छत्तीसगढ़ के ‘मोर मयारू गुरूजी’ कार्यक्रम को मिला राष्ट्रीय सिल्वर स्कॉच अवार्ड | छत्तीसगढ़ | 20 Dec 2022
चर्चा में क्यों?
19 दिसंबर, 2022 को इंडिया हैबिटेट सेंटर नई दिल्ली में आयोजित कार्यक्रम में स्कॉच फाउंडेशन द्वारा छत्तीसगढ़ राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग के ‘मोर मयारू गुरूजी’ कार्यक्रम को राष्ट्रीय स्तर पर सिल्वर स्कॉच अवार्ड प्रदान किया गया।
प्रमुख बिंदु
- इस सम्मान को महिला एवं बाल विकास मंत्री अनिला भेड़िया और आयोग की अध्यक्ष तेजकुंवर नेताम ने प्राप्त किया।
- इस सम्मान समारोह में छत्तीसगढ़ हाउसिंग बोर्ड और वन विभाग बालोद को भी अवार्ड प्राप्त हुआ।
- सम्मान प्राप्त करने के उपरांत अपने उद्बोधन में अनिला भेड़िया ने कहा कि बच्चों की मानसिकता को देखकर-समझकर शिक्षकों को बच्चों से व्यवहार करने के उद्देश्य से इस कार्यक्रम की शुरूआत की गई है।
- उल्लेखनीय है कि राष्ट्रीय स्कॉच अवार्ड एक अत्यंत प्रतिष्ठित सम्मान है जो कि 7 चरणों की चरणबद्ध प्रक्रिया को पार करने के उपरांत ही प्राप्त होता है। यह अवार्ड महिला एवं बाल विकास की श्रेणी में बाल संरक्षण के क्षेत्र में ‘मोर मयारू गुरूजी’कार्यक्रम के नवाचार पर दिया गया है।
- गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग के ‘मोर मयारू गुरूजी’ कार्यक्रम के माध्यम से शिक्षकों को बाल अधिकारों की रक्षा के लिये खेल एवं अन्य गतिविधियों के माध्यम से रोचक तरीके से प्रशिक्षण दिया जाता है।
- आयोग द्वारा अब तक इस कार्यक्रम में विभिन्न ज़िलों एवं राज्य स्तर पर लगभग 2000 शिक्षकों को प्रशिक्षित किया जा चुका है और भविष्य में इसे ज़िला स्तर तक विस्तार करने की भी योजना है।
- इस कार्यक्रम को रोचक तरीके से डिजाईन किया गया है। इसकी अवधि मात्र 2 से 3 घंटे ही रखी गई है, जिससे शिक्षक इसे आसानी से ग्रहण कर सकें।
- आयोग का यह मानना है कि एक शिक्षक और बच्चे का संबंध 5 वर्ष से 12 वर्ष तक रहता है और इस बीच शिक्षक के व्यक्तित्व का बच्चों पर गहरा प्रभाव पड़ता है। इसे ध्यान में रखते हुए बाल अधिकार सहित शिक्षकों द्वारा बच्चों से वार्तालाप करते समय और पढ़ाते समय किन बातों पर ज़ोर देना है और किन कमियों को सुधारना है, इन सभी विषयों को मोर मयारू गुरूजी कार्यक्रम में शामिल किया गया है।
राजकीय पशु जंगली भैंसों के संरक्षण पर लिखी विशेष पुस्तक ‘बैक फ्राम दी ब्रिंक’ का विमोचन | छत्तीसगढ़ | 20 Dec 2022
चर्चा में क्यों?
