उत्तर प्रदेश Switch to English
बभनियांव पुरास्थल
चर्चा में क्यों?
20 फरवरी, 2022 को वाराणसी ज़िले की राजातालाब तहसील के बभनियांव में चार हज़ार वर्ष पुरानी सभ्यता की पुष्टि के लिये बीएचयू के इतिहास एवं पुरातत्व विभाग द्वारा पुन: उत्खनन प्रारंभ किया गया।
प्रमुख बिंदु
- इस उत्खनन का उद्देश्य वर्ष 2020 में हुए उत्खनन में मिले एकमुखी शिवलिंग के काल और विवरण की खोज करना है। साथ ही यह भी पता लगाया जाएगा कि यहाँ से प्राप्त हुए अभिलेख, सिक्के और मृद्भांड का संबंध इसी क्षेत्र से है या इन्हें कहीं और से लाकर स्थापित किया गया है।
- गौरतलब है कि वर्ष 2020 में हुई खुदाई में 8वीं से 5वीं ईस्वी के बीच का एक मंदिर, चार हज़ार वर्ष पुराने मिट्टी के बर्तन तथा दो हज़ार वर्ष पुरानी दीवार मिली थी। इसके अतिरिक्त एकमुखी शिवलिंग भी प्राप्त हुआ था, किंतु इसके काल का अभी तक निर्धारण नहीं हो सका है।
- यहाँ से प्राप्त अभिलेख का निर्माण ग्रामी (मुखिया) द्वारा किया गया, जिसमें यह उल्लिखित है कि यहाँ बल्यष्टि (शिवलिंग) की स्थापना कराई गई है।
बिहार Switch to English
बिहार में भी 4जी सेवा लॉन्च होगी
चर्चा में क्यों?
19 फरवरी, 2022 को बीएसएनएल बोर्ड के निदेशक सुशील कुमार मिश्रा ने बताया कि बिहार में आगामी 15 अगस्त को 4जी सेवा लॉन्च की जाएगी।
प्रमुख बिंदु
- इसके लिये बिहार में बीएसएनएल 4जी के 4 हज़ार टावर लगाए जाएंगे।
- ज्ञातव्य है कि बीएसएनएल को 4जी का स्पेक्ट्रम मिल चुका है। बिहार में अभी 2जी और 3जी के 2 हज़ार 800 मोबाइल टावर हैं। सभी को 4जी में अपग्रेड कर दिया जाएगा। बिहार के साथ दिल्ली और मुंबई में भी बीएसएनएल की 4जी समीक्षा सेवा शुरू होगी।
- बीएसएनएल पूरी तरह में 2जी स्वदेशी उपक्रमों के साथ 4जी सेवा मोबाइल लॉन्च करेगी। टीसीएस स्वदेशी 4जी का उपक्रम बना रहा है। साथ ही 4जी की लॉन्चिंग के साथ 5जी का भी ट्रायल शुरू हो जाएगा।
- बीएसएनएल के मुख्य महाप्रबंधक देवेंद्र ने बताया कि अन्य टेलीकॉम कंपनियाँ अपना टैरिफ बढ़ा रही हैं, लेकिन बीएसएनएल रियायती दरों पर मोबाइल सेवाएँ दे रही है। पिछले महीने में बीएसएनएल बिहार ली परिमंडल में दो लाख उपभोक्ता जुड़े हैं।
बिहार Switch to English
बिहार की पहचान मैथिली बत्तख
चर्चा में क्यों?
हाल ही में उत्तर बिहार में पाए जाने वाली मैथिली बत्तख का नेशनल ब्यूरो एनिमल जेनेटिक रिसोर्स करनाल में नाम दर्ज़ कर लिया गया है। मैथिली बत्तख अब बिहार की पहचान बन गए हैं।
प्रमुख बिंदु
- उल्लेखनीय है कि भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के पूर्वी अनुसंधान परिसर के वैज्ञानिकों की टीम ने छह साल तक बत्तख पर रिसर्च करने के बाद नामकरण किया है।
- ये बत्तख देशभर में पसंद किए जा रही हैं। मैथिली बत्तख पर काम करने वाली डॉ. रीना कमल ने बताया कि पूर्णिया, कटिहार, अररिया, किशनगंज और मोतिहारी क्षेत्र में बत्तख का देसी नामकरण किया गया है।
- यह अपने इस आकर्षक रंग, हल्के वज़न और यहाँ के वातावरण में ज़िंदा रहती हैं। इनके इलाज में कम खर्च होता है। यही नहीं कम ज़मीन पर इन्हें पाला जा सकता है। इनका मीट औषधीय गुणों से भरपूर है। राज्य में 50-60 हज़ार मैथिली बत्तख हैं। मत्स्यपालन में भी मैथिली बत्तख साथी बन रहे हैं। इन्हें दूसरी विदेशी नस्ल की बत्तखों से पाल खाने से बचाया जा रहा है। ये बत्तख कम अंडे देती हैं, इसलिये किसान दूसरी बत्तखों से पाल खिला देते हैं। इससे मैथिली बत्तखों के अस्तित्व पर खतरा मँडरा रहा है। आईसीएआर किसानों को जागरूक कर इनको विलुप्त होने से बचाने की कोशिश में लगा है।
- संस्थान में मैथिली बत्तख की पहचान के साथ इसके विकास और अंडे की क्षमता को बढ़ाने पर कार्य किया जा रहा है।
बिहार Switch to English
वाल्मीकि टाइगर रिज़र्व
चर्चा में क्यों?
