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बस्तर दशहरा
चर्चा में क्यों?
19 अक्तूबर, 2021 को सबसे लंबे समय तक चलने वाले (75 दिवसीय) विश्वप्रसिद्ध ऐतिहासिक बस्तर दशहरे का समापन माता मावली की भावभीनी विदाई के साथ हो गया। परंपरा अनुसार बस्तर संभाग के 84 परगना और सीमावर्ती राज्यों से आए 450 से अधिक देवी-देवताओं को कुटुंब जात्रा के बाद ससम्मान विदाई दी गई।
प्रमुख बिंदु
- उल्लेखनीय है कि इस वर्ष बस्तर दशहरे की शुरुआत पाट जात्रा विधान के साथ 8 अगस्त, 2021 को हुई थी।
- माँ मावली की डोली व माँ दंतेश्वरी के छत्र की पूरे विधि-विधान से पूजा-अर्चना की गई। वहीं बस्तर के राजा कमलचंद भंजदेव ने परंपरा के अनुसार माता की डोली को स्वयं कंधे पर उठाया और नगर परिक्रमा करवाई।
- दंतेश्वरी मंदिर से प्रगति पथ तक जगह-जगह विशाल जनसमुदाय ने माता मावली को भावभीनी विदाई दी। विदाई रस्म के दौरान पुलिस जवानों ने हर्ष फायरिंग भी की।
- उल्लेखनीय है कि बस्तर दशहरा शेष भारत के दशहरे से भिन्न है, क्योंकि शेष भारत में दशहरा रावण के वध के प्रति, जबकि बस्तर दशहरा दंतेश्वरी माता के प्रति समर्पित है। यह पर्व श्रावण अमावस्या से लेकर अश्विन शुक्ल त्रयोदशी तक चलता है।
- बस्तर की यह रियासतकालीन परंपरा 620 वर्षों से भी अधिक पुरानी है। इसका प्रारंभ काकतीयवंशीय शासक पुरुषोत्तमदेव (1408 से 1439 ई.) ने किया था।
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