’ को अधिसूचित की है।

प्रमुख बिंदु 

  • मुख्य सचिव संजीव कौशल ने यह जानकारी देते हुए बताया कि यह नीति 100 वर्ग गज प्रति लाभार्थी/प्रति भूखंड तक की ऐसी सभी संपत्तियों पर लागू होगी, जो 01 जून, 2001 से पहले पट्टे या किराए पर दी गई थी।
  • मुख्य सचिव ने बताया कि यह एक ‘वन टाइम पालिसी’है जिसके अंतर्गत आने वाले लोगों को नीति की अधिसूचना जारी होने के 3 महीने के भीतर आवेदन करना होगा।
  • यह नीति पर्यटन, परिवहन और स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभागों की भूमि पर लागू नहीं होगी। इसके अलावा, यह नीति शामलात भूमि, पंचायत भूमि, पंचायत समिति एवं ज़िला परिषद भूमि पर भी लागू नहीं होगी।
  • विशिष्ट विभागीय अधिनियमों और वैधानिक नियमों के अर्थात् हरियाणा विस्थापित संपत्ति (प्रबंधन और निपटान) नियम 2011, हरियाणा पंचायती राज अधिनियम 1994, हरियाणा पंचायती राज नियम 1995, हरियाणा ग्राम शामलात भूमि (विनियमन) अधिनियम 1961, हरियाणा ग्राम ग्राम शामलात (विनियमन) नियम 1964 और विस्थापित संपत्ति (प्रबंधन और निपटान) अधिनियम 2008 के तहत शासित होने वाली भूमि को भी इस नीति से बाहर रखा जाएगा।
  • इस नीति में वे संपत्तियाँ शामिल होंगी, जिनका स्वामित्व या प्रबंधन सरकारी संस्था द्वारा किया जाता है और जो किराए या पट्टे का पैसा अथवा लाइसेंस शुल्क या तहबाजारी शुल्क के आधार पर खाली ज़मीन, दुकान (दुकानों) जिसका अलग-अलग तल (यदि कोई हो) मकान और उसका अलग-अलग तल (यदि कोई हो) उद्योग और खाली भूमि के लिये सरकारी संस्था को देय या प्राप्य है।
  • ऐसी संपत्तियों के मामले में, जिनसे सरकारी संस्थाएँ वार्षिक कलेक्टर रेट मूल्य का 8 प्रतिशत और उससे अधिक का किराया पट्टा प्राप्त कर रही हैं, तो सक्षम प्राधिकारी को वह संपत्ति बेचने की अनुमति नहीं होगी।
  • कब्जे की अवधि के आधार पर बेस रेट पर रियायत-
    • जिस संपत्ति पर किसी व्यत्ति का 20 वर्ष से अधिक लेकिन 25 वर्ष से कम की अवधि के लिये कब्जा है, उससे सर्कल रेट का 80 प्रतिशत शुल्क लिया जाएगा।
    • 30 वर्ष या उससे अधिक लेकिन 35 वर्ष से कम की अवधि तक कब्जे वाले लोगों से सर्किल रेट का 75 प्रतिशत शुल्क लिया जाएगा।
    • इसके अलावा, 35 वर्ष या उससे अधिक लेकिन 40 वर्ष से कम की अवधि तक कब्जे वाले लोगों को सर्किल रेट का 65 प्रतिशत भुगतान करना होगा।
    • 40 वर्ष या उससे अधिक लेकिन 45 वर्ष से कम की अवधि के लिये कब्जा रखने वालों से सर्कल रेट का 60 प्रतिशत और 45 वर्ष या उससे अधिक लेकिन 50 वर्ष से कम की अवधि के लिये सर्कल रेट का 55 प्रतिशत शुल्क लिया जाएगा।
    • जिनके पास 50 वर्ष या उससे अधिक की अवधि के लिये कब्जा है, उनसे सर्कल रेट का 50 प्रतिशत शुल्क लिया जाएगा।
  • नीति की निगरानी एवं क्रियान्वयन शहरी स्थानीय निकाय विभाग द्वारा इसके लिये तैयार किये गए पोर्टल के माध्यम से किया जाएगा।

हरियाणा Switch to English

प्रदेश में सीसीटीएनएस होगा मेघराज क्लाउड में स्थानांतरित

चर्चा में क्यों?