19 फरवरी, 2022 को वाल्मीकि टाइगर रिज़र्व के वन प्रमंडल दो के मदनपुर वन क्षेत्र में कुछ लोगों द्वारा जानबूझकर आग लगा दी गई, जिससे VTR प्रशासन द्वारा प्रत्येक वर्ष शाकाहारी जानवरों को खाने के लिये आरोपित की जाने वाली घास और वृक्षों को काफी नुकसान पहुँचा है।
प्रमुख बिंदु
- वाल्मीकि टाइगर रिज़र्व बिहार का एकमात्र टाइगर रिज़र्व है, जो भारत में हिमालयी तराई जंगलों की सबसे पूर्वी सीमा बनाता है।
- गंगा के मैदान जैव-भौगोलिक क्षेत्र में स्थित इस टाइगर रिज़र्व की वनस्पति भाबर और तराई क्षेत्रों का संयोजन है।
- बाघ गणना, 2018 के अनुसार वाल्मीकि टाइगर रिज़र्व में बाघों की संख्या 32 है।
- भारतीय वन सर्वेक्षण रिपोर्ट, 2021 के अनुसार इसके कुल क्षेत्रफल के 85.71% भू-भाग पर वनावरण विद्यमान है।
- वाल्मीकि टाइगर रिज़र्व के जंगलों में पाए जाने वाले जंगली स्तनधारियों में बाघ, सुस्त भालू, तेंदुआ, जंगली कुत्ता, बाइसन, जंगली सूअर आदि शामिल हैं।
राजस्थान Switch to English
‘ऑपरेशन अस्मिता’
चर्चा में क्यों?
19 फरवरी, 2022 को मुख्य सचिव के समक्ष बूंदी ज़िला कलेक्टर रेणु जयपाल ने ‘ऑपरेशन अस्मिता’ नवाचार का प्रेजेंटेशन दिया।
प्रमुख बिंदु
- बूंदी ज़िले के कुछ क्षेत्रों में देह व्यापार कुरीति को समाप्त करने, बालिकाओं को बेहतर बचपन, उत्कृष्ट शिक्षा एवं सर्वांगीण विकास की राह पर ले जाने के लिये ज़िला प्रशासन द्वारा ‘ऑपरेशन अस्मिता’ को शुरू किया जा रहा है।
- इस नवाचार के ज़रिये नोबेल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी की टीम एवं विशेषज्ञ संस्थाओं के सहयोग से विभिन्न विकासोन्मुखी गतिविधियों द्वारा शिक्षा और रोज़गार से जोड़कर पीड़ित वर्ग को मुख्यधारा में लाने का मार्ग प्रशस्त किया जाएगा।
- ज़िला कलेक्टर ने बताया कि ‘ऑपरेशन अस्मिता’ बूंदी ज़िले के एक समुदाय विशेष के बाहुल्य वाले क्षेत्रों में शुरू किया जा रहा है।
- ज़िले के गाँव रामनगर से इसकी शुरुआत की जा रही है। हिंडोली के शंकरपुरा तथा इंद्रगढ़ के मोहनपुरा को भी शामिल किया जाएगा।
- ‘ऑपरेशन अस्मिता’ के प्रभावी क्रियान्वयन के लिये चरणवार कार्ययोजना बनाई गई है। इसके अंतर्गत विभिन्न संस्थाओं के सहयोग से गतिविधियाँ की जाएंगी।
- चयनित गाँवों में चिह्नित परिवारों के लक्षित समूह के साथ विभिन्न स्तरों पर कार्य होगा। नोबेल पुरस्कार प्राप्त सामाजिक कार्यकर्त्ता कैलाश सत्यार्थी (बचपन बचाओ आंदोलन के प्रणेता) के सहयोग से प्रभावित क्षेत्रों में जागरूकता गतिविधियाँ होंगी।
- शिक्षा से वंचित या ड्रॉपआउट के लिये उनके अनुकूल शैक्षणिक सुविधाएँ दी जाएंगी। शिक्षित बेरोज़गारों को रोज़गार से जोड़ा जाएगा। परिवार के अन्य सदस्यों के साथ काउंसिलिंग, जागरूकता गतिविधियों के माध्यम से ब्रेन वाशिंग कर स्वास्थ्य एवं करियर निर्माण के प्रति जागरूक बनाया जाएगा।