19 दिसंबर, 2022 को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल तथा वन मंत्री मोहम्मद अकबर ने छत्तीसगढ़ राज्य वन्य जीव बोर्ड की बैठक में वाइल्ड लाइफ ट्रस्ट ऑफ इंडिया द्वारा छत्तीसगढ़ के राजकीय पशु जंगली भैंसों के संरक्षण पर लिखी गई विशेष पुस्तक ‘बैक फ्राम दी ब्रिंक’ (BACK FROM THE BRINK) का विमोचन किया।
प्रमुख बिंदु
- पिछले लगभग 17 वर्षों से डब्ल्यूटीआई, छत्तीसगढ़ वन विभाग के साथ वन भैंसों के संरक्षण एवं संवर्धन पर कार्य कर रहा है। इस पुस्तक में पिछले दो दशकों से चल रही परियोजना के विभिन्न पहलुओं के विवरण के साथ-साथ संरक्षण के लक्ष्य का विस्तृत विवरण दिया गया है।
- गौरतलब है कि भारत में विश्व स्तर पर लुप्तप्राय जंगली भैंसों (बुवालिस अरनी) की 80 प्रतिशत से अधिक संख्या पाई जाती है। छत्तीसगढ़ में कठोर भूमि (हार्ड ग्राउंड) में वन भैंसों की संख्या 50 से भी कम रह गई है। असम की आर्द्र भूमि में वन भैंसों की संख्या 4000 के करीब है।
- वाइल्डलाइफ ट्रस्ट ऑफ इंडिया के संस्थापक और कार्यकारी निर्देशक विवेक मेनन के अनुसार, डब्ल्यूटीआई ने 2005 में जब राज्य में कार्य करना शुरू किया, उस समय उदंती अभयारण्य में एक मादा वन भैंस के साथ सिर्फ छह वन भैंसे बचे थे। इसका मतलब यह था कि मध्य भारत की अलग-अलग आबादी के विलुप्त होने का गंभीर खतरा था।
- यह रिपोर्ट लुप्तप्राय वन भैंसों के साथ 15 वर्षों के संरक्षण कार्य का इतिहास है। छत्तीसगढ़ के राजकीय पशु के संरक्षण के लिये वैश्विक ध्यान के साथ-साथ केंद्र और राज्य सरकार के सहयोग की आवश्यकता है।
- वाइल्ड लाइफ ट्रस्ट ऑफ इंडिया के उपनिदेशक एवं मध्य क्षेत्र प्रमुख डॉ. राजेंद्र मिश्रा के अनुसार परियोजना अवधि के दौरान उदंती अभयारण्य में अधिकतम 11 वन भैंसे थे। वन विभाग ने डब्ल्यूटीआई के तकनीकी सहयोग से वर्ष 2020 में असम के मानस राष्ट्रीय उद्यान से दो वन भैंसों (नर एवं मादा) कंजर्वेशन ब्रीडिंग के लिये बारनवापारा वन्यजीव अभयारण्य में स्थानांतरित करने में भी सफलता प्राप्त की।
- पुस्तक में बताया गया है कि उदंती के वन भैंसे असम राज्य और यहाँ तक कि महाराष्ट्र के जंगली भैसों के साथ हैप्लोटाइप साझा करती हैं और इसलिये उदंती में जंगली भैंसों की आबादी को बढ़ाने के लिये उपयोग किया जा सकता है। हालाँकि, उदंती-सीतानदी टाइगर रिजर्व में घटते जा रहे वन एवं घास के मैदान जंगली भैंसों को बचाने में गंभीर खतरा पैदा कर सकते हैं।
- लगातार तीन वर्षों के जन जागरूकता अभियान के माध्यम से, डब्ल्यूटीआई ने लगभग 4000 छात्रों, 3000 ग्रामीणों एवं 12 सार्वजनिक सेवा विभागों तक वन भैंसों के संरक्षण एवं संवर्धन का प्रचार-प्रसार किया, जिसका असर समाज के सभी वर्गों तक पहुँचा है।
छत्तीसगढ़ में बाघों की संख्या बढ़ाने मध्य प्रदेश से लाए जाएंगे बाघ | छत्तीसगढ़ | 20 Dec 2022
चर्चा में क्यों?
19 दिसंबर, 2022 को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की अध्यक्षता में आयोजित छत्तीसगढ़ राज्य वन्य जीव बोर्ड की बैठक में छत्तीसगढ़ में बाघों की संख्या बढ़ाने के लिये मध्य प्रदेश से बाघ लाए जाने सहित कई अन्य प्रस्तावों को मंजूरी दी गई।
प्रमुख बिंदु
- इस प्रस्ताव के अनुसार मध्य प्रदेश से से लाये गए बाघों को अचानकमार टाइगर रिजर्व में छोड़ा जाएगा। इसके साथ ही साथ बारनवापारा अभयारण्य में भी बाघों के लिये अनुकूल परिस्थितियों के चलते टाइगर छोड़े जाएंगे।
- छत्तीसगढ़ राज्य वन्य जीव बोर्ड की बैठक में इसके साथ ही वन्य प्राणियों की सुरक्षा और संरक्षण, वन्य प्राणी मानव द्वंद रोकने के अनेक प्रस्तावों को मंजूरी दी गई।
