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पर्यटन बोर्ड का साहस संस्था के साथ हुआ एमओयू
चर्चा में क्यों?
20 फरवरी, 2022 को मध्य प्रदेश के राज्यपाल मंगुभाई पटेल की उपस्थिति में खजुराहो में मध्य प्रदेश पर्यटन बोर्ड के रेस्पॉन्सिबल टूरिज़्म मिशन में पायलट प्रोजेक्ट ‘क्लीन डेस्टिनेशन’ की लॉन्चिंग की गई। इस परियोजना को संचालित करने के लिये पर्यटन बोर्ड और सहयोगी संस्था ‘साहस’ के मध्य कर्णावती इंटरप्रिटेशन केंद्र मडला में एमओयू पर हस्ताक्षर किये गए।
प्रमुख बिंदु
- पायलट प्रोजेक्ट के प्रथम चरण में पन्ना नेशनल पार्क के आस-पास के 30 गाँवों को क्लीन डेस्टिनेशन के रूप में विकसित किया जाएगा।
- इस परियोजना में ठोस अपशिष्ट प्रबंधन की दिशा में कार्य किया जाएगा। सामुदायिक जागरूकता, स्वच्छता और कचरा प्रबंधन से पर्यटन स्थलों और आस-पास के गाँवों को क्लीन डेस्टिनेशन के रूप में विकसित किया जाएगा।
- इस अवसर पर ज़िला पर्यटन, संस्कृति एवं पुरातत्त्व परिषद पन्ना के कैलेंडर का भी विमोचन किया गया।
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48वाँ खजुराहो नृत्य समारोह-2022
चर्चा में क्यों?
20 फरवरी, 2022 को मध्य प्रदेश के राज्यपाल मंगु भाई पटेल ने ‘आज़ादी का अमृत महोत्सव’ के अवसर पर विश्व प्रसिद्ध पर्यटन स्थल खजुराहो में 48वाँ ‘खजुराहो नृत्य समारोह-2022’ का शुभारंभ किया। इस समारोह का आयोजन 26 फरवरी तक किया जाएगा।
प्रमुख बिंदु
- उल्लेखनीय है कि खजुराहो नृत्य समारोह की शुरुआत 1975 में मंदिर प्रांगण से ही हुई थी। आरंभ के दो-तीन वर्षों बाद ही इसे मंदिर प्रांगण में करने की अनुमति नहीं मिली, जिसके परिणामस्वरूप यह समारोह बाहर मैदान में किया जाने लगा। पिछले वर्ष संस्कृति विभाग की इस कार्यक्रम को मंदिर प्रांगण में कराने की कोशिश को सफलता मिली और इस वर्ष भी यह समारोह मंदिर प्रांगण में ही किया जा रहा है।
- समारोह में इस वर्ष ‘महिलाओं के लिये सुरक्षित पर्यटन परियोजना’ के बैनर तले 5 किलोमीटर की ‘दिल खेल के घूमो’ मैराथन भी हुई। इसका उद्देश्य ‘हिंदुस्तान के दिल में आप सेफ हैं’ के स्लोगन से पर्यटन स्थलों में महिलाओं में सुरक्षा की भावना उत्पन्न करना है।
- संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री ऊषा ठाकुर ने घोषणा की कि मानव जीवन में नृत्य की महानता और उसके योगदान को देखते हुए खजुराहो में शास्त्रीय नृत्य संदर्भ का केंद्र स्थापित किया जाएगा।
- 48वें खजुराहो नृत्य समारोह की प्रस्तुतियों का साक्षी बनने के लिये 8 देशों के राजदूत और उच्चायुक्त सपरिवार समारोह में शामिल हुए। इनमें कोरिया, अर्जेंटीना, वियतनाम, ब्रूनेई, फिनलैंड, मलेशिया, थाईलैंड और लाओ के राजदूत तथा उच्चायुक्त शामिल हैं।
- समारोह में शास्त्रीय नृत्य के लिये सुनयना हजारी लाल को वर्ष 2019-20 तथा शांता और वी.पी. धनंजयन को वर्ष 2020-21 के लिये राष्ट्रीय कालिदास सम्मान प्रदान किया गया। उन्हें 2 लाख रुपए की सम्मान राशि, सम्मान पट्टिका, शाल और श्रीफल प्रदान किया गया।
- साथ ही समारोह में राज्य रुपंकर कला पुरस्कार वर्ष 2022 के लिए प्रदान किये गए, जो निम्न हैं-
पुरस्कार |
पुरस्कार प्राप्तकर्त्ता |
देवकृष्ण जटाशंकर जोशी पुरस्कार |
