बिहार में भी 4जी सेवा लॉन्च होगी | बिहार | 21 Feb 2022
चर्चा में क्यों?
19 फरवरी, 2022 को बीएसएनएल बोर्ड के निदेशक सुशील कुमार मिश्रा ने बताया कि बिहार में आगामी 15 अगस्त को 4जी सेवा लॉन्च की जाएगी।
प्रमुख बिंदु
- इसके लिये बिहार में बीएसएनएल 4जी के 4 हज़ार टावर लगाए जाएंगे।
- ज्ञातव्य है कि बीएसएनएल को 4जी का स्पेक्ट्रम मिल चुका है। बिहार में अभी 2जी और 3जी के 2 हज़ार 800 मोबाइल टावर हैं। सभी को 4जी में अपग्रेड कर दिया जाएगा। बिहार के साथ दिल्ली और मुंबई में भी बीएसएनएल की 4जी समीक्षा सेवा शुरू होगी।
- बीएसएनएल पूरी तरह में 2जी स्वदेशी उपक्रमों के साथ 4जी सेवा मोबाइल लॉन्च करेगी। टीसीएस स्वदेशी 4जी का उपक्रम बना रहा है। साथ ही 4जी की लॉन्चिंग के साथ 5जी का भी ट्रायल शुरू हो जाएगा।
- बीएसएनएल के मुख्य महाप्रबंधक देवेंद्र ने बताया कि अन्य टेलीकॉम कंपनियाँ अपना टैरिफ बढ़ा रही हैं, लेकिन बीएसएनएल रियायती दरों पर मोबाइल सेवाएँ दे रही है। पिछले महीने में बीएसएनएल बिहार ली परिमंडल में दो लाख उपभोक्ता जुड़े हैं।
बिहार की पहचान मैथिली बत्तख | बिहार | 21 Feb 2022
चर्चा में क्यों?
हाल ही में उत्तर बिहार में पाए जाने वाली मैथिली बत्तख का नेशनल ब्यूरो एनिमल जेनेटिक रिसोर्स करनाल में नाम दर्ज़ कर लिया गया है। मैथिली बत्तख अब बिहार की पहचान बन गए हैं।
प्रमुख बिंदु
- उल्लेखनीय है कि भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के पूर्वी अनुसंधान परिसर के वैज्ञानिकों की टीम ने छह साल तक बत्तख पर रिसर्च करने के बाद नामकरण किया है।
- ये बत्तख देशभर में पसंद किए जा रही हैं। मैथिली बत्तख पर काम करने वाली डॉ. रीना कमल ने बताया कि पूर्णिया, कटिहार, अररिया, किशनगंज और मोतिहारी क्षेत्र में बत्तख का देसी नामकरण किया गया है।
- यह अपने इस आकर्षक रंग, हल्के वज़न और यहाँ के वातावरण में ज़िंदा रहती हैं। इनके इलाज में कम खर्च होता है। यही नहीं कम ज़मीन पर इन्हें पाला जा सकता है। इनका मीट औषधीय गुणों से भरपूर है। राज्य में 50-60 हज़ार मैथिली बत्तख हैं। मत्स्यपालन में भी मैथिली बत्तख साथी बन रहे हैं। इन्हें दूसरी विदेशी नस्ल की बत्तखों से पाल खाने से बचाया जा रहा है। ये बत्तख कम अंडे देती हैं, इसलिये किसान दूसरी बत्तखों से पाल खिला देते हैं। इससे मैथिली बत्तखों के अस्तित्व पर खतरा मँडरा रहा है। आईसीएआर किसानों को जागरूक कर इनको विलुप्त होने से बचाने की कोशिश में लगा है।
- संस्थान में मैथिली बत्तख की पहचान के साथ इसके विकास और अंडे की क्षमता को बढ़ाने पर कार्य किया जा रहा है।
वाल्मीकि टाइगर रिज़र्व | बिहार | 21 Feb 2022
चर्चा में क्यों?
19 फरवरी, 2022 को वाल्मीकि टाइगर रिज़र्व के वन प्रमंडल दो के मदनपुर वन क्षेत्र में कुछ लोगों द्वारा जानबूझकर आग लगा दी गई, जिससे VTR प्रशासन द्वारा प्रत्येक वर्ष शाकाहारी जानवरों को खाने के लिये आरोपित की जाने वाली घास और वृक्षों को काफी नुकसान पहुँचा है।
प्रमुख बिंदु
- वाल्मीकि टाइगर रिज़र्व बिहार का एकमात्र टाइगर रिज़र्व है, जो भारत में हिमालयी तराई जंगलों की सबसे पूर्वी सीमा बनाता है।
- गंगा के मैदान जैव-भौगोलिक क्षेत्र में स्थित इस टाइगर रिज़र्व की वनस्पति भाबर और तराई क्षेत्रों का संयोजन है।
- बाघ गणना, 2018 के अनुसार वाल्मीकि टाइगर रिज़र्व में बाघों की संख्या 32 है।
- भारतीय वन सर्वेक्षण रिपोर्ट, 2021 के अनुसार इसके कुल क्षेत्रफल के 85.71% भू-भाग पर वनावरण विद्यमान है।
- वाल्मीकि टाइगर रिज़र्व के जंगलों में पाए जाने वाले जंगली स्तनधारियों में बाघ, सुस्त भालू, तेंदुआ, जंगली कुत्ता, बाइसन, जंगली सूअर आदि शामिल हैं।