- परिवार की आजीविका के दृष्टिगत संबंधित विभागों के सहयोग से कौशल विकास एवं रोज़गारोन्मुखी प्रशिक्षण दिलवाए जाएंगे।
- समय-समय पर विभिन्न कंपनियों द्वारा चयनित गाँवों के लिये प्लेसमेंट शिविर आयोजित करवाए जाएंगे और शिक्षित बेरोज़गारों को रोज़गार के अवसर दिये जाएंगे।
- खेल प्रतिभाओं को अवसर देने के लिये संबंधित क्षेत्रों में खेल मैदानों का विकास किया जाएगा तथा खेल सुविधाएँ एवं आवश्यक प्रशिक्षण की सुविधा दी जाएंगी।
- इस नवाचार के क्रियान्वयन में नोबेल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी की टीम के साथ बाल कल्याण समिति, चाइल्डलाइन अन्य अनुभवी विशेषज्ञ संस्थाओं एवं व्यक्तियों की मदद ली जाएगी। ज़िला प्रशासन के विभिन्न विभागों एवं संस्थाओं का भी सहयोग रहेगा।
राजस्थान Switch to English
‘मेड इन इंडिया’ पुस्तक
चर्चा में क्यों?
19 फरवरी, 2022 को भारतीय रेलवे लेखा सेवा की अधिकारी तारिका रॉय और भारतीय विदेश सेवा की अधिकारी सौम्या गुप्ता द्वारा संयुक्त रूप से लिखी गई पुस्तक ‘Mad(e) in India’ पर आईएएस लिटरेरी सोसायटी राजस्थान द्वारा वर्चुअल इंटरेक्शन सेशन के माध्यम से चर्चा की गई। तारिका रॉय और सौम्या गुप्ता की यह पहली किताब है।
प्रमुख बिंदु
- तारिका रॉय ने अपनी किताब पर चर्चा करते हुए बताया कि यह पुस्तक हमारे देश भारत और भारतीयों की आदतों, रहन-सहन, आचारख्रव्यवहार तथा यहाँ की संस्कृति एवं परंपराओं के मजेदार पहलुओं की खोज है।
- इस किताब से हर भारतीय खुद को जोड़ सकता है। यह पुस्तक बताती है कि हम एक व्यक्ति और एक राष्ट्र के रूप में कौन हैं, हमारी विचित्रता, अंधविश्वास, असंख्य देवी-देवता और पवित्र पुरुष, हमारे भीड़ख्रभाड़ वाले शहर और सड़कें, फिल्मी सितारों और फिल्मी शैली के साथ हमारा जुनून, बड़ी और छोटी सभी समस्याओं को हल करने के हमारे जुगाडू़ तरीके, हमारे विविध व्यंजन, सांस्कृतिक परंपराएँ और कला रूप तथा विविधता में एकता, जो हमारे सतही मतभेदों को पाटती है।
- इस पुस्तक का एक अध्याय भारतीय रेल से संबंधित विभिन्न पहलुओं से जुड़ा है, जो पाठकों की बहुत-सी यादें ताजा कर देगा।
- सौम्या गुप्ता ने बताया कि यह किताब हमारे देश से बाहर रहने वाले लोगों को भी रोचक, अनूठे और विशिष्ट भारत की तस्वीर दिखाएगी। इस किताब में पाठकों को ट्रकों के पीछे लिखी इबारतों से लेकर लोगों के मुँह पर रहने वाले तकिया कलामों के मजेदार रूप पढ़ने को मिलेंगे। साथ ही पैरेंटल कंट्रोल और हाईवे स्पेशल ढाबों की दुनिया के मज़ेदार किस्से भी। इस पुस्तक में देश की विशेषताओं और अनोखेेपन को एक नए तरीके से पाठक के सामने रखने का प्रयास किया गया है।
मध्य प्रदेश Switch to English
पर्यटन बोर्ड का साहस संस्था के साथ हुआ एमओयू
चर्चा में क्यों?