20 अप्रैल, 2023 को हरियाणा स्टेट क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के निदेशक ओ पी सिंह ने बताया कि हरियाणा में क्राइम एंड क्रिमिनल ट्रैकिंग नेटवर्क एंड सिस्टम्स (सीसीटीएनएस) को सफलतापूर्वक मेघराज क्लाउड में स्थानांतरित करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।

प्रमुख बिंदु 

  • स्टेट क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो निदेशक ओ पी सिंह आईपीएस ने बताया कि सीसीटीएनएस एक ऑनलाइन प्लेटफॉर्म है जो आपराधिक न्याय प्रणाली के विभिन्न भागों को एक पोर्टल पर लाता है, जिससे सूचनाओं का आदान प्रदान करने, डेटा विश्लेषण और अपराध की रोकथाम की जाती है।
  • मेघराज क्लाउड एक स्केलेबल और फ्लेक्सिबल इंफ्रास्ट्रक्चर प्रदान करता है जो सीसीटीएनएस पर डेटा और उपयोगकर्त्ताओं की बढ़ती मात्रा को सँभाल सकता है, पीक पीरियड्स के दौरान भी सुचारू संचालन सुनिश्चित करता है।
  • क्लाउड-आधारित आर्किटेक्चर की सहायता से उपलब्ध सूचनाएँ एक ही प्लेटफार्म पर आसानी व तेजी से उपलब्ध रहेंगी।
  • मेघराज क्लाउड डेटा एंक्रिप्शन, मल्टी-फैक्टर ऑथेंटिकेशन और नियमित सुरक्षा ऑडिट सहित अत्याधुनिक सुरक्षा उपाय प्रदान करता है, जिससे गोपनीयता, अखंडता और आपराधिक रिकॉर्ड, जाँच और मुकदमों से संबंधित महत्त्वपूर्ण जानकारी की उपलब्धता सुनिश्चित होती है।
  • मेघराज क्लाउड की मापनीयता और लचीलापन भी उपयोगकर्त्ताओं के कुशल संचालन को सक्षम बनाता है। यह क्लाउड-आधारित आर्किटेक्चर अन्य ऍप्लिकेशंस के उपयोग के साथ आसान एकीकरण की अनुमति देता है, जिससे विभिन्न कानून प्रवर्तन एजेंसियों को आपस में पारस्परिक डेटा विनिमय और कार्य करने की सुविधा मिलती है।
  • प्रदेश पुलिस द्वारा मेघराज में स्थानांतरण करने का निर्णय लेने का कारण इसकी कम लागत भी है। मेघराज क्लाउड के उपयोग से हार्डवेयर, सॉफ्टवेयर और रखरखाव में निवेश की आवश्यकता समाप्त हो जाती है, जिसके परिणामस्वरूप राज्य सरकार की लागत में बचत होती है।
  • क्लाउड का पे-एज-यू-गो प्राइसिंग मॉडल कम लागत प्रबंधन और संसाधन के उपयोग की अनुमति देता है, जिससे लंबे समय में लागत बचत होती है। इस प्रोजेक्ट के लिये पुणे की कंपनी से अनुबंध किया गया है।
  • मेघराज क्लाउड के कंप्यूटिंग संसाधन और डेटा केंद्र के सर्वोत्तम सिस्टम प्रदर्शन, सीसीटीएनएस की आसान उपलब्धता सुनिश्चित करते हैं। यह प्रदेश पुलिस को वास्तविक समय में महत्त्वपूर्ण जानकारी तक पहुँचने में सक्षम बनाता है, जिससे अपराधों पर त्वरित प्रतिक्रिया होती है।
  • मेघराज क्लाउड डिजास्टर रिकवरी तंत्र प्रदान करता है, जिससे अप्रत्याशित घटनाओं के मामले में भी डेटा की उपलब्धता सुनिश्चित होती है। यह सीसीटीएनएस प्रणाली की सुविधा किसी भी व्यवधान से जल्दी उबरने और नागरिकों को निर्बाध सेवाएँ सुनिश्चित करने में मदद मिलती है।
  • विदित है कि आम नागरिकों के लिये सीसीटीएनएस पर शिकायतों को ऑनलाइन रजिस्टर करवाने, अपराध व् अपराधियों की जानकारी लेने, रोज़गार, किरायेदार, नौकर आदि के सत्यापन करने, पुलिस से संबंधित जानकारी प्राप्त करने के ऑप्शन उपलब्ध रहते हैं।
  • मेघराज क्लाउड को सीसीटीएनएस के हस्तांतरण के साथ, प्रदेश पुलिस उन्नत तकनीकों और क्लाउड-आधारित बुनियादी ढाँचे का लाभ उठा सकती है। विदित है कि सीसीटीएनएस प्रणाली से थाने के रजिस्टर पर हाथ से लिखने का काम कम होता है और सभी कार्य हिन्दी व अन्य भाषाओं में होता है।इसके अलावा विभिन्न ज़िलों से फॉरेंसिक साइंस और फिंगर प्रिंट ब्यूरो इत्यादि से जानकारी प्राप्त करने में आसानी रहती है।  
  • प्रदेश पुलिस ने सभी थानों में 10 एमबीपीएस की इंटरनेट स्पीड देने का निर्णय लिया गया है।सीसीटीएनएस प्रणाली जेल, अभियोजन विभाग, कोर्ट व फॉरेंसिक विभाग के साथ इंटीग्रेटेड है।  
  • प्रदेश में सीसीटीएनएस में क्राइम डेटा को नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के स्टैंडर्ड पर अपडेट करने की जिम्मेदारी स्टेट क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो पर है।‘एक राज्य एक डेटा’के आधार पर काम किया जा रहा है।  वर्तमान में वर्ष 2022 तक तकरीबन 50 हजार अभियुक्तों को गिरफ्तार किया गया है और उसका डेटा भी स्टेट क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो द्वारा अपलोड कर दिया गया है। 
  • इसके अतिरिक्त आईसीजेएससे समन्वित होने के कारण प्रदेश पुलिस को लावारिस वाहनों व वांछित अपराधियों का डाटा मैच करने में कई केसों में सफलता मिली है।