बदनावर की प्रिया सिसोदिया (बदनावर) |
मुकुंद सखाराम भांड पुरस्कार |
स्वपन तरफदार (इंदौर) |
सैयद हैदर रजा पुरस्कार |
दुर्गेश बिरथरे (जबलपुर) |
दत्तात्रेय दामोदर देवलालीकर पुरस्कार |
नरेंद्र जाटव (अशोकनगर) |
जगदीश स्वामीनाथन पुरस्कार |
संजय धवले (अशोकनगर) |
विष्णु चिंचालकर पुरस्कार |
मुनि शर्मा (ग्वालियर) |
नारायण श्रीधर बेंद्रे पुरस्कार |
अग्नेश केरकेटेा (भोपाल) |
रघुनाथ कृष्णराव फड़के पुरस्कार |
ऋतुराज श्रीवास्तव (जबलपुर) |
राम मनोहर सिन्हा पुरस्कार |
ज्योति सिंह (सागर) |
लक्ष्मी शंकर राजपूत पुरस्कार |
डॉ. सोनाली चौहान (पीठवे) (देवास) |
- इस नृत्य समारोह का आयोजन संस्कृति विभाग की उस्ताद अलाउद्दीन खाँ संगीत एवं कला अकादमी मध्य प्रदेश संस्कृति परिषद के साथ मध्य प्रदेश टूरिज्म बोर्ड, भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण और ज़िला प्रशासन छतरपुर के संयुक्त प्रयास से किया जा रहा है। भारतीय शास्त्रीय नृत्यशैलियों पर केंद्रित यह देश का शीर्षस्थ समारोह है, राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ख्यातिप्राप्त है।
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इंदौर में गोबर-धन बायो सीएनजी प्लांट का लोकार्पण
चर्चा में क्यों?
19 फरवरी, 2022 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिल्ली से वर्चुअल माध्यम से इंदौर के देवगुराड़िया क्षेत्र में एशिया के सबसे बड़े गोबर-धन बायो सीएनजी प्लांट का लोकार्पण किया।
प्रमुख बिंदु
- इंदौर में गोबर-धन बायो सीएनजी प्लांट बनने से वेस्ट-टू-वेल्थ तथा सर्कुलर इकॉनमी की परिकल्पना साकार हुई है। इससे भारत के स्वच्छता अभियान भाग-2 को नई ताकत मिलेगी, जिसके अंतर्गत आने वाले 2 वर्षों में देश के सभी शहरों को कूड़े के पहाड़ों से मुक्त कर ग्रीन ज़ोन बना दिया जाएगा।
- इंदौर के प्लांट से सीएनजी के अलावा 100 टन जैविक खाद भी रोज़ाना प्राप्त होगा। इससे इंदौर शहर में हर रोज करीब-करीब 400 बसें चलाई जा सकेंगी।
- यह प्लांट संपूर्ण एशिया महाद्वीप में जैविक अपशिष्ट से बायो सी.एन.जी का सबसे बड़ा तथा देश का पहला प्लांट है।
- बायो सी.एन.जी प्लांट पी.पी.पी. मॉडल पर आधारित है। इस प्लांट की स्थापना पर जहाँ एक ओर नगर निगम, इंदौर को कोई वित्तीय भार वहन नहीं करना पड़ रहा है, वहीं दूसरी ओर प्लांट को स्थापित करने वाली एजेंसी IEISL, नई दिल्ली द्वारा नगर निगम, इंदौर को प्रतिवर्ष ढाई करोड़ रुपए प्रीमियम के रूप में दिये जाएंगे।
- इस प्लांट में प्रतिदिन 550 एमटी गीले कचरे (घरेलू जैविक कचरे) को उपचारित किया जाएगा, जिससे 17 हज़र 500 किलोग्राम बायो सी.एन.जी. गैस तथा 100 टन उच्च गुणवत्ता की आर्गेनिक कम्पोस्ट का उत्पादन होगा।
- इस प्लांट से उत्पन्न होने वाली बायो सी.एन.जी. में से 50 प्रतिशत गैस नगर निगम, इंदौर को लोक परिवहन की संचालित बसों के उपयोग के लिये उपलब्ध होगी, शेष 50 प्रतिशत गैस विभिन्न उद्योग एवं वाणिज्यिक उपभोक्ताओं को विक्रय की जा सकेगी।