- मुख्यमंत्री ने वन्य प्राणियों की सुरक्षा और संरक्षण के लिये वनों की 10 किलोमीटर की परिधि के गांवों में आजीविका मूलक गतिविधियों को बढ़ावा देने, वन्य प्राणियों की सुरक्षा की दृष्टि से वन क्षेत्रों में संचार नेटवर्क को मजबूत बनाने, हाथी मानव द्वंद रोकने जागरूकता अभियान को गति देने और वन्य प्राणियों के लिये पानी और चारागाह विकसित करने के निर्देश अधिकारियों को दिए। बैठक में इनसे संबंधित प्रस्तावों को मंजूरी दी गई।
- छत्तीसगढ़ में बाघों की संख्या चार गुना करने के लिये ग्लोबल टाइगर फोरम (जीटीएफ) द्वारा प्रस्ताव दिया गया था, जिसके क्रियान्वयन की अनुमति बैठक में दी गई। जिसके तहत अचानकमार टाइगर रिजर्व में बाघ मध्य प्रदेश से लाकर छोड़े जाएंगे।
- अधिकारियों ने बताया कि अचानकमार टाइगर रिजर्व में वन्यप्राणियों के लिये जल स्त्रोतों, चारागाह को विकसित किया गया है, जिससे शाकाहारी वन्यप्राणियों की संख्या में वृद्धि हो सके।
- बोर्ड की बैठक में बलौदाबाजार ज़िले के बारनवापारा अभयारण्य में फिर से टायगरों को पुनर्स्थापित करने के लिये टाइगर छोड़ने के प्रस्ताव को भी सैद्धांतिक सहमति दी गई।
- बारनवापारा अभयारण्य में वर्ष 2010 तक टाइगर पाए जाते थे। टाइगर रि-इंट्रोडक्शन एवं टाइगर रिकव्हरी प्लान के तहत ख्याति प्राप्त वन्यप्राणी संस्थान से हैबिटेट सुटेबिलिटी रिपोर्ट तैयार कराई जाएगी, जिसकी स्वीकृति राष्ट्रीय व्याघ्र संरक्षण प्राधिकरण नई दिल्ली से प्राप्त होने के बाद इस अभयारण्य में बाघ पुनर्स्थापना का कार्य प्रारंभ किया जाएगा।
- अधिकारियों ने बैठक में बताया कि शाकाहारी वन्य प्राणियों को विभिन्न प्रजनन केंद्रों एवं अन्य स्थानों से लाकर प्रदेश के संरक्षित क्षेत्रों के प्राकृतिक रहवास में छोड़ा गया है।
- बैठक में यह जानकारी भी दी गई कि छत्तीसगढ़ के वन क्षेत्रों में हाथियों के लिये चारागाह, पानी आदि की व्यवस्था करने से हाथी मानव द्वंद की घटनाओं में काफी कमी हुई है। लगभग 11 हज़ार 314 हेक्टेयर चारागाह विकसित किए गए हैं। लगभग 80 हज़ार हेक्टेयर में खाद्य घास की प्रजातियां लगाई गई हैं।
- बैठक में भारत माला परियोजना के अंतर्गत प्रस्तावित रायपुर-विशाखापट्टनम इकोनॉमिक कॉरिडोर निर्माण के लिये उदंती-सीतानदी टाइगर रिजर्व में केशकाल एवं कांकेर वनमंडल के लगभग 64 वन क्षेत्र तथा भारतीय वन्यजीव संस्थान देहरादून द्वारा चिन्हांकित इद्रांवती- उदंती-सीतानदी-सुनाबेड़ा टाइगर कॉरिडोर के 7 वन कक्षों से गुजरने वाले लगभग 3.5 किलोमीटर राजमार्ग में प्रस्तावित इकानॉमिक कॉरिडोर निर्माण के लिये अनुमति दी गई।
- इस प्रस्ताव को राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड को भेजा जाएगा। इस तरह भोपालपट्टनम से जगदलपुर राष्ट्रीय राजमार्ग में चिंतावागु नदी पर नवीन पुल निर्माण की अनुमति दी गई। यह प्रस्ताव भी राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड को अनुमति के लिये भेजा जाएगा। इस नवीन पुल एवं पहुंच मार्ग का निर्माण इद्रांवती टाइगर रिजर्व के बफर जोन के 1.177 हेक्टेयर रकबे के अंतर्गत आता है।
- बैठक में वन क्षेत्रों में बेहतर संचार की सुविधा के लिये ऑप्टिकल फाइबर केबल बिछाने और मोबाइल टॉवर लगाने के प्रस्तावों को भी मंजूरी दी गई। इससे जहां वन प्राणी सुरक्षा व्यवस्था मजबूत होगी। वहीं वन क्षेत्रों के गांवों में पीडीएस सिस्टम, धान खरीदी, वृद्धावस्था पेंशन, बैंकिंग और ऑनलाइन पढ़ाई में आसानी होगी।
- बैठक में वनभैंसों में कृत्रिम गर्भाधान करने की अनुमति भी प्रदान की गई। इस प्रस्ताव के अनुसार वाइल्ड लाइफ ट्रस्ट ऑफ इंडिया तथा LaCONES, CCMB हैदराबाद के विशेषज्ञों एवं वन विभाग में पदस्थ पशु चिकित्सकों के देख-रेख में वीर्य निकालने का कार्य किया जाएगा तथा इस उपयोग मादा वनभैंसों के कृत्रिम गर्भाधान हेतु किया जाएगा।