हरियाणा Switch to English

मुख्यमंत्री ने प्रो एक्टिव दिव्यांग पेंशन सेवा सहित 3 नई ई-गवर्नेंस पहलों की शुरुआत की

चर्चा में क्यों?

19 अप्रैल, 2023 को ई-गवर्नेंस से सुशासन की दिशा में एक कदम और आगे बढ़ाते हुए हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने 3 नई पहलें आरंभ की हैं। इनमें ‘प्रो-एक्टिव दिव्यांग पेंशन सेवा’, ‘ताऊ से पूछो’ व्हाट्सएप बॉट और पीडब्ल्यूडी (बीएंडआर) विश्राम गृहों की ऑनलाइन रूम बुकिंग के लिये ‘पोर्टल’शामिल हैं।

प्रमुख बिंदु 

  • मुख्यमंत्री ने पत्रकार वार्ता को संबोधित करते हुए कहा कि ये तीन आईटी पहल निश्चित रूप से राज्य सरकार के पेपरलैस और पारदर्शी शासन के दृष्टिकोण में मील का पत्थर साबित होंगी। इन पहलों से लाभार्थी डिजिटल रूप रूप से और अधिक सशत्त बनेंगे।
  • प्रो-एक्टिव दिव्यांग पेंशन सेवा-
    • प्रो-एक्टिव दिव्यांग पेंशन सेवा दिव्यांग व्यत्तियों (पीडब्ल्यूडी) को ऑटोमेटेड पेंशन का लाभ देने के लिये शुरू किया गया है।
    • परिवार सूचना डेटा कोश में 60 प्रतिशत से अधिक दिव्यांग के रूप में सत्यापित दिव्यांगों के प्रासंगिक डेटा को हर महीने हरियाणा परिवार पहचान प्राधिकरण द्वारा प्रमाणित किया जाएगा।
    • सत्यापन के बाद पात्र पाए गए ऐसे सभी दिव्यांगों का डेटा योजना द्वारा निर्धारित पात्रता मानदंड के अनुसार सेवा विभाग के साथ साझा किया जाएगा। सेवा विभाग के ज़िला अधिकारी पेंशन शुरू करने के लिये इन नागरिकों की सहमति लेने के लिये उनके पास जाएंगे। सहमति प्रदान करने वाले सभी दिव्यांगों की अगले महीने से पेंशन शुरू कर दी जाएगी।
  • ‘ताऊ से पूछो’व्हाट्सएप बॉट-
    • हरियाणा परिवार पहचान प्राधिकरण द्वारा निर्मित वेब बेस्ड चौट बॉट सॉल्यूशन के साथ-साथ ‘ताऊ से पूछो’व्हाट्सएप बॉट नागरिकों के प्रश्नों का तुरंत जवाब देगा।
    • यह सबके लिये आसानी से सुलभ होगा और नागरिक अपने घर बैठे सरलता से व्हाट्सएप पर संवाद कर सकेंगे।
    • इस इंटीग्रेटेड डिजीटल प्लेटफॉर्म में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, मशीन लर्निंग और नेचुरल लैंग्वेज प्रोसेसिंग जैसी तकनीकों को जोड़ा गया है।
    • इस प्लेटफॉर्म से नागरिकों के साथ-साथ सरकार का समय भी बचेगा। प्राप्त प्रश्नों का विश्लेषणात्मक अध्ययन निश्चित रूप से शिकायतों के निवारण की प्रक्रिया में सहायक सिद्ध होगा।
