मध्य प्रदेश Switch to English
मुख्यमंत्री मोहन यादव के नेतृत्व में मध्य प्रदेश ने पहला राज्य बजट पेश किया
चर्चा में क्यों?
हाल ही में मध्य प्रदेश के उपमुख्यमंत्री और वित्तमंत्री जगदीश देवड़ा ने विधानसभा में वित्त वर्ष 2024-25 के लिये लगभग 1 लाख 45 हज़ार करोड़ रुपए का अंतरिम बजट (लेखानुदान) पेश किया।
मुख्य बिंदु:
- सीएम मोहन यादव का पहला अंतरिम बजट केवल चार महीने (1 अप्रैल से 31 जुलाई, 2024) के लिये विभिन्न योजनाओं में अपने व्यय का प्रबंधन करने के लिये है।
- अंतरिम बजट में आवंटित राशि को जुलाई 2024 में पेश किये जाने वाले पूर्ण बजट में मिला दिया जाएगा।
- वित्त वर्ष 2024-25 के लिये राज्य का वित्तीय बजट (पूर्ण बजट) लगभग 3 लाख 48 हज़ार 986 करोड़ अनुमानित है।
- चार महीने के लिये अंतरिम बजट केवल व्यय पर केंद्रित होता है तथा बजट में कोई नई वस्तु या नए प्रस्ताव नहीं होते हैं।
लेखानुदान
- भारतीय संविधान के अनुच्छेद 116 के अनुसार, लेखानुदान केंद्र सरकार के लिये अग्रिम अनुदान के रूप में है, इसे भारत की संचित निधि से अल्पकालिक व्यय की आवश्यकता को पूरा करने के लिये प्रदान किया जाता है और आमतौर पर नए वित्तीय वर्ष के कुछ शुरुआती महीनों के लिये जारी किया जाता है।
- एक चुनावी वर्ष के दौरान सरकार या तो अंतरिम बजट ’या ‘लेखानुदान’ को ही जारी करती है क्योंकि चुनाव के बाद नई सरकार पुरानी सरकार की नीतियों को बदल सकती है।
- किसी विनियोग विधेयक की राशि में परिवर्तन करने या अनुदान के लक्ष्य को बदलने अथवा भारत की संचित निधि पर भारित व्यय की राशि में परिवर्तन करने का प्रभाव रखने वाला कोई संशोधन, संसद के सदन में प्रख्यापित नहीं किया जा सकता है और ऐसे संशोधन की स्वीकार्यता के संबंध में लोकसभा अध्यक्ष का निर्णय अंतिम होता है।
- यह नियमित बजट स्वीकृत होने तक सरकार और सार्वजनिक सेवाओं के सुचारु कामकाज को सुनिश्चित करता है।
भारत की संचित निधि
- इसकी स्थापना भारत के संविधान के अनुच्छेद 266 (1) के तहत की गई थी।
- इसमें समाहित हैं:
- करों के माध्यम से केंद्र को प्राप्त सभी राजस्व (आयकर, केंद्रीय उत्पाद शुल्क, सीमा शुल्क और अन्य प्राप्तियाँ) तथा सभी गैर-कर राजस्व।
- सार्वजनिक अधिसूचना, ट्रेज़री बिल (आंतरिक ऋण) और विदेशी सरकारों तथा अंतर्राष्ट्रीय संस्थानों (बाहरी ऋण) के माध्यम से केंद्र द्वारा लिये गए सभी ऋण।
- सभी सरकारी व्यय इसी निधि से पूरे किये जाते हैं (असाधारण मदों को छोड़कर जो लोक लेखा निधि या सार्वजनिक निधि से संबंधित हैं) और संसद के प्राधिकरण के बिना निधि से कोई राशि नहीं निकाली जा सकती।
- भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (CAG) इस निधि का लेखा परीक्षण करते हैं।
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