- इंदौर नगर का वेस्ट सेग्रीगेशन उत्तम क्वालिटी का होने से इस प्लांट को इंदौर में स्थापित करने का निर्णय लिया गया है। प्लांट स्थापना के निर्णय के पूर्व उक्त कंपनी ने गीले कचरे के गत एक वर्ष में 200 से अधिक नमूने लेकर परीक्षण करवाया। परीक्षण के परिणाम के आधार पर यह तथ्य सामने आया कि गीले कचरे में मात्र 0.5 से 0.9 प्रतिशत ही रिजेक्ट उपलब्ध है, जो अन्य यूरोपियन देशों की तुलना में भी उच्च गुणवत्ता का होना पाया गया।
- मुख्यमंत्री ने बताया कि इंदौर में झोलाधारी इंदौरी अभियान का आगाज़ भी किया गया है। इंदौर नगरीय क्षेत्र की स्लम बस्तियों को ग्रीन स्लम के रूप में विकसित करने का कार्य लगातार किया जा रहा है।
- मुख्यमंत्री ने कहा कि यह प्लांट इंदौर के आसपास के ग्राम से पशुपालकों और किसानों से गोबर और अन्य कचरे को क्रय कर धन बनाने वाला संयंत्र होगा। अनेक परिवारों को इस प्लांट से स्थायी रोज़गार मिल रहा है।
- कचरे के साथ गोबर का उपयोग बैक्टीरिया डेवलप करने की प्रोसेसिंग में किया जाएगा। इंदौर में बाज़ार मूल्य से 5 रुपए प्रति किलो कम कीमत पर सिटी बसों के लिये सीएनजी की उपलब्धता होगी।
- प्लांट में शुरुआती दौर में 21 प्रतिशत और अगले तीन वर्ष में शत-प्रतिशत सौर ऊर्जा का उपयोग होगा। इंदौर शहर को कार्बन क्रेडिट का लाभ मिलेगा। साथ ही इस प्लांट से आगामी 20 वर्ष तक इंदौर नगर निगम को प्रति वर्ष 2 करोड़ 52 लाख प्रीमियम मिलता रहेगा।
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नकली फिंगर प्रिंट की समस्या का समाधान
चर्चा में क्यों?
हाल ही में आईआईटी इंदौर और इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलाजी (आईईटी) डीएवीवी के वैज्ञानिकों ने मिलकर ऐसा फिंगर प्रिंट बायोमीट्रिक सिस्टम तैयार किया है, जिससे नकली फिंगर प्रिंट का उपयोग कर होने वाले अपराधों की रोकथाम की जा सकेगी। इस महत्त्वपूर्ण शोध का पेटेंट कराया गया है।
प्रमुख बिंदु
- इस तकनीक की सहायता से बायोमीट्रिक मशीनों में ऐसा सेंसर लगाया जा सकेगा, जो असली और नकली फिंगर प्रिंट की पहचान कर लेगा। व्यक्ति जैसे ही अपनी अंगुली स्कैनर पर रखेगा, सेंसर उसकी पल्स (नाड़ी) भी पढ़ लेगा। इससे किसी मृत व्यक्ति के फिंगर प्रिंट के इस्तेमाल की आशंका भी समाप्त हो जाएगी।
- नकली और असली फिंगर प्रिंट की पहचान करने में सफलता मिलने से आधार और बायोमीट्रिक से जुड़े सभी तरह के उपकरणों की सुरक्षा बेहतर ही सकेगी।
- उल्लेखनीय है कि बैंकिंग क्षेत्र के साथ ही चोरी रोकने के लिये कई दफ्तरों और घरों में बायोमीट्रिक मशीनों का उपयोग किया जाता है। कई प्रतियोगी और भर्ती परीक्षाओं में भी बायोमीट्रिक मशीनों का उपयोग किया जाता है। शोध के आधार पर नई बायोमीट्रिक मशीनों का उत्पादन होने के बाद, नकली या मृत व्यक्ति के फिंगरप्रिंट का उपयोग नहीं हो सकेगा।
- कई बार हैकर्स फिंगरप्रिंट की छवि चुराकर उसका उपयोग आधार, सिम और बैंकिंग क्षेत्रों में करने की कोशिश करते हैं। अभी बायोमीट्रिक मशीनें अंगुली की लकीरों को पढ़ती हैं और आगे की प्रक्रिया के लिये अनुमति दे देती हैं। नई तरह की मशीनों पर अंगुली लगाने के बाद सेंसर ब्लड की सेल्स और पल्स भी पता करेगा।
- शोध पर काम करने वाले देवी अहिल्या विश्वविद्यालय के इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलाजी (आईईटी) के प्रो. शशि प्रकाश एवं आईआईटी इंदौर के प्रो. विमल भाटिया हैं।
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