    • नागरिक विभिन्न डेटा फील्ड की स्थिति के साथ-साथ आय, विवाह, सार्वजनिक वितरण प्रणाली, राशन कार्ड, जाति, पेंशन और शिकायतों जैसी सेवाओं के बारे में प्रश्न पूछ सकते हैं।
    • एकीकृत ताऊ और व्हाट्सएप बॉट परिवार पहचान संख्या से संबंधित प्रासंगिक प्रश्नों का उत्तर देगा। परिवार द्वारा आवेदन प्रक्रिया, आवश्यक दस्तावेज, पात्रता, सरकारी नियमों और विभिन्न कार्यक्रमों के लाभों पर सलाह लेने के लिये एकीकृत ताऊ से पूछो व व्हाट्सएप बॉट के साथ संवाद किया जा सकता है।
  • पीडब्ल्यूडी (बीएंडआर) विश्राम गृहों की ऑनलाइन रूम बुकिंग के लिये ‘पोर्टल’-
    • लोक निर्माण विभाग (भवन एवं सड़क) के विश्राम गृहों में कमरों की बुकिंग के लिये विकसित पोर्टल से विश्राम गृहों में सरकारी अधिकारियों के साथ-साथ निजी लोग भी कमरों की ऑनलाइन बुकिंग कर सकते हैं।
    • इस पोर्टल के माध्यम से अब आवेदक कमरे की उपलब्धता देख सकते हैं, कमरा बुक कर सकते हैं, बुकिंग राशि का ऑनलाइन भुगतान कर सकते हैं, बुकिंग रद्द कर सकते हैं। इसके लिये आवेदक को बुकिंग के समय ही पूरी राशि का भुगतान ऑनलाइन करना होगा।
    • पोर्टल के साथ आई.डी.बी.आई. बैंक की भुगतान गेटवे सेवाओं को जोड़ा गया है। चेक-इन करने के 24 घंटे के अंदर बुकिंग रद्द करने पर बुकिंग राशि की 20 प्रतिशत राशि की कटौती होगी। जबकि चेक-इन करने के 24 घंटे से कम समय पर बुकिंग रद्द करने पर कोई रिफंड नहीं दिया जाएगा।
    • इस पोर्टल के माध्यम से अब प्राइवेट व्यत्ति भी इन रेस्ट हाउस में ऑनलाइन कमरा बुक करवा सकते हैं। इनके लिये कुछ शर्तें रखी गई हैं, जिनमें बुकिंग के 15 दिन पहले खाली कमरों के 25 प्रतिशत कमरे बुक करवा सकते हैं।
    • बुकिंग के 7 दिन पहले तक खाली कमरों के 50 प्रतिशत कमरे बुक करवा सकते हैं और बुकिंग के 3 दिन पहले तक खाली कमरों के 75 प्रतिशत कमरे बुक करवा सकते हैं। लेकिन बुकिंग की तारीख से 3 दिन पहले प्राइवेट लोगों के लिये कमरों की बुकिंग नहीं की जाएगी।

छत्तीसगढ़ Switch to English

मुख्यमंत्री ने राज्य के गैर-अनुसूचित क्षेत्रों के लिये ‘मुख्यमंत्री छत्तीसगढ़ी पर्व सम्मान निधि’ योजना का शुभारंभ किया

चर्चा में क्यों?