20 फरवरी, 2022 को मध्य प्रदेश के राज्यपाल मंगुभाई पटेल की उपस्थिति में खजुराहो में मध्य प्रदेश पर्यटन बोर्ड के रेस्पॉन्सिबल टूरिज़्म मिशन में पायलट प्रोजेक्ट ‘क्लीन डेस्टिनेशन’ की लॉन्चिंग की गई। इस परियोजना को संचालित करने के लिये पर्यटन बोर्ड और सहयोगी संस्था ‘साहस’ के मध्य कर्णावती इंटरप्रिटेशन केंद्र मडला में एमओयू पर हस्ताक्षर किये गए।
प्रमुख बिंदु
- पायलट प्रोजेक्ट के प्रथम चरण में पन्ना नेशनल पार्क के आस-पास के 30 गाँवों को क्लीन डेस्टिनेशन के रूप में विकसित किया जाएगा।
- इस परियोजना में ठोस अपशिष्ट प्रबंधन की दिशा में कार्य किया जाएगा। सामुदायिक जागरूकता, स्वच्छता और कचरा प्रबंधन से पर्यटन स्थलों और आस-पास के गाँवों को क्लीन डेस्टिनेशन के रूप में विकसित किया जाएगा।
- इस अवसर पर ज़िला पर्यटन, संस्कृति एवं पुरातत्त्व परिषद पन्ना के कैलेंडर का भी विमोचन किया गया।
मध्य प्रदेश Switch to English
48वाँ खजुराहो नृत्य समारोह-2022
चर्चा में क्यों?
20 फरवरी, 2022 को मध्य प्रदेश के राज्यपाल मंगु भाई पटेल ने ‘आज़ादी का अमृत महोत्सव’ के अवसर पर विश्व प्रसिद्ध पर्यटन स्थल खजुराहो में 48वाँ ‘खजुराहो नृत्य समारोह-2022’ का शुभारंभ किया। इस समारोह का आयोजन 26 फरवरी तक किया जाएगा।
प्रमुख बिंदु
- उल्लेखनीय है कि खजुराहो नृत्य समारोह की शुरुआत 1975 में मंदिर प्रांगण से ही हुई थी। आरंभ के दो-तीन वर्षों बाद ही इसे मंदिर प्रांगण में करने की अनुमति नहीं मिली, जिसके परिणामस्वरूप यह समारोह बाहर मैदान में किया जाने लगा। पिछले वर्ष संस्कृति विभाग की इस कार्यक्रम को मंदिर प्रांगण में कराने की कोशिश को सफलता मिली और इस वर्ष भी यह समारोह मंदिर प्रांगण में ही किया जा रहा है।
- समारोह में इस वर्ष ‘महिलाओं के लिये सुरक्षित पर्यटन परियोजना’ के बैनर तले 5 किलोमीटर की ‘दिल खेल के घूमो’ मैराथन भी हुई। इसका उद्देश्य ‘हिंदुस्तान के दिल में आप सेफ हैं’ के स्लोगन से पर्यटन स्थलों में महिलाओं में सुरक्षा की भावना उत्पन्न करना है।
- संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री ऊषा ठाकुर ने घोषणा की कि मानव जीवन में नृत्य की महानता और उसके योगदान को देखते हुए खजुराहो में शास्त्रीय नृत्य संदर्भ का केंद्र स्थापित किया जाएगा।
- 48वें खजुराहो नृत्य समारोह की प्रस्तुतियों का साक्षी बनने के लिये 8 देशों के राजदूत और उच्चायुक्त सपरिवार समारोह में शामिल हुए। इनमें कोरिया, अर्जेंटीना, वियतनाम, ब्रूनेई, फिनलैंड, मलेशिया, थाईलैंड और लाओ के राजदूत तथा उच्चायुक्त शामिल हैं।
- समारोह में शास्त्रीय नृत्य के लिये सुनयना हजारी लाल को वर्ष 2019-20 तथा शांता और वी.पी. धनंजयन को वर्ष 2020-21 के लिये राष्ट्रीय कालिदास सम्मान प्रदान किया गया। उन्हें 2 लाख रुपए की सम्मान राशि, सम्मान पट्टिका, शाल और श्रीफल प्रदान किया गया।
- साथ ही समारोह में राज्य रुपंकर कला पुरस्कार वर्ष 2022 के लिए प्रदान किये गए, जो निम्न हैं-
पुरस्कार |
पुरस्कार प्राप्तकर्त्ता |
देवकृष्ण जटाशंकर जोशी पुरस्कार |
बदनावर की प्रिया सिसोदिया (बदनावर) |
मुकुंद सखाराम भांड पुरस्कार |
स्वपन तरफदार (इंदौर) |
