आईआईएसईआर के वैज्ञानिकों ने चुंबकीय छिद्रपूर्ण कार्बन नैनोकणों का उत्पादन किया | मध्य प्रदेश | 17 Oct 2023
चर्चा में क्यों?
हाल ही में भारतीय विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान भोपाल (आईआईएसईआर) के शोधकर्त्ताओं ने सफलतापूर्वक चुंबकीय नैनोकणों का उत्पादन किया है, जो मानव बाल की चौड़ाई से लगभग एक लाख गुना छोटे कण हैं।
प्रमुख बिंदु
- इन नैनोकणों को कई अनुप्रयोगों के लिये विकसित किया गया है, जैसे- समुद्री जल से गर्मी और प्रकाश-प्रेरित नमक को हटाना, रंगों और डीसिंग और एंटी-आइसिंग प्रक्रियाओं से दूषित अपशिष्ट जल से पीने योग्य पानी निकालना।
- दुनिया की प्राथमिक वैश्विक चुनौतियों में से एक अपशिष्ट जल और समुद्री जल जैसे स्रोतों से स्वच्छ और उपयोग योग्य ताजा जल प्राप्त करना है। ऐसा अनुमान है कि दुनिया की लगभग दो-तिहाई आबादी जल्द ही पानी की कमी की समस्या वाले क्षेत्रों में रहेगी।
- विदित है कि अलवणीकरण, एक ऐसी प्रक्रिया, जो लगभग 40% तटीय समुदायों के लिये स्थानीय जल स्रोत प्रदान कर सकती है। समुद्री जल से उपयोग योग्य पानी का उत्पादन करने वाली अलवणीकरण विधियों में आमतौर पर ऐसी प्रक्रियाएँ शामिल होती हैं, जिनमें बहुत अधिक हीट की आवश्यकता होती है, जैसे- आसवन या रिवर्स ऑस्मोसिस जैसी झिल्ली-आधारित तकनीकें।
- हालाँकि, इन विधियों के लिये अक्सर महँगे उपकरण, बड़े सेटअप और पर्याप्त ऊर्जा खपत की आवश्यकता होती है। एक अधिक टिकाऊ विकल्प फोटोथर्मल (प्रकाश+ताप)--सहायक अलवणीकरण है, जो नवीकरणीय सौर ऊर्जा का उपयोग करता है।
- कुशल अलवणीकरण प्रक्रियाओं से लेकर डाई हटाने और डी-आइसिंग तक विविध अनुप्रयोगों के साथ चुंबकीय नैनोकणों का निर्माण टिकाऊ और सुलभ जल संसाधनों की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम का प्रतिनिधित्व करता है। विज्ञान में इस तरह की प्रगति एक ऐसे भविष्य की आशा प्रदान करती है, जहाँ दुनिया भर के समुदायों के लिये स्वच्छ और सुरक्षित पानी अधिक आसानी से उपलब्ध होगा।
- इस अनुसंधान का नेतृत्व आईआईएसईआर भोपाल के केमिकल इंजीनियरिंग विभाग के सहायक प्रोफेसर डॉ. शंकर चकमा ने किया।
- इस शोध समूह के निष्कर्ष प्रतिष्ठित सहकर्मी-समीक्षा पत्रिका अमेरिकन केमिकल सोसाइटी - ईएसटी इंजीनियरिंग में प्रकाशित हुए हैं।