20 अप्रैल, 2023 को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने प्रदेश के सामुदायिक विकासखंड के ग्रामीण क्षेत्रों के तीज त्यौहार, संस्कृति एवं परंपरा को संरक्षित करने के उद्देश्य से ‘मुख्यमंत्री छत्तीसगढ़ी पर्व सम्मान निधि’योजना का वर्चुअल के माध्यम से शुभारंभ किया।

प्रमुख बिंदु

  • ग्रामीण क्षेत्रों के तीज-त्यौहारों, संस्कृति एवं परंपरा को संरक्षित और संवर्धित करने के उद्देश्य से यह योजना ‘मुख्यमंत्री आदिवासी परब सम्मान निधि’योजना की तर्ज पर शुरू की गई है।
  • विदित है कि इससे पहले मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने प्रियंका गांधी के विशिष्ट आतिथ्य में बस्तर संभाग मुख्यालय जगदलपुर में बीते 13 अप्रैल को आयोजित भरोसा सम्मेलन में ‘मुख्यमंत्री आदिवासी परब सम्मान निधि’योजना की शुरुआत की थी।
  • ‘मुख्यमंत्री छत्तीसगढ़ी पर्व सम्मान निधि योजना’राज्य के गैर अनुसूचित क्षेत्रों के सामुदायिक क्षेत्रों के 61 विकासखंड की 6 हज़ार 111 ग्राम पंचायतों में लागू होगी।
  • इस योजना की इकाई ग्राम पंचायत होगी। तीज-त्यौहार मनाने के लिये इस योजना में भी हर ग्राम पंचायत को दो किश्तों में 10 हज़ार रुपए की राशि दी जाएगी।
  • सामुदायिक क्षेत्रों के गाँवों में स्थानीय उत्सवों, त्यौहारों, मेला-मड़ई का विशेष महत्व रहता है। ऐसे सभी उत्सवों, त्यौहारों, सांस्कृतिक परंपराओं को संरक्षित करने के उद्देश्य से प्रत्येक ग्राम पंचायत को राशि उपलब्ध करायी जाएगी।
  • योजना के क्रियान्वयन के लिये ग्राम पंचायत स्तरीय शासी निकाय समिति का गठन किया जाएगा। इसमें सरपंच (अध्यक्ष), पुजारी, बैगा सदस्य, ग्राम के 2 बुजुर्ग सदस्य, ग्राम की दो महिला सदस्य, ग्राम कोटवार, पटेल सदस्य एवं ग्राम सचिव को शामिल किया गया है।
  • मुख्यमंत्री ने योजना के शुभारंभ अवसर पर योजना की पहली किश्त के रूप में सभी 6 हज़ार 111 ग्राम पंचायतों को 05-05 हज़ार रुपए के मान से कुल 3 करोड़ 5 लाख 55 हज़ार रुपए की राशि जारी की।
  • मुख्यमंत्री ने इसके साथ-साथ ‘मुख्यमंत्री आदिवासी परब सम्मान निधि’के अंतर्गत अनुसूचित क्षेत्र के सरगुजा संभाग सहित अन्य अनुसूचित क्षेत्रों के शेष 14 ज़िलों की 03 हज़ार 793 ग्राम पंचायतों को प्रथम किश्त के रुप में 05-05 हज़ार रुपए के मान से कुल 01 करोड़ 89 लाख 65 हज़ार रुपए की राशि भी जारी की। इसके साथ ही यह योजना पूरे प्रदेश में लागू हो गई है।
  • गौरतलब है कि मुख्यमंत्री बघेल ने 13 अप्रैल को बस्तर में आयोजित भरोसा सम्मेलन में ‘मुख्यमंत्री आदिवासी परब सम्मान निधि योजना’का शुभारंभ करते हुए बस्तर संभाग की 1840 ग्राम पंचायतों को योजना की पहली किश्त के रूप में 5-5 हज़ार रुपए के मान से अनुदान राशि जारी की थी।

 


छत्तीसगढ़ Switch to English

मुख्यमंत्री ने ‘गोधन न्याय योजना’ के हितग्राहियों को 4.40 करोड़ रुपए की राशि ऑनलाईन अंतरित की

चर्चा में क्यों?