सैयद हैदर रजा पुरस्कार |
दुर्गेश बिरथरे (जबलपुर) |
दत्तात्रेय दामोदर देवलालीकर पुरस्कार |
नरेंद्र जाटव (अशोकनगर) |
जगदीश स्वामीनाथन पुरस्कार |
संजय धवले (अशोकनगर) |
विष्णु चिंचालकर पुरस्कार |
मुनि शर्मा (ग्वालियर) |
नारायण श्रीधर बेंद्रे पुरस्कार |
अग्नेश केरकेटेा (भोपाल) |
रघुनाथ कृष्णराव फड़के पुरस्कार |
ऋतुराज श्रीवास्तव (जबलपुर) |
राम मनोहर सिन्हा पुरस्कार |
ज्योति सिंह (सागर) |
लक्ष्मी शंकर राजपूत पुरस्कार |
डॉ. सोनाली चौहान (पीठवे) (देवास) |
- इस नृत्य समारोह का आयोजन संस्कृति विभाग की उस्ताद अलाउद्दीन खाँ संगीत एवं कला अकादमी मध्य प्रदेश संस्कृति परिषद के साथ मध्य प्रदेश टूरिज्म बोर्ड, भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण और ज़िला प्रशासन छतरपुर के संयुक्त प्रयास से किया जा रहा है। भारतीय शास्त्रीय नृत्यशैलियों पर केंद्रित यह देश का शीर्षस्थ समारोह है, राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ख्यातिप्राप्त है।
मध्य प्रदेश Switch to English
इंदौर में गोबर-धन बायो सीएनजी प्लांट का लोकार्पण
चर्चा में क्यों?
19 फरवरी, 2022 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिल्ली से वर्चुअल माध्यम से इंदौर के देवगुराड़िया क्षेत्र में एशिया के सबसे बड़े गोबर-धन बायो सीएनजी प्लांट का लोकार्पण किया।
प्रमुख बिंदु
- इंदौर में गोबर-धन बायो सीएनजी प्लांट बनने से वेस्ट-टू-वेल्थ तथा सर्कुलर इकॉनमी की परिकल्पना साकार हुई है। इससे भारत के स्वच्छता अभियान भाग-2 को नई ताकत मिलेगी, जिसके अंतर्गत आने वाले 2 वर्षों में देश के सभी शहरों को कूड़े के पहाड़ों से मुक्त कर ग्रीन ज़ोन बना दिया जाएगा।
- इंदौर के प्लांट से सीएनजी के अलावा 100 टन जैविक खाद भी रोज़ाना प्राप्त होगा। इससे इंदौर शहर में हर रोज करीब-करीब 400 बसें चलाई जा सकेंगी।
- यह प्लांट संपूर्ण एशिया महाद्वीप में जैविक अपशिष्ट से बायो सी.एन.जी का सबसे बड़ा तथा देश का पहला प्लांट है।
- बायो सी.एन.जी प्लांट पी.पी.पी. मॉडल पर आधारित है। इस प्लांट की स्थापना पर जहाँ एक ओर नगर निगम, इंदौर को कोई वित्तीय भार वहन नहीं करना पड़ रहा है, वहीं दूसरी ओर प्लांट को स्थापित करने वाली एजेंसी IEISL, नई दिल्ली द्वारा नगर निगम, इंदौर को प्रतिवर्ष ढाई करोड़ रुपए प्रीमियम के रूप में दिये जाएंगे।
- इस प्लांट में प्रतिदिन 550 एमटी गीले कचरे (घरेलू जैविक कचरे) को उपचारित किया जाएगा, जिससे 17 हज़र 500 किलोग्राम बायो सी.एन.जी. गैस तथा 100 टन उच्च गुणवत्ता की आर्गेनिक कम्पोस्ट का उत्पादन होगा।
- इस प्लांट से उत्पन्न होने वाली बायो सी.एन.जी. में से 50 प्रतिशत गैस नगर निगम, इंदौर को लोक परिवहन की संचालित बसों के उपयोग के लिये उपलब्ध होगी, शेष 50 प्रतिशत गैस विभिन्न उद्योग एवं वाणिज्यिक उपभोक्ताओं को विक्रय की जा सकेगी।
- इंदौर नगर का वेस्ट सेग्रीगेशन उत्तम क्वालिटी का होने से इस प्लांट को इंदौर में स्थापित करने का निर्णय लिया गया है। प्लांट स्थापना के निर्णय के पूर्व उक्त कंपनी ने गीले कचरे के गत एक वर्ष में 200 से अधिक नमूने लेकर परीक्षण करवाया। परीक्षण के परिणाम के आधार पर यह तथ्य सामने आया कि गीले कचरे में मात्र 0.5 से 0.9 प्रतिशत ही रिजेक्ट उपलब्ध है, जो अन्य यूरोपियन देशों की तुलना में भी उच्च गुणवत्ता का होना पाया गया।
