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छत्तीसगढ स्टेट पी.सी.एस.

  • 21 Jan 2023
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केंद्रीय पुल में सबसे ज़्यादा धान देने वाला दूसरा सबसे बड़ा राज्य बना छत्तीसगढ़

चर्चा में क्यों?

20 जनवरी, 2023 को छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने बताया कि वर्तमान खरीफ मार्केटिंग सीजन में सेंट्रल पूल में सबसे अधिक धान जमा कराने वाला छत्तीसगढ़ देश का दूसरा सबसे बड़ा राज्य बन गया है।

प्रमुख बिंदु 

  • मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इसे एक बड़ी उपलब्धि करार देते हुए बताया कि लगातार चार वर्षों से छत्तीसगढ़ कृषि क्षेत्र में लगातार नए-नए कीर्तिमान रच रहा है। यह किसानों की मेहनत और खेती पर लौटे उनके भरोसे का ही परिणाम है।
  • उन्होंने बताया कि इस साल राज्य में धान खरीदी का भी नया रिकॉर्ड कायम हो रहा है। अब तक 103 लाख मीट्रिक टन धान की खरीदी की जा चुकी थी। उन्होंने उम्मीद जतायी है कि निर्धारित अंतिम तिथि 31 जनवरी तक 110 लाख मीट्रिक टन के अनुमानित आँकडे भी पार हों जाएंगे।
  • उल्लेखनीय है कि भारत सरकार द्वारा 15 जनवरी को जारी रिपोर्ट के अनुसार छत्तीसगढ़ केंद्रीय पुल में 92 लाख मीट्रिक टन धान का योगदान दे चुका था। इस सीजन में सर्वाधिक धान जमा कराने वाला वह दूसरा प्रदेश बन चुका है।
  • मुख्यमंत्री ने बताया कि राज्य सरकार की किसान हितैषी नीतियों के चलते खेती-किसानी और किसानों के जीवन में सुखद बदलाव आया है। राज्य में फसल उत्पादकता एवं फसल विविधिकरण को बढ़ावा देने के लिये छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा संचालित ‘राजीव गांधी किसान न्याय योजना’ के अलावा ‘गोधन न्याय योजना’, ‘सुराजी गाँव योजना’, किसानों की कर्ज माफी, सिंचाई कर माफी से राज्य के किसानों को एक नई ताकत मिली है, जिसके चलते राज्य में किसानों की संख्या और खेती के रकबे में लगातार वृद्धि हो रही है।
  • उन्होंने बताया कि छत्तीसगढ़ सरकार की किसान हितैषी योजनाओं से इन चार वर्षों में लगातार किसानों की पंजीयन संख्या में वृद्धि हुई है। इस वर्ष 24.96 लाख किसानों ने पंजीयन कराया है, इनमें 2.30 लाख नए किसान हैं। किसानों को धान विक्रय में सहूलियत हो, इस लिहाज से इस साल राज्य में 135 नए उपार्जन केंद्र शुरू किये गए, जिसके कारण कुल उपार्जन केंद्रों की संख्या 2617 हो गई है।

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कृषि मंत्री ने इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय में किया ‘मिलेट कैफे’का लोकार्पण

चर्चा में क्यों?

20 जनवरी, 2023 को छत्तीसगढ़ के कृषि मंत्री रविंद्र चौबे ने रायपुर के इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय परिसर में नवनिर्मित ‘मिलेट कैफे’का लोकार्पण किया।

प्रमुख बिंदु 

  • कृषि मंत्री रविंद्र चौबे ने बताया कि इस ‘मिलेट कैफे’में कोदो, कुटकी, रागी तथा अन्य लघु धान्य फसलों से निर्मित विविध व्यंजन- इडली, दोसा, डोहा, उपमा, भजिया, खीर, हलवा, माल्ट, कुकीज के साथ ही इनसे निर्मित छत्तीसगढ़ के पारंपरिक व्यंजन ठेठरी, खुरमी, अरसा, चाकोली, सेवई, पिढ़िया आदि आम जनता के लिये उपलब्ध रहेंगे। इसके अलावा लघु धान्य फसलों से निर्मित अन्य उत्पाद भी विक्रय के लिये उपलब्ध रहेंगे।
  • उन्होंने बताया कि ‘मिलेट कैफे’आम जनता में लघु धान्य फसलों के प्रति जागरूकता उत्पन्न करने तथा उनके उपयोग को बढ़ावा देने के लिये प्रारंभ किया गया है। यह देश में किसी विश्वविद्यालय द्वारा संचालित किया जाने वाला प्रथम मिलेट कैफे होगा।
  • इस ‘मिलेट कैफे’का संचालन कृषि विज्ञान केंद्र रायपुर द्वारा किया जाएगा और यहाँ विभिन्न महिला स्व-सहायता समूहों द्वारा निर्मित लघु धान्य व्यंजनों का विक्रय किया जाएगा।
  • उल्लेखनीय है कि लघु धान्य फसलों की पोषकता तथा स्वास्थ्यप्रद मूल्यों को दृष्टिगत रखते हुए संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा इसके उपयोग को बढ़ावा देने के लिये वर्ष 2023 को ‘मिलेट वर्ष’घोषित किया गया है। 

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