20 अप्रैल, 2023 को छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने उनके निवास कार्यालय में आयोजित वर्चुअल कार्यक्रम में ‘गोधन न्याय योजना’ के तहत पशुपालक ग्रामीणों, गौठानों से जुड़ी महिला समूहों और गौठान समितियों को 4.40 करोड़ रुपए की राशि ऑनलाइन अंतरित की।

प्रमुख बिंदु 

  • मुख्यमंत्री ने 1 अप्रैल से 15 अप्रैल तक गौठानों में पशुपालक ग्रामीणों, किसानों, भूमिहीनों से क्रय किये गए कुल 1.30 लाख क्विंटल गोबर के एवज में 2.59 करोड़ रुपए, गौठान समितियों को 1.06 करोड़ रुपए और महिला समूहों को 75 लाख रुपए की लाभांश राशि ऑनलाईन अंतरित की।
  • गोबर विक्रेताओं को अंतरित की गई 2.59 करोड़ रुपए की राशि में से 1.24 करोड़ की राशि कृषि विभाग द्वारा तथा 1.67 करोड़ रुपए का भुगतान स्वावलंबी गौठानों द्वारा किया गया है।
  • गोधन न्याय योजना के तहत राज्य में हितग्राहियों को अब तक लगभग 439 करोड़ 73 लाख रुपए का भुगतान किया जा चुका है।
  • राज्य में 15 अप्रैल, 2023 तक गौठानों में 112.34 लाख क्विंटल गोबर की खरीदी की गई है। गोबर विक्रेताओं से आज की राशि अंतरण के पश्चात् क्रय किये गए गोबर के एवज में 224 करोड़ 68 लाख रुपए का भुगतान किया जा चुका है। वहीं गौठान समितियों एवं महिला स्व-सहायता समूहों को आज किये गए 1.81 करोड़ रुपए के भुगतान के बाद 192.65 करोड़ रुपए की राशि दी जा चुकी है।
  • गौरतलब है कि प्रदेश की 11 हज़ार पंचायतों में 10 हज़ार 6 सौ नब्बे गौठान स्वीकृत हुए हैं, जिसमें से 10 हज़ार से अधिक गौठान पूर्ण हो गए हैं। इन गौठानों में 5 हज़ार 3 सौ 98 गौठान स्वावलंबी हो गए हैं, जिनके द्वारा गोबर खरीदने के लिये 50 करोड़ 82 लाख रुपए की सहायता दी गई है।
  • प्रदेश के 49 गौठानों में गोबर से पेंट तैयार करने की इकाई स्वीकृत की गई है जिसमें से 34 इकाईयाँ की स्थापना की जा चुकी है। 32 इकाई में पेंट का उत्पादन किया जा रहा है। इन इकाईयों से 87 हज़ार 8 सौ 27 लीटर पेंट की उत्पादन किया गया है तथा 47 हज़ार 5 सौ 47 लीटर पेंट के बिक्री से 97.08 लाख रूपये की आय अर्जित की गई है।
  • राज्य के 33 ज़िलों के गौठानों में 20.20 लाख क्विंटल पैरा और 7 हज़ार 8 सौ 59 गौठानों में पानी की व्यवस्था की गई है।


छत्तीसगढ़ Switch to English

शासकीय सेवकों एवं उनके परिजनों के इलाज के लिये राज्य के बाहर के 41 अस्पतालों को मान्यता

चर्चा में क्यों?