- मुख्यमंत्री ने बताया कि इंदौर में झोलाधारी इंदौरी अभियान का आगाज़ भी किया गया है। इंदौर नगरीय क्षेत्र की स्लम बस्तियों को ग्रीन स्लम के रूप में विकसित करने का कार्य लगातार किया जा रहा है।
- मुख्यमंत्री ने कहा कि यह प्लांट इंदौर के आसपास के ग्राम से पशुपालकों और किसानों से गोबर और अन्य कचरे को क्रय कर धन बनाने वाला संयंत्र होगा। अनेक परिवारों को इस प्लांट से स्थायी रोज़गार मिल रहा है।
- कचरे के साथ गोबर का उपयोग बैक्टीरिया डेवलप करने की प्रोसेसिंग में किया जाएगा। इंदौर में बाज़ार मूल्य से 5 रुपए प्रति किलो कम कीमत पर सिटी बसों के लिये सीएनजी की उपलब्धता होगी।
- प्लांट में शुरुआती दौर में 21 प्रतिशत और अगले तीन वर्ष में शत-प्रतिशत सौर ऊर्जा का उपयोग होगा। इंदौर शहर को कार्बन क्रेडिट का लाभ मिलेगा। साथ ही इस प्लांट से आगामी 20 वर्ष तक इंदौर नगर निगम को प्रति वर्ष 2 करोड़ 52 लाख प्रीमियम मिलता रहेगा।
मध्य प्रदेश Switch to English
नकली फिंगर प्रिंट की समस्या का समाधान
चर्चा में क्यों?
हाल ही में आईआईटी इंदौर और इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलाजी (आईईटी) डीएवीवी के वैज्ञानिकों ने मिलकर ऐसा फिंगर प्रिंट बायोमीट्रिक सिस्टम तैयार किया है, जिससे नकली फिंगर प्रिंट का उपयोग कर होने वाले अपराधों की रोकथाम की जा सकेगी। इस महत्त्वपूर्ण शोध का पेटेंट कराया गया है।
प्रमुख बिंदु
- इस तकनीक की सहायता से बायोमीट्रिक मशीनों में ऐसा सेंसर लगाया जा सकेगा, जो असली और नकली फिंगर प्रिंट की पहचान कर लेगा। व्यक्ति जैसे ही अपनी अंगुली स्कैनर पर रखेगा, सेंसर उसकी पल्स (नाड़ी) भी पढ़ लेगा। इससे किसी मृत व्यक्ति के फिंगर प्रिंट के इस्तेमाल की आशंका भी समाप्त हो जाएगी।
- नकली और असली फिंगर प्रिंट की पहचान करने में सफलता मिलने से आधार और बायोमीट्रिक से जुड़े सभी तरह के उपकरणों की सुरक्षा बेहतर ही सकेगी।
- उल्लेखनीय है कि बैंकिंग क्षेत्र के साथ ही चोरी रोकने के लिये कई दफ्तरों और घरों में बायोमीट्रिक मशीनों का उपयोग किया जाता है। कई प्रतियोगी और भर्ती परीक्षाओं में भी बायोमीट्रिक मशीनों का उपयोग किया जाता है। शोध के आधार पर नई बायोमीट्रिक मशीनों का उत्पादन होने के बाद, नकली या मृत व्यक्ति के फिंगरप्रिंट का उपयोग नहीं हो सकेगा।
- कई बार हैकर्स फिंगरप्रिंट की छवि चुराकर उसका उपयोग आधार, सिम और बैंकिंग क्षेत्रों में करने की कोशिश करते हैं। अभी बायोमीट्रिक मशीनें अंगुली की लकीरों को पढ़ती हैं और आगे की प्रक्रिया के लिये अनुमति दे देती हैं। नई तरह की मशीनों पर अंगुली लगाने के बाद सेंसर ब्लड की सेल्स और पल्स भी पता करेगा।
- शोध पर काम करने वाले देवी अहिल्या विश्वविद्यालय के इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलाजी (आईईटी) के प्रो. शशि प्रकाश एवं आईआईटी इंदौर के प्रो. विमल भाटिया हैं।
हरियाणा Switch to English
किसान ड्रोन का उद्घाटन
चर्चा में क्यों?