20 अप्रैल, 2023 को छत्तीसगढ़ जनसंपर्क विभाग से मिली जानकारी के अनुसार छत्तीसगढ़ शासन ने शासकीय सेवकों और उनके आश्रित परिजनों के इलाज के लिये राज्य के बाहर स्थित 41 अस्पतालों को मान्यता दी है।

प्रमुख बिंदु 

  • स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण तथा चिकित्सा शिक्षा मंत्री टी.एस. सिंहदेव के अनुमोदन के बाद चिकित्सा शिक्षा विभाग ने मान्यता प्राप्त अस्पतालों की सूची मंत्रालय से जारी की है।
  • शासकीय कर्मियों के इलाज के लिये चालू वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिये इन अस्पतालों को मान्यता मिली है।
  • चिकित्सा शिक्षा विभाग ने शासकीय कर्मियों और उनके परिजनों के उपचार के लिये विगत 11 अप्रैल को 92 अस्पतालों की सूची जारी की थी जिनमें प्रदेश के विभिन्न शहरों के 91 और राज्य के बाहर स्थित एक अस्पताल नीति क्लिनिक्स प्राइवेट लिमिटेड रामदासपेठ, नागपुर शामिल था।
  • विभाग द्वारा 19 अप्रैल को जारी मान्यता प्राप्त अस्पतालों की सूची में राज्य के बाहर स्थित 40 अस्पताल शामिल हैं। इस तरह शासकीय सेवारत अधिकारियों-कर्मचारियों के इलाज के लिये मान्यता प्राप्त अस्पतालों की कुल संख्या अब 132 हो गई है।
  • चिकित्सा शिक्षा विभाग ने राज्य शासन के सभी विभागों, राजस्व मंडल बिलासपुर के अध्यक्ष, सभी विभागाध्यक्षों, संभागायुक्तो और कलेक्टरों को मान्यता प्राप्त अस्पतालों की सूची प्रेषित की है। 

उत्तराखंड Switch to English

उत्तराखंड फूड लैब को मिला नया हॉलमार्क

चर्चा में क्यों?

20 अप्रैल, 2023 को राज्य खाद्य एवं औषधि विश्लेषणशाला आयुक्त आरएस कठायत ने बताया कि भारत सरकार ने रुद्रपुर स्थित खाद्य एवं औषधि विश्लेषणशाला को दुग्ध पदार्थों के बाद अब तेल, वसा, मसाले और दालों के लिये भी एनएबीएल (नेशनल एक्रीडिटेशन फॉर बोर्ड फॉर टेस्टिंग एंड कैलिब्रेशन लैबोरेट्रीज) सर्टिफिकेट दिया है।

प्रमुख बिंदु 

  • अब रुद्रपुर स्थित राज्य खाद्य एवं औषधि विश्लेषणशाला से इन खाद्य पदार्थों की जाँच रिपोर्ट अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी मान्य होगी। मिलावटखोर भी फूड लैब की रिपोर्ट को न्यायालय में चुनौती नहीं दे पाएंगे।
  • रुद्रपुर में वर्ष 2010 में स्थापित राज्य खाद्य एवं औषधि विश्लेषणशाला को वर्ष 2018 में सिर्फ दुग्ध पदार्थों की जाँच रिपोर्ट के लिये एनएबीएल सर्टिफिकेट मिला था। इस कारण दूसरे खाद्य पदार्थों में मिलावटखोरी थम नहीं रही थी। प्रदेश में तेल, मसालों, वसा और दालों में मिलावटखोरी की समस्या अधिक है।
  • राज्य खाद्य एवं औषधि विश्लेषणशाला के प्रभारी निशांत त्यागी ने बताया कि फूड लैब को दुग्ध पदार्थों की जाँच रिपोर्ट में एनएबीएल प्रमाणीकरण के लिये हॉलमार्क मिला था। अब भारतीय खाद्य संरक्षा एवं मानक प्राधिकरण ने तेल, वसा, मसालों और दालों के लिये भी एनएबीएल सर्टिफिकेट दे दिया है।
  • उन्होंने बताया कि खाद्य नमूने फेल होने पर अब तक मिलावटखोर एनएबीएल सर्टिफिकेट न होने का लाभ उठाकर केस दर्ज के बावजूद बच निकलते थे, लेकिन अब मिलावटखोर न्यायालय में फूड लैब की रिपोर्ट को चुनौती नहीं दे पाएंगे।
  • विदित है कि रुद्रपुर स्थित फूड लैब में राज्य के सभी 13 ज़िलों के खाद्य पदार्थों के नमूनों की जाँच होती है। इस लैब की वर्तमान में एक साल में 3000 खाद्य पदार्थों की जाँच की क्षमता है।

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