19 फरवरी, 2022 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हरियाणा के गुरुग्राम के मानेसर और चेन्नई में गरुड़ एयरोस्पेस की ड्रोन निर्माण सुविधाओं का वर्चुअल तौर पर उद्घाटन किया।
प्रमुख बिंदु
- चेन्नई स्थित गरुड़ एयरोस्पेस एक ड्रोन-एज-ए-सर्विस (डीएएएस) कंपनी है।
- प्रधानमंत्री ने दो स्थानों पर ड्रोन निर्माण सुविधाओं का वर्चुअल तौर पर उद्घाटन किया, जिसके परिणामस्वरूप 100 गाँवों में एक साथ 100 किसान ड्रोन उतारे गए।
- इन 100 ड्रोनों ने आज़ादी के 75 साल पूरे होने का ज़श्न मनाने के लिये 16 अलग-अलग राज्यों में ‘आज़ादी का अमृत महोत्सव’ के तहत कृषि छिड़काव अभियान शुरू किया।
- ज्ञातव्य है इस वर्ष की बजट घोषणाओं में प्रौद्योगिकी और नवाचार को प्राथमिकता दी गई है तथा विभिन्न क्षेत्रों में किसान ड्रोन के उपयोग का उल्लेख किया गया है।
- गरुड़ एयरोस्पेस ने गुरुग्राम में डेफसिस सॉल्यूशंस से ड्रोन बनाने के लिये लीज पर जगह ली है। डेफसिस सॉल्यूशन की सुविधा उन्नत डिज़ाइन और प्रोटोटाइप परीक्षण क्षमताओं से लैस है।
- यह 2.5 एकड़ का संयंत्र ड्रोन सॉफ्टवेयर डिज़ाइन, हार्डवेयर स्ट्रक्चरल टेस्टिंग, टाइप सर्टिफिकेशन और प्रतिदिन 40 ड्रोन निर्माण क्षमता का केंद्र है।
- गरुड़ का प्रस्तावित चेन्नई संयंत्र 20 एकड़ की सुविधा पर स्थित है, जहाँ प्रतिदिन 100 ड्रोन उत्पादन की क्षमता और अगले दो वर्षों में 100,000 किसान ड्रोन के निर्माण की योजना बनाई जा रही है। यह साइट प्रस्तावित आरपीटीओ (रिमोट पायलट ट्रेनिंग) सुविधा भी है, जिसका उद्देश्य इच्छुक ड्रोन पायलटों को प्रशिक्षित करना है।
- गरुड़ एयरोस्पेस के संस्थापक और सीईओ अग्निश्वर जयप्रकाश ने कहा, ‘प्रधानमंत्री द्वारा शुरू की गईं हमारी ड्रोन सुविधाएँ गरुड़ के भारत के पहले ड्रोन यूनिकॉर्न स्टार्टअप बनने के दृष्टिकोण को बढ़ावा देती हैं। यह स्टार्टअप छह लाख ड्रोन बनाएगा और 2025 तक प्रत्येक भारतीय गाँव में एक ड्रोन को तैनात करेगा।’
छत्तीसगढ़ Switch to English
सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत 69.50 लाख राशन कार्ड जारी
चर्चा में क्यों?
20 फरवरी, 2022 को छत्तीसगढ़ सरकार के खाद्य विभाग से मिली जानकारी के अनुसार राज्य में खाद्य एवं पोषण सुरक्षा अधिनियम, 2012 तथा छत्तीसगढ़ सार्वजनिक वितरण प्रणाली नियंत्रण आदेश-2016 के अंतर्गत अब तक कुल 69 लाख 50 हज़ार 49 परिवारों को राशन कार्ड जारी किया गया है।
प्रमुख बिंदु
- इन जारी राशनकार्ड में अंत्योदय के परिवार, निराश्रित, नि:शक्तजन, प्राथमिकता वाले परिवार एवं एपीएल परिवार शामिल हैं।
- राशनकार्ड धारियों में 54 लाख 60 हज़ार 678 परिवार ग्रामीण क्षेत्र के तथा 14 लाख 89 हज़ार 371 परिवार शहरी क्षेत्र के हैं।
- राज्य में प्राथमिकता वाले 45 लाख 5 हज़ार 867 परिवारों को, अंत्योदय के 14 लाख 21 हज़ार 585 परिवारों को तथा 38 हज़ार 645 निराश्रितों को राशन कार्ड जारी किया गया है।
- कार्डधारी नि:शक्तजन की संख्या 11 हज़ार 483 तथा एपीएल सामान्य परिवार वाले राशन कार्डधारी की संख्या 14 लाख 89 हज़ार 371 है।
- गौरतलब है कि राज्य में पात्र छूटे हितग्राहियों को नियमानुसार राशन कार्ड जारी किये जा रहे हैं।
उत्तराखंड Switch to English
10वाँ गंगा क्याक महोत्सव 2022
चर्चा में क्यों?
19 फरवरी, 2022 को उत्तराखंड स्थित लक्ष्मणझूला-नीलकंठ मार्ग पर हेंवल और गंगा नदी के संगम पर स्थित फूलचटेी में गंगा के गोल्फ कोर्स रैपिड में तीन दिवसीय 10वें गंगा क्याक महोत्सव, 2022 का समापन हुआ।
प्रमुख बिंदु
- इसका आयोजन द एडवेंचर स्पोर्ट्स सोसायटी और उत्तराखंड पर्यटन विकास परिषद के सहयोग से किया गया।
- पहले दिन क्याक स्प्रिंट स्पर्धाओं में खिलाड़ियों ने दमखम दिखाया, जिसमें 53 क्याकर्स ने प्रतिभाग किया।
- इस महोत्सव में स्प्रिंट, प्रोफेशनल सलालम, मास बोटर, क्रास व बोटर क्रास स्पर्धाएँ आयोजित की गईं।
- एडवेंचर स्पोर्ट्स सोसायटी के अध्यक्ष भीम सिंह चौहान ने बताया कि पुरुष वर्ग में भारत के दमन सिंह (2 मिनट 31 सेकेंड 91 माइक्रोसेकेंड) प्रतियोगिता के विजेता रहे।
- भारत के अमित थापा (2 मिनट 33 सेकेंड 38 माइक्रोसेकेंड) को प्रतियोगिता में दूसरा और सोहन राणा को (2 मिनट 35 सेकेंड 61 माइक्रोसेकेंड) तीसरा स्थान मिला।
- वहीं महिला वर्ग में भारत की प्रियंका राणा (3 मिनट 40 सेकेंड 61 माइक्रोसेकेंड) ने बाजी मारी, जबकि ऑस्ट्रेलिया की सीयून हांग (3 मिनट 46 सेकेंड 16 माइक्रोसेकेंड) दूसरे और भारत की निधि भारद्वाज (3 मिनट 56 सेकेंड 15 माइक्रोसेकेंड) तीसरे स्थान पर रहीं।
उत्तराखंड Switch to English
इंडिया ट्रैवल मार्ट में उत्तराखंड अव्वल
चर्चा में क्यों?
19 फरवरी, 2022 को उत्तराखंड पर्यटन विकास परिषद के सहयोग से आयोजित तीनदिवसीय इंडिया ट्रैवल मार्ट (आईटीएम) का समापन हुआ। इस मार्ट में उत्तराखंड को होम स्टे और पर्यटन निवेश प्रोत्साहन में सर्वश्रेष्ठ स्टाल पुरस्कार मिला।
प्रमुख बिंदु
- समापन पर उत्तराखंड पर्यटन को होम स्टे, साहसिक और पर्यटन निवेश प्रोत्साहन में उत्तराखंड व धोलावीरा (विश्व यूनेस्को विरासत स्थल) और स्टेच्यू ऑफ यूनिटी को बढ़ावा देने के लिये गुजरात को सर्वश्रेष्ठ स्टॉल पुरस्कार से नवाजा गया।
- उत्तराखंड पर्यटन विकास परिषद के उपनिदेशक योगेंद्र कुमार गंगवार ने कहा कि उत्तराखंड में पर्यटन के लिये पहले से तय गंतव्य को विकसित करने पर लगातार काम किया जा रहा है। पर्यटकों के लिये यात्रा को और अधिक मनोरंजक व परेशानी मुक्त बनाना है।
- आईटीएम ग्रुप के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक अजय गुप्ता ने कहा कि इंडिया ट्रेवल मार्ट के माध्यम से उत्तराखंड और पैन इंडिया के ट्रैवल एजेंटों एवं टूर ऑपरेटरों के साथ पर्यटन उद्योग को बढ़ावा देने के लिये नेटवर्क़िग का अवसर प्रदान किया है। मार्ट में वन्य जीव पर्यटन, विरासत पर्यटन, एडवेंचर और ईको टूरिज़्म, धार्मिक और तीर्थाटन, समुद्र तट, व्यंजन, मेला और त्योहारों के बारे में जानकारी दी गई।
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